class 11th Hindi varshik paper

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कक्षा 11वीं हिंदी वार्षिक पेपर 2022 -23 /class 11th Hindi varshik paper 2022 -23

ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन से बताए जा रहे हैं यह सभी ऑब्जेक्ट क्वेश्चन अनुभवी टीचर द्वारा तैयार किए गए हैं जो विगत 10 वर्ष से लगातार पूछे जा रहे हैं इसलिए आपको भी कक्षा नवी हिंदी भाषा पेपर 2023 के लिए ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन 2023 को तैयार करना होगा फटाफट से इन क्वेश्चन ओं को तैयार करें कक्षा नवी हिंदी वार्षिक पेपर 2023 में अच्छे अंक लाना है तो स्टेप को फॉलो करें

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कक्षा 11वीं हिंदी वार्षिक पेपर 2022 -23

L











निर्देश :-


1.सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य हैं।

2.प्रश्नों के लिए आवंटित अंक उनके सम्मुख अंकित है।

3.प्रश्न क्र. 1 से प्रश्न क्र. 5 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न है।

4.प्रश्न क्र. 6 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न में आंतरिक       विकल्प दिया गया है।


प्र.1 सही विकल्प चुनकर लिखिए - ‌        (1×6=6)

           

1. वीरगाथाकाल की प्रसिद्ध रचना है।            (अ)रामचरितमानस          (ब) पद्यावत

(स) पृथ्वीरास रासो          (द) साकेत ।

उत्तर- (स) पृथ्वीरास रासो


2. चन्नमल्लिकार्जुन का अर्थ है -

    (अ) शिव                       (ब) ब्रह्मा    

    (स) राम                        (द) विष्णु ।

उत्तर- (अ) शिव


3. खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना है -

    (अ) इन्दुमती।                 (ब) अष्टयाम

    (स) गोरा-बादल की कथा   (द) परीक्षा गुरु ।

उत्तर- (स) गोरा-बादल की कथा


4. चित्रपट - संगीत का पर्याय कहा गया है।

    (अ) नूरजहाँ को               (ब) आशा भोंसले को

    (द) लता मंगेशकर को।  (द) कविता कृष्णमूर्ति को ।

उत्तर- (द) लता मंगेशकर को।


5. पत्रकारिता लोकातन्त्र का स्तम्भ है -

    (अ) पहला।                    (ब) दूसरा

    (स) तीसरा।                    (द) चौथा ।

उत्तर- (द) चौथा ।


6. निम्नलिखित में से विज्ञान सम्बन्धी तकनीकी शब्द है

    (अ) नाभिक                    (ब) पर्यवेक्षक

    (स) अनुबन्ध                    (द) तदर्थ ।

उत्तर- 


प्र. 2 रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए -।      (1×7=7)

     

(1) कवि भवानी प्रसाद मिश्र अपने पिता के…… पुत्र   .     थे।                                            

उत्तर- पाँचवे।

(2) गीतफरोश कविता के रचरिता…………. हैं।

उत्तर- भवानी प्रसाद मिश्र।

(3) जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी की …….. भी .     .     पूर्ण हो चूकी थी।

उत्तर- फाइल।

(4) मध्यप्रदेश में……….. की गुफाएँ शैल चित्रों के  . .  .    लिए जानी जाती हैं।

उत्तर- भीमबेटका।

(5) डायरी नितान्त ............. रचना है।

उत्तर- वैयक्तिक।

(6) ………के दो भेद - महाकाव्य और खण्डकाव्य हैं।

उत्तर- प्रबन्ध काव्य

(7) 'तुम काम नहीं करोगे मैं निपात शब्द……….. है।

उत्तर- नहीं।


प्र. 3 सही जोडी मिलाइए।                   (1×6=6)

           

(1) मुतमइन                    -          आश्वस्त

(2) ओस के फूल              -          गद्य संग्रह

(3) गर्वा                         -          गुजरात

(4) मानव ज्ञान से सम्बन्धित    -       विश्वज्ञानकोश

     सूचना छः प्रकार

(5) मुक्तक छंद                  -         केंचुछंद

(6) शब्द-युग्म                   -          छः प्रकार


प्र.4 एक शब्द / वाक्य में उत्तर लिखिए.    (1x7=7)

    

1. जगनिक द्वारा रचित कृति का क्या नाम है ?

उत्तर- परमाल रासो

2. नेहरू जी के सवालों का जवाब किस व्यक्ति ने  ,         दिया था ?

उत्तर- हट्टे-कट्‌टे जाट ने 

3. धरातल पर बहने वाले पानी को क्या कहते हैं ?

उत्तर- पालर पानी 

4. कम्पनी उम्मीदवार को किसके आधार पर ,  ,  ,         चुनती है ?

उत्तर- स्वबल के आधार पर

5. दसवाँ रस किसे माना गया है?

उत्तर- वात्सल्य रस

6. विस्तृत कलेवर वाले काव्य को क्या कहते हैं ?

उत्तर- महाकाव्य

7. युग्म का अर्थ क्या हैं ?

उत्तर- जोड़ा 


प्र.5 सत्य / असत्य छाँटिए -                  (1×6=6)


1. धनराम कुशाग्र बुद्धि का बालक था। 

उत्तर- असत्य

2. 'बादलों के घेरे कृष्णा सोबती का कहानी संग्रह है। 

उत्तर- सत्य

3. बेबी के कुल दो बच्चे थे। 

उत्तर- असत्य

4. टेलीविजन सबसे प्रभावशाली एंव सशक्त संचार माध्यम है। 

उत्तर- असत्य

5. रोला एक मात्रिक सम छंद है।

उत्तर- असत्य

6. ही, तो, भी, तक आदि निपात शब्द हैं। 

उत्तर- सत्य


प्र. 6 प्रगतिवादी कविता की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- (1)शोषको के प्रति विद्रोह और शोषितो के

             प्रति सहानुभूति ।

         (2)सामाजिक यर्थाथ का चित्रण ।

                           अथवा

       भारतेन्दु युग की दो प्रवृत्तियाँ बताइए ।

उत्तर- (1) राष्ट्रीयता की भावना :-इस युग के कवियों ने                      ,             राष्ट्रीयता की भावना का.चित्तण किया है।

        (2) सामाजिक चेतना का विकास :- युगमें नई     ,             सामाजिक चेतना का विकास हुआ।


प्र. 7 यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती, तो कवि से कैसे बातें करती ?                                             (2)


उत्तर- यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो निश्चित रूप सें उसका व्यवहार वर्तमान में भिन्न होता है उसके मन में कवि को पढ़ते लिखते हुए देखकर न तो आश्चर्य होता है और न ही वह उनकी लेखन सामग्री को चुराकर कही

छिपातई पढ़ी-लिखी होने पर पंचा का अपनी बात कहने

का तरीका विनम्र और संजीदा होता।

                          अथवा

 दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों ?                        

उत्तर- दूसरे वचन में ईश्वर से कामना की गई की मुझे ऐसी विषम परिस्थितियां ये डाल जिसमें मेरा अहकार समाप्त हो जाए वह कहती है कि ऐसा हो जाए कि किसी से प्राप्त होने वाली वस्तु उसे न मिल पाए इस तरह वह जीवन की सच्चाई को जान जाएगी। इसके बाद उसे उसके शिव से मिलने से कोई नहीं रोक सकता है 


प्र.8 संकलनत्रय क्या है ?                              (2)


उत्तर- यूनानी नाटको में तीन समक का विशेष ध्यान रखा जाता है 

(1) समय का समक:-जिसका तात्पर्य है कि नाटकीय घटना यथार्थ  जीवन में 24 घण्टे में अधिक घटित होने वाली नहीं होती है चाहिए।

(2) स्थान का समक:- नाटकीय घटना यथार्थ जीवन में एक ही स्थान पर घटित होना चाहिए।

(3) वस्तु का समक:- कथा वस्तु में एक ही मुख्य कथा है उसमें मरकारी उपकथाएं न हो।

                          अथवा

              कहानी के तत्व लिखिए ।


कहानी के तत्व :-(1)कथावस्तु 

                     (2)पात या चित्रण

                     (3)संवाद योजना


प्र. 9 लेखिका मियाँ नसीरुदीन के पास क्यों गई थीं ?

उत्तर- लेखिका कृष्ण सोबती एक दिन जमा मस्जिद के आडे पढए पटियामहल के गढैया मुहल्ले से गुज़री तो उन्होंने एक साधारण सी अँधेरई दुकान पर -पटापट

आवाज के ढेर सारे साथ आटे को सनते हुए देखा तो उसके मन में जिज्ञासा जागी की इतना सारा आटा क्यों 

साना जा रहा है जब उन्हे पता चला कि रोटियों के लिए

साना जा रहा है तो रोटियों की कारीगीरी तथा उसके नानबाई के विषय में, जानने के लिए लेखिका मियाँ

नसीरुद्दीन के पास गई थी।

                           अथवा

'पथेर पांचाली' फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला ?

उत्तर- पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का

काम ढाई साल चलने के अग्रलिखित कारण थे-


(1)अपू कि भूमिका के लिए,छः वर्ष के लिए बालक को ढूंढने में समय लगा।


(2)आर्थिक अभाव के कारण पैसा समाप्त,होने पर पैसा एकत्त करने तथा शूटिंग स्थगित रहती थी।


प्र.10 शास्त्रीय गायिकी से आप आश्चर्य होता है और क्यों ?

उत्तर- शास्त्रीय गायिकी गायन की एक ऐसी विद्या है जिसमें गायन को कुछ निर्धारित नियमों के अंदर ही गया बजाया जाता है ख्याल ध्रुपद घमार आदि शास्तीय 

गायिकी को अन्तर्गत ही आते है।

                         अथवा

भारतीय संगीत मुख्यतः किससे संबद्ध है ?

उत्तर- भारतीय संगीत मुख्य रूप से सुर-ताल,राग और

काल से संबद्ध है भिन्न - भिन्न काल के अनुसार भारतीय संगीत में गाये जाने वाले राग भी अलग-अलग

बताये गए हैं उदाहरण के लिए ब्रहत महत में राग भैरव

सुबह कें समय 'राम आदि शामिल हैं।


प्र. उत्तर अन्त: वैयक्तिक संचार का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जब हम अकेले में सोचते योजना बनाते किसी को याद करते हैं यानि संचारक और प्राप्तकर्ता एक

ही व्यक्ति होता है तो इसे अन्तवैयक्तिक संचार कहते है

                          अथवा

पीत पत्रकारिता क्या है ?


- पीत पत्रकारिता सनसनी फैलाने का काम करती है यह पत्रकारिता अमेरिका में 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आईं थी समाचार पाठकों को आकर्षित करने की होड में पीत पत्रकारिता के तहत समाचार पत्र अफवाहों व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोपों प्रेम सम्बन्धों भंडाफोड और फिल्मी गपरात को समाचार की तरह प्रकाशित करते पाठकों है।


प्र.12 उदाहरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर- उदाहरण अलंकार:-जहां एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए

उदाहरण अलंकार होता है।


उदाहरण:-यों रहीम जस होता है उपकारी के संग बाँटन

वारे को लगे 'ज्यों मेहंदी को रंग।

                         अथवा

शान्त रस की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।

उत्तर- शान्त रस :-इसका स्थायी भाव निर्वेद है। निर्वेद नामक स्थायी भाव,विभाव अनुभाव तथा संचारी भाव से शान्त रस की उत्पत्ति होती है।

उकवितदाहरण:- " बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर?

पंथी को हाया नही, फल लागे अति दूर दूर।।


प्र.13 गजल किसे कहते है ? इसके लक्षण बताइए।

‌                           अथवा


उत्तर:-आत्तर- गजल एक ऐसी विधि है जिसमें किसी बहर पर आधारित दो-दो लयात्मक पंक्तियों के विशेष कहने वाले पूर्वापर निरपेक्ष पाँच या अधिक युग्म होते हैजिनमें से पहले युग्म की दोनो पंक्तियाँ तुकान्त होती है जबक अन्य युग्मों की पहली पंक्ति तुकान्त तथा दूसरी पंक्त सम तुकान्त होती है। 

                          अथवा

कविता में बिम्बों का प्रयोग क्यों आवश्यक है ?


उत्तर:- कविता में बिम्ब हमें अपनी बात सरलता से और चिर परिचित ढंग से कहने में सहायक होते हैं।


प्र. 14 निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताते हुए वाक्य प्रयोग कीजिए -

उत्तर:- (1)अशिक्षित होना ।

प्रयोग :- मोहन की पत्नी तो काला अक्षर भैंस बराबर है

(2)आँखों का तारा होना।

प्रयोग :- बहुत प्यारा होना अन्नत अपने पिता की आँखो का तारा है 

                          अथवा

राजभाषा की विशेषताएँ लिखिए।


उत्तर:- राजभाषा की विशेषताएँ:-

राजभाषा किसी भी देश के राजकीय काम-काज की भाषा' होती है।

(2) राजभाषा की मान्यता मिलने से उस भाषा का महत्व अधिक बढ़ जाता है ।


प्र. 15 निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए.


1. स्नान करो, विद्यालय जाओ।

2. दरिद्र होने पर भी वह ईमानदार जाओ।

उत्तर:- (1) स्नान करके विद्यालय जाओ।

         (2)  यद्यपि वह दरिद्र है परन्तु ईमानदार हैं 

                           अथवा


निरर्थक शब्द-युग्म से आप क्या समझते हो ? उदाहरण बताइए।


उत्तर:- निरर्थक शब्द युग्म :- जब किसी शब्द युग्म में प्रयुक्त होने वाले दोनों शब्द निरर्थक हो अर्थात उनका कोई अर्थ न हो तो शब्दों के ऐसे युग्म को निरर्थक शब्द युग्म कहते हैं ।


उदाहरण:- अंट-शंट, चटर-पटर आदि।


प्र. 16 मीरा अथवा निर्मला पुतुल का काव्यगत परिचय निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए-।                                                   (3)

1. दो रचनाएँ 2. भाव पक्ष एंव कला पक्ष 3. साहित्य में स्थान |

उत्तर:-                    मीरा


रचनाएँ:- नरसी जी को माहेरी राग विहाग ।


भाव पक्ष :- मीरा बाई द्वारा रचित काव्य साहित्य में उनके मर्मस्पर्शिनी वेदना है प्रेम की आकुलता है भक्ति की तल्लीनता है उनके आराध्य तो सगुण साकार श्री कृष्णा है मीरा के बहुत से पदों में रहस्यवाद स्पष्ट दिखाई देता है


कला पक्ष :- मीरा की भाषा राजस्थानी और ब्रजभाषा है किंतु पदों की रचना ब्रजभाषा में ही है। मीरा ने मुक्तक शैली का प्रयोग किया है उनके पदो में योग्यता है


साहित्य में स्थान:- मीरा ने अपने हृदय में व्याप्त वेदना

और पीड़ा को बड़े ही मर्मित ढंग से प्रस्तुत किया है 

                            अथवा

निर्मला प्रतुल-


रचनाएँ:- बाँस बाघ एक बार फिर 


भाव पक्ष:- निर्मला पुतुल आदिवासी जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं का कलात्मकता के साथ हमारा परिचय कराती है और सांथाली समाज के सकारात्मक और नकारात्मक दोनो पहलुओं को हमारे सामने रखती

हैं 

कला पक्ष :- निर्मला पुतल की भाषा सरल,सहज एवं

प्रभावपूर्ण है प्रसादगुण युक्त शब्दावली पाठकों को सोचने पर विवरा कर देती है निर्मला पुतल  की रचनाए 

छंद बंधयुक्त है छंद मुक्त होते हुए भी भाषा का प्रवाह

दर्शनीय है 


साहित्य में स्थान :- निर्मला पुतुल की प्राय: सभी कविताएँ पहले साँथाली मे लिखी तथा उसके पश्चात हिंदी में लिखी गई तथा उसके पश्चात हिन्दी में लिखी   गई निर्मला पुतुल निश्चित ही साहित्यकोश में एक चमकता सितारा है।


प्र.17 प्रेमचंद अथवा मन्नू भंडारी का साहित्यक परिचय निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए -।                                                  (3)

1. दो रचनाएँ 2. भाषा-शैली 3. साहित्य में स्थान 

उत्तर:-                  प्रेमचन्द्र


रचनाएँ :- गोदान गनन


भाषा:- प्रेमचन्द्र की भाषा कि भाषा के दो रूप है एक रूप तो जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रधानता है


जैसे- तर्क के भ्रम को प्रष्ठ किया दूसरा जिसमें

ऊद उर्दू संस्कृत और हिन्दी के व्यावहारिक शब्दो का प्रयोग किया है जैसे- पीर का मजार प्रेमचन्द्र की भाषा चुलबली है 


शैली:- प्रेमचन्द्र बेजोड शैली के रचियता थे -

(1)     वर्णनात्मक शैली

(2) ‌    विवेचनात्मक शैली

(3)     मनोवैज्ञानिक शैली 

(4)   ‌  भावात्मक शैली

(5) ‌    हास्य व्यंग्यात्मक शैली


साहित्य में स्थान :- प्रेमचन्द्र ने हिन्दी साहित्य में युगान्तकारी परिवर्तन किया उनका साहित्य देशभक्त और समाज के आगे मसाल दिखाती हुई सच्चाई है'


                         अथवा

            

                       मन्नु भण्डारी


रचनाएँ :- में हार गई में हार गई आपका बंटी ।


भाषा :- मन्मु भण्डारी में ने स्वतंत्रता के बाद रचनाएँ लिखना आरम्भ किया इस कारण उनकी भाषा भी पातानुकूल तथा वातावरण के अनुसार है इनकी भाषा में मुहावरों तथा युग्म- शब्दो का प्रयोग भी देखने को मिलता है 


शैली :- भन्नु भण्डारी की शैली निम्न है 

(1)   वर्णमात्मक शैली

(2)   वार्तालाप शैली

(3)   मुहावरेदार शैली

(4)   व्यंग्यात्मक शैली


साहित्य में स्थान :- मन्नु भण्डारी को हिन्दी की श्रेष्ठ लेखिका होने का गौरव प्राप्त है देश के अनेक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचारों को दूर करने के लिए साहित्य के माध्यम से प्रेरणा दी 


प्र.18 क्रिकेट खेलने के ऊपर दो मित्रों के मध्य सम्भावित संवाद लिखिए।


उत्तर:- अनिल-भाई, आज तो क्रिकेट खेलेंगे।


मुकेश -  हाँ, भाई, मन तो मेरा भी क्रिकेट खेलने का है, पर खेलेंगे कहाँ ?

                          अथवा

'छात्र जीवन में अनुशासन' विषय पर एक संक्षिप्त अनुच्छेद लिखिए ।


उत्तर:- छात्र जीवन और अनुशासन एक-दूसरे के पूरक हैं। यूँ कहें कि अनुशासन हीं विद्यार्थी जीवन की नींव है 

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है। अनुशासित विद्यार्थी ही सफलता की ऊँचाई को छूने में सफल होता है जो विद्यार्थी अपने जीवन में अनुशासन को नहीं अपनाता वह कभी भी सफल नहीं होता बल्कि अपने जीवन को ही बर्बाद कर लेता है बिना अनुसार के विद्यार्थी जीवन कटी-पतंग के समान होता है जिसका कोई लक्ष्य नहीं होता। जो विद्यार्थी अपने विद्यालय के प्रांगण में रहकर प्रतिक्षण अनुशासन का पालन करता है अपने शिक्षको का आदर करता है और इतना ही नहीं जीवन में हर पल नियम एवं अनुशासन में बंधकर चलता है; वह कदापि निष्फल नहीं हो सकता। सफलता उसके कदम अवश्य ही चूमती है। इसलिए विद्यार्थी को कभी भी अनुशासन भंग नहीं करना चाहिए बल्कि सदैव अनुशासन का पालन करना चाहिए। एक अनुशासित विद्यार्थी हो राष्ट्र का आदर्श नागरिक बनता है और देश

 के चहुंमुखी विकास में अपना योगदान देता है।


अनिल- हमारे विद्यालय के मैदान में खेलेंगे।

मुकेश- यहाँ खेलने देंगे ? कोई रोकेगा तो नहीं।

अनिल-मैंने प्रधानाचार्य जी से अनुमति ले ली है।

मुकेश- तो तुम अपने छः साथियों को बुला लो बाकी तो यहाँ के हमारे साथी होंगे। 

अनिल- शाम को चार बजे सभी इकट्ठे होकर चलेंगे।

मुकेश-क्रिकेट मेरा प्रिय खेल है।

अनिल-मैं भी अपने विद्यालय की क्रिकेट टीम का कप्तान हूँ। मुझे क्रिकेट से बहुत प्रेम है। 

मुकेश- हमारे विद्यालय की क्रिकेट की टीम भी कम नहीं है मेरी कप्तानी में शिक्षा निकेतन की टीम को हरा चुके हैं।

अनिल- शिक्षा निकेतन के कई विद्यार्थी क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी हैं। 

मुकेश- अच्छा भाई, शाम को चार बजे मैदान पर मिलते हैं। - 

अनिल- हाँ भाई, आज मजा आ जाएगा।


प्र.19 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़ नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए।                       (3) 


भारतीय संस्कृति में पर्वो का अत्यधिक महत्व है। पर्व किसी भी संस्कृति के वह अंग हैं, जिनके बिना वह संस्कृति अधूरी रह जाती है। पर्व हमें ऐसा अवकाश प्रदान करते है कि जब हम अपने जीवन के विषय में अच्छा सोच सकते है। जीवन प्रवाह को सही दिशा देने वाले पर्व ही होते हैं। जीवन व्यवहार की समस्त कटुताएँ भी पर्व के द्वारा ही समाप्त हो सकती हैं। पर्व जीवन में ऊर्जा उदीप्त करते हैं, रिश्तों में मधुर रस घोलते हैं, प्रेम और करुणा की सदीभावना जीवन में ऊर्जा उदीप्त करते है, ज्ञान, आचरण, विश्वास को परिमार्जित करने का प्रयास करते हैं। अतः सभी धार्मिक, राष्ट्रीय पर्वो को उल्लास के साथ मर्यादा में रहकर मनाना चाहिए ।


प्रश्न 1. जीवन प्रवाह को सही दिशा कौन देता है ?

2. सभी पर्वो को उल्लास के साथ किस प्रकार मनाना चाहिए ?

3. भारतीय संस्कृति में किसका अत्यधिक महत्व है ?


उत्तर:- भारतीय संस्कृति में पर्वो का अत्यधिक महत्त्व है। पर्व किसी भी संस्कृति के वह अंग है, जिनके बिना यह संस्कृति अधूरी रह जाती है। पर्व हमें ऐसा अवकाश प्रदान करते हैं कि जब हम अपने जीवन के विषय में अच्छा सोच सकते हैं। जीवन प्रवाह को सही दिशा देने वाले पर्व ही होते हैं। जीवन व्यवहार की समस्त कटुताएँ भी पर्व के द्वारा ही समाप्त हो सकती है। पर्व जीवन में ऊर्जा उदीप्त करते हैं, रिश्तों में मधुर रस घोलते हैं, प्रेम और करुणा की सद्भावना जीवन में नियोजित करते हैं, ज्ञान, आचरण, विश्वास को परिमार्जित करने का प्रयास करते हैं। अतः सभी धार्मिक, राष्ट्रीय पर्वो को उल्लास के साथ मर्यादा में रहकर मनाना चाहिए।


उत्तर:- (क) जीवन प्रवाह को सही दिशा कौन देता है ?

(ख) सभी पर्वो को उल्लास के साथ मर्यादा में रहकर मनाना चाहिए। 

(ग) भारतीय संस्कृति में पर्वो का अत्यधिक महत्व है।

                           अथवा 

निम्नलिखित अपठित पद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए- निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल ।

बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिस को सूल ।।

इक भाषा एक जीव, इक मीत सब घर के लोग।

तवै बनत है सवन सौं, मिटत मुढ़ता सोग ।।


प्रश्न- (क) कवि के अनुसार मुढ़ता और शोक किस प्रकार मिटता है ? 

(ख)उपर्युक्त पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए । 

(ग) प्रस्तुत पद्यांश का भाव अपने शब्दों में लिखिए ।


उत्तर:- निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।

मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।

विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,

सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।


उत्तर:- (क)जब सभी लोग एक ही भाषा एवं एक जैसी जीवन शैली एवं विचार अपनायेंगे, तभी उनकी मूढ़ता एवं शोक मिट सकेंगे।


उत्तर:- (क)गद्यांश का उचित शीर्षक - ' धर्म और

कानून' ।

(ख) धर्मभीरू कानून की त्रुटियों का लाभ उठाते हैं।

(ग) मनुष्यों से प्रेम करना, महिलाओं का आदर करना, झूठ बोलने से बचना, चोरी न करना तथा दूसरों को न सताना आदि धार्मिक सदुपदेशों को लोग आज भी मानते हैं ।


उत्तर:- (ख) हमें जीवन में सभी कष्टों को सहने की क्षमता रखनी चाहिए और सभी के साथ मिलजुलकर रहना चाहिए। 


प्रश्न 20 निम्नलिखित पद्याशं की प्रसंग-संदर्भ साहित व्याख्या कीजिए -।                            (4)                         

पाँव जो पीछे हटाता,

कोख को मेरी लजाता,

इस तरह होओ न कच्चे,

रो पड़ेंगे और बच्चे,

पिता जी ने कहा होगा,

हाय, कितना सहा होगा,

कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ,

धीर मैं खोता, कहाँ हूँ।


संदर्भ- पूर्ववत् ।


प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश में कारागार में बन्द कवि ने अपने माता-पिता के मध्य हुए काल्पनिक संवाद का बहुत सजीव एवं यथार्थ चित्रण किया है। अपेक्षाकृत कमजोर इरादों की समझे जाने वाली अनपढ़ माँ मजबूत व्यक्तित्व एवं साहस के धनी पिता को धैर्य न खोने की सलाह दे रही है।


भावार्थ- कवि के अनुसार उसकी माँ ने पूज्यनीय पिताजी को ढौंढ़स बँधाते हुए कहा होगा कि भवानी को याद करके क्यों दुखी होते हो। वह तो देश सेवा के मार्ग पर चलते हुए कारावास में गया है। इसलिए हमारे साथ नहीं है। यदि वह राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य-पय से पीछे हटता तो यह हम सभी के लिए और विशेषकर मेरे लिए अपमानजनक बात होती आप इस घर के मुखिया हो, यदि आप ही धीरता का दामन छोड़कर इस प्रकार कमजोर पड़ जाओगे तो बच्चों का क्या होगा। उन्हें भी अपने प्रिय भाई भवानी की याद आ रही होगी। आपको बिलखता देख वे सभी भी रो पड़ेंगे। इसलिए आप धीरज रखिए वह वहाँ ठीक प्रकार से होगा।


कवि माता-पिता के इस काल्पनिक संवाद को आगे बढ़ते हुए कहता है कि माँ के इस प्रकार समझाने पर पिताजी ने अपने आँसू छिपाते हुए और बात बदलते हुए किस प्रकार यह कहा होगा कि भला मैं रो कहाँ रहा हूँ। न ही मैं अपना धीरज खो रहा हूँ। मैं तो शान्त हूँ। कवि कल्पना करता है कि यह सब कहते हुए पिता के हृदय पर क्या बोली होगी। उन्होंने किस प्रकार उनका उनसे हृदय पर पत्थर रखकर यह बात माँ से कही होगी।


काव्य सौन्दर्य- (1) माँ-पिता के मध्य संवाद का सुन्दर सजीव चित्रण है। 

(2) पाव पीछे हटाना', 'कोख लजाना'' धीरज खोना आदि मुहावरों का उपयोग कथ्य को प्रवाह देता है।

(3) भाषा अत्यन्त सरल, सहज एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है

                                अथवा


सबसे खतरनाक वह दिशा होती है।

जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए 

और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा 

आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए 

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती 

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती 

गद्दारी-लोभ की मुट्टी सबसे खतरनाक नहीं होती।


संदर्भ- पूर्ववत् ।


प्रसंग–प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने आत्मा की आवाज को अनसुना करने की प्रवृत्ति को सबसे खतरनाक माना है।


भावार्थ-कवि उस दशा (स्थिति) को सबसे खतरनाक मानता है। जिसमें आत्म रूपी सूरज डूब जाता है। अर्थात् जहाँ आत्मा के प्रश्न बेमानी हो जाते हैं। जब लोग आत्मा के आवाज को अनसुना कर देते हैं तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। कवि के अनुसार यदि आत्मा में धूप के किसी टुकड़े के समान आशा की कोई मंद (मुर्दा) किरण फूटती भी है । के मृतप्राय ही होती है। यह मृतप्राय किरण पूर्व दिशा रूपी अपने ही शरीर में चुभकर उसे लहूलुह करती रहती है। कवि का आशय यह है कि लोगों ने अन्याय को अपनी नियति मानकर उसे सहन करना सीख लिया है। इस प्रक्रिया में वह आत्मा में उठ रहे प्रश्नों के प्रति भी उनकी रहता है। सामाजिक विसंगतियों और ताओं को देखकर भी उसके मृत विचारों में गा प्रवाह नहीं होता है। प्रतिकूल स्थितियों के विरुद्ध यदि कहीं कोई विरोध को चिंगारी भी है तो वह भी स्वयं को ही कष्ट देकर फिर से दब जाती है। यह स्थिति सबसे खतरनाक है ‌।


कवि कविता के अंत में पुनः स्पष्ट करता है कि मेहनत का लुट जाना, पुलिस की मा पढ़ना, गद्दारी करना तथा लोभ के वशीभूत हो जाना खतरनाक होते हुए भी सबसे ज्यादा खतरनाक स्थितियां नहीं है।


प्रश्न 21 निम्नलिखित गद्यांश की सदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए-।                 ‌‌              (4)

धर्म की इस बुद्धिहीन दृढ़ता और देव दुर्लभ त्याग पर मन बहुत झुंझलाया। अब दोनों शक्तियों में संग्राम होने लगा। धन ने उछल-उछलकर आक्रमण करने शुरू किए। एक से पाँच पाँच से दस, दस से पंद्रह और पंद्रह से बीस हजार तक नौबत पहुँची, किंतु धर्म अलौकिक वीरता के साथ इस बहुसंख्यक सेना के सम्मुख अकेला पर्वत की भाँति अटल, अविचलित खड़ा था। अलोपीदीन निराश होकर बोले-अब इससे अधिक मेरा साहस नहीं। आगे आपका अधिकार है।


संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग- धन व धर्म के संघर्ष में धर्म की जीत हुई। धन की बड़ी सेना हार गई तथा धर्म अकेला पर्वत के समान खड़ा रहा। अन्त में पंडित अलोपीदीन को बन्दी बना लिया गया। व्याख्या जब पति अलोपीदीन धन की इतनी विशाल सेना होने पर भी हार गए, तब उन्हें मुंशी वंशीधर में देवताओं से भी कठिन त्याग दिखाई देने लगा तथा दूसरी ओर के इस जिद को मूर्खों वाली जिद्द मानने लगे जिस कारण अलोपीदीन का मन बेचैन होने लगा। इस बेचैनी को दूर करने के लिये धन की सेना को बढ़ाना शुरू कर दिया। वह धन की सेना उछल-उछल कर आक्रमण करने लगी अर्थात् घूस की रकम बीस हजार तक पहुँच गई। लेकिन वंशीधर जो धर्म का प्रतीक थे उनमें धन की सेना के सामने झुकने की भावना जाग्रत नहीं हुई बल्कि वे एक पर्वत की अटल चट्टान के समान धन-सेना के वार पर वार सहते रहे। वंशीधर ने अपनी ईश्वरीय अटल सहनशीलता का परिचय दिया। जिस कारण धन की सेना का कमाण्डर निराश हो गया और अपनी पराजय को स्वीकार कर लिया। अन्त में कहा कि वंशीधर जैसा चाहें करें यह उस पर्वत की दृढ़ता पर निर्भर है। 


विशेष (1) बोल-चाल की भाषा के मध्य संस्कृत शब्दों का प्रयोग

(2) उछल- उतकर आक्रमण करना जैसे शब्दों के प्रयोग ने भाषा को चुलबुला बना दिया है। 

(3) धन पर धर्म की विजय ।


                            अथवा

अकसर जब मैं एक जलसे से दूसरे जलसे मैं जाता, और इस तरह चक्कर काटता रहता होता था, तो इन जलसों में में अपने सूनने वालों से अपने इस हिन्दुस्तान या भारत की चर्चा करता। भारत एक संस्कृत शब्द है और इस जाति के परम्परागत सस्थापक के नाम से निकला हुआ है। मैं शहरों में ऐसा में ऐसा बहुत कम करता क्योंकि वहाँ के सुनने वाले कुछ न्यादा सयाने थे और उन्हें दूसरे ही किस्म की गिजा की जरूरत थी ।


संदर्भ-  प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक' आरोह' के पाठ' भारत माता' से ली गई हैं। इसके रचयिता स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री 'पं. जवाहरलाल नेहरू' है।


प्रसंग- स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय पं. नेहरू एक समारोह से दूसरे समारोह में जाकर जनता को देश की आजादी के लिए उत्साहित करते रहते थे। वह कहते अपनी संस्कृति, सभ्यता और अपनी योग्यता को पहचानो।

व्याख्या- इस लेख में उस समय का वर्णन है जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था तथा गुलामी को समाप्त करने, अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर रहा था। पं. नेहरू जलसों में बोलते समय श्रोताओं से कहते कि भारत हमारा अपना देश है। इसके समस्त कार्य हमारी इच्छा से हॉ, विदेशी लोग हमारे लिए कानून क्यों बनाए? एक समय भारत में दुष्यन नाम के राजा थे उनका पुत्र था भरत, उसी परम्परागत राजा भरत के नाम पर इसका नाम भारत पड़ा तथा भारत संस्कृत भाषा का शब्द है। शहरों की आम सभाओं में वह भारत माता की चर्चा कम ही करते थे क्योंकि नगरवासी समझदार थे तथा उन्हें अपनी पौराणिक कथाओं का थोड़ा ज्ञान था उन्हें दूसरे प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता थी। इस प्रकार पं. नेहरू देशवासियों को अपनी प्राचीन परम्परा से भी जोड़ने का काम करते तथा वर्तमान को भी सुधारना चाहते थे। 


विशेष- (1) सरल खड़ी बोली। 

(2) उर्दू शब्दों की बहुलता-'जलसा', 'महदूद' आदि

(3) देशभक्ति का संदेश 


प्रश्न (1) गद्यांश में किस समय का वर्णन किया गया है ?

(2) जलसों में नेहरू जी जनता से क्या चर्चा करते थे ?

(3) नेहरू जी ने स्वतंत्रता के लिए भारतवासियों को किस प्रकार उत्साहित किया ?


उत्तर:-(1) गद्यांश में उस समय का वर्णन है जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था, भारतीय गुलामी को समाप्त करने तथा अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे थे।

(2) जलसों में नेहरू जी भारत माता की चर्चा करते हुए कहते कि भारत हमारा है इसके समस्त कार्य भारतीयों की इच्छा से हों, विदेशी लोग हमारे लिए कानून क्यों बनाएँ। 

(3) नेहरू जी स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय एक समारोह से दूसरे समारोह में जाकर जनता को अपने भाषणों के माध्यम से स्वतन्त्रता के लिए उत्साहित करते थे।


प्रश्न 22 परीक्षाकाल में ध्वनि विस्तारक यन्त्र के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु जिलाधीश को आवेदन-पत्र लिखिए।                                  (4)


उत्तर-                              दिनांक 31.03.2023

सेवा में,

जिलाधीश महोदय,

जिला डिण्डोरी


विषय: परीक्षा काल में ध्वनि विस्तारक यन्त्रों पर प्रतिबन्ध लगाने के सम्बन्ध में।


महोदय,

नम्र निवेदन है कि आजकल नगर के छात्र अपनी वार्षिक परीक्षा देने के लिये रात-दिन परिश्रम कर रहे हैं। ऐसे में ध्वनि विस्तारक यन्त्र प्रातः से देर रात तक भारी शोरगुल करते रहते हैं। जिससे तीव्र ध्वनि प्रदूषण के फलस्वरूप छात्र-छात्राओं के अध्ययन में अत्यधिक व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। अतः श्रीमानजी से विनम्र प्रार्थना है कि ध्वनि विस्तारक यन्त्र पर अविलम्ब प्रतिबन्ध लगाकर छात्रों को सुचारु रूप से अध्ययन करने की सुविधा प्रदान कर अनुग्रहीत करें।

                                               प्रार्थी

                                              छात्रगण

                                  उच्चतर माध्यमिक विद्यालय

                                            जिला डिण्डोरी,


                         अथवा


हाईस्कूल परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर मित्र को बधाई पत्र लिखिए ।

उत्तर-             27/112, गुलमोहर कालोनी, ग्वालियर

                                         दिनांक 25.05.20…


प्रिय मित्र नवीन,

सस्नेह नमस्कार ।


आज दैनिक पत्र में हाईस्कूल परीक्षा का परिणाम देखा। आपका अनुक्रमांक प्रथम श्रेणी में देखकर मेरा मन मयूर मस्त होकर नृत्य करने लगा। आपका प्रावीण्य सूची में तृतीय स्थान है इससे आप ही नहीं, शाला तथा हम लोग भी गौरवान्वित हुए हैं। अतः बधाई स्वीकार हो। मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि वह इसी प्रकार आपको सदैव सफलताएँ प्रदान करता रहे और आप सुन्दर सम्पन्न जीवन में विहार करते रहें।


                                               आपका मित्र          ,                                         मित्रश्रीकान्त वर्मा



प्रश्न 23 निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित निबन्ध लिखिए (4)

1. साहित्य और समाज

2. जीवन में खेलों का महत्व

3. महँगाई की समस्या

4. बालिका शिक्षा |  


 उत्तर-         साहित्य समाज का दर्पण है     


[रूपरेखा - (1) साहित्य और समाज का सम्बन्ध, (2) साहित्यकार पर समाज का प्रभाव (3) सामाजिक परिवर्तन के साथ साहित्य में परिवर्तन (4) उपसंहार। ] 


प्रस्तावना-सामाजिक सभ्यता, संस्कृति रहन-सहन आचार-विचार होते हैं साहित्य मुकुट में प्रतिविम्बित होकर साकार ॥


साहित्य और समाज का सम्बन्ध-साहित्यकार समाज का एक अंग होता है। वह समाज का प्रतिनिधित्व करता है साहित्यकार युग होता है। वह जैसा समाज में देखता है उसी को अनुभव करता है। उसे अपने साहित्य में व्यक्त करता है। सहृदयता को व्यक्त करता है। युग की भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम होता है। साहित्य के अध्ययन से तत्कालीन राजनीतिक, धार्मिक एवं सामाजिक परिस्थितियों का आकलन किया जाता है। साहित्य में समाज प्रतिविम्बित होता है। 


साहित्यकार पर समाज का प्रभाव- साहित्यकार समाज के भावों और परिस्थितियों को सजीव बनाने का प्रयत्न करता है। उसके साहित्य में युग स्पष्ट झलकता है। साहित्यकार एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक परिस्थितियों के मध्य साहित्यकार का निर्माण होता है। सामाजिक परिस्थितियों से साहित्यकार कभी भी बच नहीं सकता। अत: समाज की विभिन्न परिस्थितियों, समस्याओं, परम्पराओं का उल्लेख साहित्यकार अपने साहित्य में करता है। उसका साहित्य कभी भी समाज से बाहर (इतर) नहीं जा सकता। 


सामाजिक परिवर्तन के साथ साहित्य में परिवर्तन


देशकाल तथा वातावरण के अनुसार सामाजिक परिस्थितियों में परिवर्तन होता रहता है। अतः साहित्य में बदलाव आना भी स्वाभाविक ही है। समाज के साहित्य में सदैव एकरसता नहीं रहती। भारतीय साहित्य में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रभाव दिखायी देता है। पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति का प्रभाव पाश्चात्य साहित्य में दृष्टिगोचर होता है। आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल तथा आधुनिक काल की सामाजिक पृष्ठभूमि अलग-अलग थी। वीरगाथा काल में वीर काव्य की रचना हुई जबकि भक्तिकाल में ईश्वर भक्ति को अनस भारा प्रवाहित हुई बराल के साहित्य के अध्ययन से ज्ञात होता है कि भारतीय साहित्य में एक ओर विलास की देवी का मधुर हास था और दूसरी ओर युद्ध कौशल का उल्लेख मिलता है।


वर्तमान साहित्य में भी समाज का स्पष्ट प्रतिबिम्ब दिखायी पड़ता है। समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियाँ, जाति प्रथा, रूढ़िवाद और बेमेल विवाह जैसी विसंगतियाँ पी जाती है। अाचार, घुसखोरी, कालाबाजारी के विरुद्ध एक विचारधारा सदैव से ही साहित्यका कर रही है


उपसंहार - हम यह स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि देशकाल तथा वातावरण के अनुसार तत्कालीन समाज को उस साहित्य में पाते हैं। जैसा युग का प्रभाव होगा, वैसी ही साहित्य की दशा होगी। साहित्य समाज का दर्पण होता है और साहित्यकार उसका दर्पणकार (पथ प्रदर्शक) होता है। वास्तव में, साहित्य समाज की सच्ची अभिव्यक्ति है। यह वह दर्पण है जिसमें समाज का प्रतिबिम्ब स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।


अंधकार है यहाँ, जहाँ आदित्य नहीं है। मुर्दा है वह देश, जहाँ साहित्य नहीं है।


                    जीवन में खेलों का महत्व


"खेल जीवन खेल उसमें जीत जाना चाहता है। 

 खेल ही में जिन्दगी का मीत पाना चाहता हूँ।"


[रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) खेलों की उपादेयता, (3) खेलों के विभिन्न प्रकार, (4) खेलों की वर्तमान स्थिति, (5) खेल संसाधनों में सुधार की आवश्यकता, (6) उपसंहार।]


प्रस्तावना-मयूरों का वनों में नृत्य, पक्षियों की अनन्त आकाश में उड़ान तथा बालकों का उछलना-कूदना तथा दौड़ लगाना आदि क्रियाएँ खेल के प्रति रुचि का प्रदर्शन करने वाली है। मानव ही नहीं पशु तथा पक्षी भी इसके अपवाद नहीं है। मानव जीवन में भी खेलों का विशेष महत्व है। बाल्यावस्था से ही नटखट मानव के लिए खेल मनोरंजन, स्वास्थ्य एवं विकास का आधार तैयार करते हैं।

खेलों की उपादेयता - खेल मानव स्वभाव का अपरिहार्य अंग है। खेल मन तथा तन दोनों को ही स्वस्थ बनाते हैं। मानसिक तनाव एवं शारीरिक रोगों से छुटकारा दिलाने में खेल-कूद बड़े सहायक बनते हैं। 'स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है।' कहावत सहज ही छात्रों को खेलों के प्रति जागरूक बनाती है।


खेल, व्यायाम के साधन होने के साथ-साथ अच्छे नागरिकों के निर्माण में भी सहयोगी है। अच्छे खिलाड़ी में सच्चरित्रता, नैतिकता तथा अनुशासन आदि सद्गुणों का विकास होता है। इससे समाज सेवा तथा उपकार भावना का भी उदय होता है और आत्म-विश्वास तथा स्वावलम्बन की सद्वृत्ति को बल प्राप्त होता है। खेलों में रुचि रखने वाला हार-जीत को समभाव से स्वीकारता है और परोपकार का भाव उसके आचरण में बना रहता है। खेल राष्ट्रीय भावना को प्रोत्साहित करते हैं, तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र-सम्मान की रक्षा करते हैं।


 खेलों के विभिन्न प्रकार - खेलों के अनेक प्रकार हैं। स्थान के आधार पर हम इन्हें दो भागों में बाँटते है-(1) घर के अन्दर खेले जाने वाले खेल, तथा (2) घर के बाहर मैदान में खेले जाने वाले खेल। घर में खेले जाने वाले खेलों में शतरंज, टेबिल-टेनिस, कैरम, तारा, प-सौड़ी आदि आते हैं, और मैदान में खेले जाने वाले खेलों में हॉकी क्रिकेट, कबड्डी, बॉलीबॉल, फुटबाल, खो-खो आदि की गणना की जाती है। कुछ खेलों में एक ही व्यक्ति द्वारा हिस्सा लिया जाता है तथा कुछ में टीम (दल) भाग लेती है। दौड़, भाला फेंक, कूद आदि।   

ऐसे खेल है जिनमें एक व्यक्ति भाग लेता है जबकि क्रिकेट, कबड्डी, फुटबाल, हॉकी दल की भागीदारी होती है।

खेलों की वर्तमान स्थिति-राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों की स्थिति में सुधार हो रहा है। हॉकी, क्रिकेट, बॉलीबॉल, शतरंज आदि के आयोजन निरन्तर होते ही रहते है। इन आयोजनों में जनसामान्य पर्याप्त रूचि लेता है। पुराने समय की अपेक्षा आज खेल के से वस्तुओं और सेवाओं मैदान, खेल के स्थान लगातार बढ़ रहे हैं। खेलों के लिए छोटे-बड़े शहरों में स्टेडियम बनाये गये हैं। विद्यालयों में खेलों पर पर्याप्त बल दिया जाता है। सरकारें खेलों के लिए सुविधाएँ तथा साधन उपलब्ध कराती है। खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति, पुरस्कार एवं नौकरी में वरीयता आदि प्रदान की जाती है। 


खेल संसाधनों में सुधार की आवश्यकता -आज के विकास प्राप्त युग में खेलों की अभिरुचि दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। रेडियो, टेलीविजन तथा फिल्मों में भी इनका महत्त्व  दर्शाया जाता है, किन्तु सभी खेल प्रायः महँगे उपकरणों वाले हैं। साधारण व्यक्ति अपने निजी  

व्यय से इनको प्राप्त करने में सक्षम नहीं है। अतः सरकार से इस और अधिक ध्यान देने की अपेक्षा है। विद्यालय, कॉलेजों के खेल-साधनों, राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए अभी पर्याप्त साधनों का अभाव है। 

उपसंहार - इस प्रकार हम देखते हैं कि खेलों का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।इनकी प्रतियोगिता के कारण खेलकूद मन्त्रालय का गठन किया गया है। जिले, प्रदेश और देश स्तर पर ही नहीं विश्व स्तर पर भी विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताएँ निरन्तर आयोजित होती रहती है। क्रिकेट हॉकी, टेनिस खेल तो जन-जन के मानस पर खा गए है। खेल तन तथा मन को नई ताजगी, नई शक्ति तथा साहस प्रदान करने के स्रोत हैं। यथार्थ में खेल जीवन में समरसता की मंदाकिनी प्रवाहित करते हैं। खेल जीवन में खुशहाली तथा प्रगति का विकास करने वाले हैं   

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