प्री-एक्लेम्पसिया: कारण, लक्षण और उपचार

Ticker

प्री-एक्लेम्पसिया: कारण, लक्षण और उपचार

प्री-एक्लेम्पसिया: कारण, लक्षण और उपचार

प्री-एक्लेम्पसिया कारण लक्षण निदान उपचार,खून की कमी के लक्षण और उपचार,प्री-एक्लेम्पसिया,प्लेसेंटा प्रीविया के लक्षण ओर उपचार,एक्लेम्पसिया का उपचार,एक्लेम्पसिया के लक्षण,प्रीक्लेम्पसिया के 10 लक्षण क्या हैं,प्री-एक्लेम्पसिया का प्रबंधन,प्रीएक्लेम्पसिया,उच्च रक्तचाप के लक्षण,कच्ची डकारे आने के उपचार,समय से पहले होने वाले delivery के लक्षण क्या है?,बदहजमी के उपचार,खून की कमी के लक्षण,पेट फूलना के उपचार,एक्लेम्पसिया के कारण,प्रीक्लेम्पसिया,प्री-एक्लेमप्सिया
प्री-एक्लेम्पसिया: कारण, लक्षण और उपचार

Table of contents

1.Definition of pre-eclampsia

2.Cause of Preeclampsia

3.Clinical manifestations of Preeclampsia

4.Complications of Pre-eclampsia

5.Management of Pre-eclampsia

6.प्रीक्लेम्पसिया क्या है?

7.प्रीक्लेमप्सिया (Preeclampsia) की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

8.प्रीक्लेमप्सिया का क्या उपचार है?

10.mild Preeclampsia के क्या लक्षण है?

9.FAQs


Pre-Eclampsia


परिभाषा (Definition )


"Pre-eclampsia is a multisystem disorder which is characterised by development of hypertension up to 140/90 mmHg or more with proteinuria after 20th week in pregnancey in a previously normotensive and non-proteinaric patient."


अर्थात्


"Pre-eclampsia एक गर्भअवस्था प्रेरित hypertensive स्थिति है, जिसमें blood pressure 140/90 mmHg या इससे अधिक हो जाता है एवं proteinuria उपस्थित रहता है । "


Causes


•Teenage pregnancy (3 < 20 yr.)


•Advance age of mother (3> 34 yr.)


•Multiple pregnancy


•Hydatidiform mole


•Diabetes mellitus (DM)


•Chronic hypertension


•Pre-existing renal disorders


•Anaemia


•Obesity


Clinical manifestations-


Mild pre- eclampsia


B.P. 140/90mmHg से अधिक होता है परन्तु 160/110mm Hg से कम होता है।


● Proteinuria 300 mg से अधिक परन्तु 5 mg/24 hrs से कम रहता है ।


● Edema जोकि मुख्यत: face एवं upper extremities पर प्रकट होता है।


● रक्त गाढ़ा होना (Haemoconcentration 1)


अत्यधिक वजन बढ़ना (Excessive weight gain)


Lungs में सूजन होना (Pulmonary edema) 



Severe pre-eclampsia


• B.P. 160/110 mmHg से अधिक होता है ।


•Proteinuria > 5 mg/24 Hr.


•Severe edema


•सिरदर्द (Headache)


•Occipital cortex को blood supply कम होने से visual disturbances हो सकते हैं ।


•पेट के ऊपरी भाग में दर्द होना (Epigastric pain)


•यकृत में necrosis होना (Hepatocellular necrosis)


•प्लेटलेट की संख्या घटना (Thrombocytopenia)


•Pulmonary edema


•मूत्र की मात्रा कम होना (Oliguria) : Less than

400 ml / 24 hrs.


•Right heart failure के कारण cyanosis होना


•Retina bleeding - (Retinal haemorrhage)


•Intrauterine growth restriction (IUGR)


•HELLP Syndrome जोकि निम्न लक्षणों द्वारा चरितार्थ होता है


•Haemolysis


•Elevated liver enzymes


•Low platelet count


•Disseminated intravascular coagulation


Complications -


Maternal complications


•आघात ( Shock)


•एक्लेम्पसिया (Eclampsia) (Hemorrhage)


•(Oliguria)


•अमूत्रता (Anuria)


•दृष्टि कमजोर होना (Weakness of sight)


समय पूर्व प्रसव होना (Preterm labour)


•HELLP syndrome


•PPH (Post partum haemorrhage)


Fetal complications


•IUGR (Intra uterine growth restriction)


•IUD (Intra uterine death)


Management -


1.किसी रोग का प्रबंधन उस रोग के कारण पर निर्भर करता है। इसी प्रकार pre-eclampsia का वास्तविक कारण अज्ञात है एवं इसके risk factor अनेक हैं इसीलिए pre-eclampsia का प्रबंधन भी रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है।


2.Pre-cclampsia के प्रबंध के मुख्य उद्देश्य निम्न हैंरोगी की परिवर्तित कार्यिकी को सामान्य करना (To correct altered physiology)


3.Eclampsia एवं अन्य जटिलताओं की रोकथाम (Prevention of ecalmpsia and other complications)


4.Pre-eclampsia के प्रबंध को निम्न भागों में वर्गीकृत किया जाता है-


Provide adequate bed rest-


1.Pre-eclampsia के रोगी को पर्याप्त bed rest provide करना चाहिए ।


2.जब patient bed rest कर रहा हो तो उसे left lateral position लेने हेतु कहना चाहिए क्योंकि इससे पश्च महाशिरा पर लगने वाला दाब कम हो जाता है एवं हृदय को पर्याप्त मात्रा में रक्त प्राप्त होता है, जिससे शरीर के सभी अंगों को blood supply पर्याप्त मात्रा में होती है।


3.रोगी को पर्याप्त मात्रा में bed rest provide करने से Kidney को पर्याप्त मात्रा में blood supply होती है, जिससे urine output बढ़ता है।


4.Provide high protein diet


5.Proteinuria के कारण रोगी के शरीर में protein की हानि होती है, इसकी पूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में high protein dict provide की जानी चाहिए ।


6.यह मात्रा प्रतिदिन लगभग 100gm अवश्य होनी चाहिए।


7.प्रतिदिन दिए जाने वाले भोजन में औसतन 1600 kcal ऊर्जा अवश्य होनी चाहिए ।


8.Fruits अधिक मात्रा में नहीं दिये जाने चाहिए। Prevention of complications and eclampsia


9.इसके लिए रोगी का नियमित रूप से अवलोकन करना चाहिए एवं किसी प्रकार की असामान्यता होने पर तुरन्त उचित उपचार करना चाहिए एवं चिकित्सक को सूचित करना चाहिए ।


10.Severe pre-eclampsia में convulsion की अधिक संभावना रहती है अतः anticonvulsive drugs provide की जाती है, जैसे-


-Phenytoin sodium


-Phenargan


-Chlorpromazine


- Magnesium sulphate (MgSO ) : यह drug of choice है ।


•Convulsions की रोकथाम के लिए MgSO, की loading dose 5gm I.V. over 20minutes एवं maintenance dose 2gm/hr दी जाती है। इसे administer करते समय श्वसन दर (respiration rate), urine output एवं patellar reflex की जाँच की जाती है ।


FAQS-


Question-प्रीक्लेम्पसिया क्या है?


Ans-प्रीक्लेम्पसिया एक गंभीर स्थिति है जो गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद या प्रसव के बाद हो सकती है, जिसे पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया भी कहा जाता है। उच्च रक्तचाप के अलावा इसमें पेशाब में प्रोटीन का उच्च स्तर हो सकता है जो किडनी डैमेज (प्रोटीनुरिया) या अंगों की क्षति का कारण बनती है।


Question-प्रीक्लेमप्सिया का क्या उपचार है? (Treatment for Preeclampsia)


Ans-अगर गर्भवती महिला में शुरुआत में ही प्रीक्लेमप्सिया का पता लग जाता है और शिशु पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है, तो डॉक्टर निम्नलिखित सलाह दे सकते हैं-


1.ज्यादातर बाईं करवट करके लेटें या आराम करें।

2.ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) नियंत्रित करने के 3.लिए डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें।

4.जल्दी-जल्दी डॉक्टरी जांच करवाएं।

5.नमक (Salt) का सेवन कम करें।

6.डॉक्टर की सलाह से ज्यादा प्रोटीन वाली डायट लें।


Question -प्रीक्लेमप्सिया (Preeclampsia) की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

   

Ans-सबसे पहले प्रत्येक गर्भवती महिला को डॉक्टरी जांच जरूर करवानी चाहिए। डॉक्टर की सलाह से प्रीक्लेमप्सिया का उपचार किया जा सकता है और साथ ही साथ कुछ घरेलू उपाय अपनाकर इसकी रोकथाम भी की जा सकती है। जैसे-


1.दिन में कम से कम सात से आठ गिलास पानी पिएं।

2.आहार में कैल्शियम (Calcium) की मात्रा बढ़ाएं।

3.प्रेग्नेंसी के दौरान नशीले पदार्थ जैसे-शराब, बीड़ी, 4.तंबाकू आदि का इस्तेमाल न करें।

5.ज्यादा तेल और मसाले वाले खाने से परहेज करें।





6.नियमित रूप से व्यायाम (Workout) करें।


Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2