भाषा और बोली में अंतर//Bhasha aur boli mein antar

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भाषा और बोली में अंतर//Bhasha aur boli mein antar

भाषा और बोली में अंतर//Bhasha aur boli mein antar

नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में आप लोगों को बताएंगे भाषा और बोली में अंतर क्या होता है, बोली और भाषा में अंतर क्या है, सभी जानकारी आप लोगों को इस लेख के माध्यम से दी जाएगी तो आप लोग इस लेख में अंत तक जरूर पढ़ें और अपने दोस्तों में इसलिए को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

भाषा और बोली में अंतर//Bhasha aur boli mein antar
भाषा और बोली में अंतर//Bhasha aur boli mein antar


बोली एवं भाषा में क्या अंतर है?

भाषा और बोली में क्या अंतर है

भाषा और बोली में क्या अंतर है?

भाषा किसे कहते हैं? बोली और भाषा में अंतर बताते हुए भारत में प्राप्त भाषा सामान्य भाषा कितनी है?


भाषा-भाषा शब्द की उत्पत्ति भाष् क्रिया से हुई है, जिसका अर्थ बोलना या कहना होता है। जिन दोनों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार विनिमय करता है उसकी समस्त को भाषा कहते हैं। 


या 


ध्वनियों का वह समुदाय झुंड या समूह जिसके द्वारा हम अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं भाषा कहलाती है।


1-भाषा बोली का पूर्ण विकसित रूप होता है।


2-भाषा साहित्य की प्रचुरता तथा महत्ता होती है।


3-भाषा का क्षेत्र व्यापक होता है।


4-भाषा का प्रयोग राजकार्य में भी होता है।


5-उदाहरण हिंदी अंग्रेजी


भाषा के कार्य

मनुष्य के किसी भी भाग को अच्छी तरह से प्रकट करना।


किसी भी बात का ज्ञान है बोध कराने वाली क्रिया या भाव प्रकट करना।


किसी रस का स्वाद कराना भाषा का प्रमुख कार्य है।


किसी भी विषय पर सोच विचार करना भी भाषा का कार्य है।


भाषा की विशेषताएं

1-भाषा पैतृक संपत्ति नहीं है अपितु अर्जित संपत्ति है। भाषा सीखी जाती है यह धन की तरह माता-पिता से अनायास प्राप्त नहीं होती है।


2-भाषा आरंभ से लेकर अंत तक सामाजिक वस्तु है। भाषा की उत्पत्ति उसका प्रयोग और उसका अर्जन सब कुछ समाज में ही होता है।


3-भाषा का अर्चन अनुकरण द्वारा होता है।


4-भाषा चिर परिवर्तनशील है। भाषा शारीरिक मानसिक भौतिक कई कारणों से सतत बदलती रहती है।


5-भाषा का कोई अंतिम स्वरूप नहीं होता क्योंकि यह हमेशा परिवर्तनशील होता है।


6-भाषा का विकास कठिनता से सरलता की ओर होता है।


बोली-जब किसी एक भाषा के अंदर बहुत उसी भाषा के बहुत सारे अलग-अलग रूप विकसित हो जाते हैं तो उन्हें बोली कहते हैं।


बोली की विशेषताएं

1-बोली का क्षेत्र सीमित होता है।


2-बोली में साहित्य का निर्माण नहीं होता है अर्थात बोली में साहित्य का अभाव होता है।


3-बोली स्थानी और घरेलू होती है अतः इसका प्रयोग एक निश्चित स्थान प्राप्त किया जाता है।


4-बोली साहित्यिक नहीं होती है।


5-इसकी शब्दावली सीमित होती है।


6-बोली को राज्य की मान्यता प्राप्त नहीं होती है।


भाषा और बोली में अंतर



भाषा

बोली

भाषा विकास प्रक्रिया का उच्चतम रूप है।

बोली किसी भी भाषा के विकास की प्रारंभिक क्रिया है।

भाषा का क्षेत्र विस्तृत और व्यापक होता है।

बोली का क्षेत्र सीमित होता है।

भाषा लिखित और मौखिक दोनों रूप में पाई जाती है।

बोली केवल मौखिक रूप में ही परिलक्षित होती है।

भाषा में साहित्यिक रचनाएं बहुत अधिक होती है।

बोली में साहित्यिक रचनाएं बहुत कम होती है।

भाषा का प्रयोग राज्य कार्य में भी किया जा सकता है।

बोली का प्रयोग राजकार्य में नहीं किया जा सकता है।

उदाहरण- हिंदी उर्दू

उदाहरण- मालवीय बुंदेली






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