Up board class 12th hindi live solution
कक्षा-12 हिंदी
प्रश्न - अमरकांत द्वारा रचित बहादुर कहानी का सारांश लिखिए|
अथवा
बहादुर कहानी की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए|
अथवा
बहादुर कहानी के कथानक की विवेचना कीजिए|
उत्तर -बहादुर कहानी की कथावस्तु-
'बहादुर' प्रसिद्ध कहानीकार श्री अमरकांत द्वारा रचित एक मनोवैज्ञानिक और चरित्र प्रधान कहानी है| इन की कथावस्तु आधुनिक मध्यवर्गीय समाज की दिखावटी मानसिकता से ग्रहण की गई है| कहानी में यह बताया गया है कि आज का मध्यमध्यम वर्गीय परिवार स्वयं को समाज में उच्च वर्गीय और प्रतिष्ठित व्यक्ति दिखाने के लिए नौकर रखते हैं| जबकि उनकी आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं देती परिवार में नौकर के आ जाने पर नौकरों के प्रति उनका व्यवहार कितना असंभय और क्रूर हो जाता है कि वह मानवता की सारी हदें पार कर जाता है| आलोच्य कहानी की कथावस्तु के केंद्र में एक ऐसे ही पहाड़ी नौकर बहादुर की कहानी है|
कथावस्तु में इस बात को भी मुख्य विषय के रूप में उठाया गया है कि नौकर की भी अपनी मान प्रतिष्ठा और भावना होती है भले ही वह बालक क्यों ना हो|
बहादुर कहानी का सारांश (कथानक)
दिल बहादुर एक पहाड़ी नेपाली लड़का है ,जो इस कहानी का नायक है| वह एक असहाय बालक है| उसके पिता की युद्ध में मृत्यु हो चुकी थी उसकी मां उसे बहुत पीटती थी |इसलिए वह घर से भाग आया और उसने एक मध्यम वर्गीय परिवार में नौकरी कर ली|
प्रश्न -बहादुर कहानी का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए
उत्तर- बहादुर कहानी का उद्देश्य /संदेश
यह कहानी निम्न एवं मध्यम वर्गीय समाज के मनोवैज्ञानिक का वास्तविक चित्र प्रदर्शित करती है| आधुनिक समाज झूठे प्रदर्शन और शान शौकत में विश्वास करता है| वह बनावटी जिंदगी जीना पसंद करता है |कहानीकार ने निम्न वर्ग के प्रति सहानुभूति रखते हुए मध्यम वर्ग के लोगों को स्थिति की वास्तविकता को समझा है| उसने वर्ग भेद मिटाने को प्रोत्साहन दिया है| कहानीकार का संदेश है| कि मानवीय सहानुभूति के आधार पर ही वर्ग भेद की खाई को पाटा जा सकता है|
बहादुर बड़े परिश्रम से घर में काम करने लगा| गृह स्वामिनी निर्मला उसके काम से बहुत खुश थी| निर्मला ने उसका नाम बहादुर रखा| बहादुर की मेहनत के कारण मकान साफ-सुथरा रहने लगा और घर में सभी सदस्यों के कपड़े साफ रहने लगे |बहादुर देर रात तक काम करता और सुबह जल्दी उठकर काम में जुट जाता| वह इसी में खुश था और हर समय हंसता रहता था| वह रात को सोते समय पहाड़ी भाषा में कोई गीत गुनगुनाता रहता था| हंसना और हंसाना मानो उसकी आदत बन गई थी|
निर्मला का बड़ा लड़का किशोर एक बिगड़ा हुआ लड़का था वह शान शौकत और रोब- दाब से रहने का समर्थक था| उसने अपने सारे काम बहादुर को सौंप दिए थे यदि बहादुर और के काम में तने किसी भी असावधानी बरसता तो उसे गलतियां मिलती| इतना ही नहीं ,वह छोटी छोटी सी बात पर बहादुर को पीटता भी था |पिटकर बहादुर एक कोने में चुपचाप खड़ा हो जाता और कुछ देर बाद वह घर के कार्य में पूर्ववत् जुट जाता| एक दिन किशोर ने बहादुर को सूअर का बच्चा कह दिया |बहादुर इस गाली को सहन ना कर सका |उसका स्वाभिमान जाग गया और उसने उसका काम करने से इंकार कर दिया |जब निर्मला के पति ने भी उसे डांटा तो उसने कहा|
"बाबूजी भैया ने मेरे मेरे बाप को क्यों लाकर खड़ा किया"?
इतना कहकर वह रो पड़ा|
प्रारंभ में निर्मला बहादुर को बहुत प्यार से रखती थी तथा उसके खाने-पीने का भी बहुत ध्यान रखती थी| लेकिन कुछ दिनों के बाद उसका व्यवहार भी बदल गया उसने बहादुर को रोटी सेकना बंद कर दिया|
अब घर की स्थिति यह हो गई थी कि जरा सी गलती होने पर भी किशोर और निर्मला उसे पीटते |मारपीट और गालियों के कारण बहादुर से गलतियां और भूले अधिक होने लगी| एक रविवार को निर्मला के रिश्तेदार अपनी पत्नी और बच्चों के साथ निर्मला के घर आए नाश्ता करने के बाद बातों की जलेबी छनने लगीं| अचानक उस रिश्तेदार की पत्नी नीचे फर्श पर जोकर देखने लगी और चारपाई पर कमरे के अंदर भी छानबीन करने लगी पूछने पर उसने बताया कि उसके ₹11 खो गए हैं, जो उन्होंने चारपाई पर ही निकाल कर रखे थे इसके बाद सबने बहादुर पर संदेह किया|
बहादुर से पूछा गया |उसने रुपए उठा लेने से इनकार कर दिया |उसे खूब पीटा भी गया और पुलिस ने सुपुर्द करने की धमकी भी दी गई| निर्मला ने भी बहादुर को डराया धमकाया और पीटा सब सोच रहे थे |की पिटाई के डर से वह अपना अपराध स्वीकार कर लेगा |लेकिन जब उसने रुपए लिए ही नहीं तो वह कैसे कहता `कि रुपए उसने उठाए थे| इस घटना के बाद से घर के सभी सदस्य बहादुर को संदेह की दृष्टि से देखने लगे और उसे कुत्ते की तरह दुत्कार ने लगे|
Writer Dipaka kushwaha
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