Under five clinic in Hindi ( 5 वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल)

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Under five clinic in Hindi ( 5 वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल)

Under five clinic in Hindi ( 5 वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल)

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Under five clinic in Hindi ( 5 वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल)

जैसा कि नाम से स्पष्ट है अण्डर फाइव क्लिनिक पाँच वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल से सम्बन्धित होते हैं। इन क्लिनिकों के द्वारा पाँच वर्ष तक के बच्चों को नैदानिक (Diagnostic), उपचारात्मक (Therapeutic) तथा रोकथामात्मक (Preventive) प्रकार की स्वास्थ्य सेवायें प्रदान की जाती हैं।


। पाँच वर्ष तक के बच्चे निर्बलतम समूह (Vulnerable group) के माने जाते हैं तथा इनमें बीमारी होने की संभावना तुलनात्मक अधिक होती है। इस उम्र समूह के बच्चों में तीव्र श्वसनीय संक्रमण (Acute Respiratory Infection), दस्त रोग (Diarrhoeal diseases), खसरा ( Measles), वर्म इन्फेस्टेशन्स (Worm infestations), कुपोषण (Malnutrition) जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं तथा इन समस्याओं के कारण कई बार बच्चों की मृत्यु तक भी हो जाती है इसके अलावा पाँच वर्ष तक की उम्र वृद्धि एवं विकास की उम्र होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि पाँच वर्ष तक के बच्चों को रोकथामात्मक, नैदानिक तथा उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाओं की महती आवश्यकता होती है। अण्डर फाइव


क्लिनिकों (Under five clinics) के द्वारा इस उम्र समूह के बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें प्रदान कर उनमें इन जानलेवा बीमारियों की रोकथाम की जाती है तथा बच्चों के उचित शारीरिक तथा मानसिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया जाता है।


अण्डर फाइव क्लिनिक के उद्देश्य (Aims of under five clinics) -

1. अण्डर फाइव क्लिनिकों (Under five clinics) के मुख्य उद्देश्य निम्न हैंपाँच वर्ष तक के बच्चों में पाई जाने वाली बीमारियों का समय पर निदान (Diagnosis) कर उचित देखभाल प्रदान करना ।



2.पाँच वर्ष तक के बच्चों का राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनुसार पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना । 


3.बच्चों में दस्त रोग, वर्म इन्फेस्टेशन्स (Worm infestations) तथा अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम हेतु आवश्यक उपाय करना।


4.पाँच वर्ष तक के बच्चों की नियमित रूप से वृद्धि को मॉनीटर करना ।


5.बच्चों में कुपोषण (Malnutrition) की रोकथाम करना ।


6.समुदाय के लोगों को परिवार नियोजन (Family planning) के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारियाँ

करना प्रदान।


(i) बीमारी के दौरान बच्चे की देखभाल


इसके अन्तर्गत बच्चे में पाई जाने वाली विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं जैसे तीव्र श्वसनीय संक्रमण (ARI), दस्त रोग, खसरा (Measles), क्षय रोग (TB), वर्म इन्फेस्टेशन्स (Worm infestations), जन्मजात विकृतियों (Congenital deformitics), शारीरिक एवं मानसिक विकास सम्बन्धी असामान्यताएँ आदि का समय पर निदान (Diagnosis) कर उचित उपचार किया जाता है। बच्चों में पाई जाने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का समय पर निदान कर तथा आवश्यकतानुसार उचित उपचार कर नवजात मृत्यु दर (Neonatal Mortality Rate), शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate) तथा बाल मृत्यु दर (Children Mortality Rate) को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 


(ii) बच्चे की नियमित रूप से वृद्धि की मॉनीटरिंग


पाँच वर्ष तक की उम्र वृद्धि एवं विकास की उम्र होती है अतः इस अवधि के दौरान बच्चे की नियमित रूप से वृद्धि की मॉनीटरिंग (Growth monitoring) की जानी अति आवश्यक है। वृद्धि की मॉनीटरिंग हेतु बच्चे के वजन का आँकलन प्रथम वर्ष के दौरान मासिक रूप से, दूसरे वर्ष के दौरान प्रत्येक दो माह बाद तथा उसके बाद 5. 6 वर्ष की उम्र तक त्रैमासिक रूप से किया जाना चाहिये। बच्चे के वजन में उम्र के साथ होने वाली वृद्धि को वृद्धि चार्ट (Growth chart) पर प्रदर्शित किया जाता है और इस प्रकार तैयार होने वाले कर्व (Curve) को वृद्धि कर्व (Growth curve) कहते हैं ।


(iii) रोकथामात्मक देखभाल (Preventive care)- इसमें शामिल हैं


(a) टीकाकरण (Immunization) पाँच वर्ष तक के सभी बच्चों का राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनुसार कई जानलेवा बीमारियों ( पोलियो, क्षय रोग, डिपथीरिया, टिटनेस, कुकर खाँसी हिपेटाइटिस-बी, Hib. रोटावायरस डायरिया तथा खसरा) से बचाव हेतु टीकाकरण किया जाता है। यह टीकाकरण पूर्णतः निःशुल्क किया जाता है। 1


(b) ओरल रिहाइड्रेशन घोल (Oral Rehydration Solution ) - इसे संक्षिप्त में ओ आर एस (ORS) के नाम से जाना जाता है। छोटे बच्चों में दस्त रोग (Diarrhoeal disease) एक अत्यन्त खतरनाक बीमारी होती है। समय पर उपचार के अभाव में जल एवं खनिज लवण असंतुलन (Water and electrolyte imbalance) के कारण बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है। ऐसी स्थिति से बचाव हेतु परिजनों को दस्त रोग के दौरान अपने बच्चों को ओ आर एस पिलाने की सलाह दी जाती है। ओ आर एस के पैकिट का वितरण निःशुल्क किया जाता है। ओ आर एस के एक पैकिट को एक लीटर पानी में घोला जाता है तथा तैयार हुए घोल को 24 घण्टे तक उपयोग में लेना चाहिये, इसके बाद शेष बचे घोल को फेंक देना चाहिये तथा दूसरा घोल तैयार करना चाहिये। 


(c) कुपोषण की रोकथाम (Prevention of malnutrition) 


वृद्धि एवं विकास की उम्र होने के -कारण बच्चों में अनेक कुपोषण जनित बीमारियाँ (Nutritional deficiency diseases) उत्पन्न हो सकती हैं। जैसेक्वाशिअरकर मरास्मस एनीमिया विटामिन ए की कमी से होने वाली बीमारियाँ (जैसे Nightblindness, conjuctival xerosis, keratomalacia आदि), रिकेट्स, स्कर्वी, बेरी-बेरी आदि । अतः इनकी रोकथाम हेतु परिजनों को अपने बच्चों को संतुलित आहार (जिसमें भोजन के सभी अवयव शरीर की आवश्यकतानुसार उचित अनुपात में हों) देने की सलाह दी जाती है। विटामिन-ए की कमी से होने वाली बीमारियों की रोकथाम हेतु 9 माह की उम्र के बाद 6 वर्ष की उम्र तक प्रत्येक 6 माह के बाद विटामिन-ए का घोल पिलाया जाता है। 9 माह की उम्र पर इसकी डोज एक लाख अन्तर्राष्ट्रीय यूनिट (1,00,0001.U.) होती है। तत्पश्चात् इसकी दो लाख अन्तर्राष्ट्रीय यूनिट पिलाई जाती है। एनीमिया की रोकथाम हेतु बच्चों के लिए आवश्यकतनुसार आयरन फॉलिक एसिड की गोलियों (IFA tablets) का वितरण किया जाता है ।


(iv) परिवार नियोजन सेवायें (Family planning services)


जैसा कि एक प्रचलित कहावत है "छोटा परिवार सुखी परिवार" इसी तथ्य को ध्यान में रखते महिलाओं को परिवार नियोजन के सम्बन्ध में विभिन्न जानकारियाँ प्रदान की जाती हैं।


(v) स्वास्थ्य शिक्षा ( Health education)


चूँकि स्वास्थ्य शिक्षा सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं का महत्वपूर्ण घटक है अतः अण्डर फाइव क्लिनिकों द्वारा भी माताओं को उनके बच्चों की उचित देखभाल तथा रख-रखाव के सम्बन्ध में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान की जाती है। प्रायः स्वास्थ्य शिक्षा निम्न बिन्दुओं पर दी जाती है


1.बच्चों में बीमारी के लक्षणों को शुरूआती अवस्था में पहचान कर उचित चिकित्सकीय उपचार देना।


2. दस्त रोग (Diarrhoea diseases), तीव्र श्वसनीय संक्रमण (ARI), खसरा (Measles) तथा अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के उपाय |


3.टीकाकरण की उपयोगिता ।


4.कुपोषण (Malnutrition) की रोकथाम के उपाय |


5बच्चे की देखभाल तथा रख-रखाव के विषय में आवश्यक जानकारियाँ ।


6. बच्चे की व्यक्तिगत स्वच्छता (Personal hygiene ) तथा पर्यावरणीय स्वच्छता (Envirormental hygiene) की उपयोगिता आदि ।


अंडर फाइव क्लिनिक में नर्स की भूमिका


मामूली बीमारी का इलाज।


अधिक गंभीर रूप से बीमार बच्चों को रेफर किया गया

खान-पान, पोषाहार व स्पष्ट-सफाई की जानकारी दी

बाल विवरण और परिवार को सम्मिलित करना।


बच्चों के वजन कार्ड को बनाए रखना, उदाहरण के लिए अच्छे स्वास्थ्य कार्ड का मार्ग हर स्थिति में सतर्क रहने की सेवा की स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

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