Up board live hindi class 12th (कहानी) 1- पंचलाइट

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Up board live hindi class 12th (कहानी) 1- पंचलाइट

 Up board live hindi class 12th (कहानी)  1- पंचलाइट



कहानी


 1- पंचलाइट


प्रश्न1 कहानी का सारांश और उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।


(क) पंचलाइट कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

अथवा

पंचलाइट कहानी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।

अथवा

पंचलाइट कहानी के कथानक की विवेचना कीजिए।

 

उत्तर=

           - पंचलाइट कहानी की कथावस्तु - 

पंचलाइट श्री फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित एक आंचलिक कहानी है। जिसमें रेणुजी ने ग्रामीण परिवेश के साथ-साथ आंचलिक परिवेश को अत्यंत सुंदरता के साथ उभारा है। पंचलाइट कहानी की कथावस्तु ग्राम प्रवेश से ग्रहण की गई है इस कहानी की कथावस्तु में उन्होंने पेट्रोमैक्स जिससे गांव वाले पंचलाइट या पंचलैट कहते हैं। कि माध्यम से ग्रामीण वातावरण का चित्रण करते हुए ग्राम वासियों के मनोविज्ञान की वास्तविक झलक प्रस्तुत की है ग्रामीण जन जाति के आधार पर किस प्रकार टोलियों में विभक्त हो जाते हैं। और परस्पर ईर्ष्या द्वेष की भावना से भरे रहते हैं। इसका बड़ा ही जीवंत यथार्थ रूप इस कहानी में उभारा गया है ।ग्राम अंचल का वास्तविक चित्रण इस की कथावस्तु का उद्देश्य है।


     पंचलाइट कहानी का सारांश (कथानक) 

 रामनवमी के मेले में इस बार महतो टोली के पंचों ने एक पेट्रोमैक्स खरीदा  पेट्रोमैक्स को गांव वाले पंचलाइट कहकर पुकारते थे। पंच लाइट खरीदने के बाद जो ₹10 बच गए थे उनसे पूजा की सामग्री भी खरीदी गई। सबको पंचलैट आने की प्रसन्नता थी ।इस खुशी में कीर्तन का आयोजन किया गया। थोड़ी देर में टोली के सभी लोग पंचलैट देखने के लिए एकत्र हो गए। लेकिन प्रश्न यह पैदा हुआ कि पंचलैट को जलाएगा कौन खरीदने से पहले किसी के दिमाग में यह बात नहीं आई थी। यह निर्णय हुआ कि दूसरी पंचायत की आदमी की मदद से पंचलैट नहीं जलाया जाएगा। चाहे वह बिना जले पडा रहे आज किसी ने अपने घर में डिबरी भी नहीं जलाई थी। पंचलैट के ना जलने से पंचों के चेहरे उतर गए राजपूत टोली के लोग उनका मजाक बनाने लगे लेकिन सब ने धैर्य पूर्वक उस मजाक को सेहन किया  वहीं पर गुलरी काकी की बेटी मुनरी बैठी थी वह जानती थी कि गोदन पंचलैट जलाना जानता है लेकिन पंचायत में गोधन का हुक्का पानी बंद कर रखा था मुनरी  गोधन से प्रेम करती थी। उसने अपनी बात अपने सहेली कनेली को बताई कनेली ने ये सूचना सरदार तक पहुंचा दी कि गोधन पंचलैट जलाना जानता है । सभी पंच सोच विचार में पड़ गए कि गोदन को बुलाया जाए अथवा नहीं अंत में उसे बुलाने का निर्णय लिया गया। सरदार ने छड़ी दार को भेजा लेकिन खरीदार के कहने से गोदन पंचलैट जलाने के लिए नहीं आया। आखिर गुलरी काकी गोदन की झोपड़ी में गई और उसे मना कर ले आई। गोधन ने पंचलैट में तेल भरा। तभी गोदन ने पूछा कि स्पिरिट कहां  हैं। स्पिरिट का नाम सुनकर सभी लोग उदास हो गए लेकिन गोदन ने अपनी होशियारी से गरी के तेल की सहायता से पंच लाइट जला दिया ।पंचलाइट की जलने पर सभी लोगों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। लोगों ने दिल का मैल दूर हो गया ।कीर्तनया लोगों ने एक स्वर में महावीर स्वामी की जय बोली कीर्तन शुरू हो गया गोधन ने सबका दिल जीत लिया। मुनरी ने हसरत भरी निगाहों से गोधन की ओर देखा सरदार ने गोदन को बहुत प्यार से अपने पास बुला कर कहा-


"तुमने जाति की इज्जत रखी है तुम्हारा साथ खून माफ। खूब गाओ सलीमा का गाना।"


अंत में गुलरी काकी ने गोधन को रात के खाने पर निमंत्रण किया। गोधन ने एक बार फिर से मुंनरी की ओर देखा उससे दृष्टि मिलते ही लज्जा के कारण मुंदरी की पलकें  झुक गई।


                    पंचलाइट कहानी का उद्देश्य

ग्रामवासी जाति के आधार पर किस प्रकार डोलियों में विभक्त हो जाते और परस्पर ईर्ष्या द्वेष के भावों से भरे रहते हैं इसका बढ़ाई सजीव और यथार्थ चित्रण इस कहानी में किया गया है परोक्ष रूप से रेणु जी ने ग्राम सुधार की प्रेरणा भी दी है इसी के साथ कहानीकार ने यह भी सिद्ध किया है कि आवश्यकता बड़े से बड़े संस्कार और निषेध को अनावश्यक सिद्ध कर देती है।

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