यूपी बोर्ड शिक्षाशास्त्र प्रेरणा अर्थ एवं सीखने में इनका स्थान NCERT class 12th sociology chapter- 14 solution 2023

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यूपी बोर्ड शिक्षाशास्त्र प्रेरणा अर्थ एवं सीखने में इनका स्थान NCERT class 12th sociology chapter- 14 solution 2023

यूपी बोर्ड शिक्षाशास्त्र प्रेरणा अर्थ एवं सीखने में इनका स्थान NCERT class 12th sociology chapter- 14 solution 2023

यूपी बोर्ड कक्षा 12 शिक्षा शास्त्र पाठ 14


कक्षा- 12 शिक्षा शास्त्र


पाठ- 14 -  प्रेरणा अर्थ एवं सीखने में इनका स्थान


बहुविकल्पी प्रश्न


यूपी बोर्ड शिक्षा शास्त्रप्रेरणा अर्थ एवं सीखने में इनका स्थान NCERT class 12th sociology chapter- 14 solution 2023
यूपी बोर्ड शिक्षा शास्त्रप्रेरणा अर्थ एवं सीखने में इनका स्थान NCERT class 12th sociology chapter- 14 solution 2023

प्रश्न 1- व्यक्ति का जन्म जात प्रेरक कौन सा है? 


अथवा


व्यक्ति की जन्मजात प्रेरणा क्या है  । 


(क) भूख

(ख) प्रशंसा

(ग) मनोरंजन

(घ) आदत

उत्तर भूख


प्रश्न 2-  जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति का समय कौन सा है? 


(क) आश्चर्य

(ख) कष्ट

(ग) कामुकता

(घ) क्रोध


उत्तर आश्चर्य


प्रश्न 3 जन्मजात प्रेरक कौन सा नहीं है? 


(क) भूख

(ख) प्यास

(ग) रुचि

(घ) प्रेम


उत्तर रुचि


प्रश्न 4 स्कूल जाने से पहले बच्चे कहां से अभी प्रेरणा प्राप्त करते हैं? 


(क) समाज

(ख) राज्य

(ग) परिवार

(घ) इनमें से सभी


उत्तर परिवार


प्रश्न 6 गैरेट के अनुसार प्रेरणा के कितने प्रकार हैं?


(क) 5

(ख) 3

(ग) 8

(घ) 6


उत्तर 3


निश्चित उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1-  अभिप्रेरणा का कोई एक वर्गीकरण कीजिए? 


उत्तर (1)  जन्मजात प्रेरणा

(2) अर्जित प्रेरणा! 


प्रश्न 2- सीखने में प्रेरणा का क्या योगदान है। 


उत्तर सीखने में प्रेरणा का  महत्वपूर्ण स्थान है। राया देखने में आता है। कि अच्छी प्रकार से प्रेरित होकर विद्यार्थी अपने कार्यों को बेहतर ढंग से पूरा करते हैं। और यदि उन्हें बराबर किसी ना किसी प्रकार से प्रेरणा मिलती रहे तो आगे भी उनकी उपलब्धियां दूसरों को चौंकाने वाली होती है। वास्तव में प्रेरणा कार्य को आरंभ करने जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है। ना मिलते रहने से सीखना सर्वोत्तम होता है। 


प्रश्न 3- अभिप्रेरणा किसी कार्य को आरंभ करने जारी रखने और नियंत्रित करने की प्रक्रिया है यह कथन किसका है  


उत्तर -गिलफोर्ड का। 


प्रश्न 4 प्रेरणा के प्रारंभ के लिए कौन उत्तरदाई होता है। 


उत्तर -आवश्यकताएं। 


प्रश्न 5 -अभिप्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है? किसने कहा है। 


उत्तर -सिकंदर। 


अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- प्रेरणा सीखने के लिए क्यों आवश्यक है? चार कारण बताइए। 


अथवा


 प्रेरणा सीखने की प्रक्रिया में किस प्रकार सहायक होती है। स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर सीखने के लिए प्रेरणा आवश्यक है। क्योंकि


1. प्रेरणा द्वारा ही सीखने की प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित होती है। 


2. सीखने के नियमों में प्रेरक ही कार्य करते हैं। 


3. प्रेरणा से ज्ञानार्जन अधिक होता है। 


4. प्रेरक लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक है। 


प्रश्न- 2- अभिप्रेरणा से आप क्या समझते हैं। 


अथवा


अभिप्रेरणा से क्या आशय है। 


उत्तर -लावेल - प्रेरणा को अधिक औपचारिक रूप से मानव शारीरिक या आंतरिक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है। जो किसी आवश्यकता के द्वारा प्रारंभ होती है। जो उस क्रिया को जन्म देती है।  जिसके द्वारा उस आवश्यकता को पूरा होना है। 


जेम्स डेवर - प्रत्येक एकात्मक और क्रियात्मक तत्व जो चेतना बताया ग्रहण किए हुए किसी लक्ष्य की और व्यक्ति के व्यवहार की शिक्षा को निर्धारित करता है। 


वुड वर्थ - व्यक्ति की एक दफा या मनोवृत्ति को प्रेरक कहते हैं, जो उसे किसी विवाद के करने और कुछ लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उन्हें मुखी करती है। 


प्रश्न 3 अभिप्रेरणा की शैक्षिक उपयोगिता क्या है। 


अथवा

अधिगम में प्रेरणा का क्या स्थान है। 


उत्तर शिक्षा एक उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है। जिसमें अधिगम या सीखने का महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा का उद्देश्य बालक का विकास करना शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की अनेक एवं सोपान होते हैं। जिसमें कैमरा सफलता प्राप्त करने के बाद ही शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति होती है, प्रेरणा इस प्रक्रिया में हर कदम पर चर्चा करते हैं, किसी एक लक्ष्य को पाने के बाद पुनः प्रेरणा की आवश्यकता होती है। जिससे छात्र अगली सीढ़ी पर चढ़ने के लिए प्रयास करता है। एवं व्यवसायिक निर्देशन के माध्यम से छात्रों को प्रेरणा प्रदान की जाती है। 


विस्तृत उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- प्रेरणा क्या है? 'सीखने के लिए प्रेरणा आवश्यक है इस कथन की पुष्टि कीजिए। 


अथवा

प्रेरणा की एक उपयुक्त परिभाषा दीजिए शिक्षा में प्रेरणा प्रदान करने की विधियों का वर्णन कीजिए। 


अथवा

बालक को प्रेरित करने की प्रमुख विधियां क्या है। 


उत्तर -

प्रेरणा का अर्थ

शिक्षा मनोविज्ञान में हम बालकों और वयस्कों के शैक्षिक व्यवहार का अध्ययन करते हैं ,शेती व्यवहार में बड़ी विविधता दिखाई पड़ती है। कोई बालक चित्रकार बनने लगता है। तो घंटों उसी में खो जाता है, और तन्मय होकर चित्र बनाता रहता है। किसी बालक को गणित के सवाल लगाने आनंद आता है, और वह गणित पढ़ने में उत्साह प्रदर्शन करता है। किसी बालक को कक्षा अध्यापक के साथ बाहर बाग में बैठकर गप्पे लगाने में आनंद आता है। इसी प्रकार कोई अध्यापक अपना कारण लगन ईमानदारी और मेहनत से करता है, और वह उससे संतुष्ट रहता है। कोई अपना कार्य करता है। 


शिक्षा में प्रेरणा प्रदान करने की विधियां


सीखने में प्रेरणा का विशेष योगदान रहता है। बालकों को सिखाने में प्रेरणा का एक साधन के रूप में प्रयोग करना प्रत्येक अध्यापक का कर्तव्य उसका कर्तव्य है। कि वह बालकों को नवीन ज्ञान प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक प्रेरित करें यहां पर हम कुछ ऐसी विधियों का उल्लेख करेंगे जिनके द्वारा छात्रों को समझे तरीके से प्रेरित किया जा सकता है। 


आवश्यकताओं का ज्ञान - प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के वशीभूत होकर कार्य करता है। अध्यापक का कर्तव्य है, कि वह बालकों को पाठ्य सामग्री की आवश्यकता का ज्ञान कराए हुए यह बताएं कि अमुक विषय का अध्ययन किसी आवश्यकता की पूर्ति करता है। 


विद्यालय का वातावरण - कक्षा के समान संपूर्ण विद्यालय का वातावरण भी प्रेरणा में होना चाहिए विद्यालय में स्थान स्थान पर विभिन्न विषयों संबंधी सूचना आत्मा को पढ़ तथा महापुरुषों के चित्र लगे रहो छात्रों को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के अध्ययन की सुविधा प्राप्त हो विद्यालय में सुंदर पुस्तकालय हो तथा अध्यापक वालों के प्रति सहानुभूति का व्यवहार करते हैं, और उन्हें हर प्रकार की सूचना देने में आनंद का अनुभव करते हैं  तो ऐसे विद्यालय के छात्र शीघ्रता से प्राप्त करेंगे। 


प्रगति का   ज्ञान - जब बालक को है, ज्ञात हो जाता है। कि वह अपने कार्य में पर्याप्त प्रगति कर रहा है। तो वह अंगीकार करने की प्रेरणा ग्रहण करता है। अतः अध्यापक को चाहिए कि वे वालों को कौन की प्रगति का विज्ञान कराते रहें। 


खेल विधि का प्रयोग - छोटे वाला खेल में विशेष रूचि लेते हैं। यदि बालकों को खेल के माध्यम से ज्ञान प्रदान किया जाएगा ,तो वह अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित होंगे छोटे बालकों को यथासंभव खेल विधि द्वारा ही नवीन प्रदान किया जाए। 


सफलता - जब बालक अपने कार्य में सफलता प्राप्त कर लेते हैं तो उसे आगे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है ब्रेड जंक्शन के अनुसार सीखने के सफल अनुभव अधिक सीखने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। ऐसी दशा में अध्यापक को अपना शिक्षण इस ढंग से करना चाहिए, जिससे कि बालक अपने कार्य में पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकें। 


प्रश्न 2- अधिगम में प्रेरणा का क्या स्थान है, कक्षा शिक्षण में आप बच्चों को कैसे अभिप्रेरित करेंगे, और अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए। 

अथवा


प्रेरणा का अर्थ स्पष्ट कीजिए सीखने में प्रेरणा कैसे सहायता करती है। 


सीखने में प्रेरणा का स्थान

सीखने में प्रेरणा का महत्वपूर्ण स्थान है प्राया देखने में आता है। कि अच्छी प्रकार से प्रेरित होकर विद्यार्थी अपने कार्यों को बेहतर ढंग से पूरा करते हैं। और यदि उन्हें बराबर किसी ना किसी प्रकार से प्रेरणा मिलती रहे तो आगे भी उनकी उपलब्धियां दूसरे के लिए चौंकाने वाली होती है।' वास्तव में प्रेरणा कार्य का आरंभ करने जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है प्रेरणा मिलती रहने से सीखना 'सर्वोत्तम है "थॉमसन मैं तो सीखने में प्रेरणा का महत्व का आकलन करते हुए यहां तक लिखा है की प्रेरणा अधिगम तक पहुंचने के लिए एक राजमार्ग है। 


शिक्षा की प्रक्रिया का सुचारु रुप से चलना - प्रेरणा के द्वारा ही शिक्षा की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती है। यदि बालक के व्यवहार का सूत्र में अध्ययन किया जाए तो हमें ज्ञात होता है। कि वादक के संपूर्ण विवाद प्रेरणा पर ही आधारित होते हैं इसलिए अभी शैक्षिक प्रक्रिया सुंदर रूप से चलाने है, तो बालक को ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना अति आवश्यक है । बालक को जब ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरणा मिलती है, तो उससे अध्ययन के प्रति जागृत होती है फल स्वरुप वह अध्ययन करता है। 


ज्ञान की प्राप्ति में सहायक - प्रेरणा द्वारा बालकों को अधिक ज्ञानार्जन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। अध्यापकों को चाहिए कि वह प्रभावशाली शब्दों का प्रयोग करके बालकों को तीव्र गति से ज्ञान अर्जन के लिए प्रेरित करें इसके लिए वह प्रतियोगिता का सहारा ले सकता है। 



सामाजिक गुणों का विकास - यदि अध्यापक बालकों को सामुदायिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित करता है। तो उनमें सामाजिक तथा संवाददाता कविता सरलता से किया जा सकता है। विभिन्न सामाजिक लोगों के द्वारा बालकों को सामाजिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। 


चरित्र के निर्माण में सहायक - शिक्षा की दृष्टि से चरित्र निर्माण का विशेष महत्व एक आदर्श चरित्र वाले व्यक्ति की शक्ति तथा चित्र को एकाग्र करने की शक्ति अत्यंत दृढ़ होती है। प्रेरणा द्वारा बालकों में विभिन्न सद्गुण उत्पन्न किए जा सकते हैं। तथा उनकी इच्छाशक्ति को दृढ़ बनाया जा सकता है। 


रुचि का विकास - बालक बिना किसी के अध्ययन नहीं करते जब बालक में रुचि जागृत हो जाती है तो वह किसी विषय तथा तत्व को तुरंत समझ जाता है ध्यान की रुचि में प्रस्तुत घनिष्ठ संबंध है ऐसी दशा में अध्यापक का कर्तव्य है कि वह प्रेरणा का उचित प्रयोग करके बालकों में अध्ययन के प्रति रुचि जागृत करें। 


प्रश्न 3- सीखने में प्रेरणा के महत्व एवं उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर सीखने में प्रेरणा का महत्व एवं उपयोगिता - मनोविज्ञान ने लिखा है। कि अभिप्रेरित अधिगम स्तर तक पहुंचता है। प्रेरणा यह तय करती है। कि व्यक्ति कितना सही सीखे वाट का कितने समय तक सीखता रहेगा। 


इसी प्रकार मनोवैज्ञानिक अकेली का भी कथन है कि "सीखने की कुशल कला में प्रेरणा एक केंद्रीय कारक है सभी प्रकार की अधिगम में किसी न किसी प्रकार की प्रेरणा का होना आवश्यक है। 


ध्यान केंद्रित करने में सहायक - छात्र शिक्षा की प्रेरणा के फल स्वरुप ही पाठ्यवस्तु में ध्यान देता है। मनोवैज्ञानिक का कथन है। कि शिक्षक व लोगों को प्रेरित करके उन्हें अपने ध्यान को पाठ्यपुस्तक पर केंद्रित करने में सहायता दे सकता है। चित्र गुरुजी कर एवं उपयोग के साधनों का प्रयोग करके छात्रों का ध्यान की ओर केंद्रित करता है । 


मानसिक विकास में सहायक - शिक्षा का प्रमुख कार्य अधिगम के द्वारा छात्रों का मानसिक विकास करना बच्चों का स्वभाव चंचल होता है, और वह अनेक क्रियाओं में सरवन रहते हैं! मानसिक विकास के लिए आवश्यक है कि वे ज्ञानार्जन संबंधी क्रियाएं में अधिक ध्यान दें ?इस दृष्टि से एक शिक्षक को प्रेरकों का प्रयोग करके छात्रों को प्रेरित करना चाहिए, प्रोत्साहन प्रशंसा पुरस्कार कक्षा में बनाना तो अच्छे अंक प्राप्त करने का लालच आदि गुणों की सहायता से छात्रों के मानसिक विकास और अधिक गति प्रदान की जा सकती है। 


बाल व्यवहार में नियंत्रण - बच्चों का स्वभाव नटखट एवं शरारती  होता है। वे कभी-कभी ऐसी क्रिया एक अच्छा में विद्यालय में अनुशासन  स्थिति पैदा कर देती हैं, शिक्षक छात्रों को उचित ढंग से समझा कर उन्हें प्रेरणा देकर उनके विभागों में नियंत्रण कर सकता है। यहां भी प्रशंसा, निंदा ,दंड ,एवं पुरस्कार आदि प्रेरकों का प्रयोग करके शिक्षक वाद विवाद को नियंत्रण निर्देश एवं संशोधित करने में सफलता प्राप्त कर सकता है। 


शिक्षा के उद्देश्य एवं लक्ष्य प्राप्ति में सहायक - शिक्षा एक उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है जिसमें अधिगम या सीखने का महत्वपूर्ण स्थान है शिक्षा को उद्देश्य बालक का स्वर्ग घड़ी विकास करना शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के अनेक पत्र एवं सोपान होते हैं। वरना इस प्रक्रिया में हर कदम पर संहिता करती है किसी एक लक्ष्य को पाने के बाद पुनः प्रेरणा की आवश्यकता होती है। 


पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता - बालकों के लिए पाठ्यक्रम का निर्माण करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए पाठ्यक्रम में ऐसे विषय एवं विषय वस्तु रखी जाए। जो किसी छात्रों के लिए प्रेरणादायक हो छात्रों के लिए उपयुक्त आवश्यक एवं रुचिकर पार्टी को ही पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए इस प्रकार प्रेरणा पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता करती हैं। 


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