सरोजिनी नायडू जीवन परिचय , जयंती कविता (Sarojini Naidu Kon Thi Biography in Hindi)

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सरोजिनी नायडू जीवन परिचय , जयंती कविता (Sarojini Naidu Kon Thi Biography in Hindi)

सरोजिनी नायडू जीवन परिचय , जयंती कविता (Sarojini Naidu Kon Thi Biography in Hindi)

Table of contents


सरोजिनी नायडू का परिचय (intro to Sarojini Naidu)

सरोजिनी नायडू की जीवनी

सरोजिनी नायडू जयंती

सरोजिनी नायडू कौन थी?

सरोजिनी नायडू क्यों प्रसिद्ध है?

सरोजिनी नायडू को भारत रत्न कब मिला था।

सरोजिनी नायडू की मृत्यु (death of Sarojini Naidu)

सरोजिनी नायडू जीवन परिचय , जयंती कविता

निष्कर्ष

FAQ-question 


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सरोजिनी नायडू जीवन परिचय , जयंती कविता (Sarojini Naidu Kon Thi Biography in Hindi)

सरोजिनी नायडू का परिचय (intro to Sarojini Naidu)


नाम

सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu)

जन्म 

13 फरवरी 1879 हैदराबाद, तेलंगाना, भारत

माता

वरदा सुंदरी देवी

पिता

अघोर नाथ चट्टोपाध्याय

पति

गोविंदाराजुलू नायडू

भाई

वीरेंद्र नाथ और हरेंद्र नाथ

बहन

सुहासिनी

पुस्तकें

द गोल्डन थ्रेसोल्ड (1905), द वर्ल्ड ऑफ टाइम (1912), द ब्रोकन विंग (1917)

राष्ट्रीयता

भारती

प्रसिद्धि का कारण

कवित्री व राजनीतिक कार्यकर्ता

जीवन काल

70 वर्ष

मृत्यु

2 मार्च 1949, लखनऊ, उत्तर प्रदेश भारत


Sarojini Naidu Biography in Hindi - भारत कोकिला के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू एक क्रांतिकारी महिला के नाम से प्रसिद्ध थी। और भारत की आजादी के लिए किए गए आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। यह एक अच्छी राजनीतिक और महान स्वतंत्रता सेनानी भी थी। यह इंडियन नेशनल कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष थी। और भारत में किसी भी राज्य में नियुक्त होने वाली पहली महिला राज्यपाल भी थी जो उत्तर प्रदेश राज्य के राज्यपाल नियुक्त हुई थी। इनकी रचनाओं में बच्चों की कविता प्राकृतिक देशभक्ति और प्यार एवं मृत्यु सभी तरह की कविताएं शामिल हैं। लेकिन यह बच्चो के कविताओं के लिए जानी जाती थी। इनकी बचपन की कविताओं को पढ़कर पुरानी बचपन की यादें ताजी हो जाती है। इसी वजह से इनको भारत देश का बुलबुल भी कहा जाता है।


सरोजिनी नायडू की जीवनी - सरोजिनी नायडू का जन्म भारत के हैदराबाद में 13 फरवरी 1879 को हुआ था। इनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था और माताजी का नाम वरदा देवी था इनके पिता एक वैज्ञानिक और शिक्षक भी थे सरोजिनी नायडू अपने आठ भाई बहनों में सबसे बड़ी थी इनके पिता ने हैदराबाद निजाम कॉलेज की स्थापना कराई थी। इनकी मां भी एक कवित्री थी जो बांग्ला भाषा में कविताएं लिखती थी।


सरोजिनी नायडू शुरू से ही एक होनहार छात्र थी। वह मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर लिया था। और मद्रास प्रेसीडेंसी में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था। उनके पिता चाहते थे कि उनकी बेटी एक वैज्ञानिक बने लेकिन सरोजिनी नायडू को कविता में बहुत ही रुचि थी उन्होंने बचपन में ही एक 1300 लाइन की कविता लिख डाली थी। जिससे हैदराबाद के निजाम बहुत प्रभावित हुए और उन्हें इंग्लैंड जाकर पढ़ने के छात्रवृत्ति दे दी थी।


उनका इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज में दाखिला हो गया। तब वह मात्र 16 वर्ष की ही थी फिर उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भी शिक्षा प्राप्त की थी। उसी दौरान उनका मुलाकात अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि अर्थार साइमन और गौसे से हुई इन लोगों ने भारत के विषयों को आधार मानकर कविता लिखने की सलाह  दी थी।


सरोजिनी नायडू जब इंग्लैंड में पढ़ाई कर रही थी। तब वहीं पर उनकी मुलाकात गोविंद राजू नायडू से हुई थी। जो वहां पर फिजीशियन की पढ़ाई कर रहे थे गोविंद राजू नायडू से सरोजिनी जी को प्रेम हो गया था। और जब वह 19 वर्ष की हुई तब 1898 में उन्होंने गोविंद राजू नायडू से शादी कर ली जो उस समय एक चर्चा का विषय बन चुका था। क्योंकि गोविंद राजू नायडू दूसरे कास्ट से आते थे। और उस समय अंतर जातिय विवाह करना समाज के लिए एक गुना से कम नहीं था। यह सरोजिनी जी के लिए बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम से कम नहीं था इस शादी के लिए समाज का प्रवाह किए बिना पिता ने उनको अपना पूरा सहयोग दिया था।


सरोजिनी नायडू को साहित्य की बहुत ही अच्छी तरह से समझ थी वह समान महिलाओं से बिल्कुल ही अलग थी उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था। इसलिए वह शादी के बाद भी अपनी रचनाएं को लिखना जारी रखा उनकी कविताओं को लोग काफी पसंद करते थे। और उनकी कविताओं को गाते भी थे जब 1905 में उनकी कविता बुलबुले प्रकाशित हुई। तब उनके लोकप्रियता बहुत बढ़ गई। उसके बाद भी उनकी कविताएं प्रकाशित होती रही और लोगों को पसंद भी आती थी उनकी कविताओं के प्रशंसकों में रविंद्र नाथ टैगोर और जवाहरलाल नेहरू जैसे लोग थे।


जब नायडू जी की मुलाकात खोखले से हुई तब उनके जीवन में बहुत ही बदलाव आया क्योंकि सरोजिनी नायडू को गोखले जी ने अपनी कलम की ताकत को आजादी की लड़ाई में इस्तेमाल करने को कहा था। उन्होंने कहा तह की वह अपनी इस योग्ता को देश को समर्पित करें और क्रांतिकारी कविताएं लिखे और लोगों को आजादी की लड़ाई के लिए प्रोत्साहित करें उसके बाद तो सरोजिनी जी लोगों के अंदर देश की आजादी का जुनून भरने में लग गई।


1916 में उन्होंने महात्मा गांधी से मिली और गांधी जी को अपनी प्रेरणा मानकर अपनी पूरी ताकत देश की आजादी के लिए लगा दी। सविनय अवज्ञा आंदोलन में गांधी जी के साथ जेल भी गई 1942 भारत छोड़ो आंदोलन में उनको 21 महीनों तक जेल में रहना पड़ा। 1925 में कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता के लिए नियुक्त किया गया।


2 मार्च 1949 को अपने ऑफिस में काम करते समय उनको हार्ट अटैक हुआ और उससे उनका निधन हो गया।


1964 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक 15 नए पैसे का डाक टिकट जारी किया था।


सरोजिनी नायडू जयंती


सरोजिनी नायडू जी ने स्वतंत्रता संग्राम सैनानी के रूप में महिलाओं एवं बच्चों के लिए बेहद अहम् कार्य किए थे। यही वजह है कि उनका नाम उस दौरान काफी चर्चित रहा था। सरोजिनी नायडू एक महिला होते हुए भी एक राज्य की राज्यपाल बनी थी इसलिए उनके जन्म दिवस के दिन को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है यह दिन आज भी लोग महिलाओं को समर्पित कर मानते हैं।


राजनीतिक जीवन (political life)


वर्ष 1960 की शुरुआत में सरोजिनी नायडू ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी ली। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों व शिक्षा के प्रति लोगों को उजागर किया। वर्ष 1914 में वह महात्मा गांधी से मिले जिनको नायडू ने भारत के स्वतंत्र आंदोलन के शक्ति करण के लिए श्रेय दिया।


वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दूसरी महिला प्रेसिडेंट बनी। 1917 में उन्होंने मुथुलक्ष्मी रेड्डी के साथ मिलकर भारती महिला संगठन की स्थापना की। उन्होंने लखनऊ पैक्ट का समर्थन किया।


1917 में उन्होंने गांधी जी के द्वारा प्रवर्तित सत्याग्रह आंदोलन में भागीदारी ली। 1919 में वह ऑल इंडिया होम रूल लीग के एक सदस्य के रूप में भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाने के लिए लंदन गए। वापस आने के बाद वह असहयोग आंदोलन से जुड़ गए।


1930 के दौरान गांधीजी के द्वारा प्रस्तावित हुआ संचालित दांडी मार्च चल रहा था। यात्रा शुरू होने से पहले गांधी जी चाहते थे कि महिलाओं को इस आंदोलन में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि आंदोलनकारियों के गिरफ्तार होने का खतरा था।


परंतु नायडू वाहन महिला कार्यकर्ताओं ने मिलकर गांधी जी को इस यात्रा पर महिलाओं को जाने की अनुमति दिलवाई। 6 अप्रैल 1930 को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उन्होंने नायडू को इस अभियान की नई नेत्री घोषित की।


सरोजिनी नायडू की मृत्यु (death of Sarojini Naidu)


2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में सरोजिनी नायडू की हृदयाघात (heart -attack) के कारण मृत्यु हो गई। उस समय में वह उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल थी।


15 फरवरी 1949 को दिल्ली से उत्तर प्रदेश आने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने को कहा। धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य कमजोर होता गया। 1 मार्च की मध्यरात्रि को डॉक्टर ने उनका इलाज किया परंतु फिर भी उनका स्वास्थ्य बदतर होता जा रहा था ‌। 2 मार्च 1949 को शाम 3:30pm पर सरोजिनी नायडू का देहांत हो गया।


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सरोजिनी नायडू जीवन परिचय , जयंती कविता (Sarojini Naidu Kon Thi Biography in Hindi)


निष्कर्ष


सरोजिनी नायडू महिलाओं के बीच एक चेहरा रही है। जिसने महिलाओं की आवाज ऊंची की सरोजिनी जी की कविताएं उस दौरान इतनी प्रसिद्ध हुई। कि लोगों ने उनका नाम ही बदल दिया सरोजिनी नायडू हमारे देश का एक बहुत ही चमका हुआ सितारा रही है जिन्हें लोग आज भी सम्मान के साथ याद करते हैं।


FAQ question 


प्रश्न-सरोजिनी नायडू कौन थी?

उत्तर - सरोजिनी नायडू (अंग्रेजी: Sarojini Naidu; जन्म: 13 फरवरी 1879; मृत्यु: 2 मार्च 1949) एक कवयित्री व राजनीतिक कार्यकर्त्ता थी। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दूसरी महिला प्रेसिडेंट बनी। इसके अलावा, वह भारत की प्रथम महिला राज्यपाल (उत्तर प्रदेश) भी थी।

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को वर्तमान तेलंगाना राज्य के हैदराबाद शहर में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय थे जो एक बंगाली ब्राह्मण व हैदराबाद कॉलेज के प्रिंसिपल थे। नायडू की माता वरदा सुन्दरी देवी थी जो बंगाली भाषा में कविताएँ लिखती थी।

2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में सरोजिनी नायडू की हृदय गति रुक जाने के कारण मृत्यु हो गई। उस समय में वह उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल थी।


प्रश्न-सरोजिनी नायडू क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर - सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाली और भारतीय राज्य की राज्यपाल नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला थी।


प्रश्न-सरोजिनी नायडू की मृत्यु कब हुई थी।

उत्तर - 2 मार्च 1949 को लखनऊ की गवर्नमेंट हाउस में सरोजिनी नायडू के हृदय गति रुक जाने के कारण मृत्यु हो गई। उस समय मैं वह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल थी।


प्रश्न-सरोजिनी नायडू को भारत रत्न कब मिला था।

उत्तर - वह भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थी और उन्हें 1971 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।


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