अंतरिक्ष पर निबंध- essay on space in Hindi up board.live
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अंतरिक्ष पर निबंध- essay on space in Hindi up board.live |
Table of contents
प्रस्तावना
अंतरिक्ष में प्रारंभ से ही मानव को अपनी ओर आकर्षित किया है। पहले मानव अपनी कल्पना और कहानियों के माध्यम से अंतरिक्ष की सैर किया करता था अपने इस कल्पना को साकार करने के संकल्प के साथ मानव ने अंतरिक्ष अनुसंधान प्रारंभ किया और उसे बीसवीं सदी के माध्यम के दशक में इस क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हो ही गई।
अंतरिक्ष अनंत और विशाल है यह पूर्ण अंधकार से भरा हुआ है, जिसमें कुछ प्रकाशमान तत्व विद्वान है जिसके कारण हम ग्रहों को देख पा रहे हैं और तारों को समझ पा रहे हैं इस अंधकार में छोटी सी उजाले की किरण भी बहुत बड़ी चमक ती हुई दिखाई देती है।
आज मनुष्य केवल अंतरिक्ष के कई रहस्यों को जान गया है, बल्कि वह अंतरिक्ष की सैर करने के अपने सपनों को भी साकार कर चुका है। अंतरिक्ष में मानव के सफर की शुरुआत वर्ष 1957 में हुई 4 अक्टूबर 1967 को सोवियत संघ ने नामक अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष की कक्षा में भेजकर एक नया अंतरिक्ष युग की शुरुआत की।
पहली जीव अंतरिक्ष की
इस यान के द्वारा ही अंतरिक्ष में जानवरों पर होने वाले कई प्रभावों का खोज करने के लिए प्रथम एक बार लाइका नामक कुतिया को भेजा।
अंतरिक्ष की दुनिया को एक और शीर्षक देते हुए करते जनवरी सन 1958 को संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा एक्सप्लोरर नामक अंतरिक्ष यान निकाला गया
इस्लाम के द्वारा पृथ्वी के ऊपर एक महान और विशाल चुंबकीय क्षेत्र और पूरी धरती पर उसके प्रभावों के ऊपर खोज करना था।
प्रथम यात्री
हम लोगों के अंतरिक्ष अनुसार धन के इतिहास में 20 जुलाई वर्ष 1969 का दिन बहुत ही यादगार कहा जाता है। आज के ही दिन अमेरिका में रहने वाले 2 अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन अल्द्रिन चंद्रमा की सतह पर अपने पैर रख दिए थे।
वे 'अपोलो- 11" नाम की अंतरिक्ष यान पर बैठकर चंद्रमा की सतह पर पहुंचाने में सक्षम हो गए थे। इसी अंतरिक्ष यान में इन दोनों के संग माइकेल कालीसिल भी मौजूद थे। नील आर्मस्ट्रांग जब प्रथम बार चंद्रमा पर पहुंचे, उनके मुंह से निकला सुंदर दृश्य है सब कुछ सुंदर है।
अंतरिक्ष यात्रा का इतिहास
अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत सर्वप्रथम रूस देश ने की थी। सन् 1957 में की गई इस प्रथम अंतरिक्ष यात्रा में किसी मनुष्य को नहीं भेजा गया था। बल्कि रूस ने अपने एक रोबोट को भेजकर प्रथम अंतरिक्ष यात्रा की उपलब्धि हासिल की थी। इस प्रथम यात्रा में सफलता पाने के बाद, रूस की ओर से प्रथम मनुष्य अंतरिक्ष यात्रा पर गया। 1961 में रूस की ओर से भेजे जाने वाला प्रथम अंतरिक्ष यात्री गागरिन सोवियत संघ से था। अपनी अंतरिक्ष यात्रा में गागरिन ने लगभग डेढ़ घंटे अंतरिक्ष में बिताए और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस आए।इस प्रथम अंतरिक्ष यात्रा की सफलता के बाद अन्य तमाम देशों ने भी अंतरिक्ष यात्रा की उड़ान भरनी शुरू कर दी।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा
भारत ने अब तक कई प्रक्षेपण यान को अंतरिक्ष में भेजा और अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया। भारत की ओर से अब तक 70 से ज्यादा उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है। भारत ने रूस की सहायता से अपना पहला उपग्रह 19 अप्रैल 1975 को भेजा था। भारत के इस पहले उपग्रह का नाम भारत के महान खगोलविद तथा गणितज्ञ आर्यभट्ट पर रखा गया। भारत को अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने में सफलता अवश्य मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही आर्थिक बोझ बढ़ गया। प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा और कल्पना चावला रहे। जिसमें से कल्पना चावला की अंतरिक्ष यात्रा में मृत्यु हो गई थी।
अंतरिक्ष पर निबंध (300 शब्द)
शुरुआत से ही इंसानों को अंतरिक्ष में जाने की काफी अट्रैक्शन रहा हुआ है। पहले के समय में जब टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस नहीं थी, तब इंसान अपनी कल्पना और कहानियों के जरिए अंतरिक्ष की सैर करता था परंतु अपनी कल्पना को वास्तविक जिंदगी में साकार करने के लिए इंसान ने स्पेस रिसर्च की फील्ड में शोध करने के बारे में सोचा और इस प्रकार इंसानों ने बीसवीं सदी के बीच में अंतरिक्ष की फील्ड में काफी शानदार सफलता हासिल की।
वर्तमान के समय में इंसान अंतरित तक तो पहुंच ही गया है, साथ ही वह अंतरिक्ष के कई गूढ़ रहस्य के बारे में भी जान गया है और वह अंतरिक्ष की सैर करने के अपने सपने को भी साकार कर चुका है।
अंग्रेजी में इंसानों के सफर की स्टार्टिंग साल 1957 में हुए थे। और उस दिन 4 अक्टूबर था। 4 अक्टूबर के दिन यूनिक नाम के एक अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष की कक्षा में सोवियत संघ के द्वारा भेजा गया था और इस प्रकार अंतरिक्ष युग की स्टार्टिंग हो गई थी। सोवियत संघ ने जिस यान को भेजा था ।
अन्य ग्रहों का ज्ञान-
आज मनुष्य का ध्यान धरती से बाहर आने ग्रहों की ओर जा पहुंचा है, जो इसी सौरमंडल में स्थित है पहले वह धरती के उपग्रह चंद्रमा पर पहुंचा अब तो चंद्रमा पर बस्ती बरसाने की योजनाएं बनने लगे हैं। अमेरिका यूरोप आदि के देशों में चंद्रमा पर कॉलोनी बसाने के लिए भूमि की बुकिंग भी हो रही है।
वर्तमान में वैज्ञानिकों का ध्यान अंतरिक्ष में सुदूर स्थित ग्रहों की और है इसके राकेटयान शनि तथा मंगल पर जल होने का विश्वास व्यक्त किया जा रहा है शनि के उपग्रह टाइटेनिक का अध्ययन भी आरंभ हो चुका है।
FAQ-question
प्रश्न-अंतरिक्ष कैसे दिखाई देता है?
उत्तर-दिन में वायुमंडल की धूल और गैसों के करो द्वारा सूर्य के प्रकाश से विक्रम में उपस्थित नीले रंग का प्रकीर्णन या फैलाव अन्य रंगों की तुलना में अधिक होता है, कड़ी रामस्वरूप हमें आकाश नीला दिखाई देता है।
प्रश्न-अंतरिक्ष क्या है विस्तार से बताएं?
उत्तर- अंतरिक्ष - वह विस्तार है जो पृथ्वी से परे और आकाशीय पिंडों के बीच मौजूद है। बाहरी स्थान पूरी तरह से खाली नहीं है - यह एक कठोर निर्वात है जिसमें कणों का कम घनत्व होता है, मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम का एक प्लाज्मा, साथ ही विद्युत चुम्बकीय विकिरण, चुंबकीय क्षेत्र, न्यूट्रिनो, धूल और ब्रह्मांडीय किरणें।
प्रश्न-अंतरिक्ष में मुख्य तत्व क्या है?
उत्तर-हाइड्रोजन और हीलियम के बाद ऑक्सीजन तीसरा बड़ा तत्व है जो ब्राह्मण में मौजूद है. जब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मिल जाते हैं तो कुछ विशेष परिस्थितियों में पानी का रूप ले लेते हैं और इसी वजह से पृथ्वी पर जीवन संभव है लेकिन इन दोनों का मिश्रण अंतरिक्ष में अब तक नहीं पाया गया है।
प्रश्न- अंतरिक्ष की खोज कैसे हुई?
उत्तर- अधिकांश मानव इतिहास के लिए पृथ्वी की सतह से किए गए अवलोकन द्वारा अंतरिक्ष का पता लगाया गया था शुरुआत में बिना सहायता प्राप्त आंखों और फिर दूरबीन के साथ। विश्व निराकृत प्रौद्योगिकी से पहले मनुष्य बाहरी अंतरिक्ष तक पहुंचने के सबसे करीब गुब्बारे की उड़ान के माध्यम से आया था।
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