रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय|| jivan Parichay ramdhari Singh Dinkar

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रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय|| jivan Parichay ramdhari Singh Dinkar

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय|| jivan Parichay ramdhari Singh Dinkar


लेखक संबंधी प्रश्न-

  1. -  रामधारी सिंह दिनकर के व्यक्तित्व का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर प्रकाश डालिए

2) - रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों और साहित्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए

(3) - रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय देते हुए उनकी विशेषता पर प्रकाश डालिए|

4)- रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय देते हुए उनके भाषा शैली का वर्णन कीजिए|

(5) - रामधारी सिंह दिनकर जी का जीवन परिचय लिखिए|


जीवन परिचय- दिनकर जी का जन्म सन 1988 में बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक ग्राम में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह तथा माता का नाम श्री मनरूप देवी था| अल्पायु में ही इनके पिता का देहांत हो गया था| इन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की और इच्छा| होते हुए भी परिवारिक कार्यों से आगे ना पढ़ सके और नौकरी में लग गए कुछ दिनों तक इन्होंने माध्यमिक विद्यालय मोकामाघाट में प्रधानाचार्य के पद पर कार्य किया फिर सन 1934 ई ० में बिहार के सरकारी विभाग में सब रजिस्ट्रार की नौकरी की इसके बाद इसके प्रचार विभाग में सफलता प्राप्ति के बाद तक कार्य करते रहे सन् 1950 ई०

 में इन्हें मुजफ्फरपुर के स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया क्या 1952 ईस्वी में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए इसके बाद इन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति भारत सरकार के गृह विभाग में हिंदी सलाहकार और आकाशवाणी के निदेशक के रूप में कार्य किया सन 1962 ईस्वी में भागलपुर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी लिट की मानद उपाधि प्रदान की सन् 1972 ईस्वी में इनकी काव्य रचना ओवरी पर इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया हिंदी साहित्य गगन का यह दिनकर 24 अप्रैल सन 1974 ईस्वी को हमेशा के लिए अस्त हो गया|


रचनाएं- साहित्य के क्षेत्र में "दिनकर 'जी का उदय कवि के रूप में हुआ था बाद में यदि के क्षेत्र में भी वे आगे आए उनकी प्रमुख रचनाएं निम्न बत है

1- दर्शन एवं संस्कृति- धर्म 'भारतीय संस्कृति की एकता संस्कृति के चार अध्याय'! 

2- निबंध संग्रह- अर्धनारीश्वर ' वट पीपल 'उजली आग 'मिट्टी की ओर' रेती के फूल आदि! 

3- आलोचना ग्रंथ- शुद्ध कविता की खोज! 

4- यात्रा  - साहित्य देश विदेश! 

5- बाल- साहित्य 'मिर्च का मजा 'सूरज का ब्याह ' आदि

6- काव्य-' रेणुका' हुकार' रसवंती 'कुरुक्षेत्र' सामदेनी' 'प्रणभंग' प्रथम काव्य रचना उर्वशी महाकाव्य रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा (खंडकाव्य) 

7- शुद्ध कविता की खोज- दिनकर जी का एक आलोचनात्मक ग्रंथ है|


साहित्य में स्थान- क्रांति की मुगल बजाने वाले दिनकर जी कभी नहीं अपितु एक सफल गद्दकारक् भी थे उनकी कृतियों में इनका चिंतन एवं मनीषी रूप में राष्ट्रीय भावना से सम्मिलित इनकी कृतियां हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है जो इन हिंदी साहित्य का काजल कर सिद्ध करते है|


प्रश्न

1- उपरोक्त गंदा का संदर्भ लिखिए|

2- रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए|

3- लेखक के अनुसार निंदा किसकी बड़ी बेटी है|

4- ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों की निंदा क्या सोचकर करता है|

5- ईर्ष्यालु और निंदक का क्या संबंध है|



उत्तर-

1-  संदर्भ -प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के गद्य खंड में संकलित ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से पाठ से लिया गया है| इसके लेखक रामधारी सिंह दिनकर हैं|


2- व्याख्या- दिनकर जी कहते हैं| कि जिस व्यक्ति को इस ईर्ष्या करने की आदत होती है |उस व्यक्ति ने निंदा करने की आदत स्वता ही पड़ जाती है| नंदा को एशिया की बड़ी बेटी की उपमा दी गई है| इससे आलू व्यक्ति दूसरों की निंदा अत्यधिक करता है| तथा इस निंदा के द्वारा उसे अनुभूति होती है |वह जिस व्यक्ति की निंदा करता है| वह चाहता है कि उस व्यक्ति की सभी निंदा करें वह दूसरों की निंदा करके क्या समाज की नजरों में उस व्यक्ति को परास्त करना चाहता है| वह यह चाहता है| कि जिसकी निंदा वह कर रहा है| वह व्यक्ति समाज व मित्रों की नजरों में गिर जाए तथा इस तरह वे स्वयं दूसरों की नजरों में प्रशंसा का पात्र बन जाए इस प्रकार व बिना परिश्रम किए उसके खाली स्थान पर स्वयं को विराजमान कर लेगा इस तरह वह अपने उन्नति के प्रयास में दूसरों की अवनति का प्रयास करता रहता है|


3- प्रजातंत्र का अर्थ है- व्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता जिसमें वह अपना पूर्ण रूप से विकास कर सके साथ ही सामूहिक और सामाजिक एकता का भी विकास कर सके, यहां भारत देश के प्रजातंत्र का वर्णन किया गया है|


4- अहिंसा के तत्व को नैतिक सिद्धांतों में प्रमुख स्थान प्रदान किया गया है| क्योंकि व्यक्तित्व और सामूहिक उन्नति के विकास में बाधा उत्पन्न करने वाले संघर्ष दूर तभी हो सकेंगे जब ऐसा का सहारा लेकर अपने अपने कार्यों को संपन्न किया जाएगा|






Wirter Name- sandhya kushwaha

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