जलवायु परिवर्तन पर निबंध || Essay on Climate Change in Hindi

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जलवायु परिवर्तन पर निबंध || Essay on Climate Change in Hindi

जलवायु परिवर्तन पर निबंध || Essay on Climate Change in Hindi

जलवायु परिवर्तन पर निबंध,Essay on Climate Change in Hindi,

"प्रकृति के ना बनें गुनहगार,

स्वस्थ जीवन हेतु प्रकट करें आभार।"


परिचय - जलवायु परिवर्तन से तात्पर्य दशकों, सदियों या उससे अधिक समय में होने वाली जलवायु में दीर्घकालिक परिवर्तनों से है। यह मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (जैसे- कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) को जलाने के कारण पृथ्वी के वातावरण में तेजी से बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों के कारण होता है।


जलवायु परिवर्तन का कारण - जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मानवजनित तथा प्राकृतिक दोनों ही हैं।


मानवीय कारण - जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मनुष्य ही है। सामान्यतः जलवायु में परिवर्तन कई वर्षों में धीरे-धीरे होता है। लेकिन मनुष्य के द्वारा पेड़ पौधों की लगातार कटाई और जंगल को खेती या मकान बनाने के लिए उपयोग करने के कारण इसका प्रभाव जलवायु में भी पड़ने लगा है।

जबकी पेड़ पौधे काम आते हैं और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इन्हें बचाना अनिवार्य है।

                 इसके साथ ही कारखानों को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है, क्योंकि इसके आसपास रहने से सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वालों में वाहनों को लिया जाता है। यह सभी वायु प्रदूषण फैलाने में अपना योगदान देते हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे उदाहरण हैं, जो वायु प्रदूषण के कारक बनते हैं। वायु प्रदूषण से गर्मी बढ़ जाती है और गर्मी बढ़ने से जलवायु में भी परिवर्तन होने लगता है।


प्राकृतिक कारण - इनमें वे कारण है, जो प्राकृतिक रूप से अपने आप ही हो जाते हैं जिसमें मनुष्य का कोई भी रोल नहीं होता। जैसे- भूकंप, ज्वालामुखी का फटना आदि। ज्वालामुखी फटने से उसमें से जो लावा निकलता है, उसके किसी जलस्रोत में जाने या कहीं भी जाने से वहां प्रदूषण फैल जाता है और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण भी प्रदूषण ही है।


जलवायु परिवर्तन के प्रभाव - जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दुनिया के मानसूनी क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि होगी जिससे बाढ़, भूस्खलन तथा भूमि अपरदन जैसी समस्याएं पैदा होंगी। जल की गुणवत्ता में गिरावट आएगी। ताजे जल की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगे। जलवायु परिवर्तन जल स्रोतों के वितरण को भी प्रभावित करेगा। उच्च अक्षांश वाले देशों तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के जलस्रोतों में जल अधिकता होगी जबकि निम्न अक्षांश वाले देशों में जल की कमी होगी।


जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव इस प्रकार हैं-


उच्च तापमान - पावर प्लांट, ऑटोमोबाइल, वनों की कटाई और अन्य स्रोतों से होने वाला ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन पृथ्वी को अपेक्षाकृत काफी तेजी से गर्म कर रहा है। पिछले 150 वर्षों से वैश्विक औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है और वर्ष 2016 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में रिकॉर्ड किया गया है। गर्मी से संबंधित मौतों और बीमारियों, बढ़ते समुद्र स्तर, तूफान की तीव्रता में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के कई अन्य खतरनाक परिणामों में वृद्धि के लिए बढ़े हुए तापमान को भी एक कारण माना जा सकता है।

एक शोध में पाया गया है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के विषय को गंभीरता से लिया गया और इसे कम करने के प्रयास नहीं किए गए तो सदी के अंत तक पृथ्वी की सतह का तापमान 3 से 10 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ सकता है।


वर्षा के पैटर्न में बदलाव - पिछले कुछ दशकों में बाढ़, सूखा और बारिश आदि की अनियमितता काफी बढ़ गई है। यह सभी जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरुप ही हो रहा है। कुछ स्थानों पर बहुत अधिक वर्षा हो रही है, जबकि कुछ स्थानों पर पानी की कमी से सूखे की संभावना बन गई है।


समुद्र जल के स्तर में वृद्धि - वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वॉर्मिंग के दौरान ग्लेशियर पिघल जाते हैं और समुद्र का जलस्तर ऊपर उठता है जिसके प्रभाव से समुद्र के आसपास के द्वीपों के डूबने का खतरा भी बढ़ जाता है। मालदीव जैसे छोटे द्वीपीय देशों में रहने वाले लोग पहले से ही वैकल्पिक स्थलों की तलाश में है।


वन्यजीव प्रजाति का नुकसान - तापमान में वृद्धि और वनस्पति पैटर्न में बदलाव ने कुछ पक्षी प्रजातियों के विलुप्त होने के लिए मजबूर कर दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, पृथ्वी की एक चौथाई प्रजातियां वर्ष 2050 विलुप्त हो सकती है। वर्ष 2008 में ध्रुवीय भालू को उन जानवरों की सूची में जोड़ा गया था जो समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण विलुप्त हो सकते थे।


जलवायु परिवर्तन और भारत के प्रयास - जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना का शुभारंभ वर्ष 2008 में किया गया था। इसका उद्देश्य जनता के प्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न ख़तरें और इससे मुकाबला करने के उपायों के बारे में जागरूक करना है। इस कार्य योजना में मुख्यत: 8 मिशन शामिल हैं -


  • राष्ट्रीय सौर मिशन

  • विकसित ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन

  • सुस्थिर निवास पर राष्ट्रीय मिशन

  • राष्ट्रीय जल मिशन

  • सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन

  • हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन

  • सुस्थिर कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन

  • जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन


जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपाय - हालांकि जलवायु परिवर्तन को रोकना इतना आसान नहीं है। किंतु फिर भी छोटे-छोटे प्रयासों से हम इसकी गति पर अवरोध लगा सकते हैं। जैसे कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाकर हम जलवायु परिवर्तन को रोकने की शुरुआत कर सकते हैं। विमान और पेट्रोल के वाहनों को छोड़ बस, ट्रेन या साइकिल का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही सरकारों पर कार्यवाही के लिए दबाव डाला जा सकता है।

हरित ऊर्जा और जहां संभव है वहां अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करें। जरूरत न होने पर लाइट, पंखे, एसी और हीटर को जरूर बंद करें। जितना हो सके उतने पेड़ लगाएं।


उपसंहार - जलवायु परिवर्तन का संकट मानव के जीवन को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है। यही कारण है कि जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत है जोर-शोर से कार्य किया जा रहा है। इस विषय में बहुत सी योजनाएं, नीतियां एवं सम्मेलनों का भी आयोजन किया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ी को जलवायु परिवर्तन के होने वाले गंभीर परिणामों से सुरक्षित रखा जा सके।


"जलवायु परिवर्तन की ना करें अनदेखी,

पर्यावरण संरक्षण सबका लक्ष्य हो एक ही।"


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प्रश्न - जलवायु परिवर्तन पर निबंध कैसे लिखें ?

उत्तर - सूर्य से उत्सर्जित जो ऊर्जा पृथ्वी तक पहुंचती है और फिर हवाओं और महासागरों द्वारा विश्व के विभिन्न भागों में आगे बढ़ती है, वह जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारण है। नए युग की तकनीकों का प्रयोग पृथ्वी पर कार्बन उत्सर्जन के दर को और इस प्रकार वातावरण को विपरीत रूप से प्रभावित कर रहा है।


प्रश्न - जलवायु परिवर्तन क्या है हिंदी में ?

उत्तर - जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य दशकों,सदियों या उससे अधिक समय में होने वाली जलवायु में दीर्घकालिक परिवर्तनों से है। यह मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (जैसे- कोयला तेल और प्राकृतिक गैस) को जलाने के कारण पृथ्वी के वातावरण में तेजी से बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों के कारण होता है।


प्रश्न - जलवायु परिवर्तन का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर - जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु में उष्णता के कारण श्वास तथा हृदय संबंधी बीमारियों में वृद्धि होगी। दुनिया के विकासशील देशों में दस्त, पेचिश, हैजा, क्षयरोग, पीत ज्वर तथा मियादी बुखार जैसी संक्रामक बीमारियों की बारंबारता में वृद्धि होगी।


प्रश्न - जलवायु परिवर्तन होने का क्या कारण है ?

उत्तर - सामान्यतः जलवायु में परिवर्तन कई वर्षों में धीरे-धीरे होता है। लेकिन मनुष्य के द्वारा पेड़ पौधों की लगातार कटाई और जंगल को खेती या मकान बनाने के लिए उपयोग करने के कारण इसका प्रभाव जलवायु में भी पड़ने लगा है।


प्रश्न - जलवायु परिवर्तन कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर - इसके अंतर्गत विभिन्न रूपों में घटित होने वाली सभी प्रकार की मौसमी घटनाओं को शामिल किया जा सकता है अथवा धीरे-धीरे होने वाले मौसमी परिवर्तन जैसे कि औसत वार्षिक तापमानों में उल्लेखनीय परिवर्तन, बाढ़, सूखा, गर्म हवाएं और तूफान तथा मौसमी चक्र में परिवर्तन जैसी खराब मौसमी घटनाओं की आवृत्ति तीव्रता में वृद्धि।


प्रश्न - जलवायु परिवर्तन से क्या-क्या समस्याएं हैं ?

उत्तर - जलवायु परिवर्तन के कारण कम वर्षा होने से कृषि उत्पादन में कमी आई है। जिसके परिणामस्वरूप खाद्य फसलों में कमी हो गई है।

तापमान में सामान्य से अधिक बढ़ोतरी - जलवायु परिवर्तन के दौरान पृथ्वी का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ रहा है।

समुद्री स्तर का लगातार बढ़ाना - जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं।


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