Up board live class- 12th शिक्षा शास्त्र पाठ -4 ब्रिटिश कालीन शिक्षा

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Up board live class- 12th शिक्षा शास्त्र पाठ -4 ब्रिटिश कालीन शिक्षा

Up board live class- 12th शिक्षा शास्त्र पाठ -4 ब्रिटिश कालीन शिक्षा

शिक्षा शास्त्र

 कक्षा 12

पाठ -4 ब्रिटिश कालीन शिक्षा



बहुविकल्पी प्रश्न


प्रश्न 1-  ब्रिटिश कालीन में शिक्षा का माध्यम थी । 

(क) हिंदी

(ख) अंग्रेजी

(ग) अरबी

(घ) उर्दू

उत्तर- अंग्रेजी



प्रश्न 2- भारत में प्रथम विश्वविद्यालय कहां खोला गया । 

(क) कोलकाता

(ख मुंबई

(ग) इलाहाबाद

(घ) वाराणसी

 उत्तर- कोलकाता


प्रश्न 3- चार्ल्स वुड घोषणा पत्र कब प्रकाशित हुआ । 

(क) 1813

(ख) 1833

(ग) 1852

(घ) 1882

उत्तर- 1854


प्रश्न 4-  एक अच्छे युवा रोटी पुस्तकालय की अलमारी भारत और अरबी के संपूर्ण देसी साहित्य के बराबर होगी यह कथन किसका है । 


(क) लॉर्ड विलियम बैटिंग

(ख) लॉर्ड ऑकलैंड

(ग) लार्ड मैकाले

(घ) लॉर्ड कर्जन

उत्तर- लॉर्ड मैकाले


प्रश्न 5- भारतीय स्कूलों के लिए सहायता अनुदान प्राली कब प्रारंभ हुई । 

(क) 1814 में

(ख) 1934 में

(ग) 1954 में

(घ) 1864 में

उत्तर -1854 में


निश्चित उत्तर प्रश्न


प्रश्न 1- बुध का शिक्षा घोषणा पत्र कब आया। 

उत्तर 1854 में। 


प्रश्न -2  सिलेंडर कमीशन की नियुक्ति क्यों की गई। 

उत्तर सिलेंडर कमीशन की नियुक्ति कोलकाता विश्वविद्यालय की जांच के लिए की गई। 


प्रश्न 3- चनाई के सिद्धांत का सुझाव किसने दिया था। 

उत्तर - चनाई के सिद्धांत का सुझाव लॉर्ड मैकाले ने दिया था! 


प्रश्न 4- भारतीय स्कूलों के लिए सहायता अनुदान प्राली का विचार किस आयोग ने दिया । 


उत्तर भारतीय स्कूलों के लिए सहायता अनुदान प्रणाली का विचार भारतीय शिक्षा आयोग हंटर आयोग ने दिया। 


अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- शिक्षा में चनाई का सिद्धांत का क्या अर्थ है। 

उत्तर निस्पंदन याचना के सिद्धांत के आधार पर उच्च शिक्षा व्यवस्था यात्रा डी से था। जिसमें शिक्षा के केवल उच्च वर्ग को प्रदान की जाए । और इस वर्ग से छन -छन कर शिक्षा श्वेता निम्न वर्ग या जन साधारण में पहुंच जाए इस सिद्धांत के अनुसार सरकार का यह कर्तव्य है कि वह केवल उच्च वर्ग को शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करें निम्न वर्ग को सता उसके संपर्क में आकर शिक्षित हो जाएगा। 


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- ब्रिटिश कालीन शिक्षा के प्रमुख गुण क्या थे। 

उत्तर अनेक शिक्षा शास्त्रियों एवं विद्वानों की धारणा है। कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज में युग परिवर्तन का कार्य किया था। क्योंकि यह शिक्षा वर्तमान समाज की आवश्यकता के अनुरूप रोजी रोटी देने वाली शिक्षार्थी लोगों को इसके माध्यम से संसार के साथ संपर्क बनाने अपनी बात को कहने तथा अंग्रेजी हुकूमत की पेशियों की जानकारी करने में अभूतपूर्व मदद मिली सूचना दृष्टि से संपूर्ण शिक्षा पद्धति की समीक्षा करने पर इसमें अनेक विशेषताएं परिचित होते हैं। जो निम्नलिखित हैं। 


1. पश्चात भाषा को सीखने का अवसर भारतीयों को मिला जिससे उन्हें विज्ञान औद्योगिक तथा राजनीति आदि विषयों का अध्ययन किया और देश की उन्नति के मार्ग पर अग्रसर किया। 


2- भारतीय संस्कृति ने अंग्रेजों को अत्यधिक प्रभावित किया था अंग्रेजी का ज्ञान हो जाने पर अनेक भारतीयों ने भारतीय साहित्य एवं संस्कृत की पुस्तकों का अनुवाद अंग्रेजी को इनका अध्ययन करने का अवसर मिला और भारतीयों में भी अपनी संस्कृति एवं साहित्य के प्रति पुनः जागृत पैदा हुई जिससे इस भारतीय संस्कृति और सभ्यता का स्थान बना हुआ। 


3- अंग्रेजों ने भी भारतीय भाषाएं सीखे इस प्रकार अंग्रेजी मातृभाषा वाली देशों में हमारी भाषाओं का प्रसार हुआ। 


4- अंग्रेजों ने स्त्री शिक्षा पर भी जोर दिया और उनके लिए शिक्षा संस्थाएं भी खोल दी । 


5- अंग्रेजी सत्या के कारण ही राष्ट्रीय चेतना विकसित हुई जिससे अनेक लोकतांत्रिक संस्था विकसित  हुई। 


प्रश्न 2-  ब्रिटिश कालीन शिक्षा के प्रमुख दोष बताइए। 


उत्तर ब्रिटिश कालीन शिक्षा के अनेक दोष भी थे जिनके कारण भारतीयों को बहुत हानि और कष्ट उठाने पड़े ब्रिटिश कालीन शिक्षा के प्रमुख दोष इस प्रकार थे। 


1- राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली - राष्ट्रीय शिक्षा प्राणी जनसाधारण के विकास में सफल रही उन्होंने सर्व धारणा की शिक्षा पर अधिक बल नहीं दिया कुछ चुने गए वर्गों तक यह शिक्षण सीमित रही शिक्षा के उद्देश्य निश्चित ना होने के कारण शिक्षा निरर्थक बन गई। 


2- ब्रिटिश कालीन शिक्षा के फल स्वरुप एक अलग वर्ग विकसित हुआ जो अंग्रेजी वर्ड कर शासन से जुड़ गया सरकारी नौकरियां प्राप्त करना गर्व का विषय बन गया सरकारी तंत्र में छोटी नौकरियां विशेषकर कल की पाकर शिक्षित वर्ग देश की मुख्यधारा से कट गया और ब्रिटिश सरकार के हितों को पोषित करने लगा। 


3- ब्रिटिश कालीन शिक्षा के फलस्वरूप प्रभाव से हमारी राष्ट्रीय एवं संस्कृति की विशेषता नष्ट हो गए क्योंकि इस शिक्षा के पश्चात संस्कृति का प्रभाव भारती शिक्षा वर्ग पर पड़ा और वे अपने राष्ट्रीय गुण एवं संस्कृत से दूर हट गए। 


4- भारतीय अपने धर्म को बुलाकर धार्मिक एवं नैतिक पतन के गर्त में डूबते चले गए व्यक्ति शिक्षा को ग्रहण करके सुख एवं ऐश्वर्य की खोज में लग जाता था वह भारतीय जीवन के आदर्श भूल गया और दैहिक सुख में लीन हो गया। 


प्रश्न 3- प्राच्य -पाश्चात्य शिक्षा विभाग क्या था। 


उत्तर चल 1813 की आज्ञा पत्र के अनुसार भारत में जन साधारण की शिक्षा का प्रबंध करना कंपनी का करतब हो गया और इस कर्तव्य को पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष 1 लाख की धनराशि भी सुरक्षित कर दी गई परंतु आज्ञा पत्र में स्पष्ट नहीं किया गया कि यह गाना किस प्रकार किया जाएगा तथा शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रश्नों परिवाद कारण हो गया जिसे प्राच्य पाश्चात्य विवाद के नाम से जाना जाता है। यह विवाद 20 वर्षों  ताकि चलता रहा यह विवाद निम्नलिखित विषयों पर था। 


विस्तृत उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ से स्वतंत्रता प्राप्ति तक भारत में शिक्षा की प्रगति किस प्रकार हुई। 


उत्तर बीसवीं शताब्दी का प्रारंभिक काल राष्ट्रीय भावना की जागरण का काल है। इस काल में स्वतंत्रता आंदोलन का सूत्रपात हुआ । स्वामी दयानंद सरस्वती श्रीमती एंड मदन मोहन मालवीय गोपाल कृष्ण गोखले जैसी महान विभूतियों का ध्यान भारतीय शिक्षा की ओर गया और उन्होंने दोषों को दूर करके सचिव प्रगति करने का प्रयास किया इस सदी में स्वतंत्रता प्राप्ति तक हुए शैक्षिक विकास के इतिहास के प्रमुख चरण इस प्रकार थे। 


विश्वविद्यालय आयोग - सन उन्नीस सौ दो में भारतीय विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति हुई जिसने विश्वविद्यालय की संरचना में आने सुधार करने के सुझाव दिया यह कार्य भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम सन उन्नीस सौ चार द्वारा भली-भांति संपादित हुआ। 


गोखले का विधेयक - गोपाल कृष्ण गोखले ने 16 मार्च 1911 ईस्वी को केंद्रीय धारा सभा में प्राथमिक शिक्षा संबंधी एक विधेयक प्रस्तुत किए जो गोखले विधेयक के नाम से विख्यात हैं उस में मुख्य रूप से अनुवाद निशुल्क प्राथमिक शिक्षा के पक्ष में तर्क दिए गए थे और इसे लागू करने को कहा गया था यद्यपि सरकार ने इस विधेयक को अस्वीकृत कर दिया लेकिन इससे प्रेरणा लेकर कई प्रांतों के लिए अनिवार्य शिक्षा अधिनियम पारित किए। 


कोलकाता विश्वविद्यालय आयोग सिलेंडर कमीशन - 14 सितंबर सन 1917 को एक आयोग की नियुक्ति की गई जिसका उद्देश्य कोलकाता विश्वविद्यालय की जांच करना था लेकिन उसने शिक्षा के अन्य क्षेत्रों पर भी अपनी रिपोर्ट व प्रस्तुत की इस आयोग के अध्यक्ष डॉ माइकेल सिलेंडर थे और अनेक भारतीय तथा अंग्रेज इसके सदस्य थे। 


वुडवर्ड रिपोर्ट - 1919 के भारत अधिनियम के अनुसार 1921 में ब्रिटिश भारत में शासन ट्राली अर्थात दोहरा शासन लागू हो गया इससे शिक्षा के क्षेत्र में अनिल दोस्त आ गए और काफी अव्यवस्था उत्पन्न हो गई फल स्वरूप 8 नवंबर 1927 को भारतीय शासन व्यवस्था की जांच के लिए एक सहायक सीमित बनाई गई सर हर्ट रंग के नाम पर उसका नाम है ढंग सीमित पड़ा इस लायक सीनेट ने इस दिसंबर 1929 में अपनी रिपोर्ट कमीशन के समक्ष प्रस्तुत की उच्च शिक्षा के विभिन्न अंगों के संबंध में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। 


वर्धा योजना या बेसिक शिक्षा - । 22 से 23 अक्टूबर 1937 को वर्धा में शिक्षा विधियों का एक अखिल भारतीय सम्मेलन हुआ जिसमें एक राष्ट्रीय शिक्षा योजना की रूपरेखा बनाई गई जिसके मुख्य प्रस्ताव थे। 


प्रश्न 2- अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली के गुण दोषों को स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर- अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली के गुण 


1.अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली से पश्चाताप ज्ञान-विज्ञान का भारत में प्रचार प्रसार हुआ। 


वैज्ञानिक प्रगति - भारत में अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से वैज्ञानिक प्रगति हुए भारतीयों ने व्यक्तिगत प्रयास से विज्ञान के अध्ययन के लिए नवीन शिक्षा संस्थाओं का निर्माण किया इन प्रयासों के फलस्वरूप देश के अनेक वैज्ञानिकों का विश्व में सम्मान मिला जिसमें श्रीनिवास रामानुजन जगदीश चंद्र बसु तथा रमन प्रमुख  हैं। 


भारतीय समाज का सुधार - भारत में ब्रिटिश शासन काल में अनेक सामाजिक कुरीतियां व्याप्त थी । जैसे -सती प्रथा बाल विवाह छुआछूत जाति भेद आदि । अंग्रेजी शिक्षा से प्रभावित होकर विद्वानों एवं समाजसेवियों ने इन कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन किया तथा कुछ सीमा तक उन्हें सफलता प्राप्त हुई। 


प्राचीन भारतीय साहित्य और संस्कृत का अध्ययन - कई अंग्रेज विद्वानों ने संस्कृत भाषा का अध्ययन करके संस्कृत की पुस्तकों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया जिससे पश्चिमी बौद्धिक जगत में प्राचीन भारतीय साहित्य एवं संस्कृति के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न हुए और भारतीयों में भी साहित्य और संस्कृति के प्रति रुचि जागृत हुई। 


ललित कलाओं का विकास - भारत सरकार ने ललित कलाओं के विकास के लिए मुंबई मद्रास और कोलकाता में कला विद्यालय स्थापित किए इन संस्थाओं ने भारतीय कलाओं को पुनर्जीवन देने तथा विकसित करने का प्रश्न सनसनी कार्य किया। 


शिक्षा प्रसार की नवीन साधनों का विकास - अंग्रेजी शिक्षा अपराधी एवं विज्ञान प्रगति कारण प्रिंटिंग प्रेस मंत्रालय चलचित्र रेडियो आदि के कारण शिक्षा परिसर में सहायता प्राप्त हुए वाचनालय एवं पुस्तकालयों की स्थापना किस फल स्वरुप ज्ञान एवं चिंतन का विकास हुआ। 


साहित्य एवं संस्कृति चेतना का विकास - अंग्रेजी शिक्षा पद्धति के संस्थापकों ने भारतीय साहित्य एवं प्राचीन संस्कृति को कोई महत्व नहीं दिया इनकी उपेक्षा की गई और कहीं-कहीं निंदा भी की गई जैसा कि लॉर्ड मैकाले ने भारतीय साहित्य के विषय में लिखा है कि एक अच्छे यूरोपीय पुस्तकालय की केवल एक अलमारी की पुस्तक को का माल संपूर्ण एशिया के जगत के संस्कृत उर्दू एवं अरबी के सहयोग से कहीं अधिक है इस विचारधारा की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप भारतीयों में संस्कृत एवं साहित्य चेतना का विकास हुआ। 


राष्ट्रीय भावना का विकास - अंग्रेजी शिक्षा के कारण भारतीयों के हृदय में संतरा सामान लोकतंत्र एवं राष्ट्रीयता संबंधी भावनाओं को विकास किया हुआ इसके फलस्वरूप अनेक राजनीतिक संस्थाएं पार्टी या दल विकसित हुए जिन्होंने भारत भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया इन उपर्युक्त गुणों का अध्ययन करने के पश्चात यह मान लेना उचित है। कि ब्रिटिश कालीन शिक्षा का भारतीयों के दृष्टिकोण एवं विचारों पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा जिससे हम आगरा कर सकते हैं ब्रिटिश कालीन शिक्षा में जहां अनेक अच्छाइयां या गुण थे वह इसमें बहुत दोस्त है। भारतीय दृष्टिकोण से कहा गया जाता है कि भारत पर लादी गई अंग्रेजी शिक्षा से बहुत हानियां हुई हैं। 


Writer by - roshani kushwaha

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