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कक्षा 12 समाजशास्त्र
खंड 'क' भारतीय समाज
पाठ 1 भारतीय समाज एक परिचय
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न -1 भारतीय संस्कृति के प्रमुख लक्षण निम्न में से कौन हैं?
(अ) प्राचीनता
(ब) दीर्घ जीवित
(स) सहिष्णुता
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर-( द )उपर्युक्त सभी
प्रश्न 2- भारतीय संस्कृति के प्रमुख आधार निम्न में से कौन हैं?
(अ) संयुक्त परिवार व्यवस्था
(ब) आश्रम व्यवस्था
(स) वर्ण व्यवस्था
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3 निम्न में से कौन समकालीन भारतीय समाज की विशेषताएं हैं?
(अ) जीवन व्यवहार में परिवर्तन
(ब) भौतिकवादी जीवन
(स) बदलता हुआ सामाजिक स्तरीकरण
(द) सभी
उत्तर- (द) सभी
प्रश्न 4 वसुधैव कुटुंबकम किस देश की अवधारणा है?
(अ) श्रीलंका
(ब) नेपाल
(स) भूटान
(द) भारत
उत्तर (द) भारत
प्रश्न 5 निम्न में से कौन धर्म का स्वरूप नहीं है?
(अ) वर्ण धर्म
(ब) आश्रम धर्म
(स) कुल धर्म
(द) पर धर्म
उत्तर -(द) पर धर्म
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 6 स्ववाचन किसे कहते हैं?
उत्तर- गहनता पूर्वक स्वयं का आत्म निरीक्षण करने की योग्यता को स्व वाचन करते हैं|
प्रश्न 7 समुदाय से क्या आशय है?
अथवा समुदाय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर जब कभी किसी छोटे बड़े समूह के सदस्य इस प्रकार साथ साथ रहते हैं कि उनका साथ रहना किसी विशेष प्रयोजन का स्वार्थ से ना होकर सामान्य जीवन के कारण होता है तो ऐसे समूह को हम समुदाय कहते हैं|
प्रश्न 8 आरोपित पहचान क्या है?
उत्तर- निपुणता एवं योग्यता से इतर किसी व्यक्ति की जन्म तथा संबंधों के आधार पर पहचान को आरोपित पहचान कहते हैं|
प्रश्न 9 संस्कृति से क्या आशय है?
उत्तर- समाज का सुशिक्षित तथा प्रतीकात्मक पक्ष जिसमें भाषा रीत -रिवाज परंपरा इतयादि शामिल होते हैं तथा जिसका संचरण पीढ़ी दर पीढ़ी होता है ,संस्कृति कहते हैं|
प्रश्न 10 समाज किसे कहते हैं?
उत्तर- समाज ऐसे लोगों का समूह है जो सामान संस्कृति का सहभाजन करते हैं, एक विशेष प्रादेशिक क्षेत्र रखते हैं तथा जिनका एक पृथक एकीकृत अस्तित्व होता है|
प्रश्न 11 एकीकरण क्या है?
उत्तर -एक ऐसी प्रक्रिया जिसके अंतर्गत समाज की विभिन्न इकाइयां एकता बध होती हैं अर्थात एक दूसरे के साथ मिलकर एक सूत्र में बंध जाती है|
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 10- आत्मसात्मी करण क्या है?
उत्तर- आत्मसात्मी करण संस्कृतिक एकीकरण और समजातीयता की एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा नए शामिल हुए या अधीनस्थ समूह अपनी विशिष्ट संस्कृति को खो देते हैं तथा प्रभुत्वशाली बहुसंख्यकों की संस्कृति को अपना लेते हैं| आत्मसात्मी करण बलपूर्वक भी करवाया जा सकता हैं और यह ऐच्छिक भी हो सकता है| समानता यह अधूरा होता है जहां अधीनस्थ या शामिल होने वाले समूह को समान शर्तों पर पूर्ण सदस्यता प्रदान नहीं की जाती| उदाहरण के लिए बहुसंख्यकों द्वारा एक प्रवासी समुदाय के साथ भेदभाव करना और परस्पर विवाह की अनुमति नहीं देना|
प्रश्न 11- नागरिक समाज क्या है?
उत्तर- समाज का वह क्षेत्र जो परिवार से परे हो पर राज्य बाजार का हिस्सा ना हो| उन स्वैच्छिक संस्थाओं एवं संगठनों का क्षेत्र जो सांस्कृतिक, सामाजिक ,धार्मिक अथवा अन्य गैर- व्यवसायिक और गैर -राज्यकीय सामूहिक कार्यों के लिए बनाई गई है|
प्रश्न 12- उपनिवेश से क्या आशय है?
उत्तर- एक ऐसी विचारधारा जिसके द्वारा एक देश दूसरे देश को जीतने और उसे अपना उपनिवेश मानने का प्रयत्न करता है| ऐसा उपनिवेश उपनिवेश करता देश का एक अधीनस्थ हिस्सा बन जाता है और फिर उपनिवेश करता देश के लाभ के लिए उस उपनिवेश का तरह तरह से शोषण किया जाता है| वैसे तो उपनिवेशवाद से संबंधित है, पर उपनिवेशवाद के अंतर्गत उपनिवेश करता देश उपनिवेश में बसने और उस पर अपना शासन बनाए रखने में अधिक रूचि रखता है जबकि साम्राज्यवादी देश उपनिवेश को लूट कर उसे छोड़ देता है अथवा दूर से ही उस पर शासन करता है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 13- भारतीय समाज का संक्षेप में परिचय प्रस्तुत कीजिए|
उत्तर भारतीय समाज का परिचय -औपनिवेशिक दौर में ही एक विशिष्ट भारतीय चेतना ने जन्म लिया| औपनिवेशिक शासन ने पहली बार भारत एकीकृत किया एवं पूंजीवादी आर्थिक परिवर्तन एवं आधुनिकीकरण की शक्तिशाली प्रक्रियाओं से भारत का परिचय कराया| एक तरह से जो परिवर्तन लाए गए उन्हें पलटा नहीं जा सकता था क्योंकि समाज वैसा कभी नहीं हो सकता जैसा पहले था| औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत भारत को आर्थिक राजनीतिक एवं प्रशासनिक एकीकरण की उपलब्धि की भारी कीमत चुकानी पड़ी| औपनिवेशिक शोषण एवं प्रभुत्व द्वारा दिए गए अनेक प्रकार के भावों के निशान भारतीय समाज पर आज भी मौजूद है| लेकिन उसी युग का एक विरोधाभासी सच यह है कि उपनिवेशवाद ने ही अपने सत्रु राष्ट्रवाद को जन्म दिया|
ऐतिहासिक रूप से भारतीय राष्ट्रवाद ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अंतर्गत आकार लिया| औपनिवेशिक प्रभुत्व के सम्मिलित अनुभवों ने समुदाय के विभिन्न भागों को एकीकृत करने एवं शक्तिशाली बनाने में सहायता की| पाश्चात्य शैली के शिक्षा के माध्यम से उभरते मध्यवर्ग में उपनिवेशवाद को उसकी अपनी मान्यताओं के आधार पर ही चुनौती दी| यह हमारे इतिहास की विडंबना ही है कि उपनिवेशवाद एवं पाश्चात्य शिक्षा ने हीं परंपरा की पुनः खोज को प्रोत्साहन प्रदान किया |इसके प्रभाव स्वरूप अनेक तरह की सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियां विकसित हुई जिससे राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर समुदाय के नवोदित रूप सुदृढ़ हुए हैं| उपनिवेशवाद ने नए वर्गों एवं समुदायों को जन्म दिया जिन्होंने बाद के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| नगरी मध्य वर्ग राष्ट्रवाद के प्रमुख वाहक थे एवं उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के अभियान की अगुवाई की| औपनिवेशिक हस्तक्षेपों ने भी धार्मिक एवं जाति आधारित समुदायों को निश्चित रूप दिया इन्होंने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|
समाजशास्त्र एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा कोई समाज के बारे में कुछ जानता है अन्य विषयों की शिक्षा हमें घर विद्यालय या अन्य स्थानों पर निर्देशों के द्वारा प्राप्त होती है किंतु समाज के बारे में हमारा अधिकतर ज्ञान बिना किसी तू स्पष्ट शिक्षा के अर्जित होता है| समय के साथ बढ़ने वाला यह एक अभिन्न अंग की तरह है जो स्वाभाविक तथा स्वेता स्फूर्त तरीके से प्राप्त होता है|
समुदाय हमें भाषागत तथा सांस्कृतिक मूल्य सिखाता है ,जिसके द्वारा हम देश को समझते हैं| यह जन्म तथा संबंधों पर आधारित होता है ना कि अर्जित योग्यता अथवा निपुणता पर जन्म आधारित पहचान को आरोपित कहा जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति विशेष की पसंदो का कोई महत्व नहीं होता| यह वस्तुता निरर्थक तथा विवेदात्मक है| आरोपित पहचान से पीछा छुड़ाना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि बिना विचार किए उन्हें त्यागने पर अन्य संबंधियों की पहचान के आधार पर हमें चिन्हित किया जाएगा| इस प्रकार की आरोपित पहचान आत्मनिरीक्षण के लिए बहुत ही हतोत्साहित करने वाली है| समुदाय के विस्तारित तथा अति व्यापी समूहों के संबंध जैसे परिवार रिश्तेदारी जाति नस्ल भाषा क्षेत्र अपना धर्म विश्व को अपनी पहचान बताता है तथा स्वयं की पहचान की चेतना पैदा करता है कि हम क्या हैं|
प्रश्न 14-समाजशास्त्र का अंश सामाजिक विज्ञान से संबंध बताइए|
समाजशास्त्र का सामाजिक विज्ञान से सबंधं
समाजशास्त्र का अंय सामाजिक विज्ञान से संबंध इस प्रकार है_
1- समाजशास्त्र एक ऐसा देश है जिसमें कोई भी शून्य से प्रारंभ नहीं होता ,क्योंकि हर किसी को समाज के बारे में जानकारी होती है, जबकि अन्य विषय विद्यालयो घरों तथा अंय जगहों पर पढ़ाई जाते है|
2- चूंकि जीवन के बढ़ते क्रम में यह एक अभिन्न हिस्सा होता है इसलिए समाज के बारे में किसी को जानकारी स्वत: स्फूर्त है इस पूर तथा स्वभाविक रूप से प्राप्त हो जाती है|
दूसरे विषयों के संबंध में छात्रों से इस प्रकार के पूर्व ज्ञान की अपेक्षा नहीं होती|
3- इसका अर्थ यह हुआ कि हम उस समाज के विषय में बहुत कुछ जानते हैं, जिसमें हम रहते तथा अंतकिरया करते हैं जहां तक दूसरे विषयों का समंधं है, इसमें छात्रों की पूर्व जानकारी नगण्य होतीं हैं|
4- यद्यपि इस प्रकार की पूर्व जानकारी अथवा समाज के साथ पृगाढता का समाजशास्त्र में लाभि हानि दोनों ही हैं| पूर्ण जानकारी के अभाव में दूसरे विषयों के संबंध में लाभ तथा हानि का प्रश्न ही नहीं उठता|
Class 12 chapter 2 समाजशास्त्र
Class 12 chapter 1 समाजशास्त्र
Writer name-dipaka kushwaha
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