Up board live class- 10th हिन्दी निबंध ( विज्ञान: वरदान या अभिशाप
निबंध
विज्ञान: वरदान या अभिशाप
(2008,09,10,11,12,13, 14,15,16,19)
प्रस्तावना- आज के युग वैज्ञानिक चमत्कारों का युग है। मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आज विज्ञान आश्चर्यजनक क्रांति लादी है में जगह क्रांति रेल मानव समाज की सारी गतिविधियां आज विज्ञान से प्रचलित दुर्जय प्रकृति पर विजय प्राप्त करा दे। ज्ञान मानव का भाग्य विधाता बन बैठा है। अज्ञात रहस्य की खोज में उसने आकाश में ऊंचाइयों से लेकर पाताल की गहराई तक ना उसने हमारे जीवन को सभी ओर से इतना प्रभावित कर दिया विज्ञान की आज कोई कल्पना तक नहीं कर सकता है। विज्ञान वरदान या अभिशाप आधा इन दोनों पक्षों पर समवर्ती दृष्टि से विचार करके ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना उचित होगा।
वरदान के रूप में- आधुनिक मानव का संपूर्ण पर्यावरण विज्ञान के वरदान के आलोक से आलोकित है। प्रातः जागरण से लेकर रात के समय तक के सभी क्रियाकलापों विज्ञान द्वारा प्रदर्शित साधनों की सारी संचालित होते हैं। जितने भी साधनों का हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं। वे शब्द विज्ञान के ही वरदान है। इसलिए तो कहा जाता है। कि आज का अभिनव मनुष्य ज विज्ञान के माध्यम से प्रकृति पर विजय पा चुका है।
आज की दुनिया विचित्र नवीन,
प्रकृति पर समर्थ है विजई पुरुष आसीन।
है बंदे नर के करूं मैं वारी विद्युत भाप,
हुक में पर चढ़ता उतरता है पवन का ताप ।।
है नहीं बाकी कहीं व्यवधान,
लांग सकता नर सरित गिरि एक समान।।
विज्ञान के इन विविध प्रधानों की उपयोगिता प्रमुख क्षेत्र में निम्नलिखित हैं।
(क) यातायात के क्षेत्र में. प्राचीन काल में मनुष्य को लंबी यात्रा तय करने में वर्षों लग जाते थे। किंतु आज रेल मोटर जलपोत वायु यान आदि के अविष्कार से दूर -दूर से दूर स्थानों पर अति शीघ्र पहुंचा जा सकता है। यातायात और परिवहन की उन्नति से व्यापार का भी कायापलट हो गई है।
(ख) - संचार के क्षेत्र में- बेतार बेतार के तार ने संचार के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। आकाशवाणी दूरदर्शन ,शाप दे दूर -भाषा, टेलीफोन ,मोबाइल ,फोन आज की सहायता से कोई भी समाचार में विश्व की एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाया जा सकता है। कृत्रिम उपग्रह ने इस दिशा में और भी चमत्कार कर दिखाया है।
(ग) - दैनंदिन जीवन में - विद्युत के आविष्कारक मनुष्य की दैनंदिन सुख-सुविधाओं को बहुत बड़ा किया है। वह हमारे कपड़े धोती है। उन पर प्रेस करती है । भोजन पकाती है सर्दियों में गर्म और गर्मियों में शीतल जल उपलब्ध कराती है। गर्मी है। गर्मी सर्दी दोनों से समान रूप से हमारी रक्षा करते हैं। आज की समस्या दूर प्रगति इसी पर निर्भर है।
(घ) स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में - मानव को भयानक और संक्रामक रोगों से पर्याप्त सीमा तक बचाने का श्रेय विज्ञान को ही है।,एक्स-रे ,अल्ट्रासाउंड ,टेस्ट ,एंजियोग्राफी कैट -स्कैन ,आदि क्षेत्रों के माध्यम से शरीर के अंदर के लोगों को पता चलता पूर्वक लगाया जा सकता है। यही नहीं इससे नेत्रहीनों को नेत्रहीनों को कान और अंग्रेजों को अंगना संभव हो सका है।
(ड) - औद्योगिक क्षेत्र में - भारी मशीनों के निर्माण ने बड़े-बड़े कल कारखानों को जन्म दिया है जिसमें श्रम समय और धन की बचत के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में उत्पादन संभव हुआ है ।जिससे विशाल जनसमूह को आवश्यक वस्तुएं सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
(च) - कृषि के क्षेत्र में - 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाला हमारा देश आज यदि किसी भी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो जाता है। तो यह भी विज्ञान की देन है। विज्ञान की विशाल को तमीज एवं विकसित तकनीक रसायनिक खाद कीटनाशक ट्रैक्टर ट्यूबवेल और बिजली प्रदान किया छोटे बड़े बांधों का निर्माण करने निकालना भी विज्ञान से संभव हुआ है।
(छ) - शिक्षा के क्षेत्र में- मुद्रा यंत्र यंत्रों के आविष्कार ने बड़ी संख्या में पुस्तकों का प्रकाशन संभव बनाया है। इसके अतिरिक्त समाचार पत्र पत्र पत्र पत्रिकाएं आज भी मुद्रण क्षेत्र में हुई क्रांति के फलस्वरूप घर-घर पहुंचकर लोगों का ज्ञान वर्धन कर रही है।
(ज) - मनोरंजन के क्षेत्र में चलचित्र आकाशवाणी दूरदर्शन आदि प्रसार की मनोरंजन को संस्था और सड़क बनवा मनुष्य को प्रकृति का मनोरंजन सुलभ कराया है
संक्षेप में कहा जा सकता है। कि मैंने जीवन के लिए विद्या से बढ़कर दूसरा कोई वरदान नहीं है।
विज्ञान ;अभिशाप के रूप - विज्ञान का एक और पृथ्वी और विज्ञान एक असीम शक्ति प्रदान करने वाला तटस्थ स्टाफ अन्य अनेक प्रकार से भी जीवन में मानव का अहित किया है विज्ञान में बहुत बहुत इतवारी प्रवृत्ति को प्रेरणा दी है जिसके परिणामस्वरूप धर्म एवं अध्यात्म से संबंधित विश्वास तोते प्रतीत होने लगे हैं मानव जीवन के पारस्परिक संबंध भी कमजोर होने लगे हैं आज विज्ञान के कारण मानव जीवन के खतरों खतरों से परिपूर्ण तथा अशिक्षित भी हो गया है कंप्यूटर में शिक्षा के साधन उपलब्ध कराए हैं। साथ-साथ रोजगार के अवसर भी छीन लिए हैं विद्युत विभाग द्वारा प्रवर्तित देन है परंतु एक का ही व्यक्ति की लीला समाप्त कर सकता साधन है मानो चाहे जैसे इसका इस्तेमाल कर सकता है सभी जानते हैं कि 1 उसमें देवी प्रकृति भी है और आसुरी प्रवृत्ति भी समान रूप से जब मनुष्य को दैवी प्रगति प्रबल रहती है। तो वह मानव कल्याण के कार्य करता है परंतु किसी भी समय मनुष्य की राक्षसी प्रवृत्ति प्रवृत्ति कल्याणकारी विज्ञान इकाई के प्रवक्ता एवं सहायक शब्द का रूप ग्रहण कर सकता है गत विश्व युद्ध से लेकर अब तक मानव ने विज्ञान के क्षेत्र में अतिथि पुण्यतिथि में अदाकार जाता है कि आज विज्ञान की शक्ति पहले की अपेक्षा अपेक्षा बहुत बढ़ गई है।
साधनों के विज्ञान एक दिन प्रतिदिन होते जा रहे हैं नवीन आविष्कारों के कारण मानव पर्यावरण असंतुलन के दृश्य चक्र में भी मर चुका है।
सुख सुविधाओं की अधिकता के कारण मनुष्य आदि और आराम तलब बनता जा रहा है जिससे उसकी शारीरिक शब्द का हाल बुरा है अनेक नए नए रोग उत्पन्न हो रहे हैं। तथा उसमें सर्दी और गर्मी शायरी क्षमता कट गई है। चारों ओर का प्रत्यय युक्त जीवन विज्ञान की देन है और देव प्रगति ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या खड़ी कर दी है। विज्ञान के इस स्वरूप असंतुलन को दृष्टि में रखकर मानव को चेतावनी देते हुए हैं।
उपसहार-
विज्ञान सच में तलवार है, जिससे व्यक्ति आत्मरक्षा भी कर सकता है। और अनाड़ी पन में अपने अंग काटता है। तेज तलवार का नहीं उसका प्रयोग का है। विज्ञान में मानव के समय तक सीमित विकास का मार्ग खोल दिया। जिससे मनुष्य संसार से बेरोजगारी ,भुखमरी ,महामारी आदि को समूल नष्ट कर को विश्व को अभिभूत सुख समृद्धि की ओर ले जा सकता है। किंतु यह तभी संभव है। जब मनुष्य का विकास मानव कल्याण की भावना जागे अचानक कोई निर्णय करना है। कि विज्ञान वरदान रहने दो या बना दो।
Writer- roshni kushwaha
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