Up board live solution class 12th hindiशिक्षा में खेल कूद का स्थान पर निबंध

Ticker

Up board live solution class 12th hindiशिक्षा में खेल कूद का स्थान पर निबंध

 Up board live solution class 12th hindi

शिक्षा में खेल कूद का स्थान पर निबंध


 प्रस्तावना - खेल मनुष्य की जन्मजात प्रवृत्ति है| यह प्रवृत्ति बालको युवकों और वृद्धों तक में पाई जाती है| जो बालक अपनी बाल्यावस्था में खेलों में भाग नहीं लेता वह बहुत सी बातें सीखने से वंचित रह जाता है और उसके व्यक्तित्व का भली प्रकार विकास नहीं हो पाता|

स्वास्थ्य जीवन की आधारशिला है स्वस्थ मनुष्य ही अपने जीवन संबंधी कार्यों को भलीभांति पूर्ण कर सकता है|


शिक्षा और क्रीड़ा का संबंध-यह निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है की शिक्षा और क्रीडा का अनुवारय संबंध है| शिक्षा यदि मनुष्य का सर्वांगीण विकास करती है तो उस विकास का पहला अंग शारीरिक विकास शारीरिक विकास व्यायाम और खेलकूद के द्वारा ही संभव है| इसलिए खेलकूद या क्रीड़ा को अनिवार्य बनाए बिना शिक्षा की प्रक्रिया का संपन्न हो पाना संभव नहीं है अन्य मानसिक नैतिक या आध्यात्मिक विकास भी परोक्ष रूप से क्रीड़ा और व्यायाम के साथ ही जुड़े हैं| यही कारण है कि प्रत्येक विद्यालय में पुस्तकी शिक्षा के साथ-साथ खेल कूद और व्यायाम की शिक्षा भी अनिवार्य रूप से दे दी जाती है|


क्रीडा एवं व्यायाम के विभिन्न प्रकार- शरीर को शक्तिशाली स्फूर्ति युक्त और ओजस्वी तथा मन को प्रसन्न बनाने के लिए जो कार्य किए जाते हैं उन्हें हम खेलकूद क्रीडा या व्यायाम कहते हैं| खेल कूद और व्यायाम से शरीर में तीव्र गति से रक्त संचार होता है| आता है दौड़ क्रिकेट फुटबॉल बैडमिंटन टेनिस हॉकी आदि खेल इसी दृष्टि से खेले जाते हैं| इन खेलों के लिए विशेष रूप से लंबे चौड़े मैदान की आवश्यकता होती है, अत: ये खेल सब लोग सभी स्थानों पर सुविधा पूर्वक नहीं खेल सकते हैं|वे अपने शरीर को पुष्ट करने के लिए कुछ नियमित व्यायाम करती हैं, जैसे प्रातः तथा सायं खुली वायु में भ्रमण दंड बैठक लगाना मुकदर घुमाना अखाड़े में कुश्ती के जोर करना एवं आसन करना आदि| इस प्रकार खेल कूद और व्यायाम का क्षेत्र अधिक विस्तृत है और इन के विभिन्न रूप हैं|


शिक्षा में क्रीड़ा एवं व्यायाम का महत्व एवं समन्वय -संकुचित अर्थ में शिक्षा का तात्पर्य पुस्तकी ज्ञान प्राप्त करना और मानसिक विकास करना ही समझा जाता है, लेकिन व्यापक अर्थ में शिक्षा से तात्पर्य केवल मानसिक विकास से ही नहीं है, वरन शारीरिक चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास अर्थात सर्वांगीण विकास से है| सर्वांगीण विकास के लिए शारीरिक विकास आवश्यक है और शारीरिक विकास के लिए खेल कूद और व्यायाम का विशेष महत्व है|

शिक्षा में व्यायाम और खेलकूद का महत्वपूर्ण स्थान है| इसका अर्थ यह नहीं है कि खेलकूद के समक्ष शिक्षा के अन्य अंगों की उपेक्षा कर दी जाए| आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षा और खेल कूद में समन्वय स्थापित किया जाए| विद्यार्थी गण खेलकूद और व्यापार से शक्ति का संचय करें, स्फूर्ति एवं ताजगी प्राप्त करें और इन सब का सदुपयोग शिक्षा प्राप्त करने में करें| किसी भी एक कार्य को निरंतर करते रहना ठीक नहीं है इस संबंध में एक अंग्रेज कवि की उक्ति है_


 work while you work

 play while you play

 that is the way

To be happy and gay


अर्थात काम के समय मन लगाकर काम करो और खेलने के समय मन लगाकर खेलो |जीवन में प्रसन्नता प्राप्त करने का एकमात्र यही तरीका है|

अत: हमें पढ़ाई के समय खेल कूद से दूर रहना चाहिए और खेल के समय प्रत्येक दृष्टि से चिंता रहित होकर केवल खेलना ही चाहिए|


 उपसंहार - व्यायाम और खेलकूद से शरीर में शक्ति का संचार होता है, जीवन में ताजगी और स्फूर्ति मिलती है| आधुनिक शिक्षा जगत में खेल के महत्व को स्वीकार कर लिया गया है| छोटे-छोटे बच्चों के स्कूलों में भी खेलकूद की समुचित व्यवस्था की गई है|

इसे भी पढ़ें

PET परीक्षा क्या है UPSSSC Exam kya h

 writer name Dipaka kushwaha



Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2