Up board live class- 10th पद्द खंड chapter- 2 धनुष -भंग ,वन पथ पर- गोस्वामी तुलसीदास
पद्द खंड
पाठ- 2 धनुष -भंग ,वन पथ पर- गोस्वामी तुलसीदास
लेखक संबंधी प्रश्न
1)-(तुलसीदास का जीवन परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए|
(2)-गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताएं और कृतियों पर प्रकाश डालिए|
(3)-गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी करती हो और भाषा शैली पर प्रकाश डालिए|
(4)-तुलसीदास जी का साहित्यिक परिचय लिखिए|
(5)-तुलसीदास जी की भाषा शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए|
जीवन परिचय- गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म सन 1532 ई० भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी 1589 में बांदा जिले के राजापुर ग्राम में हुआ था| कुछ विद्वान इनका जन्म एटा जिले के 16 ग्राम में मानते हैं, अचार रामचंद्र शुक्ल ने राजापुर का ही समर्थन किया है• तुलसी सरयूपारीण ब्राह्मण थे इनके पिता आत्माराम दुबे और माता तुलसी ने अब मूल नक्षत्र में उत्पन्न होने के कारण इन्हें त्याग दिया था| इनका बचपन अनेकानेक आपदाओं के बीच व्यतीत हुआ \सौभाग्य से इनको बाबा नरहरिदास जैसे गुरु का वरदहस्त प्राप्त हो इन्हीं की कृपा से इनको शास्त्रों के अध्ययन अनुशीलन का अवसर मिला स्वामी जी के साथ ही यह काशी आए थे\ जहां परम विद्वान माध्यम से सनातन जी ने इन्हें वेद वेदांग दर्शन इतिहास पुराण आदि में निर्धारित कर दिया तुलसी का विवाह दीनबंधु पाठक की सुंदर और विदुषी कन्या रत्नावली से हुआ था इन्हें अपनी रूवति पत्नी से अत्यधिक प्रेम था एक बार पत्नी द्वारा बिना कहे मां के चले जाने पर अर्धरात्रि में आंधी तूफान का सामना करते हुए यह अपनी ससुराल जा पहुंचे इस पर पत्नी ने इनकी भतसना की|
अस्थि चर्म मय देह ममता, तामें ऐसे प्रीति|
तैसी जो श्रीराम मह होति ना तौ भवभीति|
अपनी पत्नी की फटकार से तुलसी का बैराग हो गया अनेक तीर्थों का भ्रमण करते हुए यह राम के पवित्र चरित्र का गायन करने लगे अपने अंधकार रचना इन्होंने चित्रकूट का से और अयोध्या में ही लिखी है| काशी के अस्सी घाट पर सन 1623 ईस्वी( श्रावण शुक्ल पक्ष सप्तमी 1680) मैं इनकी पार्थिव लीला का संवरण हुआ इनकी मृत्यु के संबंध में निम्नलिखित दुआ प्रसिद्ध है|
संवत सोलह सौ असी ,असी गंग के तीर
श्रावण शुक्ला सप्तमी तुलसी तरंग शरीर
कृतियां( रचनाएं) - तुलसीदास जी द्वारा रचित ग्रंथ प्रमाणिक माने जाते हैं ,जिनमें श्रीरामचरितमानस प्रमुख हैं/ यह निम्नलिखित हैं|
1 श्रीरामचरितमानस (2) विनय पत्रिका (3) कवितावली (4) गीतावली (5) कृष्ण गीतावली (6) बरवै रामायण (7) रामलला नेहरू (8) वैराग्य संदीपनी ( 9) जानकी- मंगल, (10) पार्वती -मंगल (11) दोहावली , (12) रामाज्ञा प्रश्न|
साहित्य में स्थान- गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवि है इनके द्वारा हिंदी कविता की सर्व दो मुखी उन्नति हुई |इन्होंने अपने कार्य के समाज की विसंगतियों पर प्रकाश डालते हुए उनके निराकरण के उपाय सुझाए साथ ही अनेक मधु और विचारधाराओं में समन्वय स्थापित करके समाज में पुनर्जागरण का मंत्र फूंका इसलिए\ इन्हें समाज का पथ प्रदर्शक कभी कहा जाता है| इनके संबंध में अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी ने उचित ही लिखा है|
कविता करके तुलसी ना लसी कविता नसीबा तुलसी की कला||
साहित्यिक परिचय- तुलसीदास जी महान लोकनायक और श्रीराम के महान भक्त थे| इनके द्वारा रचित श्री रामचरितमानस संपूर्ण विश्व साहित्य के अद्भुत ग्रंथों में से एक है| यह एक अद्वितीय ग्रंथ है| जिसमें भाषा उद्देश्य कथावस्तु संवाद एवं चरित्र चित्रण का बड़ा ही मनमोहक चित्रण किया गया है| इस ग्रंथ के माध्यम से इन्होंने जिन आदर्शों का भावपूर्ण चित्र अंकित किया है| वे युग युग तक मानव समाज का पथ प्रशस्त करते रहेंगे|
इसके इस ग्रंथ में श्री राम के चरित्र का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है मानव जीवन के सभी उच्च आदर्शों का समावेश करके उन्होंने श्री राम को मर्यादा -पुरुषोत्तम बना दिया है तुलसीदास जी ने, सगुण -निर्गुण ,ज्ञान- भक्ति ,और सब वस्त्र और विभिन्न मतों एवं संप्रदायों में समन्वय के उद्देश्य से अत्यंत प्रभाव पूर्व भावों की अभिव्यक्ति की!
भाषा शैली-
तुलसीदास ने अवधी तथा ब्रज दोनों भाषाओं में अपने का काव्या तक रचनाएं लिखी श्रीरामचरितमानस अवधी भाषा में है जबकि कवितावली गीतावली विनय पत्रिका आदि रचनाओं में ब्रज भाषा का प्रयोग किया है श्री रामचरितमानस में प्रबंध शैली विनय पत्रिका में मुक्त, शैली और दोहावली में साक्षी शैली का प्रयोग किया गया है| भाव- पक्ष और ,कला -पक्ष दोनों ही दृष्टि उसे तुलसीदास का काव्य आती है
तुलसीदास जी ने अपने काव्य में तत्कालीन सभी काव्य शैलियों का प्रयोग किया है| दोहा चौपाई कविता सबवे पदाधिकारियों में कवि ने कब रचना की है| सभी अलंकारों का प्रयोग करके तुलसीदास ने अपनी रचनाओं का अत्यंत प्प्रभावउत्पादक बना दिया है|
धनुष -भंग
उदित उदयगिरि मंच पर रघुवर बालपतंग||
बिकसे सत सरोज शहर से लोचन भंग||
संदर्भ- प्रस्तुत काव्य पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक 'हिन्दी'के काव्य खंड के धनुष -भंग कविता शीर्षक से अवतरित है| यह अंश हमारी पाठ्यपुस्तक में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के बालकांड से संकलित है|
प्रसंग- प्रस्तुत पद में धनुष -भंग के लिए बने हुए मंच पर रामचंद्र जी के चरणों का वर्णन किया गया है|
व्याख्या- श्री तुलसीदास जी कहते हैं| कि उद्या चल पर्वत के समान बने हुए विशाल मंच पर श्री रामचंद्र जी के रूप में बानसूर के उदित होते हुए सभी बसंत रूप रुपी कमल खिल रोटी और नेत्र रूपी भवरे हर्षित हो उठे, आज है! यह है कि श्रीराम के मंच पर चढ़ते ही सभा में उपस्थित सभी सज्जन पुरुष अत्यधिक प्रसन्न हो गए|
Writer neme- roshani kushwaha
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