UP board live solutions class 10th social science unit 3 लोकतांत्रिक राजनीति- 2 (नागरिक शास्त्र)

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UP board live solutions class 10th social science unit 3 लोकतांत्रिक राजनीति- 2 (नागरिक शास्त्र)

UP board live solutions class 10th social science unit 3 लोकतांत्रिक राजनीति- 2 (नागरिक शास्त्र)


UP board class 10 social science solutions 


इकाई-3 लोकतांत्रिक राजनीति -2
 

अध्याय -1 सत्ता की साझेदारी


बहुविकल्पीय प्रश्न- 


 प्रश्न-1 बेल्जियम की राजधानी क्या है?


(क) ब्रूसेल्स

(ख) ब्राजील

(ग) बैंकॉक

(घ) न्यूयॉर्क


उत्तर- (क) ब्रूसेल्स


प्रश्न-2 श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र कब घोषित हुआ?


(क) 1947 में

(ख) 1950 में

(ग) 1948 में

(घ) 1945 में


उत्तर- (ग) 1948 में


प्रश्न-3 बेल्जियम में किस प्रकार की सरकार है?


(क) सामूहिक सरकार

(ख) सामुदायिक सरकार

(ग) राजतंत्र

(घ) एकपक्षीय सरकार


उत्तर- (ख) सामुदायिक सरकार


प्रश्न-4 श्रीलंका ने 1956 में किस भाषा को कानून बनाकर एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया?


(क) सिंहली

(ख) तमिल

(ग) बंगाली

(घ) पंजाबी


उत्तर - (क) सिंहली


प्रश्न-5 देश की अखंडता तथा एकता के लिए क्या आवश्यक है?


(क) सत्ता की साझेदारी

(ख) सत्ता का विभाजन

(ग) राजतंत्र

(घ) इनमें से कोई नहीं


उत्तर- (क) सत्ता की साझेदारी


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न - 


प्रश्न-1 1956 में श्रीलंका में एक कानून बनाया गया। इस कानून के तहत तमिल लोगों के साथ किस तरह का भेदभाव किया गया?


उत्तर- श्रीलंका में एक कानून के तहत तमिल भाषा को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया। विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंह हलियों को प्राथमिकता दी गई। बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा दिया गया।


प्रश्न-2 बेल्जियम में सामुदायिक सरकार का चुनाव कैसे होता है?


उत्तर- डच ,फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले लोग चाहे जहां वे रहते हो अपनी भाषा के आधार पर सामुदायिक सरकार का चुनाव करते हैं।


प्रश्न-3 सत्ता की साझेदारी से क्या तात्पर्य है?


उत्तर- किसी देश में शासन करने की शक्ति का समाज के अलग-अलग समुदायों ,वर्गों या लोगों में बंटवारा सत्ता की साझेदारी कहलाता है।


प्रश्न-4 बहुसंख्यकवाद से क्या तात्पर्य है?


उत्तर- वह व्यवस्था जिसमें देश में रहने वाला बहुसंख्यक समुदाय अपने मनचाहे ढंग से शासन करें और इसके लिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की जरूरत या इच्छाओं की अवहेलना करें बहुसंख्यकवाद कहलाता है।


प्रश्न-5 वैध सरकार से क्या समझते हैं?


उत्तर- वह सरकार जो जनता द्वारा चुनी जाती है वैध सरकार कहलाती है।


लघु उत्तरीय प्रश्न- 


प्रश्न-1 सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है? एक तर्क दीजिए।


उत्तर- सत्ता की साझेदारी जरूरी है क्योंकि विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है ।यह सामाजिक टकराव हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेते हैं। इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है ।बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना देश की अखंडता के लिए घातक हो सकता है इसलिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है। सत्ता का बंटवारा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए ठीक है।


प्रश्न-2 व्यक्तिपरक और नैतिक तर्क में क्या अंतर है?


उत्तर-  युक्तिपरक तर्क को समझदारी का तर्क भी कहा जाता है। इसमें लाभ -हानि का सावधानीपूर्वक हिसाब लगाकर लिया गया फैसला युक्तिपरक तर्क कहलाता है ।जबकि नैतिक तर्क सत्ता के बंटवारे के अंतर्भूत महत्व को बताता है ।इसमें विवेक या बुद्धि के आधार पर लाभ -हानि का हिसाब लगाकर फैसला नहीं किया जाता, केवल नैतिकता के आधार पर फैसला किया जाता है ; जैसे - सत्ता की साझेदारी से सामाजिक समूहों के बीच टकराव खत्म होगा ,ये सत्ता की साझेदारी के पक्ष में युक्तिपरक  तर्क है तथा सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए जरूरी है या इससे लोकतंत्र स्थापित होता है ।यह सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क है।


प्रश्न-3 सामाजिक विविधताओं वाले शासन में सत्ता का बंटवारा किस प्रकार किया जा सकता है?


उत्तर-  सत्ता का बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों, मसलन भाषाई और धार्मिक समूहों के बीच हो सकता है ।कुछ देशों के संविधान और कानून इस बात का प्रावधान करते हैं कि सामाजिक रुप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए ताकि यह लोग खुद को शासन से अलग ना समझने लगें। अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी तरीके से सत्ता में उचित  हिस्सेदारी दी जाती है। ऐसा करके विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच संभावित टकराव को दूर करने की कोशिश की जाती है ।सत्ता के बंटवारे के द्वारा समाज के विभिन्न समूहों में एकता स्थापित करने की कोशिश की जाती है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-


प्रश्न-1 श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद तथा इसके प्रभावों का वर्णन कीजिए?


उत्तर- सन 1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी अधिक संख्या के बल पर शासन व सत्ता पर प्रभुत्व जमाना चाहा। नवनिर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए कई कदम उठाए ,जो इस प्रकार है- 


1- 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।


2- विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता दी गई।


3- नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।


प्रभाव-  इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन के प्रति बेगाने पन को बढ़ाया ।उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियां उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं । उन्हें लगा कि संविधान और सरकारी नीतियां उन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं। नौकरियों आदि में भेद-भाव हो रहा है, उनके हितों की अनदेखी की जा रही है परिणाम: तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए ।श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियां बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की मांगों को लेकर संघर्ष किया। 1980 के दशक तक उत्तर -पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम बनाने की मांग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।


प्रश्न-2 विभिन्न दबाव समूह और राजनीतिक दल किस प्रकार सत्ता के बंटवारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?


उत्तर- सत्ता के बंटवारे का एक रुप हम विभिन्न प्रकार के दबाव समूह और आंदोलन द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने के तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं ।लोकतंत्र में लोग सत्ता के दावेदारों का चुनाव करने के लिए राजनीतिक दलों का गठन करते हैं। यह राजनीतिक दल सत्ता के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करते हैं ।पार्टियों की यह आपसी प्रतिद्वंद्विता ही इस बात को सुनिश्चित कर देती है कि सत्ता एक व्यक्ति या समूह के हाथ में ना रहे। विभिन्न लोकतंत्र देशों में सत्ता बारी-बारी से अलग अलग विचारधारा और सामाजिक समूह वाली पार्टियों के हाथ में आती -जाती रहती है। बहुदलीय प्रणाली वाले देशों में यह भागीदारी प्रत्यक्ष दिखती है क्योंकि दो या अधिक पार्टियां मिलकर सरकार भी बनाती हैं ।इस प्रकार राजनीतिक दल सत्ता की भागीदारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


प्रश्न-3 आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके क्या है? इनमें से प्रत्येक एक का उदाहरण भी दीजिए।


उत्तर- आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं- 


1- शासन के विभिन्न अंगों के बीच बंटवारा-

शासन के विभिन्न अंग; जैसे- विधायिका ,कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बंटवारा रहता है ।इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी- अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं ।इसमें कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित प्रयोग नहीं करता, हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है। इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बना रहता है ।इस के सबसे अच्छे उदाहरण अमेरिका व भारत है। यहां विधायिका कानून बनाती है ,कार्यपालिका कानून को लागू करती है तथा न्यायपालिका न्याय करती है ।भारत में कार्यपालिका संसद के प्रति उत्तरदाई है ,न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है ।न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के कानूनों की जांच करके उन पर नियंत्रण रखती है। 


2- सरकार के विभिन्न स्तरों में बटवारा- पूरे देश के लिए एक सरकार होती है जिसे केंद्र सरकार या संघ सरकार कहते हैं ।फिर प्रांतीय क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें बनती हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। भारत में इन्हें राज्य सरकार कहते हैं इस सत्ता के बंटवारे वाले देशों में संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख होता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बंटवारा किस तरह होगा। सत्ता के ऐसे बंटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है ।भारत में केंद्र और राज्य स्तर के अतिरिक्त स्थानीय सरकारें भी काम करती हैं। इनके बीच सत्ता के बंटवारे के विषय में संविधान संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है जिससे विभिन्न सरकारों के बीच शक्तियों को लेकर कोई तनाव ना हो।


Written by - Bandana Kushwaha

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