Up board live class 12th Hindi (निबंध) अनियंत्रित भ्रष्टाचार कारण और निवारण
निबंध
अनियंत्रित भ्रष्टाचार कारण और निवारण
प्रस्तावना ( भ्रष्टाचार से आशय )- भ्रष्टाचार शब्द संस्कृत के भ्रष्ट शब्द साथ आचार शब्द के योग से निष्पादन हुआ है !राष्ट्र का अर्थ है अपने स्थान से गिरा हुआ अथवा विचलित और आचार का अर्थ है आचरण व्यवहार इस प्रकार किसी व्यक्ति द्वारा अपनी गरिमा से गिरकर अपने कर्तव्यों की वितरित किया गया है! आचरण भ्रष्टाचार है!
भ्रष्टाचार के विविध रूप वर्तमान में भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि उसके विविध रूप देखने में आते हैं जिनमें से कुछ मुख्य प्रकार हैं!
(1) रिश्वत ( सुविधा शुल्क) किसी कार्य को करने के लिए किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा लिया गया उपहार सुविधा अथवा नकद धनराशि को रिश्वत कहां जाता है किसी को साधारण भाषा में कुछ और शब्द भाषा में सुविधा शुल्क भी कहा जाता है !अपने कार्य को समय से और बिना किसी परेशानी के कराने के लिए अथवा के नियमों के विपरीत कार्य करने के लिए आज लोग से रिश्वत देते हैं!
(2) भाई भतीजावाद = किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा केवल अपने सगे संबंधियों को कोई सुविधा लाभ अथवा पद (नौकरी) प्रदान कराना ही भाई भतीजावाद है! आज नौकरियों तथा सरकारी सुविधाओं अथवा योजना के क्रियान्वयन के समय समर्थ (अधिकारी /नेता )लोग अपने बेटा बेटी भाई भतीजा आदि सगे संबंधियों को लाभ पहुंचाते हैं!
(3) कमीशन = किसी विशेष उत्पाद वस्तु अथवा सेवा के सौदों में किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा सौदों के बदले में विक्रेता अथवा सुविधा प्रदाता से कुल सोदी के मूल का एक निश्चित प्रतिशत प्राप्त करना कमीशन है !आज सरकारी अद सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के अधिकांश और दो अथवा ठेकों में कमीशन बाजी का वर्चस्व है!
(4) यौन शोषण = यह भ्रष्टाचार का सर्वथा नवीन रूप है! इसमें प्रभावशाली व्यक्ति विपरीत लिंग के व्यक्ति को अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए अनुचित लाभ पहुंचाने के बदले उसका यौन शोषण करता है!
भ्रष्टाचार के कारण = भ्रष्टाचार यद्यपि अनेकानेक कारण है जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं
महंगी शिक्षा = शिक्षा के व्यवसायीकरण ने उसे अत्यधिक महंगा कर दिया है! आज जब एक युवा शिक्षा पर लाखों रुपए खर्च करके किसी पद पर पहुंचता है ! तो उसका सबसे पहला लक्ष्य ही होता है! कि उसने अपने शिक्षा पर जो खर्च किया है !उसे किसी भी उचित अनुचित रुप से ब्याज सहित वसूल है उसकी यही सोच उसे भ्रष्टाचार के दलदल में धकेल देती है !और फिर वह जाकर भी इस से निकल नहीं पाता!
लचर न्याय व्यवस्था = लचर न्याय व्यवस्था भी भ्रष्टाचार का एक मुख्य कारण है प्रभावशाली योग अपने धन और भुजबल के सारे अरबों खरबों के घोटाले करके साफ बच निकलते हैं! जिससे युवा वर्ग इस बात के लिए प्रेरित होता है !कि यदि व्यक्ति के पास पर्याप्त धन बल है! तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता बस यही धारणा उसे आकृति धन प्राप्त करने के लिए भ्रष्टाचार की अंधी काली में धकेल देती है!जहां से वह फिर कभी निकल नहीं पाता!
(3) जन जागरण का अभाव = हमारे देश की बहुसंख्यक जनता अपने अधिकारों से अनभिज्ञ है जिसका लाभ उठाकर प्रभावशाली लोग उसका शोषण करते रहते हैं !और जनता चुपचाप भ्रष्टाचार की चक्की में पिसती रहती है!
(5) जीवन मूल्यों का हास और चरित्र पतन = आज व्यक्ति के जीवन से मानवीय मूल्यों का इतना हो गया है कि उसे उचित अनुच्छेद का भेदी दिखाई नहीं देता! जीवन मूल्यों को इसी हॉर्स में व्यक्त का इतना चरित्रिक पतन कर दिया है! कि उससे अन्य लोगों को हितों की तो आशा ही नहीं की जा सकती ऐसे मूल्य हिना दृश्य चरित्र व्यक्ति भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं!
भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए कुछ मुख्य उपाय इस प्रकार हैं
1 जन आंदोलन = भ्रष्टाचार को रोकने का सबसे मुख्य और महत्वपूर्ण उपाय जन आंदोलन है ! जन आंदोलन के द्वारा लोगों के उनके अधिकारों का ज्ञान कलाकार इस प्रकार अंकुश लगाया जा सकता है!
2 कठोर कानून = कठोर कानून बनकर ही भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सकती है ! यदि लोगों को पता हो कि भ्रष्टाचार करने वाला कोई भी व्यक्ति सजा से नहीं बच सकता तो प्रत्येक व्यक्ति अनुचित कार्य करने से पहले हजार बार सोचेगा !
3 निशुल्क उच्च शिक्षा = भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश तभी लगाया जा सकता है ! जब देश के प्रत्येक युवा को निशुल्क शिक्षा का अधिकार प्राप्त होगा यद्यपि अभी ऐसा किया जाना संभव नहीं दिखता तथापि 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान कराना इस दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है!
4 पारदर्शिता = देश और जनहित के प्रत्येक कार्य में पारदर्शिता लाकर भी भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है क्योंकि अधिकांश भ्रष्टाचार गोप नीता नाम पर ही होता है!
5 कार्यस्थल पर व्यक्ति की सुरक्षा और संरक्षण कार्यस्थल पर प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकार और कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए कार्य करने के लिए यह आवश्यक है! कि उसे पर्याप्त सुरक्षा तथा संरक्षण प्राप्त हो जिससे व्यक्ति निडर होकर अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ कर सके !यदि कार्यकारी व्यक्ति को पूर्ण सुरक्षा और संरक्षण मिले तो धनबल और बाहुबल का भय दिखाकर कोई भी व्यक्ति अनुचित कार्य करने के लिए किसी को विवश नहीं कर सकता महिला कर्मियों के लिए तो कार्यस्थल पर सुरक्षा और संरक्षण देने हेतु कानून बनाया जा चुका है जिससे उनका यौन शोषण रोका जा सके यद्यपि इस कानून को और अधिक व्यापक तथा प्रभावी बनाने की आवश्यकता है!
6 नैतिक मूल्यों की स्थापना नैतिक मूल्यों की स्थापना करके भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है !इसके लिए समाज सुधारको और धर्म प्रचारकों के साथ-साथ शिक्षक वर्ग को भी आगे आना चाहिए!
उप संघार हम तभी विकसित देशों की श्रेणी से सम्मिलित हो सकते हैं जब भ्रष्टाचार के क्षेत्र में न्यायिक तराजू पर राजा और रंक एक ही पलड़े में रखे जाएं भ्रष्टाचार पर कठोर कदम उठाए जाएं और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन जागरण हो!
Thanks
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