Up board live class- 10 hindi वनों वृक्षों का महत्व अथवा/ वृक्ष धरा के आभूषण हैं।
निबंध
वनों वृक्षों का महत्व अथवा/ वृक्ष धरा के आभूषण हैं।
(2009, 11,12,13,16,17)
प्रस्तावना- वह मानव जीवन के लिए बहुत उपयोगी है किंतु सामान्य व्यक्ति इसके महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं जो व्यक्ति वनों में रहते हैं या जिनकी आजीविका वनों में आश्रित है रे तू वनों के महत्व को समझते हैं लेकिन जो लोग वनों में नहीं रहे हैं वे इन्हें प्राप्त होगा का साधन मानते हैं वनों का मनुष्य के जीवन से कितना गहरा संबंध है इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में उनका योगदान क्रमिक रूप से दृष्ट है।
वनों का प्रत्यक्ष योगदान :
(क) मनोरंजन का साधन - वन मानव को सैर- सपाटे के लिए रमणीक के चित्र प्रस्तुत करते हैं। पेड़ों के अभाव में पर्यावरण दूषित हो जाता है। और सोनी नष्ट ग्रीष्म काल लोग पर्वती क्षेत्र की यात्रा करके इस प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं।
(ख) लकड़ी की प्राप्ति - वनों से हम अनेक प्रकार की बहुमूल्य लकड़ियां प्राप्त करते हैं। इन्हें ईंधन के रूप में नियुक्त किया जाता है। कुछ लकड़ियां व्यापारिक दृष्टिकोण से भी बहुत उपयोगी होती है। जिनमें साल ,सागौन, देवताल समचंदन ,आबनूस ,आदि की लकड़ियों का प्रयोग फर्नीचर इमारत ,सामान ,माचिस ,रेल के डिब्बे जहाज बनाने में किया जाता है।
(ग) विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चे माल की पूर्ति- वनों से लकड़ी के अतिरिक्त अन्य उपयोगी कार्यक्रम सुनने की प्राप्ति होती है। जिसका अन्य उद्योगों में सबसे मल के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनमें गोद, शहद ,जड़ी ,बूटियां ,लाभान्वित आदि का कागज ,फर्नीचर ,दियासलाई ,औषधि उपयोग किया जाता है।
(घ) आध्यात्मिक लाभ - मानव जीवन की भौतिक पक्ष के अतिरिक्त उसके मानसिक एवं अध्यात्म पक्षियों के लिए भी वनों का महत्व कुछ कम नहीं है। सांसारिक जीवन से प्लान से मनुष्य यदि वनों में कुछ समय निवास करते हैं। तो उन्हें संतोष का मानसिक शांति प्राप्त होती है ।
उपर्युक्त किया तरीके से सरकार को राजस्व और वनों के खेतों के रूप में करोड़ों रुपए की आय होती है साथ ही सरकार चंदन के तेल की लकड़ी से बनी कलात्मक वस्तुएं फर्नीचर लाख तारपीन के तेल आज की रेट प्रति वर्ष करोड़ों रुपए की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित करते हैं।
वनों का अप्रत्यक्ष योगदान ;
(क) वर्षा - भारत एक कृषि प्रधान देश है किसी की मानसून पर निर्भरता की दृष्टि सेब अनोखा बहुत महत्व है। 1 वर्षों में सहायता करते हैं। इन्हें वर्षा का संचालक कहा जाता है।
(ख) जलवायु का नियंत्रण - वनों से वातावरण का तापक्रम नवी और वायु प्रवाह नियंत्रित होता है। जिससे जलवायु में संतुलन बना रहता है। वन जलवायु की विशेषता को सामान्य बनाए रखते हैं। यह आंधी तूफानों से हमारी रक्षा करते हैं। से जलवायु को भी प्रभावित करते हैं।
(ग) भूमि कटाव पर रोक - वनों के कारण वर्षा का जन्म प्रगति से प्रभावित होता है। अतः भूमि का कटाव कम होता है। वर्षा के अतिरिक्त जल को शोक लेते हैं । और नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करके भूमि के कटाव को रोकते हैं। जिसके फलस्वरूप भूमि की उर्वरता स्थिति बनी रहती है।
(घ) रेगिस्तान के प्रसार पर रोक - वंन तेज आंधियों को रोकते हैं। तथा वर्षा को आकर्षित करते हैं। जिससे मिट्टी के कण उनकी जड़ों से बध जाते हैं। इससे रेगिस्तान का प्रचार नहीं होने पाता ।
भारतीय वन -संपदा के लिए उत्पन्न समस्याएं - वनों के योगदान से स्पष्ट है । कि वह हमारे जीवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से बहुत उपयोगी है, वनों में अपार संपदा पाई जाती थी किंतु जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती गई वनों को मनुष्य के उपयोग के लिए कांटा जाने लगा अनेक अद्भुत और घने वन आज समाप्त हो गए हैं। वन संपदा के इस संकट में व्यक्ति और सरकार को वन संरक्षण की ओर सोचने पर विवश कर दिया है, आज हमारे देश में वनों का क्षेत्रफल केवल 20% से भी कम रह गया है। जो कम से कम एक तिहाई होना चाहिए था। वनों के पर्याप्त जो मन नागरिक की करण वनों की अंधाधुंध कटाई में भारतीय वन संपदा के लिए अनेक समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं।
वनों के विकास के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास- सरकार ने वनों के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए समय-समय पर वनों के संरक्षण और विकास के लिए अनेक कदम उठाए हैं। जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न वत है।
1. सन 1956 में वन महोत्सव का आयोजन किया गया जिसका मुख्य नारा था- अधिक वृक्ष लगाओ ,सभी से प्रतिवर्ष 1 से 7 जुलाई तक मनाया जाता है।
2. सन 1965 में सरकार ने केंद्रीय वन आयोग की स्थापना की जो वनों से संबंधित आंकड़े और सूचना एकत्रित करके वनों के विकास में लगी हुई संस्थाओं की कार्य में तालमेल बैठता है।
3. विभिन्न राज्यों में 1 निगमों की रचना की गई है जिससे वनों की अनियंत्रित कटाई को रोका जा सके।
व्यक्तिगत स्तर पर भी अनेक आंदोलनों का संचालन करके समाजसेवियों द्वारा समय-समय पर सरकार को वनों के संरक्षण और विकास के लिए संकेत किया जाता रहा है।
उपसंहार - संजीवन हमारे लिए बहुत उपयोगी है। इसलिए वनों का संरक्षण और संवर्धन बहुत आवश्यक है। इसलिए आवश्यकता है। कि सरकार वन संरक्षण एवं का कड़ाई से पालन करा कर आने वाली पीढ़ी की भाभी प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करें इसके लिए सरकार के द्वारा सास का सामान जनता का सहयोग भी अपेक्षित है। यदि प्रत्येक व्यक्ति वर्ष में एक बार एक वृक्ष लगाने और उनका अधिकार संरक्षण करके का संकल्प लेकर उसे 3 या 1 की करें तो यह राष्ट्र के लिए आगे आने वाले 1 वर्षों में अमूल्य योगदान हो सकता है।
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Writer -roshani kushwaha
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