UP board live solution class 10th social science unit 3 लोकतांत्रिक राजनीति 2 (नागरिक शास्त्र)
UP board class 10 social science full solution
इकाई 3 लोकतांत्रिक राजनीति 2(नागरिक शास्त्र)
अध्याय 2 संघवाद
बहुविकल्पीय प्रश्न-
(क) मणिपुर
(ख) हिमाचल प्रदेश
(ग) अरुणाचल प्रदेश
(घ) दिल्ली
प्रश्न-2 भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में कितनी भाषाओं का समावेश है?
(क) 20
(ख) 22
(ग) 24
(घ) 26
उत्तर- (ख) 22
प्रश्न-3 भारत में पंचायती राज्य की स्थापना हुई थी-
(क) 1980 में
(ख) 1990 में
(ग) 1992 में
(घ) 2004 में
उत्तर- (ग) 1992 में
प्रश्न- 4 भारत में कुल कितने संघीय राज्य हैं?
(क) 27
(ख) 28
(ग) 29
(घ) 30
उत्तर-(ख) 28
प्रश्न-5 निम्नलिखित में से किस में महिलाओं के लिए 'आरक्षण 'सुनिश्चित है?
(क) विधानसभा में
(ख) लोकसभा में
(ग) पंचायती राज संस्थाओं में
(घ) राज्यसभा में
उत्तर- (ग) पंचायती राज संस्थाओं में
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न- 1 अधिकार क्षेत्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- ऐसा दायरा जिस पर किसी का वैधानिक अधिकार हो। यह दायरा भौगोलिक सीमा के अंतर्गत परिभाषित होता है अथवा इसके अंतर्गत कुछ विषयों को भी रखा जा सकता है।
प्रश्न-2 समवर्ती सूची क्या है?
या
समवर्ती सूची के चार विषयों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- विषयों की वह सूची जिस पर कानून बनाने का अधिकार राज्य और केंद्र सरकार दोनों का होता है ।लेकिन जब दोनों के कानून में टकराव हो तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है। इस सूची में शिक्षा , वन ,मजदूर संघ ,गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे विषय शामिल है।
प्रश्न-3 अवशिष्ट सूची क्या है?
उत्तर- विषयों की वह सूची जिस पर केंद्र सरकार कानून बनाती है। इसमें वे विषय रखे गए हैं जो तीनों सूचियों में शामिल नहीं हो पाए थे।
प्रश्न-4 संघीय शासन व्यवस्था से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- वह शासन व्यवस्था जिसमें एक ही समय में दो से अधिक सरकारें कम करें, संघात्मक व्यवस्था कहलाती है।
प्रश्न-5 विश्व के दो संघात्मक राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-1- भारत 2-अमेरिका
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1- संघात्मक शासन की स्थापना के दो प्रमुख तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- संघात्मक शासन की व्यवस्था के दो तरीके निम्नलिखित हैं-
1- दो या अधिक स्वतंत्र राष्ट्रों को साथ लाकर एक बड़ी इकाई गठित करके संघ का निर्माण किया जाता है। इसमें सभी स्वतंत्र राष्ट्र अपनी संप्रभुता के साथ रहते हैं, अपनी अलग- अलग पहचान बनाए रखते हैं और अपनी सुरक्षा और खुशहाली बढ़ाते हैं। इसके उदाहरण हैं- संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया। इस व्यवस्था में प्रांतों को समान अधिकार होता है।
2- दूसरा तरीका है, एक बड़े देश द्वारा अपनी आंतरिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन करना और फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के बीच सत्ता का बंटवारा कर देना। भारत ,बेल्जियम और स्पेन इसके उदाहरण हैं। इस श्रेणी में राज्यों से केंद्र सरकार अधिक शक्तिशाली होती है ।अक्सर इस व्यवस्था में विभिन्न राज्यों को समान अधिकार दिए जाते हैं।
प्रश्न-2 भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का बंटवारा किस प्रकार किया गया है?
उत्तर- संविधान में स्पष्ट रूप से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विदाई अधिकारों का बंटवारा निम्न प्रकार किया गया है-
1- संघ सूची- इसमें प्रतिरक्षा, विदेश, बैंकिंग ,संचार ,मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय हैं। इन पर केंद्र सरकार कानून बनाती है।
2- राज्य सूची- इसमें पुलिस ,व्यापार ,वाणिज्य ,कृषि ,सिंचाई जैसे प्रांतीय महत्त्व के विषय आते हैं। इन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार को है।
3- समवर्ती सूची- इसमें शिक्षा, वन, मजदूर संघ ,विवाह जैसे विषय शामिल है। इन पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र तथा राज्य दोनों सरकारों को है ।लेकिन जब दोनों के कानूनों में टकराव हो तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानूनी मानना होता है।
4- अवशिष्ठ सूची- अवशिष्ट विषयों की सूची में विषय रखे गए जो तीनों सूचियों में शामिल नहीं थे या जो नए विषय उभरे हैं ।इन पर केंद्र सरकार कानून बनाती है।
प्रश्न-3 स्थानीय सरकारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर- जब केंद्र और राज्य सरकारों से शक्तियां लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं ।तो इसे सत्ता का विकेंद्रीकरण कहते हैं ।इसमें तीसरे स्तर को स्थानीय शासन का जाता है। स्थानीय शासन का महत्व निम्नलिखित है-
1- अनेक समस्याओं का निपटारा स्थानीय स्तर पर ही बढ़िया ढंग से हो सकता है क्योंकि लोगों को अपने इलाके की समस्याओं की बेहतर समझ होती है।
2- लोगों को इस बात की भी जानकारी होती है कि पैसा कहां खर्च किया जाए और चीजों का अधिक कुशलता से उपयोग किस तरह किया जा सकता है।
3- स्थानीय स्तर पर लोगों को फैसलों में सीधे भागीदार बनाना भी संभव हो जाता है ।इससे लोकतांत्रिक भागीदारी की आदत पड़ती है।
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Class 10th social science unit 3 लोकतांत्रिक राजनीति 2नागरिक शास्त्र अध्याय 2 संघवाद
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 भारत में संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
या
भारत में संघीय व्यवस्था कैसी है इसके 4 लक्षण बताइए।
उत्तर- स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान ने भारत को राज्य का संघ घोषित किया। इसमें संघ शब्द नहीं आया पर भारतीय संघ का संगठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धांत पर हुआ ।भारतीय संघात्मक शासन की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है-
1- दो स्तरीय शासन व्यवस्था- संविधान में दो स्तरीय शासन व्यवस्था का प्रावधान किया गया- संघ सरकार और राज्य सरकार बाद में पंचायतों और नगर पालिकाओं के रूप में भी संघीय शासन का तीसरा स्तर भी जोड़ा गया है।
2- शक्तियों का बंटवारा- संविधान में केंद्र और राज्य सरकारों के विधायी अधिकारों को तीन हिस्सों में बांटा गया। संघ सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषय रखे गए जिन पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया। राज्य सूची में कम महत्व के विषय थे इन पर राज्य सरकार कानून बना सकती है समवर्ती सूची पर राज्य और केंद्र दोनों कानून बना सकते हैं किंतु टकराव की स्थिति में केंद्र का मान्य होगा।
3- कठोर संविधान- हमारे संविधान में केंद्र व राज्य के बीच सत्ता का बंटवारा लिखित रूप से किया गया है।
4- शक्तिशाली न्यायपालिका- संघात्मक शासन में न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। भारत में शक्तियों के बंटवारे से संबंधित कोई विवाद होने की स्थिति में फैसला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
5- वित्तीय स्वायत्तता- सरकार चलाने और अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कर लगाने, राजस्व उगाही और संसाधन जमा करने का अधिकार है। राज्य सरकारों को वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त है।
6- एकीकृत न्यायपालिका- भारत में संघात्मक शासन के कारण केंद्र और राज्य सरकारों की अलग-अलग कार्यपालिका और व्यवस्थापिका है किंतु न्यायपालिका दोनों के लिए एक ही है ऐसा इसलिए किया गया है जिससे केंद्र और राज्यों के बीच में झगड़ा को निपटारा किया जा सके।
प्रश्न- 2 भारत का संघात्मक स्वरूप अन्य संघों से किस प्रकार भिन्न है?
या
"भारतीय संघात्मक शासन केंद्रीकृत संघवाद का नमूना है ।"इस कथन को तर्क सहित स्पष्ट करें।
उत्तर- भारतीय संघात्मक शासन अन्य देशों के संघात्मक शासन से भिन्न है। अमेरिका, कनाडा आदि देशों में पूर्ण संघात्मक शासन है। किंतु भारतीय संघ में कुछ एकात्मक शासन की विशेषताएं भी है जो उसे अन्य देशों के संघात्मक शासन से अलग बनाती हैं। भारतीय संविधान की निम्नलिखित विशेषताएं उसे अन्य देशों के संघात्मक शासन से अलग बनाती हैं-
1- भारतीय संविधान में कहीं भी संघात्मक शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। इसमें केवल यह कहा गया है कि भारत राज्यों का संघ है।
2- केंद्र सरकार को राज्य सरकारों से अधिक विषय दिए गए हैं। संघ सूची में सबसे अधिक तथा महत्वपूर्ण विषय है। विशेष परिस्थितियों में, आपातकाल के समय केंद्र राज्य सूची पर भी कानून बना सकता है। यदि राज्यपाल यह सिफारिश करेगी किसी विषय पर केंद्र कानून बनाए तो केंद्र राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बना सकता है। समवर्ती सूची में भी केंद्र के कानूनों को महत्व दिया जाता है। अवशिष्ट विषय भी केंद्र के अधिकार में रखे गए हैं। इस प्रकार केंद्र सरकार को राज्य सरकार से अधिक अधिकार दिए गए हैं।
3- एकीकृत न्यायपालिका- संघात्मक शासन में केंद्र व राज्यों के लिए अलग-अलग न्यायपालिका होती है किंतु भारत में केंद्र और राज्यों के लिए न्यायपालिका का एक ही ढांचा काम करता है जिसमें सबसे ऊपर सर्वोच्च न्यायालय, फिर उच्च न्यायालय तथा फिर जिला अदालत में काम करती हैं।
4- राज्यों के अपने संविधान ,राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगीत नहीं है ।अमेरिका आदि संघात्मक देशों में राज्यों के अपने अलग अलग संविधान, राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगीत है किंतु भारत में राज्यों के अपने अलग -अलग संविधान राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगीत नहीं है ।पूरे देश का एक संविधान एक राष्ट्रध्वज व एक राष्ट्रगीत है जो देश को एकात्मता की ओर ले जाते हैं।
5- भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति केवल भारत का नागरिक कहलाता है।उससे अलग -अलग राज्यों की नागरिकता प्राप्त होती ,जबकि संघात्मक शासन में नागरिक अपने देश का तथा जिस राज्य में निवास करता वह उसका भी नागरिक होता है ;जैसे -अमेरिका में दोहरी नागरिकता है।
प्रश्न-3 शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या प्रमुख अंतर है? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
उत्तर- शासन के संघात्मक तथा एकात्मक स्वरूप में अंतर-
1- संघात्मक शासन में दोहरी शासन व्यवस्था होती है- एक केंद्र स्तर पर तथा दूसरी राज्य स्तर पर, जबकि एकात्मक शासन में संपूर्ण शक्तियां केंद्र में निहित होती हैं। प्रांतों की शासन व्यवस्था केंद्र के अधीन होती है। संघात्मक व्यवस्था में शक्तियां केंद्र तथा राज्यों में विभाजित होती हैं। अमेरिका, बेल्जियम तथा भारत में संघीय व्यवस्था है भारत में 28 राज्य हैं, जबकि अमेरिका में राज्यों की संख्या 50 है ।ब्रिटेन तथा श्रीलंका में एकात्मक सरकारें हैं।
2- संघात्मक शासन व्यवस्था में लिखित तथा कठोर संविधान का होना आवश्यक है, जैसा कि अमेरिका का संविधान है, जबकि एकात्मक शासन के लिए यह अनिवार्य शर्त नहीं है। ब्रिटेन में आ लिखे तथा लचीला संविधान है।
3- संघात्मक शासन व्यवस्था में दोहरा संविधान तथा दोहरी नागरिकता का प्रावधान होता है, परंतु भारत में संघीय शासन व्यवस्था होने के बावजूद भी इकहरी नागरिकता तथा इकहरा संविधान है। एकात्मक शासन में इकहरी नागरिकता तथा एक इकहिरा संविधान होता है।
4- संघात्मक शासन व्यवस्था में न्यायपालिका का स्वतंत्र तथा निष्पक्ष होना अति आवश्यक है, जबकि एकात्मक शासन के लिए यह आवश्यक नहीं है।
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