Up board class 12th hindi khandy kavya live solutionआलोक- वृत्त की कथावस्तु खंडकाव्यगांधी जी का चरित्र चित्रण

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Up board class 12th hindi khandy kavya live solutionआलोक- वृत्त की कथावस्तु खंडकाव्यगांधी जी का चरित्र चित्रण

Up board class 12th hindi khandy kavya live solution


आलोक- वृत्त की कथावस्तु खंडकाव्य


 प्रश्न - आलोक -वृत्त खंड काव्य की कथावस्तु (कथानक )पर प्रकाश डालिए|

 अथ वा

आलोक- वृत्त खंड काव्य की कथावस्तु का सारांश (कथा सार )अपने शब्दों में लिखिए|


 अथवा" आलोक -वृत्त खंड काव्य में स्वतंत्रता- संग्राम के इतिहास की झांकी के दर्शन होते हैं |"स्पष्ट कीजिए|


 अथवा आलोक -वृत्त खंड काव्य के कथानक में वर्णित देश प्रेम का अंकन कीजिए|


 उत्तर :गुलाब खंडेलवाल द्वारा रचित अब 'आलोक वृत्त' खंड काव्य गांधी जी के जीवन पर आधारित है| इसका सरगवार संक्षिप्त कथानक अगृ लिखित है|


प्रथम सर्ग :भारत का स्वर्णिम अतीत (2006, 12) 


सन् 1857ई० के स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभ होने के ठीक 12 वर्ष बाद गांधी जी का जन्म पोरबंदर में हुआ| गांधी जी के व्यक्तित्व से दानवीय एवं पाशविक शक्तियां भी डगमगा गई| ब्रिटिश शासन संहम उठा| शासन के क्रूर अत्याचारों एवं दमनात्मक कार्यों से पीड़ित भारतीय जनता को गांधी जी की वाणी ने साहस ,शांति एवं शक्ति प्रदान की| गांधी जी के रूप में भारतीय जनता को नया जीवनदान मिला|


द्वितीय सर्ग :गांधीजी का प्रारंभिक जीवन (2011, 12,13,16,) 


समय बीतते बीतते मोहनदास युवक हो गए| उनका विवाह कस्तूरबा के साथ संपन्न हुआ उनके रूगण पिता का स्वर्गवास हो गया, परंतु उनकी मृत्यु के समय मोहनदास गांधी पिता के पास भी ना रह सके| फिर गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए गांधी जी की माता को भय था ,कि उनका पुत्र विदेश में जाकर मांस मदिरा का सेवन ना करने लगे, अतः गांधीजी के विदेश गमन के समय उन्होंने अपने पुत्र से बचन लिए_


मध -मास -मदिराक्षी से बचने की शपथ दिलाकर|

मां ने तो भी विदा पुत्र को मंगल तिलक लगाकर||


तृतीय सर्ग :गांधीजी का अफ्रीका प्रवास (2009, 10,12,13,15,16) 


एक बार गांधी जी रेल में प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे| एक गोरे ने उन्हें प्रथम श्रेणी के डिब्बे से नीचे धक्का देकर उतार दिया| गांधी जी शांत भाव से तथा एकांत में बैठे ठंड से ठिठुरते रहे| वे वहां बैठे-बैठे भारतीयों के दीन -हीन दशा पर चिंता कर रहे थे| उनके मन में विचारों का संघर्ष चल रहा था|

उन्होंने अपनी जन्म भूमि से दूर विदेश की भूमि पर बैठकर मानवता के उद्धार का प्रण लिया|

गांधी जी ने सत्याग्रह का अमोघ अस्त्र लेकर अपने संघर्ष को दक्षिण अफ्रीका की सरकार के विरुद्ध छेड़ दिया| हजारों भारतीयों ने सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया और संघर्ष में विजय प्राप्त की|


चतुर्थ सर्ग :गांधी जी का भारत आगमन(2006, 09,11,14,15,17) 


गांधी जी अफ्रीका से भारत वापस आए और उन्होंने कलकत्ता कांग्रेस में भाग लिया| वहां से उन्होंने देशबंधु, चितरंजन दास ,पंडित मोतीलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, एवं सरदार पटेल आदि नेताओं का आह्वान किया| गांधीजी के आहान पर देश के महान नेता एकजुट होकर सत्याग्रह की तैयारी में जुट गए| फिर गांधीजी ने बिहार प्रांत के चंपारण क्षेत्र में नील की खेती को लेकर सत्याग्रह छेड़ा| उनके भाषण सुनकर विदेशी सरकार विषम स्थिति में पड़ गई| चंपारण के आंदोलन में सफल होकर उन्होंने खेड़ा में सत्याग्रह आंदोलन छेड़ा इस आंदोलन में सरदार पटेल का व्यक्तित्व निखर कर सामने आया|


पंचम सर्ग :असहयोग आंदोलन(2006, 11) 


चौरीचौरा की दुखद घटना के बाद गांधी जी ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया, परंतु अंग्रेज सरकार ने फिर भी गांधी जी को बंदी बना लिया जेल में गांधीजी आश्वस्त हो गए अतः उन्हें छोड़ दिया गया| जेल से आकर गांधीजी हरिजनों द्वार हिंदू मुस्लिम एकता एवं खादी प्रचार आदि के रचनात्मक कार्य में लग गयें| उसी अवधि में उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता के लिए 21 दिन का उपवास किया|


  षष्ठ सर्ग: नमक सत्याग्रह(2009, 10,11,12) 


अंग्रेजो के द्वारा लगाई गई नमक कानून को तोड़ने के लिए गांधी जी ने समुद्र तट पर बसे डांडी नामक स्थान तक की पैदल यात्रा 24 दिनों में पूरी की| तत्पश्चात अंग्रेज शासकों ने गोलमेज कांफ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें गांधी जी को बुलाया गया इस कांफ्रेंस के साथ-साथ कवि ने सन 1937 ईस्वी के प्रांतीय सवराज्य की स्थापना का भी सुंदर वर्णन किया है|


सप्तम सर्ग: 1942 ईस्वी की जनक्रांति(2007, 08,14,15,17) 


द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था| अंग्रेज सरकार युद्ध में भारतीयो का सक्रिय सहयोग प्राप्त करने की भावना से उनके साथ समझौता तो करना चाहती थी| परंतु उन्हें कुछ भी सीमित अधिकार देने के लिए तैयार नहीं थी| 'क्रिप्स मिशन 'की असफलता के बाद गांधीजी ने सन 1942 ईस्वी में भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया| इस आंदोलन में_


थे महाराष्ट्र -गुजरात उठे, 

पंजाब -उड़ीसा साथ उठे|

बंगाल इधर, मद्रास उधर, 

मरुस्थल में थी ज्वाला घर -घर|


कवि ने इस आंदोलन का बड़ा ही ओजस्वी भाषा में वर्णन किया है| मुंबई अधिवेशन के बाद सभी भारतीय नेता गांधी जी सहित जेल में डाल दिए गए संपूर्ण भारत में विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी|


अंतिम अष्टम सर्ग :भारतीय स्वतंत्रता का अरुणोदय(2013, 14,15) 


भारत स्वतंत्र हुआ स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही देश में सांप्रदायिक झगड़े प्रारंभ हो गए| हिलसा वा मारकाट की आग सारे देश में भड़क उठी| बापू को इससे मानसिक पीड़ा और अत्यधिक ठेस पहुंची| वे कह उठे_

प्रभो! इस देश को शतपथ दिखाओ, 

लगी जो आग भारत में, बुझाओ|

मुझे दो शक्ति इसको शांत कर दूं,

  लपट में रोष की निज शीश धर दूं|


गांधीजी की मनोकामना के साथ ही इस खंड काव्य भी की कथा समाप्त हो जाती है|


प्रश्न आलोक -वृत्त के किसी एक प्रमुख पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए|


गांधी जी का चरित्र चित्रण


प्रस्तुत खंडकाव्य के आधार पर महात्मा गांधी की चारित्रिक विशेषताओं को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है_


1 आरंभिक जीवन की दुर्बलताये- कवि ने गांधीजी के प्रारंभिक जीवन की ओर छोटी-छोटी दुर्बलता ए को भी उजागर किया है जिन पर अंततः उन्होंने अधिक शक्ति के बल पर विजय प्राप्त कर ली थी|


2 देश प्रेम - गांधी जी अपने देश मातृभूमि से इतना प्रेम करते थे कि उन्होंने अपना तन मन धन अर्थात सर्वसव देशोद्वार के लिए अर्पित कर दिया|


3- सत्य और अहिंसा के उपासक गांधी जी अपने जीवन में सत्य और अहिंसा की सर्वोपरि महत्व दिया| वे अहिंसा को महान शक्तिशाली अस्त्र मानते रहे| अहिंसा व्रत का पूर्ण पालन कोई विरला व्यक्ति ही कर सकता है| उन्होंने अपने जीवन में हिंसा ना करने का दृढ़ निश्चय किया|


4- पुरुषार्थ एवं ईश्वर में आस्था- गांधी जी पुरुषार्थ को भाग से ऊपर मानते थे| उन्होंने अपने पुरुषार्थ के बल पर ही ब्रिटिश राज्य को नींव हिला दी| ववे ईश्वर के प्रति सदा आस्थावान बने रहे| उन्होंने जो कुछ भी किया ईश्वर को साक्षी मानकर ही किया| उनकी दृष्टि में साधन पवित्र होने चाहिए परिणाम ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए|


क्या होगा परिणाम सोच लूं, 

पर क्यों सोचू वह तो|

मेरा क्षेत्र नहीं रूषटा का, 

जो प्रभु करें वही हो||


5- सदाचरण एवं मानवीय मूल्यों के प्रति निष्ठा 


गांधीजी ने अपने जीवन में मानवीय मूल्यों एवं सदाचरण को सदैव बनाए रखा| उनके हृदय में मानव मात्र के प्रति ही नहीं प्राणी मात्र के प्रति समभाव था| उनके अनुसार जाति धर्म वर्ण एवं रूप आदि के आधार पर भेदभाव करना अनुचित है ववे पाप से घृणा करने की बात कहते थे पापी से नहीं इसलिए उन्होंने कहा है_" पशु बल के सम्मुख आत्मा की ,शक्ति जगाने होगी|"


6 जनतंत्र में आस्था- गांधी जी ने मानव मानव में क्षमता का भाव आवश्यक ही नहीं वरन अनुवारय भी मानते थे| उनके अनुसार लोकतंत्र जनतंत्र ही मानव भावना का सच्चा प्रतीक है तथा लोकतंत्र में ही सभी के हित सुरक्षित रहते हैं|


7- आलोक- वृत्त खंड काव्य की कथावस्तु का सारांश (कथा सार )अपने शब्दों में लिखिए|


 अथवा" आलोक -वृत्त खंड काव्य में स्वतंत्रता- संग्राम के इतिहास की झांकी के दर्शन होते हैं |"स्पष्ट घर -गांधी ने भारत की समग्र जनता को एकता के सूत्र में बांधने के लिए जीवन पर्यंत प्रयास किया|


8- भावात्मक एकता के समर्थक -गांधी जी विश्व बंधुत्व एवं वासुदेव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत थे| वे सभी को सुखी व समृद्ध देखना चाहते थे|


9- हिंदू मुस्लिम एकता - उन्होंने सारे जीवन हिन्दू और मुसलमानों को भाई भाई की तरह रहने की प्रेरणा दी|


10- हरि जनों द्वार -अछूत कहे जाने वाले भारतीय भाइयों को उन्होंने गले लगाया और उनके उद्धार के लिए निरंतर प्रयत्न करते रहे|


11- स्वदेशी वस्तु एवं खादी को महत्व - गांधी जी ने स्वयं भी और अपने अन्य वासियों को भी स्वदेशी वस्तुओं और खादी अपनाने की प्रेरणा दी|


12- आत्मविश्वास में धनी- गांधीजी आत्मविश्वास में परिपूर्ण थे, उन्होंने जो कुछ भी किया ,वह पूर्ण आत्मविश्वास के साथ किया और उसमें वे सफल भी हुए|


13- सत्याग्रही -गांधी जी ने सत्य के बल पर पूरा भरोसा किया और अपने सत्याग्रह के बल पर ही उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़कर ब्रिटेन चले जाने के लिए बाध्य कर दिया|

अंततः सार रूप में कहा जा सकता है कि जितने भी मनोवोचित गुण हो सकते हैं वे सब पूज्य महात्मा गांधी में विद्यमान थे| उनके निर्मल चरित्र पर उंगली उठाने का साहस किसी में है ही नहीं|

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Chapter -1

  Writer name dipaka kushwaha


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