गद्य और पद्य में अंतर//गद्य और पद्य की परिभाषा// gadya aur padya Mein antar
नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको बताएंगे गद्य और पद्य में अंतर क्या है और इसकी परिभाषा सभी जानकारी आप लोगों को इस पोस्ट के माध्यम से मिलने वाली है तो आप लोग इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें और अच्छा लगे तो कमेंट करके दोस्तों जरूर बताएं और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करेंगद्य और पद्य में अंतर//गद्य और पद्य की परिभाषा// gadya aur padya Mein antar |
गद्यांश और पद्यांश में अंतर क्या है।
1-गद्यांश और पद्यांश क्या होता है?
2- प्रस्तुत गद्यांश में तूल शब्द क्या आशय है?
3-गद्यांश में कितने पात्र आए हैं?
4- अपठित गद्यांश कैसे होते हैं?
5-गद्यांश और पद्यांश में क्या अंतर है?
गद्यांश और पद्यांश क्या होता है?
गद्यांश का मतलब हिंदी में गद्यांश संस्कृत (संज्ञा पुल्लिंग) किसी गद्य रचना का कोई अंश, गद्य लेख का बहुत संक्षिप्त भाग अनुच्छेद।
गद्यांश में क्या क्या आता है?
अपठित गद्यांश के गुण-
इसमें अभिव्यक्ति स्पष्ट रूप से होती है।
इसमें विषय वस्तु की संपूर्ण जानकारी होती है।
इसमें बुध की एकाग्रता दिखाई देती है।
इसमें तत्वों का वास्तविक विवेचन होता है। इसमें व्यवहारिक भाषा का शुद्ध प्रयोग होता है।
प्रस्तुत पद्यांश में तूल शब्द का क्या आशय है?
इससे सुनेरोकेतूल के हिंदी अर्थ आकाश। कपास, मदार, सेमर आदि के डोडो के अंदर का धुआं जो रोई की तरह होता है।
पद्यांश क्या है?
काव्य का स्तर, विचार, भाषा, शैली आदि प्रत्येक दृष्टि से परीक्षा के स्तर के अनुरूप होता है। काव्य का स्वरूप साहित्यिक वैज्ञानिक तथा विवरणात्मक भी होता है दिया गया पद्यांश अपठित होता है।
गद्यांश और पद्यांश में क्या अंतर है?
पद्य गेय होता है। गद्य में केवल व्याकरण वाक्य भाषा जरूरी है। पद्य पिंगल शास्त्र के आधार पर लिखा जाता है। गद्य है जिसके हम पत्र निबंध लेख आदि लिखते हैं तथा पदवे है जिसके अंतर्गत हम कविता भजन व पद लिखते हैं। पदले रूप में लिखा जाता है जिसको हम गायन रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं गद्दे लेय के रूप में नहीं लिखा जा सकता है।
गद्य क्या है
वाक्यों में बंधी ऐसी रचना जो विचार प्रधान कद कहलाती है। गद्य में बिना चमत्कार या अतिरिक्त प्रयास की हमारी चेस्टाएं हमारी मनोभाव हमारी कल्पनाएं हमारी चिंतनशील मना स्थितियां सुगमता पूर्वक सहज स्वाभाविक रूप से व्यक्त की जाती है। गद्य में बुद्धि तत्व की प्रधानता होती है। इसमें चिंतन मनन तर्क वितर्क विवेचना आज की प्रधानता होती है।
पद क्या है?
छंदवद्ध या छंद मुक्त ऐसी संगीतात्मकथा युक्त रचना जिसमें भाव एवं कल्पना की प्रधानता हो पद कहलाती है। पद में हृदय तत्व की प्रधानता होती है। पद में रसायन विभूति अनुभूति की तीव्रता विचारों भावों और कल्पना की सृजनात्मकता के समंदर का समावेश होता है।
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