वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? / What do you understand by globalization?

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वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? / What do you understand by globalization?

वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? / What do you understand by globalization?


वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? / Vaishvikaran se aap kya samajhte hain ?


What do you understand by globalization?

  


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प्रश्न- वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों से स्पष्ट कीजिए।


या 


वैश्वीकरण क्या है? इसका कोई एक लाभ बताइए। 


उत्तर- वैश्वीकरण का अर्थ एक ऐसी व्यवस्था से है जिसमें किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं से विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश द्वारा जोड़ा जाता है। वैश्वीकरण के कारण आज विश्व में विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, तकनीकी तथा श्रम का आदान-प्रदान हो रहा है। इस कार्य में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जब वे अपनी इकाइयाँ संसार के विभिन्न देशों में स्थापित करती हैं।


हम अक्सर कई संदर्भों में वैश्वीकरण शब्द सुनते हैं और अधिक व्यापार, विदेशी कंपनियों और यहां तक कि चल रहे आर्थिक संकट को निरूपित करने के लिए एक अवधारणा के रूप में बार-बार दोहराया जाता है। इससे पहले कि हम इस शब्द और इसकी विभिन्न अभिव्यक्तियों की पूरी समीक्षा करें, यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि जब हम वैश्वीकरण कहते हैं तो वास्तव में हमारा क्या मतलब होता है?


वैश्वीकरण दुनिया भर में वस्तुओं, सेवाओं और लोगों की निर्बाध और एकीकृत तरीके से मुक्त आवाजाही है। वैश्वीकरण को वैश्विक अर्थव्यवस्था के खुलने और राष्ट्रों के बीच व्यापार में सहवर्ती वृद्धि का परिणाम माना जा सकता है। दूसरे शब्दों में, जब वे देश जो अब तक व्यापार और विदेशी निवेश के लिए बंद थे, अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खोलते हैं और वैश्विक हो जाते हैं, तो इसका परिणाम दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं के बढ़ते अंतर्संबंध और एकीकरण पर पड़ता है। यह वैश्वीकरण का संक्षिप्त परिचय है।


इसके अलावा, वैश्वीकरण का अर्थ यह भी हो सकता है कि देश अपने आयात प्रोटोकॉल को उदार बनाते हैं और उन क्षेत्रों में विदेशी निवेश का स्वागत करते हैं जो इसकी अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार हैं। इसका मतलब यह है कि देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बहुराष्ट्रीय निगमों के लिए खोलकर वैश्विक पूंजी को आकर्षित करने के लिए चुंबक बन जाते हैं।


इसके अलावा, वैश्वीकरण का अर्थ यह भी है कि देश अपने वीजा नियमों और प्रक्रियाओं को उदार बनाते हैं ताकि लोगों को एक देश से दूसरे देश में मुक्त प्रवाह की अनुमति मिल सके। इसके अलावा, वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप अनुत्पादक क्षेत्रों को निवेश और उत्पादक क्षेत्रों को निर्यात संबंधी गतिविधियों के लिए मुक्त कर दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक जीत की स्थिति होती है।


वैश्वीकरण तुलनात्मक लाभ के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि जो देश किसी विशेष अच्छे उत्पाद का उत्पादन करने में अच्छे हैं,वे उन देशों को निर्यात करने से बेहतर हैं जो उस अच्छे उत्पादन में कम कुशल हैं। इसके विपरीत, बाद वाला देश उस माल का निर्यात कर सकता है जो वह पहले वाले देश को एक कुशल तरीके से पैदा करता है जिसमें उसकी कमी हो सकती है। यहां अंतर्निहित धारणा यह है कि सभी देश सभी प्रकार के सामानों का उत्पादन करने में अच्छे नहीं हैं और इसलिए वे एक दूसरे के साथ व्यापार करके लाभान्वित होते हैं। इसके अलावा, मजदूरी के अंतर और जिस तरह से विभिन्न देश विभिन्न संसाधनों से संपन्न हैं, उसके कारण देश एक-दूसरे के साथ व्यापार करके लाभ प्राप्त करने के लिए खड़े हैं।


वैश्वीकरण का अर्थ यह भी है कि विश्व के देश विश्व व्यापार संगठन या विश्व व्यापार संगठन के नियमों और प्रक्रियाओं की सदस्यता लेते हैं जो देशों के बीच व्यापार के नियमों और शर्तों की देखरेख करते हैं। संयुक्त राष्ट्र और कई मध्यस्थता निकाय जैसे अन्य विश्व निकाय हैं जहां देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खोलने पर मुक्त व्यापार और गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार नीतियों की नीतियों का पालन करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं ।


बाद के लेखों में, हम वैश्वीकरण के विभिन्न आयामों और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के साथ-साथ गरीबी से मध्यम वर्ग की स्थिति में लोगों की गतिशीलता को देखते हैं। यहाँ मुद्दा यह है कि वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं और इसलिए अवधारणा पर चर्चा करते समय एक सूक्ष्म और गहन दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वैश्वीकरण यहाँ रहने के लिए है और इसलिए वैश्विक अर्थव्यवस्था के देशों के लिए इस अवधारणा को अपनाना और इसके साथ रहना बेहतर है।


प्रश्न-  वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है? वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सहायक कारकों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर- अधिक विदेश व्यापार और अधिक विदेशी निवेश के कारण विभिन्न देशों के बाजारों एवं उत्पादनों में एकीकरण हो रहा है। विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने में निम्नलिखित कारकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है


1. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही है। विभिन्न देशों के बीच अधिक-से-अधिक वस्तुओं और सेवाओं, निवेश और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है। इससे विश्व के अधिकांश भाग एक-दूसरे के अपेक्षाकृत अधिक पास आ रहे हैं।


2. उन्नत प्रौद्योगिकी- वैश्वीकरण को उत्प्रेरित करने में प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। परिवहन में उन्नति से दो देशों के बीच दूरी कम हो गई है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी के विकास से वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला है। दूरसंचार कंप्यूटर, इंटरनेट के क्षेत्र में प्रगति हुई है। दूरसंचार सुविधाओं का विश्व भर में एक-दूसरे से संपर्क करके, सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों में संवाद करने में प्रयोग किया जाता है। जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटरों का प्रवेश हो गया है। इंटरनेट से हम इलेक्ट्रॉनिक डाक भेज सकते हैं और अत्यंत कम मूल्य पर विश्व भर में बात कर सकते हैं। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी ने विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में मुख्य भूमिका निभाई है।


3. उदारीकरण- सरकार द्वारा व्यापार अवरोधकों को हटाने की प्रक्रिया को ही उदारीकरण कहते हैं। उदारीकरण के कारण अनेक देशों के बीच व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा मिला है। व्यापार के उदारीकरण से व्यापारियों को मुक्त रूप से निर्णय लेने की अनुमति मिल जाती है। इससे आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलता है।


इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। साथ ही व्यापार और निवेश के उदारीकरण ने व्यापार और निवेश अवरोधकों को हटाकर वैश्वीकरण को सुगम बनाया है।


प्रश्न 2. भारत में वैश्वीकरण के प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। भारत में वैश्वीकरण के सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार है-


सकारात्मक प्रभाव


(1) वैश्वीकरण के कारण उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं और वे अनेक उत्पादों की। उत्कृष्टता, गुणवत्ता और कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। ये लोग पहले की तुलना में उच्चतर जीवन स्तर का प्रयोग कर रहे हैं।


(ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा भारत में माल और सेवाओं में किया जाने वाला निवेश भी उत्तरोत्तर बढ़ाया जा रहा है। 1991 से अब तक यह निवेश बढ़ता जा रहा है।


प्रश्न - वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है? वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सहायक कारकों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर- अधिक विदेश व्यापार और अधिक विदेशी निवेश के कारण विभिन्न देशों के बाजारों एवं उत्पादनों में एकीकरण हो रहा है। विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने में निम्नलिखित कारकों की भूमिका. महत्त्वपूर्ण है


1. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ-  बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही है। विभिन्न देशों के बीच अधिक-से-अधिक वस्तुओं और सेवाओं, निवेश और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है। इससे विश्व के अधिकांश भाग एक-दूसरे के अपेक्षाकृत अधिक पास रहे हैं।


2. उन्नत प्रौद्योगिकी- वैश्वीकरण को उत्प्रेरित करने में प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। परिवहन में उन्नति से दो देशों के बीच दूरी कम हो गई है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी के विकास से वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला है। दूरसंचार कंप्यूटर, इंटरनेट के क्षेत्र में प्रगति हुई है। दूरसंचार सुविधाओं का विश्व भर में एक-दूसरे से संपर्क करके, सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों में संवाद करने में प्रयोग किया जाता है। जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटरों का प्रवेश हो गया है। इंटरनेट से हम इलेक्ट्रॉनिक डाक भेज सकते हैं और अत्यंत कम मूल्य पर विश्व भर में बात कर सकते हैं। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी ने विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में मुख्य भूमिका निभाई है।


3. उदारीकरण- सरकार द्वारा व्यापार अवरोधकों को हटाने की प्रक्रिया को ही उदारीकरण कहते हैं। उदारीकरण के कारण अनेक देशों के बीच व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा मिला है। व्यापार के उदारीकरण से व्यापारियों को मुक्त रूप से निर्णय लेने की अनुमति मिल जाती है। इससे आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलता है।


इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। साथ ही व्यापार और निवेश के उदारीकरण ने व्यापार और निवेश अवरोधकों को हटाकर वैश्वीकरण को सुगम बनाया है।


(iii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं में निवेश किया है। विदेशी निवेश भी इन्हीं उद्योगों और सेवाओं में हुआ है, जिसमें निर्यात वृद्धि की संभावना है।


(iv) वैश्वीकरण के कारण नए उद्योग स्थापित होने से रोजगार अवसरों का सृजन भी हुआ है।



(v) उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कंपनियों का विस्तार भी हुआ है।


(VI) वैश्वीकरण ने कुछ बड़ी कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरने में सक्षम बनाया है। टाटा मोटर्स, इफोसिस, रैनबैक्सी, एशियन पेन्ट्स कुछ ऐसी भारतीय कंपनियाँ है जो विश्व स्तर पर अपने क्रिया-कलापों का प्रसार कर रही हैं।


(vii) वैश्वीकरण से सेवा प्रदाता कंपनियों से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए नए अवसरों का सृजन हुआ है। प्रशासनिक कार्य, इंजीनियरिंग इत्यादि जैसी कई सेवाएँ भारत जैसे देशों में अब सस्ते में उपलब्ध है और विकसित देशों को निर्यात की जाती हैं।


नकारात्मक प्रभाव


वैश्वीकरण के बहुत से अच्छे प्रभावों के बावजूद इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी रहे हैं। उत्पादकों और कर्मचारियों पर वैश्वीकरण का समान प्रभाव नहीं पड़ा है। इसके कुछ नकारात्मक पक्ष निम्नवत् हैं


(1) वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण श्रमिकों का रोजगार लंबे समय के लिए सुनिश्चित नहीं है जहाँ पहले कारखाने श्रमिकों को स्थायी आधार पर रोजगार देते थे, वहीं वे अब अस्थायी

रोजगार देते हैं, ताकि श्रमिकों को वर्ष भर वेतन न देना पड़े। 


(ii) श्रमिकों से बहुत लंबे कार्य-घंटो तक काम लिया जाता है। मजदूरी काफी कम होती है। श्रमिकों को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय में भी काम करना पड़ता है।


इस प्रकार हमने देखा कि वैश्वीकरण के कारण मिले लाभों में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा नहीं मिला। इससे धनी उपभोक्ता, कुशल व शिक्षित लोग, धनी उत्पादक आदि ही लाभान्वित हुए हैं। 


प्रश्न- दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किस प्रकार उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती हैं?



उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वे कंपनियां है जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण अथवा स्वामित्व रखती हैं। ये कंपनियाँ उन देशों में अपने, कारखाने स्थापित करती है जहाँ उन्हें सस्ता श्रम एवं अन्य साधन मिल सकते हैं। जहाँ सरकारी नीतियाँ भी उनके अनुकूल हों। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इन देशों की स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं, लेकिन अधिकांशत: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों को खरीदकर उत्पादन का प्रसार करती है; जैसे-एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी 'कारगिल फूड्स' ने अत्यंत छोटी भारतीय कंपनी 'परख फूड्स' को खरौद लिया है।


बहुराष्ट्रीय कंपनियों एक अन्य तरीके से उत्पादन नियंत्रित करती हैं। विकसित देशों में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों छोटे उत्पादकों को उत्पादन का आदेश देती है। वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग है, जिनका विश्वभर में बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इनकी आपूर्ति कर दी जाती है, जो अपने ब्रांड नाम से इसे ग्राहकों को बेचती है।



प्रश्न- "वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।" इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए। I


उत्तर- विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और एकीकरण ही वैश्वीकरण है। वैश्वीकरण का विश्व के सभी देशों पर गहरा प्रभाव पड़ा किन्तु यह प्रभाव एकसमान नहीं है। स्थानीय एवं विदेशी उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धाओं में धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं और वे अनेक उत्पादों की उत्कृष्टता, गुणवत्ता और कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामत: ये लोग पहले की अपेक्षा एक उच्चतर जीवन-स्तर का उपभोग कर रहे हैं।


वैश्वीकरण से बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों और कर्मचारियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। बैटरी, प्लास्टिक, खिलौने, टायर, डेयरी उत्पाद एवं खाद्य तेल उद्योग कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जहाँ प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे निर्माता टिक नहीं सके। कई इकाइयाँ बंद हो गईं। जिसके चलते अनेक श्रमिक बेरोजगार हो गए। वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित किया। बढती प्रतिस्पर्धा के कारण श्रमिकों का रोजगार लंबे समय के लिए सुनिश्चित नहीं रहा। वैश्वीकरण के कारण मिले लाभ में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा नहीं मिला। ये सभी प्रमाण संकेत करते हैं कि वैश्वीकरण सभी के लिए लाभप्रद नहीं रहा है। शिक्षित, कुशल और संपन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले नए अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है। दूसरी ओर अनेक लोगों को लाभ में हिस्सा नहीं मिला है।



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