स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी-डर का सामना
स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी-डर का सामना |
👉सबसे पहले जानते हैं, कि स्वामी विवेकानंद कौन थे?
स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।
इनका जन्म कोलकाता में 12 जनवरी 1863 में हुआ था। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था तथा इनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था।
इन्होंने कई संगठनों की स्थापना की जैसे कि- रामकृष्ण मिशन, अद्वैत आश्रम, रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज।
इनकी मृत्यु हावड़ा के बेलूर मठ में 4 जुलाई 1902 में हुई थी।
स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी-डर का सामना
हर किसी की जिंदगी में ऐसा पल जरूर आता है। जब उसे किसी न किसी वजह से डर लगने लगता है। इस डर का सामना करने के लिए जानना जरूरी है, स्वामी विवेकानंद का एक किस्सा।
एक दिन की बात है स्वामी विवेकानंद मंदिर में दर्शन करने के बाद प्रसाद लेकर बाहर निकले कुछ दूर आगे चलने के बाद स्वामी के घर के रास्ते में उन्हें कुछ बंदरों ने घेर लिया स्वामी थोड़ा आगे बढ़ते और बंदरों ने काटने को आते काफी देर तक स्वामी विवेकानंद ने आगे जाने की कोशिश की लेकिन वह ऐसा कर ना पाए।
आखिर में स्वामी विवेकानंद वहां से वापस मंदिर की ओर लौटने लगे। उनके हाथ से प्रसाद की थैली को छीनने के लिए बंदरों की टोली भी उनके पीछे भागने लगी। स्वामी डर गए और वह भी डर के मारे दौड़ने लगे दूसरे मंदिर के पास बैठा एक बूढ़ा सन्यासी सब कुछ देख रहा था। उन्होंने स्वामी को भागने से रोका और कहा बंदरों से डरने की जरूरत नहीं है। ऐसे डर का सामना करो और फिर देखो क्या होता है।
स्वामी विवेकानंद सन्यासी यह बात सुनकर वह है। निडर होकर बंदरों की तरफ मुड़ गए अपनी तरफ तेजी से बंदरों का आतंक कर स्वामी भी उनकी तरफ उतनी तेजी से बढ़ने लगे बंदरों ने जैसे स्वामी विवेकानंद को अपनी तरफ आते देखा तो वह डर कर भागने लग गए अब बंदर आगे आगे भाग रहे थे। और स्वामी भी बंदरों के पीछे-पीछे कुछ ही देर में सभी बंदर के रास्ते से हट गए।
इस तरह स्वामी विवेकानंद ने अपने डर पर जीत हासिल की फिर वह लौटकर उसी सन्यासी के पास गए और उनको इतनी बड़ी बात सिखाने के लिए धन्यवाद कहा।
कहानी से सीख
कोई भी चीज डर का कारण तब तक बनी रहती है जब तक हम उससे डरते हैं इसी वजह से डर से डरने की जगह उसका सामना करना चाहिए ऐसा करने से डर भाग जाता है।
विवेकानंद से जुड़े कुछ प्रश्न-
•स्वामी विवेकानंद का प्रेरक वाक्य क्या है?
"उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक कि तुम्हारी लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।"
•स्वामी विवेकानंद ने अपने डर को दूर करने के लिए क्या किया?
स्वामी विवेकानंद ने कहा निडर बनों निर्भयता उपनिषदों का संदेश है। कुछ लोग एक ज्योतिषी से दूसरे ज्योतिषी के पास अपनी कुंडली लेकर यह जानने के लिए जाते हैं। कि उन्हें मृत्यु कब आएगी उनके लिए कुंडली कुंडली होती है अभी इस बात से अधिक डरते हैं कि वे जीवित रहते हुए क्या करेंगे इसकी वजह वे कब मरेंगे।
•स्वामी विवेकानंद का संदेश प्रेरणात्मक क्यों है?
स्वामी विवेकानंद की जीवन की एक भी आदर्श को हम अपने जीवन में अगर उतार पाएं तो शायद ही हमें कभी हार का सामना करना पड़े उनके जीवन से जुड़े अनेक प्रसंग हैं। जो आज भी हमें प्रेरणा देते हैं उनकी शिक्षा हमारा जीवन बदल सकती हैं।
•स्वामी विवेकानंद के विचार कैसे थे?
स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायक विचार थे-
1. जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।
2. जैसा तुम सोचते हो वैसा ही बन जाओगे।
3. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
4. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
•स्वामी विवेकानंद जी का दिमाग इतना तेज क्यों था?
ध्यान और ब्रह्मचार्य का जो भी पालन करेगा उसका मस्तिष्क इतना तेज हो जाएगा। कि वह सोच भी नहीं सकता वह अपनी सीखने की क्षमता को बढ़ा सकता है ध्यान करने से हमारी एकाग्रता बढ़ती है।
•विवेकानंद का दूसरा नाम क्या है?
उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
•विवेकानंद के अनुसार अध्ययन की सबसे अच्छी विधि कौन सी है?
विवेकानंद की स्वयं शिक्षा और रचनात्मक-IST दृष्टिकोण विवेकानंद की शिक्षण की सबसे महत्वपूर्ण विधि स्वास्थ शिक्षा या ऑटो शिक्षा है। जिसका अर्थ है कि वह व्यक्ति करता है कि छात्र स्वाभाविक रूप से अपना पाठ सीखते हैं, कोई भी (शिक्षक, माता-पिता) आदि उन्हें अपना पाठ सीखने के लिए मजबूर नहीं कर सकता या कोई भी उनकी बड़े होने के तरीके की पहचान नहीं कर सकता है।
•स्वामी विवेकानंद की जीवन में कौन सी घटना एक महत्वपूर्ण मोड़ थी?
स्वामी जी ने पत्थर की दो टुकड़े उठाकर उन्हें आपस में टकराती हुए कहा कि खतरे और मृत्यु के समक्ष वह अपने को चकमक पत्थर के समान सबल महसूस करते हैं क्योंकि मैंने इस करके चरण स्पर्श किए हैं।
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