Up board live class- 12th solution शिक्षा शास्त्र पाठ- 2 बौद्ध कालीन शिक्षा

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Up board live class- 12th solution शिक्षा शास्त्र पाठ- 2 बौद्ध कालीन शिक्षा

Up board live class- 12th solution शिक्षा शास्त्र पाठ- 2 बौद्ध कालीन शिक्षा

कक्षा 12

शिक्षा शास्त्र

पाठ - 2 बौद्ध कालीन शिक्षा


बहुविकल्पी प्रश्न -


 प्रश्न -1 बौद्ध धर्म के प्रवर्तक कौन थे। 


(क) महात्मा बुद्ध

(ख) शंकराचार्य

(ग) महावीर

(घ) अश्वघोष


उत्तर - महात्मा बुद्ध


प्रश्न -2 नालंदा विद्यालय वर्तमान समय के किस नगर के निकट स्थित था। 

(क) पटना

(ख) रांची

(ग) आगरा

(घ) कोलकाता


उत्तर - पटना


प्रश्न-3 बिहार में शिक्षा का माध्यम कौन सी भाषा थी! 

(क) संस्कृत

(ख) पाली

(ग) हिंदी

(घ) मराठी


उत्तर -पाली


प्रश्न- 4 अधोलिखित में पबजा किस काल की शिक्षा से संबंधित है। 

(क) वैदिक शिक्षा से

(ख) बौद्ध शिक्षा से

(ग) मुस्लिम शिक्षा से

(घ) ब्रिटिश शिक्षा से


प्रश्न 5 -मठ व्यवस्था महत्वपूर्ण तत्व था! 

(क) वैदिक शिक्षा का

(ख) इस्लाम शिक्षा का

(ग)  जैन शिक्षा का

(घ) बौद्ध शिक्षा का


उत्तर -बौद्ध शिक्षा का



निश्चित उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- पबजा संस्कार बालक की कितनी आयु होने पर किया जाता था । 


उत्तर - 8 वर्ष की आयु में। 


प्रश्न 2- बौद्ध कालीन शिक्षा का एक उद्देश्य बताइए। 

उत्तर - निर्वाण प्राप्त करना। 


प्रश्न 3- बौद्ध कालीन शिक्षा की विशेषता बताइए। 

उत्तर- बौद्ध काल में समन्वय शिक्षा पर अधिक बल दिया जाता है। 



अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न1- बौद्ध शिक्षा के उद्देश्य बताइए। 


उत्तर धार्मिक भावना का विकास - बौद्ध कालीन शिक्षा का आधार बौद्ध धर्म था बौद्ध धर्म और उनके धर्म तथा संघ की शरण में रहना तथा बौद्ध धर्म के इस नियमों का पालन करना ही शिक्षा था। 


जनतंत्र भावना - शिक्षा के माध्यम से समाज के सभी लोगों में समानता और स्वतंत्रता की श्रेष्ठ भावना लाने का प्रयत्न किया जाता था ताकि चारों वर्णों के लोग पर सर मिलजुल कर जीवन व्यतीत करें। 


व्यापक शिक्षा - बौद्ध काल में भारतीय संस्कृति का भौतिक पद काफी समृद्ध हो चुका था और इस काल में शिक्षा लौकिक एवं धार्मिक दोनों प्रकार की थी बालक और बालिका ज्ञानी और व्यवसाई दोनों की शिक्षा प्राप्त करते थे शासक और जनसाधारण दोनों के लिए शिक्षा की उत्तम व्यवस्था थी इस प्रकार बौद्ध कालीन शिक्षा का क्षेत्र व्यापक था। 


प्रश्न 2- सरयास्त्री से आप क्या समझते हैं। 


उत्तर -श्रवण 3 है। बुद्ध शरणम ,गच्छामि धम्मम ,शरणम गच्छामि ,संघम शरणम गच्छामि। 


प्रश्न 3- बौद्ध काल में स्थापित नहीं दो प्रमुख विश्वविद्यालयों के नाम लिखिए। 


उत्तर -विक्रमशिला विश्वविद्यालय ,नालंदा विश्वविद्यालय



लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- बौद्ध कालीन शिक्षा के गुण और दोषों का उल्लेख कीजिए। 


उत्तर -बौद्ध कालीन शिक्षा के गुण

बौद्ध कालीन शिक्षा में निम्नलिखित गुण थे। 


1.शिक्षा की व्यवस्था काफी अच्छी थी वह पूर्ण रुप से व्यवस्थित थी। 


2. यदि एक मठ में अनेक से सामूहिक रूप से रहते एवं पढ़ते थे तो शिक्षक एवं शिष्य के मध्य बड़ा निकट तथा गहरा संबंध रहता था जिससे वे शिक्षा शिष्य के अनुकूल प्रदान करते थे। 


3. बालकों को कठोर क्यों से रखकर उन्हें गृह तथा आंतरिक दोनों पहलुओं में अनुशासित किया जाता था। 


4. बौद्ध शिक्षा के परिणाम स्वरुप ही ग्रस्त लोग भी संयम से रहते थे। 


प्रश्न 2.बौद्ध काल में शिक्षण विधियों पर प्रकाश डाले। 


उत्तर शिक्षण -विधियां

1.प्रवचन या व्याख्यान विधि

2.वाद विवाद विधि 

3.प्रश्नोत्तर विधि

4.पुस्तक अध्ययन विधि

5.सम्मेलन विधि

6.प्रयोग विधि

7.स्वाध्याय एवं स्मरण करना (रठना या याद करना) 

8.भ्रमण एवं निरीक्षण  विधि


विस्तृत उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- बौद्ध शिक्षा प्रणाली के क्या उद्देश्य थे वर्तमान में उनकी प्रसंगिकता की विवेचना कीजिए। 


अथवा 


बौद्ध कालीन शिक्षा के उद्देश्य एवं आरक्षण का उल्लेख कीजिए। 


अथवा


 बौद्ध कालीन शिक्षा के उद्देश्य बताइए। 


उत्तर -  बौद्ध कालीन शिक्षा के प्रमुख आदर्श नियम  निम्नलिखित थे। 


1.जीवन और शिक्षा में घनिष्ठ संबंध था तथा जीवन में आदर्श शिक्षा में भी अपनाए गए थे इसलिए विद्यार्थियों को 

सरस्वती पवित्र और सात्विक जीवन व्यतीत करना पड़ता था 


 2.समाज सेवा बौद्ध शिक्षा का दूसरा आदर्श था उप संपदा संस्कार संपन्न होने पर विद्यार्थी  बन जाता था और वह बौद्ध धर्म एवं मठ की सेवा करता था भिक्षु का कार्य समाज में भ्रमण करना और धर्म के सिद्धांतों से जनसाधारण को शिक्षित करना था


3. विश्व कल्याण बोर्ड शिक्षा का तीसरा आदर्श था धर्म का प्रचार करने वाले भारत से बाहर भी गए और संपूर्ण जीवन दोनों को जीवन के सत्य का ज्ञान देते रहें जिससे संपूर्ण विश्व के लोगों का कल्याण हो सके बौद्ध धर्म में विश्व कल्याण की भावना होने के कारण ही उसका व्यापक प्रचार हुआ 


4. बौद्ध कालीन शिक्षा जनतंत्रिक आदर्शों पर आधारित थी इसमें समानता स्वतंत्रता और समाज हित की भावना नहीं थी सभी लोग बिना किसी भेदभाव के समान रूप से शिक्षा ग्रहण करने और निर्वाण प्राप्त करने के अधिकारी थे। 


प्रश्न 2-  बौद्ध कालीन शिक्षा का संगठन एवं पाठ्यक्रम स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर - बौद्ध कालीन शिक्षा प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा के रूप में विभाजित थी धर्म प्रचारकों के लिए मठ संघ तथा संगठित शिक्षा संस्थाएं खोली गई थी इनका प्रधान संचालक एक विद्वान था जिसके अधीन विभिन्न विषयों के मोहब्बत या होते थे वर्ड कालीन शिक्षा समूह थी उस समय शिक्षा निशुल्क दी तथा किसी भी जाति का व्यक्ति उसमें प्रवेश ले सकता था इसी प्रकार किसी भी जाति का विद्वान व्यक्ति गुरु या शिक्षक हो सकता था। 


बिहार - बौद्ध काल के मुख्य शिक्षा संस्थाओं को बिहार कहा जाता था इस बिहार में हजारों विषयों के रहने की व्यवस्था होती थी गुरु एवं शिष्य साथ साथ रहते थे बौद्ध संघ के अंतर्गत अनेक मठ तथा बिहार होते थे इनकी स्थापना बहुत शासकों  के द्वारा की जाती थी । भारत के इतिहास में सर्वप्रथम संगठित एवं सर्वजनिक शिक्षण संस्थान बौद्ध विहार के रूप में ही पाए जाते हैं 

प्राथमिक और उच्च शिक्षा के लिए प्रथक प्रथक बिहार थे काल के उत्तरार्ध में कुछ बिहार सामान विद्यालयों की तरह कार्य करने लगे थे जिनमें विद्यार्थी अपने घर में ही रहकर शिक्षा प्राप्त कर सकता था। 



प्रश्न -3  बौद्ध कालीन शिक्षा की विशेषताएं एवं प्रमुख शिक्षा केंद्रों का विवरण  कीजिए। 


उत्तर -बौद्ध कालीन शिक्षा की विशेषताएं - शिक्षा प्रणाली के उपनयन संस्कार की भारतीय बौद्ध कालीन शिक्षा प्रणाली की पबजा सदस्यता 8 वर्ष की आयु में होता है। इस संस्कार के बाद बालक स्मरण या विवरण बनकर योग बौद्ध संज्ञा पढ़ती थी जिसके अंतर्गत बालक को, बुद्धम शरणम ,गच्छामि धम्मम शरणम गच्छामि, संघम शरणम गच्छामि ,का उच्चारण करना पड़ता था इसका तात्पर्य है कि हम बुद्ध की शरण में बौद्ध धर्म की शान में तथा बौद्ध संघ की शरण में जाती है। 


विद्या आरंभ करने की आयु - 8 वर्ष की उम्र में छात्र शिक्षा संस्था में प्रवेश करते थे और वहां रहकर 12 वर्ष तक विद्या अध्यापन करते थे। 


आर्थिक व्यवस्था - बिहार ओं के संचालन का विवरण के संस्थापकों तथा अन्य अनुयायियों द्वारा वहन किया जाता था विभागों को दान में इतनी सारी संपत्ति दे दी जाती थी। कि इसकी आय से बिहार ओं का खर्च सरलता से पूरा हो जाता था। 


गुरु शिष्य संबंध - भारतीय परंपरा के अनुसार गुरु और शिष्य के संबंध पिता-पुत्र की तरह होते थे विद्यार्थी शुरू की सेवा करते थे गुरु का प्रमुख कर्तव्य श्रेष्ठ को मानसिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करना था गुरु सदा जीवन व्यतीत करते थे बता शिष्य के सामने आदर्श उपस्थित करते थे। 


स्त्री शिक्षा - बौद्ध धर्म में साधारण स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी बौद्ध धर्म की व्यवस्था के अनुसार को आजाद रहा जारी रहना पड़ता था इसलिए उनके चरित्र की रक्षा करने के लिए महात्मा बुद्ध ने स्त्रियों को संघ में सम्मिलित होने की अनुमति प्रदान की थी परंतु कालांतर में अपने प्रिय से सानंद के आग्रह पर स्त्रियों को संघ में प्रवेश की अनुमति दे दी थी जिसके फलस्वरूप स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन मिला स्त्रियों की शिक्षा के लिए अलग मोटो एवं विचारों की व्यवस्था की गई जहां उन्हें प्राचार्य व्रत का पारण करना पड़ता था। 

स्त्रियों के शहर में प्रवेश करने की आज्ञा से स्त्री शिक्षा को विशेष रूप से समाज के कुली एवं व्यवसायिक वर्गों की स्त्रियों की शिक्षा को बहुत अधिक प्रशासन मिला तुम तो साधारण परिवारों में स्त्री शिक्षा का प्रभाव रहा है। 


अनुशासन - संघ के नियम कठोर थी और अनुशासन बहुत बल दिया जाता था नियमों का पालन न करने पर दंड का प्रभाव दान था। 


निशुल्क - प्राथमिक शिक्षा निशुल्क थी किंतु उच्च शिक्षा में विद्यार्थी से रहने व खाने काव्य दिया जाता था निर्धन एवं योग विद्यार्थी धन के स्थान पर अपनी सेवाएं विषय को अर्पित कर सकते थे। 


सिद्धि  विहारक - जब कोई सी से संघ के नियमों का पालन करते हुए शिक्षा प्राप्त कर लेता था तथा साथ ऐसा आदमी मानवीय गुणों से पूर्ण हो जाता था साथ ही समाज सेवा ग्रुप यादव चौरागढ़ का अनुसरण करते हुए समाज को शिक्षित करने के लिए प्रयत्न करता या तब उससे सिर्फ को सिर्फ धारा की उपाधि मिली थी। 


बौद्ध कालीन शिक्षा केंद्र -


बौद्ध काल में संगठित शिक्षण केंद्रों की स्थापना की गई इनमें से कुछ केंद्रों में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त किए इनमें चीन जापान तिब्बत तथा पूर्वी दीप समूह के छात्र लिए अध्ययन के  लिए आते थे। 


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Writer by - roshani kushwaha

roshani kushwaha

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