Paropkar per Nibandh: परोपकार पर निबंध -up board live

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Paropkar per Nibandh: परोपकार पर निबंध -up board live

Paropkar per Nibandh: परोपकार पर निबंध -up board live

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारी वेबसाइट पर, आज के इस लेख में हमने परोपकार पर निबंध से संबंधित जानकारी प्रदान करने जा रही है।


परिचय: 


परोपकार एक ऐसी भावना होती है जो हर किसी को अपने अन्दर रखना चहिये। इसे हर व्यक्ति को अपनी आदत के रूप में विकसित भी करनी चाहिए। यह एक ऐसी भावना है जिसके तहत एक व्यक्ति यह भूल जाता है की क्या उसका हित है और क्या अहित, वह अपनी चिंता किये बगैर निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करता है और बदले में उसे भले कुछ मिले या न मिले कभी इसकी चर्चा भी नहीं करता।


Table of contents
  1. प्रस्तावना

  2. परोपकार का अर्थ

  3. परोपकार का महत्व

  4. प्रकृति पर परोपकार (paropakar per nibandh)

  5. परोपकार पर निबंध 150 शब्द

  6. परोपकार पर निबंध 500 शब्द

  7. परोपकारी से हमें क्या प्राप्त होता है?

  8. परोपकार से क्या तात्पर्य है।

  9. परोपकार का अर्थ क्या है?

  10. परोपकार की शक्ति क्या है?

  11. FAQ-question answer 


प्रस्तावना


किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में परोपकारी बनना चाहिए यह कैसी भावना है जो शायद कोई शिखा नहीं सकता, यह किसी के भीतर खुद आती है परोपकार मानवता का दूसरा नाम है और हमें बढ़-चढ़कर इस प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए।


Paropkar per Nibandh: परोपकार पर निबंध -up board live

परोपकार का अर्थ मानवता से होता है परोपकार का सीधा सा मतलब दूसरों की सहायता करना है किसी भी जरूरतमंद मनुष्य जीव की सहायता करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म होता है।


यह परोपकार प्रकृति सिखाती है प्रकृति हमेशा बिना स्वार्थ के परोपकार करती रहती है पेड़ पौधे व नदियां हमेशा ही हमें प्रदान करते हैं और कभी भी हमसे उसके बदले कुछ नहीं मांगते हैं।


परोपकार का अर्थ


परोपकार शब्द पर और 'उपकार' शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है दूसरों पर किया जाने वाला उपकार। कहते हैं कि मनुष्य जीवन हमें इसलिए मिलता है ताकि हम दूसरों की मदद कर सके। हमारा जन्म सार्थक तभी कहलाता है जब हम अपने विवेक कमाई आवर्ती सहायता से दूसरों की मदद करें। जरूरी नहीं कि जिसके पास पैसे हो या जो अमीर हो केवल वही दान दे सकता है।


एक साधारण व्यक्ति किसी की मदद अपने बुद्धि के बल पर कर सकता है। जब समय समय की बात है कि कब किसकी जरूरत पड़ जाए। अर्थात जब कोई जरूरतमंद हमारे सामने हो तो हम से जो भी बन पाए हम उसके लिए करें यह एक जरूरतमंद जानवर भी हो सकता है और मनुष्य भी ‌।


परोपकार का महत्व


इस दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में परोपकार का महत्व है, परोपकार की भावना मनुष्य में होना अत्यंत आवश्यक है इससे व्यक्ति अपने स्वार्थ को छोड़कर दूसरे व्यक्ति की सहायता करता है।


परोपकार से लोगों में मानवता बनी रहती है इस संसार में परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है। परोपकार की भावना होने पर व्यक्ति इस समाज के बारे में भी सोचता है और दूसरों को भी ऐसा करने की प्रेरणा देता है।


आज परोपकार के होने से ही इस संसार में मान्यवता जीवित है। परोपकार का होने ना होने से मनुष्य में मान्यता दी समाप्त हो जाती है। इससे लोगों में आपस में प्रेम भाव बढ़ता है समाज में भी सकारात्मक भावना का विकास होता है।


प्रकृति पर परोपकार (paropakar per nibandh)


अगर हम अच्छी तरह से अपने आसपास प्रकृति को देखें तो हमें यह दिखाई देगा कि प्रकृति के हर एक कन में परोपकार हैं। वह इस दुनिया के हर एक जीव जंतु पर अपने परोपकार का कार्य जारी रखती है। जैसे कि पेड़ों से हमें फल फूल मिलते हैं, शोषण करने योग हवा हमें इन्हीं पेड़ों से मिलती है और साथ में कड़ी धूप में हमें छाया देने का काम भी यही पेड़ करते हैं। नदियां बहती हैं और इनसे पीने योग्य पानी हर एक जीव को मिलता है। सूर्य से पृथ्वी पर आने वाले करने यह पर जीवन संभव बनाता है। बादलों से वर्षा होती है। और इसी की वजह से सब तरफ हरियाली फैलती है जिससे हर जीव-जंतु को राहत मिलती है पशु-पक्षी भी परोपकार की भावना से दूसरे से जुड़े दिखाई देते हैं। जैसे कि वह फल चार खाते हैं। और उनकी विस्टा से जमीन उपजाऊ बनती है साथ में भी पेड़ों के बीच एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचने में मददगार साबित होते हैं।


परोपकार पर निबंध 150 शब्द


परोपकारी मानव के हृदय में शांति तथा शोक का निवास होता है. जिसमें उदारता की भावना पनपती है संतों का हृदय नवनीत के समान होता है। उनमें किसी के प्रति दृश्य ईशा नहीं होती है। और उनका मन बिल्कुल साफ होता है परोपकारी स्वयं के विषय में चिंतन ना होकर दूसरे के सुख दुख के बारे में सोचते हैं और वह दूसरों के सुख दुख को भी अपना सुख दुख समझते हैं। और दूसरों को अपना परिवार समझते हैं परोपकार का हृदय मे कटुता की भावना नहीं होती है। और वह किसी के साथ हीन भावना नहीं करते हैं समस्त पृथ्वी के लोग ही उनका परिवार समझते हैं हमारी पृथ्वी पर जल में ऐसे बहुत से महापुरुष हैं जिन्होंने दूसरों के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान की है। जैसे- गुरु नानक शिव ईसा मसीह इन्होंने हमेशा दूसरों के बारे में सोचा है यह पहले हमेशा दूसरों के बारे में सोचते थे।


मानवता का असली मतलब परोपकार है जीवन विकास के सभी गुणों में यह सबसे अच्छा गुण है।


परोपकार पर निबंध 500 शब्द


प्रस्तावना


मानव जीवन विकास के सभी गुणों में से सबसे सर्वश्रेष्ठ गुण परोपकार है यह गुड मानवता को महक आता है परोपकार ही मानव का सबसे बड़ा धर्म है। क्योंकि उनकी महिमा अपरंपार है इस गुड़ की वजह से मानव दूसरे मानव के करीब आता है अर्थात भगवान ने मनुष्य को विकसित दिमाग के साथ-साथ संवेदनशील ह्रदय दिया है जो दूसरों के दुख दर्द को समझ सके किसी भी पीड़ित व्यक्ति को संकट से उबारने जैसा कोई नेक काम करना और महान कार्य इस पृथ्वी पर नहीं है। परोपकार को मानव समाज में अधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि इसके द्वारा ही मनुष्य की सही पहचान होती है।


परोपकारी से हमें क्या प्राप्त होता है?


किसी पर परोपकार करना ऐसा कार है जिससे शत्रु भी मित्र बन जाता है यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए तो वह भी सच्चा से सच्चा मित्र बन जाता है गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि शुभ कर्म करने वाला गाना यहां और नहीं परलोक में विनाश होता है और शुभ कर्म करने वाले के मन में हमेशा शांति होती है और उनका भविष्य उज्जवल होता है उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है उनके हमेशा भगवान साथ देते हैं।


परोपकार से क्या तात्पर्य है।


हम सभी को परोपकारी होना चाहिए क्योंकि आजकल के समाज में इसकी बहुत जरूरत है जब हम परोपकारी होंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ी भी परोपकारी होगी क्योंकि वह हमसे ही देखकर इसे सीधे जी और यही संस्कार वह अपने आने वाली पीढ़ी को देंगे यह क्रम निरंतर इसी तरह से चलता ही रहेगा रुकेगा नहीं संस्कृति की तरह हस्तांतरित होता रहेगा और अपने भारतीय संस्कृति की बात करें तो हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि हमें दूसरों की भलाई के बारे कैसे सोचना है यदि हम किसी को तकलीफ में देखें तो हमें क्या करना चाहिए और किससे दूसरे व्यक्ति की मदद करनी चाहिए।


FAQ-question answer 


प्रश्न-परोपकार का अर्थ क्या है?

उत्तर- परोपकार का अर्थ है दूसरों की भलाई करना। परोपकार के सामान कोई धर्म नहीं है परोपकार ऐसा कार है जिससे सत्र भी मित्र बन जाता है यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए तो वह भी सच्चा मित्र बन सकता है।


प्रश्न-परोपकार की भावना क्या है?

उत्तर-परोपकार की भावना लोक कल्याण की भावना होती है परोपकार का अर्थ है दूसरों पर उपकार। दूसरों पर उपकार का तात्पर्य दूसरों की भलाई के लिए कार्य करना। इस भलाई के कार्य में अपना कोई निजी स्वार्थ नहीं हो।


प्रश्न-परोपकार हमें क्या सिखाता है?

उत्तर-परोपकार द्वारा हम किसी भी व्यक्ति की सहायता कर सकते हैं परोपकार हमें यही सिखाता है कि दूसरों की सहायता करने से सभी का भला हो सकता है। हम अपने दोस्तों की सहायता करते हैं हम अपने दोस्तों की मुश्किलों का हल करने के लिए उनकी सहायता करते हैं।


प्रश्न-परोपकार की शक्ति क्या है?

उत्तर- परोपकार पीढ़ियों तक निर्णयों को प्रसारित करने और किसी के जीवन काल से परे एक स्थाई विरासत बनाने का एक सदियों पुराना तरीका साबित हुआ है। सहायक कारण या विशिष्ट संगठन हमें सामाजिक मुद्दों और उन्हें हल करने के तरीकों के बारे में अधिक जानने के लिए प्रेरित करते हैं।


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