School health services (स्कूल स्वास्थ्य सेवाएँ)

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School health services (स्कूल स्वास्थ्य सेवाएँ)

School health services (स्कूल स्वास्थ्य सेवाएँ)

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School health services (स्कूल स्वास्थ्य सेवाएँ)

Table of contents-

1.Introduction of school health services.

2.Definition (परिभाषा)

3.Objectives(उद्देश्य)

4.Principles(सिद्धांत)

5.level of prevention 

6. भारत में स्कूल स्वास्थ्य सेवा कब शुरू हुई?

7.विद्यालय में स्वास्थ्य सेवाएं क्या है?

8.स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा क्यों जरूरी है?

9.स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में शिक्षक की भूमिका क्या है?

10.FAQ


School health services (स्कूल स्वास्थ्य सेवाएँ)-


Introduction -


स्कूल स्वास्थ्य सेवाएँ भी सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं (Community health nursing) का एक महत्वपूर्ण घटक है। यदि ये सेवाएँ सुनियोजित (Well planned) एवं सुसंगठित (Well organized) ढंग से क्रियान्विति की जाती हैं तो समुदाय तथा राष्ट्र के स्वास्थ्य स्तर में प्रभावी तथा सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे (5 से 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे ) कुल जनसंख्या का लगभग 20-25 प्रतिशत भाग बनाते हैं। यह उम्र वृद्धि एवं विकास (Growth and development) की उम्र होती है। इसके अलावा विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे नियंत्रित जनसंख्या (Controlled population) होती है। इन कारणों से स्पष्ट है कि स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के द्वारा जनसंख्या के एक बड़े भाग को स्वास्थ्य सेवाओं का क्रियान्वयन किया जा सकता है। ये बच्चे ही आगे बड़े होकर देश के भाग्य निर्माता होते हैं अतः इन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का क्रियान्वयन भविष्य के लिए निवेश होता है जो कि आगे चलकर अच्छा प्रतिफल देगा।


विद्यालय में पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों की उम्र सीखने की उम्र होती है । इसके अलावा जब बच्चे विद्यालय में पढ़ने के लिए आते हैं तो वे मनोवैज्ञानिक (Psychologically) रूप से सीखने के लिए तत्पर रहते हैं, अतः यदि इस दौरान उन्हें स्वास्थ्यकर आदतें (Health promoting habits) एवं जीवनशैली विकसित करने की सीख दी जाये तो यह अधिक कारगर साबित होती है। स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के द्वारा बालकों में व्यक्तिगत स्वच्छता (Personal hygiene), पर्यावरणीय स्वच्छता (Environmental hygiene), पोषणीय आहार (Nutritional diet). 


दुर्घटनाओं से बचाव, पर्याप्त आराम, नशाखोरी एवं अन्य व्यसनों से दूर रहने आदि के संबंध में स्वास्थ्यकर आदतें विकसित की जा सकती हैं।


चूँकि स्कूल स्वास्थ्य सेवायें सामुदायिक स्वास्थ्य नर्सिग की एक महत्वपूर्ण शाखा है अतः सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स को इसके विभिन्न तत्वों तथा उनमें उसकी भूमिका के बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है। प्रस्तुत अध्याय में स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के उद्देश्य, इनके प्रभावी रूप से क्रियान्वयन के सिद्धान्त, तत्वों तथा इन स्वास्थ्य सेवाओं में सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स की भूमिका के बारे में अध्ययन किया गया है।


Level of prevention -


स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत वे सभी गतिविधियाँ सम्मिलित हैं जो विद्यालय में अध्ययनरत् बच्चों को रोकथामात्मक (Preventive), उन्नायक (Promotive), नैदानिक (Diagnostic) तथा उपचारात्मक (Therapeutic) स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से सम्पादित की जाती हैं। इन स्वास्थ्य सेवाओं के क्रियान्वयन के द्वारा स्कूली बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न करने तथा स्वास्थ्यकर जीवनशैली (Healthy life style) विकसित करने का प्रयास भी किया जाता है।



स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं की परिभाषा (Definition of school health services)-


स्कूल स्वास्थ्य सेवाएँ वे समग्र स्वास्थ्य सेवाएँ (Comprehensive health services) हैं जो विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों, कार्यरत अध्यापक तथा अन्य स्टाफ को बीमारियों की रोकथाम, स्वास्थ्य के उन्नयन तथा रोगों के उपचार के उद्देश्य से प्रदान की जाती हैं।


स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के उद्देश्य (Objectives of school health services) -


1.स्कूली बच्चों में स्वास्थ्यकर आदतें (Health promoting habits) विकसित करना ।


2. स्कूली बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना ।


3.विद्यालय में स्वास्थ्यकर एवं सुरक्षित वातावरण विकसित करना ।


4. विभिन्न संक्रामक (Communicable) तथा गैर संक्रामक (Non-Communicable) बीमारियों की रोकथाम करना।


5. बीमारियों तथा असामान्यताओं का शुरूआती अवस्था में निदान (Diagnosis) कर स्कूली बच्चों को उचित उपचार (Appropriate treatment) तथा फोलोअप देखभाल (Follow-up care) अथवा रैफरल सेवायें (Referral services) प्रदान करना |


स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के सिद्धान्त (Principles of school health services) -


1. स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाएँ पूर्व नियोजित (Pre-planned) तथा सुसंगठित (Well-organized) होनी चाहिये ।


2. ये सेवाएँ स्कूली बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं एवं आवश्यकताओं पर आधारित होनी चाहिये तथा ये सेवायें सम्पूर्ण सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिये ।


3. इन सेवाओं के अच्छी तरह से परिभाषित (Well defined) उद्देश्य एवं लक्ष्य होने चाहिये तथा इन सेवाओं की क्रियान्विति इन्हीं उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति पर आधारित होनी चाहिये ।


4.इन स्वास्थ्य सेवाओं के योजना निर्माण (Planning) में community health nurse के साथ स्कूल का स्टाफ,


5.बच्चों के माता-पिता, समुदाय के लोग आदि आवश्यक रूप से शामिल होने चाहिये । 


6.स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के क्रियान्वयन के दौरान मुख्य फोकस उन्नायक (Promotive) तथा रोकथामात्मक (Preventive) स्वास्थ्य सेवाओं पर दिया जाना चाहिये। हालाँकि इस दौरान आवश्यकतानुसार उपचारात्मक (Therapeutic) स्वास्थ्य सेवाओं की क्रियान्विति भी की जानी चाहिये ।


7. इन स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी बनाने के लिए इनका क्रियान्वयन लगातार होना चाहिये तथा इन सेवाओं को प्रदान करने वाले सभी लोगों को टीम भावना (Team spirit) के रूप में कार्य करना चाहिये। इन स्वास्थ्य सेवाओं के क्रियान्वयन के दौरान समय, धन एवं सामग्री की मितव्यता का ध्यान रखना चाहिये । 


8.स्वास्थ्य शिक्षा (Health education) school health services का महत्वपूर्ण घटक होनी चाहिये। स्वास्थ्य शिक्षा स्कूली बच्चों में स्वास्थ्यकर आदतें विकसित करने, अस्वास्थ्यकर आदतों का त्याग करने तथा स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक सोच उत्पन्न करने में सहायक होती है।


FAQ questions-


विद्यालय में स्वास्थ्य सेवाएं क्या है?

उत्तर-स्वास्थ्य रक्षा तथा स्वास्थ्य लाभ-इसके अंतर्गत निम्नलिखित बातों पर बल दिया जाता फैलने वाले रोगों को नियंत्रण करना। बालकों के शारीरिक रोगों का पता लगाना तथा उनके समुचित इलाज की व्यवस्था करना। रोग की प्राथमिक अवस्था में उसका निदान करना तथा उसके उपचार या चिकित्सा का प्रबंध करना।


स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा क्यों जरूरी है?

उत्तर- विद्यालयों में प्राप्त स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा विद्यार्थी में स्वस्थ आदतों का विकास होता है;जैसे प्रातः काल की सैर करना, स्वास्थ्यप्रद संतुलित भोजन करना, हाथ और नाखूनों की सफाई रखना,स्वच्छ वस्त्र पहनना, प्रतिदिन दांत साफ करना, अपने आसपास सफाई रखना कचरे को कचरा पेटी में डालना आदि।


स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में शिक्षक की भूमिका क्या है?

उत्तर-शारीरिक प्रशिक्षण के अलावा शिक्षक को व्यक्तिगत स्वच्छता, सुरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा, मानसिक स्वच्छता, सामाजिक स्वच्छता, संयम और सामुदायिक स्वास्थ्य से संबंधित स्वास्थ्य के अधिकांश तथ्यों को भी सिखाना आवश्यक है।


भारत में स्कूल स्वास्थ्य सेवा कब शुरू हुई?

उत्तर-भारत में स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं का पहला लिखित रिकॉर्ड 1909 में वापस जाता है,जब बड़ौदा के तत्कालीन राष्ट्रपति ने स्कूली बच्चों की चिकित्सा जांच शुरू की थी। बाद में सर जोसेफ समिति ने अपने 1946 की रिपोर्ट में पाया कि भारत में स्कूल स्वास्थ्य सेवाएं अविकसित और व्यवहारिक रूप से अस्तित्विहीन थी।





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