UP board syllabus कहानी लाठी शिवानी परिचय।

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UP board syllabus कहानी लाठी शिवानी परिचय।

UP board syllabus कहानी लाठी शिवानी परिचय।

प्रशन 1 शिवानी विरचित 'लाठी ' की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए! 


अथवा 'लाठी 'कहानी की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए! 


अथवा 'लाठी' कहानी का सारांश लिखि! 


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अथवा 'लाटी 'कहानी का कथानक अपने शब्दों में लिखिए! 


उत्तर : लाठी की कथावस्तु सुप्रसिद्ध उपन्यास तथा   कथा लेखिका शिवानी कि यह 'लाठी 'कहानी एक घटना प्रधान कहानी है! कहानी की कथावस्तु कथा नायक कप्तान के जीवन में घटी एक अत्यंत मार्मिक घटनासे ग्रहण की गई है! घटना के अनुसार कथा नायक कप्तान जोशी अपनी बीमार पत्नी बानोसे अत्यधिक प्रेम करते हैं! टीवी की मरीज होने के कारण जब बानो जिंदगी से निराश हो जाती हैं तो नदी में डूबकर आत्महत्या करने का प्रयास करती हैं कप्तान यहमान लेता है! कि बानो डूब कर मर गई  वही बानो बाद में उसे लाठी बनकर मिलती हैं! अब लाठी ना बोल पाती है! और न उसे अपने अतीत की कोई बात याद है!  इस संक्षिप्त सी कथावस्तु को कथा लेखिका ने अपनी प्रतिभा से ऐसे मार्मिक कलेवर

में पिरोया है कि मन के सभी तार झंकृत हो उठते हैं!

'लाठी' कहानी का सारांश (कथानक) 

 

कप्तान जोशी गोटियासेनेटोरियम के तीन नंबर के बंगले में दुगुना किराया देकर स्वयं अपनी टी०बी०की रोगिणी.पत्नी बानो ्के साथ रहता था! 

बानो.से अत्यधिक प्रेम के कारण वह उसके पास ही रहता! वह अपनी पत्नी बानो को देख सहज भाव से मुस्कुरा देता तथा उसे प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करत बगले के बरामदे में पत्नी के पलंग के पास वह दिनभर कुर्सी डाले बैठा रहता कभी अपने हाथों से टेंपरेचर चार्ट भरता और कभी समय देख देख कर दवाइयां देता पास के बंगले में रहने वाले बड़ी तृष्णा और चाव से इनकी कबूतर से जोड़ी को देखते !ऐसी घातक बीमारी पर भी अपनी पत्नी की बड़े यत्न और स्नेह से सेवा करता था कप्तान !विवाह के 2 वर्ष बाद ही बानो को भयंकर बीमारी है.! तुम उससे बचकर रहो मां ने रो-रोकर पत्र लिखा कि मेरे दस बीस बेटे नहीं है; तुम अकले हो! कपतान पर इन बातो का कोई असर नही हुआ उसने 'बानो ' की सेवा -शुश्रूषा में कोई कमी नहीं रखी! सैनोटोरियम मे ही भार्तीय क्षयरोगिणी नेपाली भाभी अपने पति को कोसती और भला बुरा कहती रहती है! वह खुले मन से कप्तान की प्रशंसाकरती है! वह कहती है की एक मेरा पति है जो पीके धुत रहता हैऔर साल भर से देखने भी नहीं आया वह कप्तान से कहती है शाबाश कप्तान बेटा तुझे देखकर धधमेरी छातियों में दूध उतर आता है! बानो से विवाह के ठीक तीसरे दिन बाद कप्तान को बसरा जाना पड़ा बालों को छोड़कर जाना असहनीय था !उसने बानो से पहली मुलाकात में ही उसका नाम पूछा था जब उसने अपना नाम बानो बताया तो कप्तान ने मजाक में कहा कि यह तो मुसलमानी नाम है यह सुनकर जब बानो  की आंखें छलक उठी तो कप्तान बोला मैं तो तुम्हें छेड़ रहा था कितना प्यारा नाम है! अभी बानो केवल 16  वर्ष की थी खिलौने सी बहू को कप्तान बहुत अधिक प्यार करता था कप्तान 2 वर्ष बाद वापस आता है इस बीच दोनों ने सात- सात ननदो के ताने सुने भतीजो के कपड़े धोए ससुर के होज़ बुने पहाड़ से नुकीली छतों पर पाच पाच सेर उड़द पीसकर दाल बनाती थी।


Table of contents 


शिवानी विरचित 'लाठी ' की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए! 

अथवा 'लाठी' कहानी का सारांश लिखि! 

अथवा “लाटी’ कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

लाटी’ कहानी के उददेश्य पर प्रकाश डालिए।

बानो का छह रोग से ग्रसित होने का कारण

कहानी के तत्त्वों के आधार पर ‘लाटी’ कहानी की समीक्षा कीजिए।

कप्तान जोशी को बालों का 'लाठी' के रूप में मिलना

बानो का छह रोग से ग्रसित होने का कारण

अथवा 'लाठी 'कहानी की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए! 

बानो का छह रोग से ग्रसित होने का कारण


कप्तान जोशी को विवाह के तीसरे दिन ही वालों को छोड़कर बसरा जाना पड़ा था। 3 दिन की सुंदर नववधू को इस तरह अचानक छोड़कर जाना कप्तान को दुश्मन की गोलाबारी से भी भयंकर लगता है उस समय बानो की आयु 16 वर्ष थी। कप्तान बसेरा से 2 साल बाद घर लौटता है, घर की स्थिति संपूर्णता बिगड़ चुकी थी उन 2 वर्षों  मैं गानों ने सात सात नंदो के ताने सुने, भतीजो के कपड़े धोए, ससुर की होज् बिने, पहाड़ की नुकीली छतों पर

पाँच-पाँच सेर उड़द पीसकर बड़ियाँ आदि तोड़ी। ससुरालवालों द्वारा उसे मानसिक प्रताडनाएँ भी दी गई कि उसका पति जापानियों द्वारा कैद कर लिया गया है, वह अब कभी नहीं लौटेगा। सास और चचिया सास व ननदों के व्यंग्य-बाण उसे अन्दर तक कचोट देते, वह घुलती गई और एक दिन क्षय का तक्षक कुण्डली मारकर उसकी छाती पर बैठ गया। क्षय रोग के चलते ससुरालवालों द्वारा बानो को सैनेटोरियम भेज दिया जाता है।


कप्तान जोशी को बालों का 'लाठी' के रूप में मिलना


जब कप्तान को पूरा विश्वास हो गया कि बानू अब इस दुनिया में नहीं है तो घर वालों के जोर देने पर वह दूसरा विवाह कर लेता है। दूसरी पत्नी प्रवास से उसे दो बेटे एवं एक बेटी है और वह ले कप्तान से मेजर बन जाता है लगभग 16 वर्ष बाद नैनीताल में वैष्णोवियो के दल में उसी 'लाठी' मिलती है, जो व्यर्थ में बानो थी। अधेड़ वैष्णोवियो के बीच बानों जब लाठी के रूप में मिलती है। टू मेजर उसे पहचान लेता है पता चलता है कि गुरु महाराज ने अपनी औषधियों से उसका छह रोग ठीक कर दिया था लेकिन इस प्रक्रिया में उसकी स्मरण शक्ति और आवाज दोनों चली गई। अब ना तो वह बोल पाते हैं और ना उसे अपना अतीत याद है। वह वैष्णोवियो क्के दल के साथ चली जाती है और मेरे स्वयं को पहले से अधिक बूढ़ा एवं खोकला महसूस करने लगता है।


FAQ-question 


1 कहानी के तत्त्वों के आधार पर ‘लाटी’ कहानी की समीक्षा कीजिए।


अथवा “लाटी’ कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।


अथवा ‘लाटी’ कहानी का कथानक अपने शब्दों में लिखिए।


उत्तर- हिन्दी साहित्य की सुप्रसिद्ध महिला कथाकार शिवानी द्वारा रचित ‘लाटी’ कहानी मौलिक व संवेदनशील पृष्ठभूमि पर लिखी गई कहानी है, जिसने आधुनिक कथा-साहित्य को नवीन दिशा देने का कार्य किया है। यह एक घटना प्रधान कहानी है, जिसकी तात्विक समीक्षा इस प्रकार है।


4 लाटी’ कहानी के उददेश्य पर प्रकाश डालिए।


उत्तर- सुप्रसिद्ध लेखिका शिवानी द्वारा रचित ‘लाटी’ कहानी घटना प्रधान व आदर्श प्रेम पर आधारित कहानी है। यह कहानी महिला त्रासदी पर आधारित है। इस कहानी में लेखिका ने समाज की असंवेदनशीलला को अत्यन्त सहज रूप में चित्रित किया है तथा साथ ही कहानी में मध्यम वर्गीय समाज में पति की अनुपस्थिति में रहने वाली स्त्री के जीवन की मार्मिकता को भी उजागर किया है। लेखिका ने इस यथार्थ का भी उदघाटन किया है कि वर्तमान समय में महिला ही महिला का शोषण करती है। लेखिका समाज की रूढ़िगत मानसिकता को बदलना चाहती है। कि जिस बहू को लोग अपने घर की लक्ष्मी बनाकर लाते हैं, उसके साथ जानवरों जैसा क्रूर व्यवहार करने लगते हैं, जोकि मानवीय दृष्टिकोण से अनुचित कार्य है। घर आई बहू को वही प्रेम व स्नेह देना चाहिए, जो अपनी स्वयं की बटी को दिया जाता है। लेखिका ने यह भी स्पष्ट किया है

नियरो (टी. बी.) असाध्य रोग नहीं है। रोगी को किसी सैनेटोरियम

भेजने के बजाय विशेष देखभाल कर, सहयोग व प्रेम से बचाया जा सकता है। पति के बिना स्त्री का ससुराल में कोई मान-सम्मान नहीं होता तथा। उसे शारीरिक व मानसिक यातनाओं का शिकार होना पड़ता है। इसी समस्या से पाठकों को अवगत कराना लेखिका का मुख्य उद्देश्य है।


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