महात्मा गांधी पर निबंध/Mahatma Gandhi per nibandh/essay on Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी पर निबंध/Mahatma Gandhi per nibandh/essay on Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइनों में-
1. महात्मा गांधी एक महान पुरुष थे।
2. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था।
3. उनका पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था।
4. उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था।
5. उनकी माता का नाम पुतलीबाई था।
6. हम उन्हें बापू भी कहते हैं।
7. वह हमारे देश के राष्ट्रपिता हैं।
8. वह देश की आजादी के लिए लड़े थे।
9. उन्होंने भारत को आजाद कराया था।
10. उनकी मृत्यु 23 जनवरी 1948 को हुई थी।
गांधी जी कौन थे?
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहन दास की माता का नाम पुतलीबाई था। जो करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थी। मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे। महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और राष्ट्रपिता माना जाता है।
गांधी जी का परिवार- गांधी की मां पुतलीबाई अत्याधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थी। और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन रात एक कर देती थी। मोहनदास का लालन-पालन वैष्णव मत में रमें परिवार में हुआ और उन पर कठिन नीतियों वाले जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। जिसके मुख्य सिद्धांत, अहिंसा एवं विश्व की सभी वस्तुओं को सास्वत मानना है। इस प्रकार उन्होंने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार,आत्म शुद्धि के लिए उपवास और विभिन्न पदों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया।
विद्यार्थी के रूप में गांधीजी- मोहनदास एक औसत विद्यार्थी थे। हालांकि उन्होंने यदा-कदा पुरस्कार और छात्रवृत्तिया भी जीती। वह पढ़ाई व खेल दोनों में ही तेज नहीं थे। बीमार पिता की सेवा करना घरेलू कामों में मां का हाथ बटाना और समय मिलने पर दूर तक अकेले सैर पर निकलना उन्हें पसंद था। उन्हीं के शब्दों में- 'बड़ों की आज्ञा का पालन करना सीखा, उनमें मीनमेख निकालना नहीं।
उनकी किशोरावस्था उनकी आयु वर्ग के अधिकांश बच्चों से अधिक हलचल भरी नहीं थी। हर ऐसी नादानी के बाद वे स्वयं वादा करते फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा और अपने वादे पर अटल रहते। उन्होंने सच्चाई और बलिदान के प्रतीक प्रहलाद और हरिश्चंद्र जैसे पौराणिक हिंदू नायकों को सजीव आदर्श के रूप में अपनाया। गांधीजी जब केवल 13 वर्ष के थे और स्कूल में पढ़ते थे। उसी वक्त पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा से उनका विवाह कर दिया गया।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में 6 प्रमुख आंदोलन:
भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन की एक जाने-माने व्यक्ति महात्मा गांधी चाहे भारत हो या दक्षिण अफ्रीका लगभग स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी व्यक्ति थे। महात्मा गांधी ने अहिंसा की विचारधारा का पालन किया। जिस पर उनकी सभी आंदोलन आधारित थे। गांधीजी स्वतंत्रता आंदोलन के माध्यम से असहयोग आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन या चंपारण जैसे: आंदोलन में हमेशा मानव अधिकारों के लिए खड़े रहे। महात्मा गांधी ने औपनिवेशिक शासन (अंग्रेजों के शासन) के चंगुल से भारत को आजाद कराने के लिए अपना खून-पसीना बहाया लाखों भारतीयों के सहयोग के साथ महात्मा गांधी ने आखिरकार सफलता की ओर अपना कदम बढ़ाते हुए भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।
1. चंपारण आंदोलन (1917)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए बिहार में चंपारण आंदोलन महात्मा गांधी जी की पहली सक्रिय भागीदारी थी। जब गांधी जी ने 1915 में भारत लौटे तो उस समय देश अत्याचारी अंग्रेजों के शासन के अधीन था। अंग्रेजों ने किसानों को उनकी उपजाऊ भूमि पर नींव और अन्य नकदी फसलों को उगाने के लिए मजबूर किया और फिर इन फसलों को बहुत सस्ती कीमत पर बेच दिया। मौसम की बदहाल स्थिति और अधिक करो की वजह से किसानों को अत्यधिक गरीबी का सामना करना पड़ा जिसके कारण किसानों की स्थिति अधिक दयनीय हो गई।
चंपारण में किसानों की दयनीय स्थिति के बारे में सुनकर गांधीजी ने तुरंत अप्रैल 1917 में जिले का दौरा करने का निर्णय लिया। गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के दृष्टिकोण को अपनाया और प्रदर्शन शुरू किया और अंग्रेज जमींदारों के खिलाफ हड़ताल करके उन्हें झुकने पर मजबूर कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप अंग्रेजों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें उन्होंने किसानों को नियंत्रण और क्षतिपूर्ति प्रदान की और राज्य से और संग्रह में वृद्धि को रद्द कर दिया था। इस आंदोलन की सफलता से गांधी जी को महात्मा की उपाधि प्राप्त हुई।
2. खेड़ा आंदोलन (1910)
खेड़ा आंदोलन गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों का अंग्रेज सरकार के कर्मचारी प्रत्येक आंदोलन था। 1918 में खेड़ा गांव बाढ़ और अकाल पड़ने के कारण काफी प्रभावित हुआ। जिसके परिणाम स्वरूप तैयार हो चुकी फसलें नष्ट हो गई। किसानों ने अंग्रेज़ सरकार से करो कि भुगतान में छूट देने का अनुरोध किया। लेकिन अंग्रेज अधिकारियों ने इंकार कर दिया। गांधीजी और वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में किसानों ने अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ एक युद्ध की शुरुआत की और करों का भुगतान न करने का वचन लिया।इसके परिणाम स्वरूप अंग्रेज सरकार ने किसानों को उनकी भूमि जप्त करने की धमकी दी लेकिन किसान अपनी बात पर अड़े रहे। 5 महीने तक लगातार चलने वाली संग्रह के बाद मई 1918 में अंग्रेज सरकार से कर की जड़ से समाप्त नहीं हो गयी। गरीब किसानों से कर की वसूली बंद कर दी और किसानों की जब्त की गई संपत्ति को भी वापस कर दिया।
3. खिलाफत आंदोलन (1919)
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद खलीफा और उत्तर के असम राज्य पर कई अपमानजनक आरोप लगाए गए मुस्लिम अपने खलीफा की सुरक्षा के लिए काफी भयभीत हो गए और तुर्की में खलीफा की दयनीय स्थिति को सुधारने और अंग्रेज सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए गांधीजी के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन शुरू किया।
गांधीजी ने 1919 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने राजनीतिक समर्थन के लिए मुस्लिम समुदाय से संपर्क किया और बदले में मुस्लिम समुदाय को खिलाफत आंदोलन शुरू करने में सहयोग किया अखिल भारतीय मुस्लिम सम्मेलन के एक उल्लेखनीय प्रवक्ता बने और दक्षिण अफ्रीका में से प्राप्त हुए पदों को वापस कर दिया इस आंदोलन की सफलता ने महात्मा गांधी जी को कुछ ही समय में राष्ट्रीय नेता बना दिया।
4. असहयोग आंदोलन (1920)
1920 में असहयोग आंदोलन के शुरू करने के पीछे जलिया वाला बाग हत्याकांड एकमात्र कारण था। इस हत्याकांड में गांधीजी की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया। उनको यह महसूस हुआ कि अंग्रेज भारतीयों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सफल हो रहे हैं फिर यही वह समय था। जब उन्होंने एक असहयोग आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया था कांग्रेस और उनकी अजय भावना के समर्थन के साथ वह उन लोगों को विश्वास दिलाने में सफल रहे। वह यह जानती थी कि शांतिपूर्ण तरीके से असहयोग आंदोलन का पालन करना ही स्वतंत्रता प्राप्त करने की कुंजी है। इसके बाद गांधी जी ने स्वराज की अवधारणा तैयार की और तब से यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य हिस्सा बन गए। इस आंदोलन में रफ्तार पकड़ लिया और शीघ्र ही लोगों ने अंग्रेजों द्वारा संचालित संस्थानों जैसे:, स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालय का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। इस आंदोलन को स्वीकृत स्वयं गांधी जी द्वारा समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद चौरी -चौरा की घटना हुई जिसमें 23 पुलिस अधिकारी मारे गए थे।
5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करने के लिए चलाया गया था। गांधीजी के आग्रह करने के कारण भारतीय कांग्रेस समिति में भारत की ओर से बड़े पैमाने पर अंग्रेजों से भारत छोड़ने के ताजे और गांधीजी ने करो या मरो का नारा दिया। इसके परिणाम स्वरूप अंग्रेज अधिकारियों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभी सदस्यों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया और जांच किए बिना उन्हें जेल में डाल दिया। लेकिन देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी रहा अंग्रेज भले ही भारत छोड़ो आंदोलन को रोकने में किसी भी तरह से सफल रहे हो। लेकिन जल्द ही उन्हें यह महसूस हो गया था कि भारत में शासन करने के लिए उनके दिन समाप्त हो चुके हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक अंग्रेजों ने भारत को सभी अधिकार सौंपने के स्पष्ट संकेत दे आखिरकार गांधी जी को यह आंदोलन समाप्त करना पड़ा जिसके परिणाम स्वरूप हजारों कैदियों की रिहाई हुई।
6. सविनय अवज्ञा आंदोलन: दांडी मार्च और गांधी इरविन समझौता
सविनय अवज्ञा आंदोलन सत्तारूढ़ और औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
मार्च 1930 में यंग इंडिया के अखबार में देश को संबोधित करते हुए गांधीजी ने यदि उनकी 11 मांगी सरकार द्वारा स्वीकार किए जाते हैं। तो आंदोलन को स्थगित करने की अपनी इच्छा व्यक्त की थी। लेकिन लॉर्ड इरविन की सरकार ने उन्हें इसका कोई जवाब नहीं दिया जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने इस आंदोलन को पूरे उत्साह के साथ शुरू किया।
यह आंदोलन दांडी मार्च के साथ शुरू हुआ जिसका नेतृत्व गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को गुजरात के साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक किया था। दांडी पहुंचाने के बाद गांधी और उनके समर्थकों ने समुद्र के नमकीन पानी से नमक बनाकर नमक पर कर लगाने वाले कानून का उल्लंघन किया।इसके बाद अंग्रेजों ने कानून को तोड़ पाना भारत में एक व्यापक घटना बन गए लोगों ने धारा 144 का उल्लंघन करने के लिए प्रतिबंधित राजनीतिक प्रचार पुस्तिकाओं की बिक्री शुरू कर दी गांधी जी ने भारतीय महिलाओं से कटाई शुरू करने का आग्रह किया और जल्दी उन लोगों ने सरकारी कार्यालय और विदेशी सामान बेचने वाली दुकानों के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। भारतीय महिलाओं ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना शुरू कर दिया। इस आंदोलन के दौरान सरोजिनी नायडू प्रमुख रूप से आगे आई थी। उत्तर पश्चिम में सबसे लोकप्रिय नेता अब्दुल गफ्फार खान थे। जिन्हें अक्सर फ्रंटियर गांधी कहा जाता था।
लॉर्ड इरविन की सरकार ने 1930 में लंदन में एक गोलमेज सम्मेलन की मांग की और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसका हिस्सा बनने से इंकार कर दिया। यह सुनिश्चित करने के लिए कई कांग्रेसी दूसरे दौर के सम्मेलन में भाग ले रही है। 1931 में गांधी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए इसे गांधी इरविन समझौता कहा जाता था। इस समझौतों में सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और सभी दमनकारी कानूनों को रद्द करने की बात कही गई।
उपसंहार - मोहनदास करमचंद गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। राजनीतिक और सामाजिक प्रकृति की प्राप्ति हेतु आंशिक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई।
महात्मा गांधी की पूर्व में शांति और अहिंसा के बारे में लोग जानते थे। परंतु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह शांति व अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता तभी तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है।
गांधीजी के बारे में प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था। कि हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगे की हाड़ मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था।
विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शांति और अहिंसा का प्रतीक है। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी महात्मा की 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।
महात्मा गांधी क्यों प्रसिद्ध है?
महात्मा गांधी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई उनको अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई है।
भारत के लिए गांधी के लक्षण क्या थे?
चार चुनौतियां या लक्ष्य जैसा कि रामचंद्र गुहा ने अपनी पुस्तक, "गांधी द, इयर्स डेट चेंज्ड द वर्ल्ड" में व्यक्त किया है। भारत को ब्रिटिश कब्जे से मुक्त करना, अस्पृश्यता को समाप्त करना, हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संबंधों को सुधारना और भारत को आर्थिक और सामाजिक रूप से एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना।
महात्मा गांधी का पहला आंदोलन कौन सा था?
भारत में गांधीजी का पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन 1917 में चंपारण सत्याग्रह था।
महात्मा गांधी मरते समय क्या बोले थे?
30 जनवरी की शाम गांधी हर दिन की तरह नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना करने के लिए जा रहे थे। ऐसा माना जाता है कि बदला भवन में गोली लगने के बाद बापू 'हे राम'! कहते हुए गिरे थे। और यह शब्द उनके पास चल रही उनकी पोती आभा ने सुने थे।
महात्मा गांधी का नारा क्या है?
"भारत छोड़ो"। 'करो या मरो'। 'आंख के बदले में आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी'।, कानों का दुरुपयोग मन को दूषित और अशांत करता है।
गांधी जी कितनी बार जेल गए थे?
उन्होंने अपने जीवन का 6 साल 5 महीने जेल में बिताए थे।अपने आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी 13 बार गिरफ्तार हुए।
एक टिप्पणी भेजें