पुष्कर मेला पर निबंध || essay on Pushkar fair in Hindi
प्रस्तावना
राजस्थान प्रदेश अपने स्मृति इतिहास एवं संस्कृति के लिए जाना जाता है। राज्य पर एक लंबे दौर तक राजाओं का शासन रहा यहां के अतीत में हजारों बलिदानी गाथाएं भरी हुई हैं।
राज्य की ऐतिहासिक सांस्कृतिक के साक्ष्य के रूप में यह हजारों की संख्या में दुर्गा, स्तंभ, मंदिर और केले निर्मित है ऐसा ही एक स्थल है पुष्कर जी ने भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में जाना जाता है।
राजस्थान में कई सारे मेले लगते हैं जिनमें पुष्कर मेला सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है। तीर्थराज पुरस्कार अजमेर शहर मुख्यालय से 14 किमी दूरी पर स्थित है।
पुष्कर मेला पर निबंध || essay on Pushkar fair in Hindi |
यहां कार्तिक महीने की पूर्णिमा को विशाल मेला भरता है। धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्रता के प्रति पुरुष राज में लोग पवित्र स्नान करने व बृहजी रंगनाथ जी तथा अन्य मंदिरों के दर्शन भी करते हैं।
यहां आने वाले आगुंतों में बड़ी संख्या विदेशी शैलियों की भी होती है।
राज्य सरकार भी पुष्कर मेले में विशेष बंदोबस्त करती है कला संस्कृति तथा पलटन विभाग द्वारा यहां आने वाले लोगों की सुरक्षा होटल आदि के प्रबंध की जिम्मेदारी लेता है।
पुष्कर में राज्य का सबसे बड़ा ऊंट मेला लगता है यहां पशुओं पर आधारित कई कार्यक्रम होते हैं ऊंट पुष्कर मेले के मुख्य आकर्षण का केंद्र होते हैं जिसका लुफ्त उठाने विदेशी पर्यटक भी आते हैं। राजस्थान की संस्कृति का संस्कृत संगम इस तरह की आयोजनों में देखने को मिलता है।
पुष्कर के इतिहास पर एक संक्षिप्त जानकारी
यदि हम पुष्कर के इतिहास के अध्यायों को पलटें, तो इस मनोरम शहर का उल्लेख महान भारतीय कवि कालिदास ने अपने क्लासिक अभिज्ञान शाकुंतलम में किया है। इसके अलावा, दो महान हिंदू महाकाव्यों, महाभारत और रामायण में इस धार्मिक स्थान का उल्लेख आदि तीर्थ के रूप में किया गया है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा ने कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर पुष्कर झील पर अनुष्ठान किया था। और इसलिए, यह माना जाता है कि इस शुभ दिन पर पुष्कर झील में स्नान करने से उनके सभी पाप धुल जाएंगे और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
पुष्कर कैसे पहुँचें?
पुष्कर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो इस अनोखे शहर को परिवहन के सामान्य साधन से जोड़ता है।
अजमेर रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग द्वारा भी पुष्कर आसानी से पहुंचा जा सकता है। अजमेर से पुष्कर के लिए हर 15 से 20 मिनट में बसें और ऑटो-रिक्शा उपलब्ध हैं।
राजस्थान राज्य पर्यटन भी अपनी बसें संचालित करता है, जो नई दिल्ली, जयपुर, आगरा और ग्वालियर जैसे प्रमुख भारतीय शहरों से पुष्कर के लिए निर्धारित प्रस्थान करती हैं।
पुष्कर में घूमने लायक जगहें
पुष्कर में घूमने के लिए कुछ सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक स्थान हैं:
1. पुष्कर झील - डुबकी लगाएं और अपने जीवन के पाप धो लें।
2. जगतपिता ब्रह्मा मंदिर - एकमात्र ब्रम्हा मंदिर।
3. सावित्री मंदिर - ब्राह्मण की पत्नियों, दिव्य देवी सावित्री और गायत्री को सम्मान दें।
4. मान महल - प्रसिद्ध विश्व स्तरीय होटल में ठहरने के साथ-साथ सरोवर झील का दृश्य भी देखें।
5. वराह मंदिर - वराह (भगवान विष्णु का एक अवतार) को समर्पित एक सुंदर मंदिर।
6. रामवैकुंठ मंदिर - ऊंचे शिखरों और शिवालयों वाला पुष्कर का सबसे पवित्र मंदिर; भगवान राम को समर्पित.
7. रंगजी मंदिर - ऊंचे गोपुरम वाला मंदिर, जो अपनी दक्षिण भारतीय वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
पुष्कर मेला कहाँ लगता है?
पुष्कर राजस्थान के मध्य-पूर्वी भाग में अरावली पर्वत के पश्चिमी भाग में स्थित है। पुष्कर से निकटतम हवाई अड्डा अजमेर में किशनगढ़ हवाई अड्डा है, जो लगभग 40 किमी (25 मील) उत्तर पूर्व में है। जयपुर भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
पुष्कर अजमेर से लगभग 10 किमी (6.2 मील) दूर है, जो पुष्कर रोड (राजमार्ग 58) के माध्यम से जुड़ा हुआ है जो अरावली रेंज पहाड़ों पर जाता है। अजमेर निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन भी है।
अजमेर से 11 कि॰मी॰ दूर हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हजारों हिन्दू लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। भक्तगण एवं पर्यटक श्री रंग जी एवं अन्य मंदिरों के दर्शन कर आत्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।
पुष्कर मेला पर निबंध 200 शब्द
राजस्थान में स्थित पुष्कर में ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर स्थित है. पुष्कर अपने तीर्थ स्थलों के लिए भारत भर में खूब प्रसिद्द है. यहाँ का मनोहर दृश्य को भक्तो तथा सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
वीरता और भक्ति का अद्भुत समन्वय राजस्थान में देखने को मिलता हैं. राज्य के एक भाग में वीरों की झंकार राणा प्रताप जैसे स्वाभिमानी एवं वीर यौद्धाओं को जन्म दिया तथा भारत माता के मस्तक को ऊपर उठाया तो वहीँ मीरा ने प्रेम और भक्ति की अनोखी मिशाल पेश की हैं. राजस्थान का यह मिलाजुला स्वरूप इसके गौरव को बढ़ाता हैं.
राज्य के कोने कोने में वीरता, बलिदान, प्रेम और भक्ति से जुड़े अनेक पर्व एवं मेले आयोजित किये जाते हैं इनके पीछे लोक कथाएँ और गीत प्रचलित हैं. जिनसे सभी को प्रेरणा मिलती हैं.
राजस्थान की संस्कृति और विरासत पर राजस्थानी और हिंदी भाषाओं में कई रचनाएं रची गई. राजस्थान में धार्मिक महत्व के कई बड़े मेले आयोजित होते हैं. इनमें अजमेर का पुष्कर का मेले की गिनती देश के बड़े मेलों में गिना जाता हैं. जहाँ देश दुनियां से लोग आकर एकता एवं भाईचारे का नजारा देखने को मिलता हैं.
सर्दियों की मलखाती ठंड के दिनों में पुष्कर का मेला भरता हैं. इस अवसर पर पूरे पुष्कर शहर विद्युत् लाइट से जगमगाता प्रतीत होता है. दूर दूर से दुकानों वाले तथा कलाकार और झूले सर्कस वाले यहाँ पहुंचकर अपनी व्यवस्था बनाने लगते हैं. ऊंटों पर राजस्थानी धोती कुर्ते की वेशभूषा पहने लोग पुष्कर की ओर प्रस्थान कर जाते है.
पुष्कर के मेले स्थल पर बस जनसैलाब ही नजर आता हैं. शाम के समय पुष्कर के सरोवर पर धूप आरती होती हैं एक साथ हजारों दीपक की जगमगाहट से वातावरण में अनोखा भक्ति रस भर जाता हैं.
FAQ-question
प्रश्न - पुष्कर मेला क्यों लगता है?
उत्तर- मान्यता है कि यहां स्थित पुष्कर झील की उत्पत्ति पुष्प और करके मेले में हुई है। कहा जाता है यहां पर इस शक्ति द्वारा एक पुष्प अपने हाथों से पृथ्वी पर गिराया गया था। जिसकी बात यहां भगवान ब्रह्मा द्वारा भव्य यज्ञ का आयोजन किया गया मान्यताओं के अनुसार यही पुष्कर झील है।
प्रश्न-पुष्कर का इतिहास है?
उत्तर- माना जाता है की पूरी दुनिया में यह ब्राह्मण का एक इकलौता मंदिर है। पुष्कर नाम का अर्थ होता है सरोवर जी की पुष्प से बना हो। कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा जी के हाथ से एक असुर से युद्ध के दौरान कमल गिर गया था और जहां कमल गिरा वहां पर सरोवर बन गया।
प्रश्न-पुष्कर में कौन सा मंदिर है।
उत्तर- ब्रह्मा मंदिर एक भारती हिंदू मंदिर है जो भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले में पवित्र स्थल पुष्कर में स्थित है। इस मंदिर में जगत पिता ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित है।
प्रश्न-पुष्कर के पिता का नाम क्या था?
उत्तर- राजस्थान की अजमेर शहर से 14 किमी दूर उत्तर पश्चिम में अरावली पहाड़ियों की गोद में बस आप उसका नाम का छोटा सा नगर देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।
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