बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध || Beti bachao beti padhao per nibandh

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध || Beti bachao beti padhao per nibandh

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध || Beti bachao beti padhao per nibandh

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"नित नए कीर्तिमान है बनाती,

भारत की बेटी खूब नाम कमाती।"


आज का समय बेटियों का समय कहा जाता है। आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में सफलता के नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। बात चाहे पढ़ लिखकर कुछ बन जाने की हो चाहे खेलकूद में नाम बनाने की देश की बेटियां हर क्षेत्र में आगे ही रहती हैं।

लेकिन बेटियों को यूं आगे बढ़ते हुए देखना हमारे पुरुष प्रधान समाज के कुछ लोगों को भाता नहीं है। इसी कारण आज भी हमारे देश में कहीं ना कहीं बेटों और बेटियों में फर्क समझा जाता है। उनमें भेदभाव किया जाता है। आज भी घरों में बेटी से अधिक बेटों की ही चाहत की जाती है। बेटी के जन्म लेने पर उनको बोझ समझकर घरवाले चिंता में पड़ जाते हैं। बेटों को वंश बृद्धि का कारक समझा जाता है। ऐसे ही कारणों के कारण भारत में कन्या भ्रूण हत्या के मामले भी देखने को मिलते हैं।


"रिश्ते नए बनाती हैं, खूशियां संग ले आती हैं,

मत समझो इनको बोझ, घर आंगन महकाती हैं।"


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान क्या है?


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को जानने से पहले हम इन दो शब्दों के अर्थ को समझने का प्रयास करेंगे अर्थात् लोगों ने बेटियों की प्रतिभा एवं क्षमता को ना समझते हुए गर्भ में या पैदा होने के बाद उनकी हत्या करते आ रहे हैं। फलस्वरूप आज उन्हें बचाने की आवश्यकता पड़ रही है। और शिक्षा ही एकमात्र ऐसा शस्त्र है जिसके बल पर संपूर्ण विश्व में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया जा सकता है। इसलिए इस अभियान का नाम 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान रखा गया है।


परिणाम स्वरूप भारत में महिला लिंगानुपात की दर पुरुषों के मुकाबले बहुत ही कम है। आज बेटियों को सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता है। बेटियों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। मात्र कुछ गलत मानसिकता वाले लोगों के कारण पूरा का पूरा समाज दोषी ठहरा दिया जाता है। समाज की गलत मानसिकता को हम अवश्य बदल सकते हैं।


        लेकिन उसके लिए हमें हर एक बेटी को शिक्षित बनाना होगा। जब बेटी शिक्षित और समझदार बनेगी तो उसकी शिक्षा दो घरों को महकाएगी। बेटी शिक्षित होगी वह अपनी सुरक्षा खुद करेगी। वह पूर्णतः सक्षम होगी, उसे रोजगार के भरपूर अवसर मिलेंगे। जिससे वह आत्मनिर्भर बनेगी। आगे चलकर वह अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा और संस्कार देगी और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।


"जब बेटी बनेगी शिक्षित,

देश को करेगी विकसित।"


बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने हेतु आज देश की सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिनके कारण बेटियों का विभिन्न नए नए अवसर प्रदान कराए जा रहे हैं।


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का उद्देश्य


इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत में निरंतर घट रही महिलाओं की जनसंख्या के अनुपात को संतुलित करने के साथ-साथ उनके हक एवं अधिकारों की पूर्ति करना भी है। भारतीय संविधान द्वारा महिलाओं को प्रदत्त अधिकार जैसे शिक्षा का अधिकार, समान सेवा का अधिकार तथा सम्मान के साथ जीने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरुआत


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना सन 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आरंभ की गई। हालांकि इस योजना की शुरुआत हरियाणा प्रदेश से हुई पर आज भारत के प्रत्येक प्रदेश में इसका पालन पूरी ईमानदारी के साथ किया जा रहा है। और इस योजना का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। आज इस योजना के तहत बेटियों को एक नई प्रतिभा का विकास एवं लोगों के अंदर बेटियों की शिक्षा के प्रति सकारात्मक सोच का संचार बहुत तेजी से हो रहा है।


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी?


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की आवश्यकता पड़ने के पीछे वैसे तो कई कारण हैं परंतु बेटियों की दुर्दशा और बेटियों की दुर्दशा के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभाव ऐसे दो मुख्य कारण है जिनको समाप्त करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की अत्यधिक आवश्यकता थी।


1.बेटियों की दुर्दशा के कारण


(i) पहला कारण है लैंगिक भेदभाव। लैंगिक भेदभाव का मतलब है कि अब लोग बेटियों का जन्म नहीं चाहते,वे चाहते हैं कि उनके घर सिर्फ बेटे ही पैदा हों। लेकिन वह लोग शायद यह भूल गए हैं कि अगर लड़कियों का जन्म नहीं होगा तो बो बहू कहां से लाएंगे, बहन कहां से लाएंगे और साथ ही मां कहां से लाएंगे।


(ii) बढ़ते लैंगिक भेदभाव के कारण अब लोगों की मानसिकता इतनी खराब हो गई है कि वे बेटियों की गर्भ में ही हत्या कर देते हैं। जिसके कारण लड़कियों की जनसंख्या में भारी गिरावट आई है और एक नई विपदा उभरकर सामने आई है।


(iii) बेटियों के माता-पिता पढ़े नहीं होने के कारण वह लोगों की सुनी सुनाई बातों में आ जाते हैं और बेटियों के साथ भेदभाव करने लगते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि अगर बेटियों को सही अवसर दिया जाए तो वे बेटों से ज्यादा करके दिखा सकती हैं।


(iv) भ्रष्ट मानसिकता वाले लोग मानते हैं कि बेटे ही सब कुछ है वही उनके बुढ़ापे की लाठी बनेंगे और उनकी सेवा करेंगे। इसलिए वे लोग अब बेटियों का जन्म तक नहीं चाहते उनकी घर में ही हत्या करवा देते हैं।


(v) जन्म के बाद से ही लड़कियों को कई तरह के भेदभाव से गुजरना पड़ता है जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, खानपान, अधिकार आदि। ऐसी दूसरी जरूरतें भी है जो लड़कों के साथ साथ लड़कियों को भी प्राप्त होनी चाहिए।


(vi) हमारे देश में दहेज प्रथा बहुत गंभीर समस्या है, जिसके कारण बेटियों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। इस प्रथा के कारण लोग अब नहीं चाहते कि उनके परिवार में बेटियां पैदा हो क्योंकि जब बेटियों की शादी की जाती है तो उन्हें बहुत सारा दहेज देना पड़ता है।


2. बेटियों की दुर्दशा के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभाव


(i) लड़के की चाह रखने वाले लोग जब तक उनके घर लड़का पैदा नहीं हो जाता तब तक वह बच्चे पैदा करते रहेंगे जिसके कारण भारी संख्या में जनसंख्या का विस्तार होगा।


(ii) हमारा देश बहुत पिछड़ा हुआ है और अगर जनसंख्या वृद्धि इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो हमारा देश कभी भी विकसित नहीं हो पाएगा।


(iii) एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 1981 में 0 से 6 साल लड़कियों का लिंगानुपात 962 से घटकर 945 ही रह गया था और वर्ष 2001 में यह संख्या 927 रह गई थी। 2011 आते आते तो स्थिति और भी खराब हो गई थी क्योंकि 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या सिर्फ 914 ही रह गई थी जो कि एक गंभीर समस्या हो गई है


(iv) लड़कियों की जनसंख्या कम होने के कारण आए दिन समाचारों में देखा होगा कि हमारे देश में बलात्कार जैसी घटनाएं बहुत ही तेजी से बढ़ रही हैं। इसका एक कारण यह भी है कि लड़कियों की जन्म दर बहुत कम हो गई है।


(v) पुरुष प्रधान समाज होने के कारण लड़कियों की जनसंख्या जहां पर कम होती है वहां पर पुरुष अपना प्रभुत्व दिखाते हैं और लड़कियों का शोषण करने से बाज नहीं आते हैं।


(vi) कहा जाता है कि पहला गुरु मां ही होती है अगर वही पढ़ी-लिखी नहीं होगी तो वह अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएगी। इसलिए बेटियों को पढ़ाना बहुत जरूरी होता है


देश में बेटियों और महिलाओं की खराब स्थिति में सुधार करने हेतु भारत सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान का उद्देश्य निरंतर घटती जा रही कन्या शिशु दर में कमी लाना है और देश की बेटियों के भविष्य को सुरक्षित और उज्जवल बनाना है। इस योजना के क्रियान्वयन से समाज में बेटियों को बचाने और उनको शिक्षित बनाने हेतु जागरूकता फैलेगी तथा महिला सशक्तिकरण को बल मिलेगा।


हम सभी को देश के नागरिक होने के नाते सरकार की इस पहल में सहयोग प्रदान करते हुए बेटियों को पढ़ा- लिखा कर काबिल बनने का अवसर अवश्य प्रदान करना चाहिए।


"पापा की परी से जिम्मेदार बहू बन जाती हैं,

समझो इनकी कीमत ये घर आंगन महकाती हैं।"


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