Up board live for class 10th hindi solution पाठ-7 पानी में चंदा और चांद पर आदमी
(गद्य खड )
पाठ-7 पानी में चंदा और चांद पर आदमी -
(जयप्रकाश भारती)
प्रश्न - लेखक संबंधी प्रश्न-
1- जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताएं और कृतियों पर प्रकाश डालिए!
2- जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए!
3- जयप्रकाश भारती का साहित्यिक परिचय दीजिए!
4- जयप्रकाश भारती की भाषा शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए!
जीवन परिचय- जयप्रकाश भारत सिंह जी का जन्म 2 जनवरी, सन 1936 में उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगर मेरठ में हुआ उनके पिता श्री रावणा सहायक मेरठ के प्रसिद्ध एडवोकेट तथा कांग्रेस सक्रिय कार्यकर्ता थे| भारती जी ने मेरठ से हुई थी| तब की शिक्षा ग्रहण की छात्र जीवन से ही उन्होंने अपने पिता का निधन की सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी करते हुए देखा अपने पिता से प्रभावित होकर चार ताल में उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया| तथा अनेक वर्षों तक मेरठ में निशुल्क रात्रि पाठशाला का संचालन किया| जब भारतीय लेखक एवं पत्रकार दोनों ही क्षेत्रों में विशिष्ट ख्याति अर्जित कर चुके थे| हिंदी की साहित्यिक शैली में विभिन्न वैज्ञानिक लेखन को प्रस्तुत करने में इन्हें विशिष्ट सफलता एवं यश की प्राप्ति हुई है| हिंदी साहित्य का यह महान साहित्यकार 69 वर्ष की आयु में 5 फरवरी सन 2005 को इस संसार से विदा हो गया|
(साहित्यिक परिचय)-
भारती जी की विशेष रूचि संपादन कार्य में थी उन्हें संपादन के क्षेत्र में संपादन कला विशारद की उपाधि प्रदान की गई है उपाधि प्राप्त करके देने के बाद जो मेरठ से प्रकाशित होता था दिल्ली से प्रकाशित नवभारत टाइम्स से पत्रकारिता का व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया दिल्ली से प्रकाशित होने वाली पत्रकारिता का विवादित प्रशिक्षण प्राप्त किया दिल्ली से प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक हिंदुस्तान पत्रिका के संपादक का प्रसिद्ध बाल पत्रिका नंदन के अनेक वर्षों तक संपादक भी रहे इन्होंने नंदन पत्रिका का संपादन कार्य सन 2004 तक करते हुए गत 31 वर्षों तक इस पत्रिका का संपादन किया भारती जी ने 100 से अधिक पुस्तकों की रचना का संपादन किया है! इन्होंने अपने साहित्य जीवन का प्रारंभ की पत्रकारिता से किया सरल एवं रोचक भाषा में ज्ञानोपयोगी सामग्री को प्रकाशित करना है! इनकी पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य रहा! इन्होंने बाल साहित्य पर भी महत्वपूर्ण उपयोगी रचनाएं की !बालकों एवं किशोरों के ज्ञान वर्दन के लिए इन्होंने नैतिक सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों पर लिखनी लिखकर बाल साहित्य को समृद्ध बनाया इसीलिए इन्हें बाल साहित्य रचनाकार भी कहा जाता है !इनको विज्ञान विषयक साहित्य के प्रणेता के रूप में स्वीकार किया जाता है!
कृतियां- भारती जी की अनेकानेक यूनेस्को एवं पुस्तकें भारत सरकार के द्वारा पुरस्कृत की!गई है इनकी कृतियां इस प्रकार है!
1- मौलिक रचनाएं- ' हिमालय की पुकार ' अनंत आकाश 'अथाह सागर 'विज्ञान की विभूतियां ' देश हमारा देश हमारा 'चलो चांद पर चले 'सरदार भगत सिंह 'हमारे गौरव के प्रतिक 'अस्त्र -शस्त्र ' आदिम युग से अणु युग तक 'उनका बचपन यूं बीता 'ऐसे थे हमारे बापू ' लोकमान्य तिलक बर्फ की गुड़िया ' संयुक्त राष्ट्र संघ 'भारत का संविधान ' दुनिया रंग बिरंगी आदि!
2- संपादित रचनाएं - भारत की प्रतिनिधि लोक कथाएं तथा किरण माला (तीन भागों में) एवं नंदन (बाल पत्रिका) के संपादक!
भाषा- भारती जी की भाषा स्वाभाविक रूप से सरल है इन्होंने अधिकांशत: बाल साहित्य की रचना की है !अत: इनकी रचनाओं की भाषा सरल व बालोपयोगी है तथा इनकी शैली रमणीय है !आवश्यकता के अनुसार विज्ञान की परिभाषाक शब्दावली का प्रयोग भी इनके लेखो में मिलता है! फिर भी इन्होंने अपनी भाषा में कहीं भी जटिलता का समावेश नहीं होने दिया!
1- हमारे देश में ही नहीं संसार के प्रत्येक जाति ने अपनी भाषा में चंद्रमा के बारे में कहानियां गढी हैं !और कवियों ने कविताएं रची है! किसी ने उसे राजनीति माना तो किसी ने उसे रात्रि को देवी कहकर पुकारा !किसी विरहिणी ने उसे अपना दूत बनाया तो किसी ने उसकी पीलेपन से क्षुब्ध होकर उसे बूढ़ा और बीमार ही समझ लिया! बालक श्री राम चंद्रमा को खिलौना समझ कर उसके लिए मचलते हैं तो सूर के श्रीकृष्ण भी उसके लिए हठ करते हैं !बालक को शांत करने के लिए एक ही उपाय था !चंद्रमा की छवि को पानी में देखा देना!
(अ) प्रस्तुत गद्यांश का संदर्भ लिखिए!
(ब) रेखाकित अंश की व्याख्या कीजिए!
(स) मचलते और हठ करते बालक को शांत करने के लिए क्या उपाय था!
उत्तर-
(अ) - प्रस्तुत गद्य वतरण हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के गद्य खंड में संकलित श्री जयप्रकाश भारती द्वारा लिखित पानी में चंदा और चांद पर आदमी नामक निबंध से अवतरित हैं!
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या - लेखक का कथन है की निर्जीव अर्थात जीवन से रहित चंद्रमा को कभी किसी लेखक के द्वारा रात्रि का पति अर्थात स्वामी माना गया तो किसी कवि के द्वारा कभी रात की देवी भी कहा गया ! कभी किसी विरह से पीड़ित नायिका ने उसे अपना दत बना कर उस के माध्यम से अपने प्रीतम के लिए संदेश भेजा तो कभी किसी नायिका ने उसका पीलापन देखकर और उसे दुखी होकर उसे बूढा बीमार और दुर्बल ही समझ लिया गया!
(स) मचलते और हठ करते बालक को शांत करने का एक ही उपाय था ! कि चंद्रमा की छवि को पानी में दिखा दिया जाए!
Sandhya kushwaha
एक टिप्पणी भेजें