CG board assignment -6 class -12th Sociology full solution 2022। छत्तीसगढ़ बोर्ड असाइनमेंट -6 कक्षा- 12वी समाजशास्त्र फुल सॉल्यूशन
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल, रायपुर
असाइनमेंट-6
कक्षा-12वीं
विषय-समाजशास्त्र
CG board assignment -6 class -12th Sociology full solution 2022 |
प्रश्न क्रमांक-1 का उत्तर
चिपको आंदोलन पारिस्थतिकीय आंदोलन का एक उपयुक्त उदाहरण है- यह मिश्रित हितों तथा विचारधराओं का अच्छा उदाहरण हैं । रामचंद्र गुहा अपनी पुस्तक ' अनक्वाइट वुड्स ' में कहते हैं कि गांववासी अपने गांवों के निकट के ओक तथा रोहडैड्रोन के जंगलों को बचाने के लिए एक साथ आगे आए । जंगल के सरकारी ठेकेदार पेड़ों को काटने के लिए आए तो गाँववासी , जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल थीं , आगे बढ़े तथा कटाई रोकने के लिए पेड़ों से चिपक गए । गाँववासी ईंधन के लिए लकड़ी , चारा तथा अन्य दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जंगलों पर निर्भर थे । उसने गरीब गाँववासियों की आजीविका की आवश्कताओं तथा राजस्व कमाने की सरकार की इच्छा के बीच एक संघर्ष उत्पन्न कर दिया । चिपको आंदोलन ने पारिस्थितिकीय संतुलन के मुद्दे को गंभीरतापूर्वक से उठाया । जंगलों का काटा जाना वातावरण के विध्वंस का सूचक है , क्योंकि इससे संबंधित क्षेत्रों में बाढ़ तथा भूस्खलन जैसी प्राकृतिक विपदाओं का खतरा रहता है । इस प्रकार से , अर्थव्यवस्था , पारिस्थितिकी तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व की चिंताएँ चिपको आंदोलन का आधार थी ।
प्रश्न क्रमांक 2 का उत्तर
सामाजिक आंदोलन के बिना समाज कल्पना से परे है लेकिन अगर कोई ऐसा समाज रहा है जहां कोई सामाजिक आंदोलन नहीं हुआ है तो वह निम्न प्रकार का होता -
• यह एक बहुत ही प्रगतिशील समाज होता जहां लोग शांतिपूर्ण तरीके से रहते थे ।
• सामाजिक वातावरण सहयोगी और सामंजस्यपूर्ण होता । समाज के सभी सदस्य अपने काम से ही प्रतिष्ठित और चिंतित होते ।
• स्व -अनुशासनात्मक प्रणाली और आत्म - जांच प्रणाली वहां बहुत अधिक मौजूद होती ।
• यह एक बहुत ही आदर्श प्रकार का समाज होता जिसकी आवश्यकता हर देश को होती है।
प्रश्न क्रमांक-3 का उत्तर
कृषि नीति को बदलने के लिये किये गये आन्दोलन कृषक आन्दोलन ( Peasant movement ) कहलाते हैं । कृषक आन्दोलन का इतिहास बहुत पुराना है और विश्व के सभी भागों में अलग - अलग समय पर किसानों ने कृषि नीति में परिवर्तन करने के लिये आन्दोलन किये हैं ताकि उनकी दशा सुधर सके । मौजूदा दौर में भारत में कृषक आंदोलन
तेज गति से बढ़ रहे है इसका मुख्य कारण कृषक की आर्थिक हालत दिन प्रति दिन कमजोर हो रही है और वो कर्ज के मकड़ जाल में फंस रहा क्यों की मौजूद दौर में कृषि में लागत बढ़ रही है आमदनी घट रही है जिस कारण से किसानो में आत्म हत्या की घटनाए बढ़ रही है । दूसरी तरफ लोग कृषि निति बदलवाने के लिए संघर्ष कर रहे है । बर्ष 2017 में देश में छोटे बड़े सैकड़ो आंदोलन देश में हुए है सरकार को कृषि के सम्बन्ध में बोलने पर मजबूर किया है जिस में महारास्ट्र का जून 17 मेंगाँव बन्द हो चाहे नासिक से बर्ट तक का मार्च हो राजस्थान में पानी व् बिजली के सवालो पर आंदोलन हरियाणा में 2015 में नरमें की फसल के खराबे पर मुआब्जे की मांग का आंदोलन हो तमिलनाडु के किसानो का महीनो तक संसद मार्ग पर धरना आदि मुख्यत रहे है ।
प्रश्न क्रमांक-4 का उत्तर
( 1 ) पारंपरिक सिद्धांत - : इस सिद्धांत के अनुसार ब्रम्हांड के निर्माता ब्रम्हां जी ने जाति व्यवस्था का निर्माण किया था । ब्रह्मा के जी के विभिन्न अंगों से जैसे उनके मुख से ब्राह्मणों का , हाथ से क्षत्रिय , वैश्य पेट से और इसी तरह अन्य विभिन्न जातियों का जन्म हुआ।
( 2 ) राजनीतिक सिद्धांत - : इस सिद्धांत के अनुसार ब्राह्मण समाज पर शासन करने के अलावा उन्हें पूर्ण नियंत्रण में रखना चाहते थे । इसलिए उनके राजनीतिक हित ने भारत में एक जाति व्यवस्था बनाई । जिसमें एक फ्रांसीसी विद्धान निबे दुबास ने मूल रूप से इस सिद्धांत को आगे बढ़ाया , जो भारतीय विचारकों डॉ . घुर्ये जैसे लोगों से भी समर्थित थे ।
( 3 ) धार्मिक सिद्धांत - : यह माना जाता है कि विभिन्न धार्मिक परंपराओं ने भारत में जाति व्यवस्था को जन्म दिया था । राजा और ब्राह्मण जैसे धर्म से जुड़े लोग उच्च पदों पर आसीन थे लेकिन अलग - अलग लोग शासक के यहां प्रशासन के लिए अलग - अलग कार्य करते थे जो बाद में जाति व्यवस्था का आधार बन गए थे । इसके साथ साथ , भोजन की आदतों पर प्रतिबंध लगाया जो जाति व्यवस्था के विकास के लिए प्रेरित हुआ।
प्रश्न क्रमांक-5 का उत्तर
सामाजिक आन्दोलन के लक्षण :
1.सामाजिक आन्दोलन एक सामूहिक प्रयास हैं । 2. सामाजिक आन्दोलन घटित हो रहे परिवर्तनों को एक निश्चित दिशा देने का प्रयास करता हैं ।
3. सामाजिक आन्दोलन जीवन तथा समाज के किसी भी पक्ष से संबंधित हो सकता हैं।
4. सामाजिक आन्दोलन सामाजिक संरचना का प्रतिफल होते हैं अतः सामाजिक संरचना की विशेष परिस्थिति मे उत्पन्न होते हैं ।
5. समाज एवं संस्कृति मे पूर्ण अथवा आंशिक परिवर्तन लाने के लिए अथवा विरोध करने के लिए सामाजिक आन्दोलन किया जाता हैं ।
6. सामाजिक आन्दोलन त्वरिक परिवर्तन की इच्छा से किये जाने वाला सामूहिक प्रयास होता है ।
7. सामाजिक आन्दोलन का संबंध सामाजिक गतिशीलता से होता है।
8. सामाजिक आन्दोलन मे नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं।
9. सामाजिक आन्दोलन की एक विचारधारा होती हैं।
10. सामाजिक आन्दोलन की प्रकृति परिवर्तन समर्थक भी हो सकती है और परिवर्तन प्रतिरोधी भी अर्थात् सामाजिक आन्दोलन परिवर्तन लाने अथवा परिवर्तन रोकने के उद्देश्य से संचालित किये जाते हैं।
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