अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण || Women's Day speech in Hindi
"प्रेम है, आस्था है, विश्वास है नारी,
बांधे रिश्तो की डोर, वो आस है नारी।"
नारी हर घर की शान होती है। आज के युग में तो नारी घर के साथ साथ सभी क्षेत्रों में अपना स्थान बना चुकी है। महिला देश, समाज एवं परिवार का मुख्य आधार होती हैं। महिलाएं समाज को सभ्य बनाने से लेकर देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
आज महिलाओं ने खुद को हर क्षेत्र में साबित किया है। आज दुनिया का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां महिलाओं का दबदबा ना हो, लेकिन आज 21वीं सदी में भी महिलाओं को उत्पीड़न, शोषण और घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है। कहीं ना कहीं आज भी महिलाओं से जुड़े फैसले उनके पिता, भाई या फिर पति द्वारा ही लिए जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास
महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में न्यूयॉर्क से हुई थी, उस समय वहां मौजूद महिलाओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर अपनी जॉब में समय को कम करने की मांग को लेकर मार्च निकाला था। इसी के साथ उन महिलाओं ने अपने वेतन बढ़ाने और वोट डालने के अधिकार की भी मांग की थी। इसके 1 वर्ष पश्चात अमेरिका में इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया गया।
इन्हीं कारणों को मध्यनजर रखते हुए महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने, उनका आत्मविश्वास जगाने एवं समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित कर उनका मनोबल बढ़ाने के लिए 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें महिलाओं के महत्व को समझाकर हमेशा सकारात्मक प्रेरणा देता है।
भारतीय संस्कृति में भी महिलाओं के महत्व को बताकर उन्हें देवी का रूप बताया है। हिंदू शास्त्रों और पुराणों में भी महिलाओं की अदम्य शक्ति का वर्णन किया गया है। महिला, एक मां, बहन, बेटी, बहू कई रूपों में अपना कर्तव्य निभाती है और संस्कारी एवं सभ्य समाज का निर्माण करती हैं।
वास्तव में नारी सूरज की सुनहरी किरण और प्रेम का आगार है। हम सभी को महिलाओं के महत्व समझना चाहिए एवं उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।
आज अगर देखा जाए तो महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है। लोग अपने घर की बेटियों और बहनों की शिक्षा के लिए आगे बढ़ रहे हैं। देश के उच्च पदों पर महिलाएं शोभायमान हैं। पहले की तुलना में महिलाएं आज कहीं ज्यादा आत्मनिर्भर और सक्षम हैं, लेकिन इन सबके बावजूद भी रूढ़िवादी सोच हावी है।
जिसके चलते महिलाएं गुलाम बनी हुई हैं और दहेज लोभियों की हिंसा का शिकार हो रही हैं। वहीं कन्या भ्रूण हत्या के मामले तो जैसे आम हो चले हैं। महिलाओं को आज भी अपने हक के लिए लड़ना पड़ रहा है।
महिलाओं की अलौकिक शक्ति का भारतीय इतिहास भी गवाह रहा है। जब-जब पुरुष ने खुद को असहाय, हताश और निराश पाया है, तब-तब उसने नारी को एक मजबूत कंधे के रूप में अपने साथ ही पाया है। महिलाएं हर मुश्किल समय में एक सशक्त भूमिका निभाती हैं।
महिलाओं की इसी शक्ति का अहसास उन्हें करवाने के लिए आज महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई अभियान चलाए जा रहे हैं। महिलाओं को यह समझना होगा कि जब तक महिलाएं खुद अपने हक के लिए आवाज नहीं उठाएंगी और अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले लेने में समर्थ नहीं होंगी तब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं आ सकता है। इसलिए इस महिला दिवस पर सभी महिलाओं को आत्मसम्मान के साथ जीने एवं अपने अधिकारों के प्रति लड़ने का प्रण लेना चाहिए।
"तोड़ के हर पिंजरा जाने कब उड़ जाउंगी,
लाख लगा लो बंदिशे, दूर आसमान जगह बनाऊंगी,
इक दिन सब जंजीरों को तोड़कर दिखलाऊंगी,
हां गर्व है मुझे मैं नारी हूं खुद ही सशक्त बन जाऊंगी।"
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य एवं महत्व
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने के उद्देश्य समय के साथ और महिलाओं के इस समाज में स्थिति बदलने के साथ परिवर्तित होते आ रहे हैं। शुरुआत में जब 19वीं शताब्दी में इसकी शुरुआत की गई थी, तब महिलाओं ने मतदान का अधिकार प्राप्त किया था, परंतु अब समय परिवर्तन के साथ इसके उद्देश्य कुछ इस प्रकार हैं-
1. महिला दिवस मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिला और पुरुषों में समानता बनाए रखना है। आज भी दुनिया में कई हिस्से ऐसे हैं, जहां महिलाओं को समानता का अधिकार उपलब्ध नहीं है। नौकरी में जहां महिलाओं को पदोन्नति में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, वहीं स्वरोजगार के क्षेत्र में महिलाएं आज भी पिछड़ी हुई हैं।
2. कई देशों में अब भी महिलाएं शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछड़ी हुई हैं। इसके अलावा महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले अभी भी देखे जा सकते हैं। महिला दिवस मनाने के एक उद्देश्य लोगों को इस संबंध में जागरूक करना भी है।
3. राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अब भी महिलाओं की संख्या पुरुषों से कई पीछे है और महिलाओं का आर्थिक स्तर भी पिछड़ा हुआ है। महिला दिवस मनाने का एक उद्देश्य महिलाओं को इस दिशा में जागरूक कर उन्हें भविष्य में प्रगति के लिए तैयार करना भी है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस थीम
साल 1996 से लगातार महिला दिवस किसी निश्चित थीम के साथ ही मनाया जाता आ रहा है। सर्वप्रथम 1996 में इसकी थीम अतीत का जश्न और भविष्य के लिए योजना है। इसके बाद लगातार हर साल एक नई थीम और नए उद्देश्य के साथ इसे कई देश एक साथ मनाते आ रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कैसे मनाया जाता है
अफगानिस्तान, चीन, कंबोडिया, नेपाल और जॉर्जिया जैसे कई देशों में इस दिन अवकाश घोषित किया गया है। कुछ देशों में पूरे दिन का अवकाश ना देकर हाफ डे दिया जाता है। वहीं कुछ देशों में इस दिन बच्चे अपनी मां को गिफ्ट देते हैं और यह दिन मां को समर्पित होता है तो कई देशों में इस दिन पुरुष अपनी पत्नी, फ्रेंड्स, मां बहनों आदि को उपहार स्वरूप फूल प्रदान करते हैं। भारत में इस दिन कई संस्थानों द्वारा नारी को सम्मान देकर प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम किए जाते हैं। भले ही हर देश में इस दिन को मनाने का तरीका अलग हो सकता है परंतु सब जगह इसका उद्देश्य एक ही है, हर जगह हर क्षेत्र में महिलाओं के लिए समानता।
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प्रश्न- महिला दिवस 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है?
उत्तर- जिस दिन रूसी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वहीं रूस में इस्तेमाल होने वाले जूलियन कैलेंडर के मुताबिक 23 फरवरी और रविवार का दिन था। यही दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, 8 मार्च था और तब से इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा।
प्रश्न- महिला दिवस का इतिहास क्या है?
उत्तर- साल 1908 में जब 15 हजार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में रैली निकाली थी जिसकी मांग थी नौकरी के घंटे कम करना, काम के हिसाब से वेतन देना और साथ ही मतदान का भी अधिकार। इस घटना के ठीक 1 साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया।
प्रश्न- राष्ट्रीय महिला दिवस किसकी याद में मनाया जाता है?
उत्तर- प्रतिवर्ष 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यातव्य है कि भारत में (आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत) पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू के जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर- क्लारा जेटकिन अपना आईडिया 1910 में कोपनहेगन में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ वर्किंग विमेन में दिया था। इस कॉन्फ्रेंस में 17 देशों की 100 महिला प्रतिनिधि ने हिस्सा लिया था, जहां सभी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत को मंजूरी दी। 1996 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था।
प्रश्न- महिला दिवस कब से लागू हुआ?
उत्तर- 1910 में कोपनहेगन में कामकाजी महिलाओं का एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। यहीं पर जर्मनी में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के महिला कार्यालय की नेता क्लारा जेटकिन ने इस विचार का प्रस्ताव रखा था। 1911 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में 19 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
प्रश्न- महिला दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
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