मोहम्मद रफी की जीवनी//Mohammed Rafi ki jivani
मोहम्मद रफी बॉलीवुड में एक भारतीय पार्श्वगायक थे मोहम्मद रफी ने देशभक्ति गीत गजल भजन और रोमांटिक स्वर की मधुरता के साथ कई तरह के गाने गाए थे हालांकि मोहम्मद रफी ने अपने अधिकांश गाने हिंदी में गाय लेकिन उन्होंने अन्य भाषाओं जैसे असमिया, कोंकणी, भोजपुरी उड़िया पंजाबी बंगाली मराठी सिंधी कन्नड़ गुजराती तेलुगु मगही मैथिली और उर्दू यहां तक की अंग्रेजी फारसी अरबी सिंगली क्रेओल और डच जैसी भाषाओं में भी गाना गाए थे।
मोहम्मद रफी की जीवनी//Mohammed Rafi ki jivani |
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व्यक्तिगत जीवन
मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब राज्य के रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में हुआ था मोहम्मद रफी के संगीत शिक्षक उस्ताद अब्दुल वाहिद खान पंडित जीवनलाल मट्टू और फिरोज निजामी थी मोहम्मद रफी ने दो शादी की थी और उनकी दो पत्नियां से उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।
करियर
मोहम्मद रफी ने अपना पहला गाना एक पंजाबी फिल्म गुल बलोच में गाया था। वर्ष 1945 में मोहम्मद रफी ने हिंदी फिल्म गांव की गोरी के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी।
संगीतकार नौशाद ने मोहम्मद रफी को बॉलीवुड फिल्म पहले आप में गाना गाने का एक मौका दिया था नौशाद ने रफी को एक समूह के साथ एक प्रसिद्ध गायक के एल सहगल द्वारा गाया गया फिल्म शाहजहां 1946 का गीत मेरे सपनों की रानी को गाने का मौका दिया रफी ने फिल्म अनमोल घड़ी में तेरा खिलौना टूटा बालक को गाकर शीघ्र ही सफलता हासिल कर ली थी।
मोहम्मद रफ़ी ओ पी नय्यर शंकर जयकिशन और सचिन देव बर्मन जैसे आने संगीतकारों के पसंदीदा पार्श्वगायक बन गए थे। मोहम्मद रफी और एसडी बर्मन ने गुरु दत्त की फिल्म प्यासा और कागज के फूल जैसी फिल्मों के लिए भावपूर्ण गानों को प्रस्तुत किया।
ओपी नय्यर ने 1950 और 1960 के दशक में अपने अधिकांश गानों के लिए मोहम्मद रफी को चुना। रफी ने 1970 के दशक में मुख्य रूप से लाइव संगीत कार्यक्रमों में प्रदर्शन किया मोहम्मद रफी के लाइव शो काफी हिट हुई थे।
मोहम्मद रफी ने कई प्रसिद्ध गाने गाए जिसमें फिल्म हीर रांझा का यह दुनिया यह महफिल फिल्म पगला कहीं का तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे फिल्म सावन भादो का कान में झुमका फिल्म महबूब की मेहंदी चलो दिलदार चलो और फिल्म पाकीजा का इतना तो याद है मुझे आदि शामिल है।
पुरस्कार
मोहम्मद रफी वर्ष 1970 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हुए।
मोहम्मद रफी वर्ष 1960 वर्ष 1961 वर्ष 1964 वर्ष 1966 वर्ष 1968 और वर्ष 1970 में फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने में कामयाब हुए थे।
मोहम्मद रफी ने वर्ष 1957 वर्ष 1966 और वर्ष 1967 में बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन नामक पुरस्कार जीता था।
मोहम्मद रफी ने वर्ष 1964 में सुर श्रंगार पुरस्कार जीता था।
सम्मान
1948 में भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ पर मोहम्मद रफी को भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा एक रजत पदक मिला था।
वर्ष 1967 में मोहम्मद रफी को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
वर्ष 2001 में हीरो होंडा और स्टारडस्ट पत्रिका ने मोहम्मद रफी को मिलेनियम के सर्वश्रेष्ठ गायक के रूप में सम्मान किया था।
मोहम्मद रफी ने वर्ष 2013 में हिंदी सिनेमा में बेहतर आवाज के लिए cnn-ibn पोल जीता था।
मोहम्मद रफी व्यक्तिगत जीवन
मोहम्मद रफी ने दो विवाह किए उन्होंने पहली शादी बसीरा से की थी और फिर अपने प्राचीन गांव में रहने लगे उनका विवाह तब मुड़ा जब उनकी पहली पत्नी ने भारत में रहने से इंकार कर दिया था।
रफी के चार बेटे और तीन बेटियां हैं जिनमें उनका बेटा सईद उनके पहले विवाद से हुआ था।
मोहम्मद रफी की मृत्यु
अचानक आई हृदय विकार की वजह से 31 जुलाई 1980 को रात को 10:25 बजे उनकी मृत्यु हो गई थी उन्होंने अपना अंतिम गाना आसपास फिल्म के लिए गाया था। जिसे उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारे कांत के साथ रिकॉर्ड किया था।
सूत्रों के अनुसार उनका आखिरी गाना शाम फिर क्यों उदास है दोस्त तू कहीं आस पास है दोस्त था। दूसरे सूत्रों के अनुसार उनका अंतिम गाना लता मंगेशकर के साथ वाला शहर में चर्चा है यह दुनिया कहती है।
रफी का अंतिम संस्कार जूही मुस्लिम कब्रिस्तान में किया गया था कहा जाता है कि यह मुंबई का एक विशाल अंतिम संस्कार बना जिससे तकरीबन 10000 लोग उपस्थित थे उस दिन बारिश होने के बावजूद उनको सम्मान देते हुए भारत सरकार ने 2 दिन की राष्ट्रीय छुट्टी भी घोषित की थी।
2010 में रफी के मकबरे को दूसरे फिल्म इंडस्ट्री के आर्टिस्ट जैसे मधुबाला के साथ बनाया गया। मोहम्मद रफी के फैन हर साल उनकी जन्म और मृत्यु एनिवर्सरी मनाने के लिए मकबरे में आते हैं उनकी याद में मकबरे के पास से एक नारियल का पेड़ भी लगाया गया है।
महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
1-मोहम्मद रफी की मौत कैसे हुई थी?
उत्तर-अचानक आई हृदय विकार की वजह से 31 जुलाई 1980 को रात को 10:25 बजे उनकी मृत्यु हो गई थी उन्होंने अपना अंतिम गाना आसपास फिल्म के लिए गाया था।
2-मोहम्मद रफी के गुरु कौन थे?
उत्तर-उन्होंने उस्ताद अब्दुल वाहिद खान पंडित जीवनलाल मट्टू और फिरोज निजामी से शास्त्रीय संगीत सीखा।
3-क्या मोहम्मद रफी शाकाहारी थे?
उत्तर-उस्ताद अमीर खान संगीतकार गायक फिरोज निजामी उस्ताद रहमतुल्लाह खान तलत महमूद मोहम्मद रफी और कई अन्य लोगों ने मांसाहारी खाना नहीं खाया हालाकी रफी ने 25 साल की उम्र तक इसका स्वाद लिया माना जाता है कि मांस स्वर रज्जू को खराब कर देता है।
4-मोहम्मद रफी का पहला गाना कौन सा है?
उत्तर-मोहम्मद रफी का पहला गीत एक पंजाबी फिल्म गुल बलोच उसके लिए था। जिसे उन्होंने श्यामसुंदर के निर्देशन में 1944 में गाया था। साल 1946 में मोहम्मद रफी ने मुंबई आने का फैसला किया 1948 में उन्होंने राजेंद्र कृष्ण द्वारा लिखित गीत सुन सुनो आए दुनिया वाले बापू जी की अमर कहानी गाया करते थे।
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