Up board live solution for class-12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 11 स्त्री शिक्षा( बालिकाओं की शिक्षा की समस्या)

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Up board live solution for class-12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 11 स्त्री शिक्षा( बालिकाओं की शिक्षा की समस्या)

Up board live solution for class-12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 11 स्त्री शिक्षा( बालिकाओं की शिक्षा की समस्या) 

 कक्षा -12 शिक्षा शास्त्र

पाठ- 11 स्त्री शिक्षा ( बालिकाओं की शिक्षा की समस्या) 


बहुविकल्पी प्रश्न


प्रश्न 1-मैत्री किस काल की विदुषी थी । 


क- बौद्ध काल

ख- प्राचीन काल

ग- मध्यकाल

घ- आधुनिक काल


उत्तर -प्राचीन काल


प्रश्न 2- गुलबदन बेगम प्रसिद्ध है क्योंकि वह थी । 


क- गीतकार

ख- संगीतकार

ग- इतिहासकार

घ- साहित्यकार


उत्तर- इतिहासकार


प्रश्न 3- प्रथम स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय योगदान देने वाली महिला थी। 


क-  हमसा मेहता

ख- एंटी  पेशेंट

ग- सरोजिनी नायडू

घ- विजय लक्ष्मी पंडित


उत्तर एंटी पेशेंट


प्रश्न 4- महिला समाख्या योजना का आरंभ हुआ । 


क - 1969

ख - 1989

ग- 1919

घ- 2009


उत्तर 1989 में


निश्चित उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1 राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद की स्थापना कब की गई? 


अथवा


 राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद का गठन कब और क्यों किया गया । 


उत्तर 1959 मैं महिला शिक्षा की समस्याओं के निराकरण के लिए। 


प्रश्न 2-  प्राचीन काल के दो विदुषी महिलाओं के नाम लिखिए। 


उत्तर गार्गी और घोंषा । 


प्रश्न 3- महिला समाख्या योजना कब और क्यों प्रारंभ की गई। 


उत्तर शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के और शक्तिशाली बनाने के लिए 1989 में महिला समाख्या योजना प्रारंभ की गई। 


अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1-  स्त्री शिक्षा विचार समस्याएं बताइए। 


अथवा


भारत में स्त्री शिक्षा प्रसार में आने वाली बाधाओं का उल्लेख कीजिए। 


उत्तर -स्त्री शिक्षा की समस्याएं


  1. सामाजिक तथा परंपराओं के कारण स्त्री शिक्षा का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है। 

  2. बालिका विद्यालयों का अभाव। 

  3. भारत की निर्धनता, 

  4. पर्याप्त शिक्षकों का अभाव भी स्त्री शिक्षा के पिछड़ेपन का कारण है। 


प्रश्न 2- स्त्री शिक्षा की समस्याओं के निवारण के 4 उपाय बताइए। 


उत्तर स्त्री शिक्षा की समस्याएं। 


  1. पर्याप्त संख्या में बालिका विद्यालय खोले जाएं। 

  2. पर्याप्त निश्चित संख्याओं की व्यवस्था की जाए। 

  3. समान पाठ्यक्रम की व्यवस्था की जाए। 

  4. प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम चलाया जाए। 


प्रश्न 3- स्त्री शिक्षा अथवा बालिका शिक्षा को आवश्यक एवं महत्व क्यों माना जाता है। 


उत्तर एक विद्वान का कथन है। एक लड़के की शिक्षा एक व्यक्ति की शिक्षा है। परंतु एक लड़की की शिक्षा पूरी परिवार की शिक्षाएं प्रस्तुत करते द्वारा स्पष्ट होता है। कि बालिका शिक्षा अधिक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। वास्तव मैं आज की बालिका सुशिक्षित है, तो एक भाभी परिवार उससे लाभान्वित होगा,  ग्रहणी अपने घर परिवार की व्यवस्था बनाए रखती है बालिकाओं की शिक्षा से समाज की कुरीतियों को समाप्त करने में योगदान प्राप्त होता है। तथा सामाजिक उत्थान में सहायता प्राप्त होती है। 


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1 सह शिक्षा का क्या अर्थ है? इसकी क्या आवश्यकता है । 


उत्तर लड़के तथा लड़कियां एक स्थान, एक समय, एक पाठ्यक्रम एक विधि तथा एक प्रशासन के अंतर्गत अध्ययन करते हैं। 


आवश्यकता तथा महत्व


  1. लड़की और लड़के एक दूसरे को समझ सकते हैं । उनकी एक दूसरे के प्रति गलतफहमी आसन कर्तव्य दूर होता है। 


  1. साथ रहने से परस्पर सहयोग का विश्वास विकसित होता है। 


  1. एक दूसरे के प्रति जिज्ञासा संतुष्ट होती है। 


  1. शिक्षा के समान अवसर ,सुविधाएं तथा अधिकार मिलते हैं। 


  1. स्त्री शिक्षा का अलग प्रबंध खर्चीला होता है जिसकी सह शिक्षा में बचत होती है। 


  1. नारी को स्वतंत्र सामाजिक वातावरण सामाजिक प्रतिष्ठा तथा नागरिक अधिकार मिलते हैं । जो शिक्षा से ही संभव है। 


प्रश्न 2-  आधुनिक काल में भारतीय समाज में स्त्री शिक्षा के स्थिति को स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर आधुनिक काल में अंग्रेजों ने स्त्रियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान नहीं दिया यद्यपि ईसाई धर्म प्रचारकों ने कुछ महिला विद्यालय खोले थे जिनकी संख्या 1851 में 371 थी। दक्षिण भारत में स्त्री शिक्षा के लिए कई समितियां सृजनशील थे सन् 1970 स्त्रियों का विश्वविद्यालय में प्रवेश वर्जित था सर्वप्रथम मुंबई विश्वविद्यालय ने 1883 में स्त्रियों के प्रवेश को मान्यता दी सन 1902तक स्त्री शिक्षा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई स्वाधीनता के पूर्व तक देश में प्राथमिक कन्या पाठशाला 467 माध्यमिक विद्यालय और केवल 12 महिला कालेज थे। 


राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद श्रीमती एनी बेसेंट आदि समाजदार सुधारकों ने स्त्री शिक्षा के प्रचार के लिए सक्रिय प्रदान किया देश में राष्ट्रीय चेतना आर्थिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन सती प्रथा बाल विवाह आदि के समाप्त हो जाने से स्त्री शिक्षा के प्रति लोगों में विशेष रूचि एवं उत्साह जागृत हो गया इस प्रकार स्वाधीनता प्राप्ति तक स्त्री शिक्षा केवल विकास ओनोमो ही रही। 


स्वाधीनता के बाद स्त्री शिक्षा की व्यवस्था भारत सरकार के हाथ में आ गई और उसकी प्रगति बहुत धीमी गति से होने लगे कि स्त्री शिक्षा के प्रसार का कार्य पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया गया। इस और और इस क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति हुई सरकार की ओर से स्त्री शिक्षा के लिए विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं। स्त्रियों को पुरुषों के समान शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार की मान्यता मिलने से उनकी शिक्षा की प्रगति की काफी तेजी से आई है। अब तो अनेक बोर्ड परीक्षा में बालिकाओं द्वारा लोगों से अधिक अंक भी प्राप्त किए जा रहे हैं । 


विस्तृत उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1 स्त्री शिक्षा की कोई चार समस्या लिखिए। 


अथवा


 महिला शिक्षक की प्रगति हेतु किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।


अथवा

स्त्री शिक्षा का क्या महत्व है? स्त्री शिक्षा के विकास में क्या-क्या समस्याएं हैं। 


अथवा

बालिकाओं की शिक्षा में बाधा डालने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए इनके निराकरण के कुछ उपाय बताइए। 


अथवा


भारत में नारी शिक्षा के मार्ग में आने वाली किन्हीं चार बाधाओं को लिखिए । 


उत्तर-

 भारत में नारी शिक्षा की समस्याएं


इसमें संदेह नहीं कि स्वाधीनता भारत में स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति हुई है। लेकिन कुछ समस्याएं तथा कठिनाइयां स्त्री शिक्षा के मार्ग में बाधक बनी हुई है। इसके विकास में अनेक कठिनाइयां एवं समस्याएं हैं प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं।


सामाजिक रूढ़ियां और कठिनाइयां - भारत की अधिकांश जनता गांवों में बसती है। और सामाजिक रूढ़ियों व परंपराओं की कदर समर्थक होती है। तभी अनेक कारणों से नारी शिक्षा का कड़ा विरोध करते हैं। यह लोग नारी शिक्षा का महत्व नहीं समझते और ना ही इसके लिए प्रयास करते हैं। 


निर्धनता और पिछड़ापन - नारी शिक्षा के प्रसार एवं उत्थान में एक प्रमुख बाधा गरीबी भी है। गांवों में अधिकांश परिवार ऐसे हैं। जो बालकों की शिक्षा का व्यवहार नहीं उठा पाते हैं। तो बालिकाओं की शिक्षा का खर्च कहां से उठाएं। 


स्त्री का क्षेत्र घर तक सीमित - हमारे देश में स्त्री का कार्य क्षेत्र घर की चारदीवारी तक सीमित रहा उसे केवल घर परिवार ही चलाना था। अतः उसके शिक्षित होने की कोई आवश्यकता नहीं समझी जाती थी। किंतु अब स्त्री प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। और इसलिए शिक्षा भी प्राप्त करना अनिवार्य है। 


सरकार की उदासीनता - सरकार स्त्री शिक्षा के प्रति इतनी जागरूक नहीं है। जितनी अपेक्षा है। इस कारण स्त्री शिक्षा के विकास पर बहुत कम धन व्यय किया जा रहा है सरकार की इस उपेक्षा  नीति के कारण स्त्री शिक्षा कार्य वांछित विकास नहीं हो पा रहा है। 


समस्याओं के निराकरण के उपाय

स्त्री शिक्षा की समस्याओं के निराकरण के निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए। 


जनता के कर्तव्य - सरकार अपने कर्तव्य तथा दायित्वों का पालन बिना जनता के सहयोग के नहीं कर सकती अजंता द्वारा स्त्री शिक्षा के प्रसार और सुधार के लिए सरकार को सहयोग दिया जाना आवश्यक है। इस संबंध में जनता को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। 


स्त्रियों के कर्तव्य - स्त्री शिक्षा का उत्तरदायित्व स्वयं स्त्रियों पर अधिक है स्वतंत्र भारत के संविधान में स्त्रियों को समान अधिकार प्राप्त है। आज की नारी राजनीतिक सामाजिक संस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र में पुरुषों के समकक्ष है । किंतु नारी और पुरुष में भेद होने के कारण उसके कर्तव्य क्षेत्र में भिन्नता होना, आवश्यक हो जाता है । अतः स्वयं स्त्रियों को अपने लिए उचित एवं वंचित शिक्षा व्यवस्था की मांग करनी चाहिए स्त्रियों को अपने नारी सुलभ गुणों की रक्षा करते हुए शिक्षा के पथ पर अग्रसर होना चाहिए। 


प्रश्न 2- नारी सशक्तिकरण के लिए शिक्षा आवश्यक है। इस कथन के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त कीजिए। 


उत्तर - पारस्परिक रूप से हमारा समाज पुरुष प्रधान रहा है । तथा समाज में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को कम अधिकार प्राप्त है। महिलाओं को कम स्वतंत्रा प्राप्त थी तथा उन्हें समाज में अगला ही माना जाता था पर अब स्थिति एवं सोच परिवर्तित हो चुकी है। अब यह माना जाने लगा है। कि समाज एवं देश की प्रगति के लिए समाज में महिलाओं को भी समान अधिकार अवसर एवं सप्ताह प्राप्त होने चाहिए इसलिए हर और नारी सशक्तिकरण की बात कहीं जा रही है। नारी सशक्तीकरण की अवधारणा को स्वीकार कर लेने पर यह भी अनुभव किया गया है। कि नारी सशक्तिकरण के लिए शिक्षा आवश्यक है। वास्तव में जब समाज में स्त्रियां शिक्षित हो गए तो उनमें जागरूकता आएगी तथा भी अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों को भी समस्या के लिए इसके अतिरिक्त शिक्षा नारी पारंपरिक से भी मुक्त हो पाएगी शिक्षा प्राप्त नारियां विभिन्न व्यवसायों एवं नौकरियों में करके आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र होंगे इससे जहां एक और भी पुरुषों की आर्थिक निर्भरता से मुक्त होगी वहीं उनमें एक विशेष प्रकार की आत्मा जागृत होगा इस स्थिति में ना तो उन्हें अपना माना जाएगा और ना ही उनका शोषण ही हो पाएगा! इन समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है। कि नारी सशक्तिकरण के लिए शिक्षा  आवश्यक है। 


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शिक्षा शास्त्र पाठ- 11 स्त्री शिक्षा समस्या



Writer by sandhya kushwaha

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