A rainy day essay / बरसात का एक दिन पर हिंदी निबंध

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A rainy day essay / बरसात का एक दिन पर हिंदी निबंध

A rainy day essay / बरसात का एक दिन पर हिंदी निबंध

Essay on a rainy day in hindi 


essay on a rainy day in english 100 words 


A rainy day essay,बरसात का एक दिन पर हिंदी निबंध

Essay on a rainy day


Hints-1. Introduction. 2. Day and Month, 3. Pleasant weather. 


1. Introduction-It rains generally in the month of July and August. Some times it rains so heavily that it becomes very difficult to come out of the houses.


2. Day and month-It was the second week of July. On Monday the 20th, it was very hot. It was very difficult to move out. Suddenly the weather changed. A few patches of clouds were seen in the sky. Soon the cool breeze blew and it began to drizzle. After sometime, it began to rain heavily.


It was the time to go to school. So I took my books and an umbrella and started for school. On the way I was completely wet.


When I reached the school. I saw that some other boys who had come were also wet. The attendance was very short. Due to thick clouds there was darkness in the class rooms. So the Principal declared it a rainy day. We were all very happy.


3. Pleasant weather-While we were returning we saw wonderful sights. There was knee- deep water on the roads. Children were floating paper boats in the water. Some street boys were throwing mud balls at one another. There was a beautiful rainbow in the sky. The weather was very cool and pleasant. Every one was looking happy on that day.


When I reached home. I changed my clothes and had a cup of tea. After this I sat in the varandah with my parents and enjoyed the rain. I enjoyed the day very much.


एक बरसात का दिन पर निबंध


संकेत-1.  परिचय।  2. दिन और महीना, 3. सुहावना मौसम।  


1. परिचय- वर्षा सामान्यतः जुलाई और अगस्त के महीने में होती है।  कई बार तो इतनी तेज बारिश हो जाती है कि घरों से निकलना मुश्किल हो जाता है।


2. दिन और महीना- जुलाई का दूसरा सप्ताह था।  सोमवार 20 तारीख को भीषण गर्मी थी।  बाहर निकलना बहुत मुश्किल था।  अचानक मौसम बदल गया।  आसमान में बादलों के इक्का-दुक्का छींटे दिखाई दिए।  जल्द ही ठंडी हवा चली और बूंदाबांदी होने लगी।  कुछ देर बाद तेज बारिश होने लगी।


स्कूल जाने का समय हो गया था।  इसलिए मैंने अपनी किताबें और एक छाता लिया और स्कूल के लिए चल पड़ा।  रास्ते में मैं पूरी तरह भीग चुका था।


जब मैं स्कूल पहुंचा।  मैंने देखा कि कुछ और लड़के जो आए थे वे भी भीगे हुए थे।  उपस्थिति बहुत कम थी।  घने बादलों के कारण कक्षाओं में अंधेरा छा गया।  तो प्रिंसिपल ने इसे बरसात का दिन घोषित कर दिया।  हम सब बहुत खुश थे।


 3. सुहावना मौसम- जब हम लौट रहे थे तो हमने अद्भुत नजारे देखे।  सड़कों पर घुटने भर पानी था।  बच्चे पानी में कागज की नाव तैरा रहे थे।  कुछ गली के लड़के एक दूसरे पर मिट्टी के गोले फेंक रहे थे।  आकाश में एक सुंदर इंद्रधनुष था।  मौसम बहुत ठंडा और खुशनुमा था।  उस दिन सभी खुश नजर आ रहे थे।


जब मैं घर पहुँचा।  मैंने कपड़े बदले और एक कप चाय पी।  इसके बाद मैं अपने माता-पिता के साथ बरामदे में बैठ गया और बारिश का लुत्फ उठाया।  मैंने दिन का भरपूर लुत्फ उठाया।


वर्षा दिनम् निबंध
सङ्केतः-1. आमुख। 2. दिवसः मासः च, 3. सुखदः मौसमः। 1. परिचयः- वर्षा सामान्यतया जुलै-अगस्तमासेषु भवति । कदाचित् एतावता वर्षा भवति यत् गृहात् निर्गन्तुं कठिनं भवति । 2. दिवसः मासः च - जुलाईमासस्य द्वितीयः सप्ताहः आसीत् । २० दिनाङ्के सोमवासरे अतीव उष्णता आसीत् । बहिः गन्तुं अतीव कठिनम् आसीत् । सहसा मौसमः परिवर्तितः । आकाशे कतिचन मेघबिन्दवः आविर्भूताः । अचिरेण शीतलवायुः प्रवहति स्म, तस्य च वर्षा आरब्धा । किञ्चित्कालानन्तरं प्रचण्डवृष्टिः आरब्धा । विद्यालयं गन्तुं समयः आसीत् । अतः अहं मम पुस्तकानि छत्रं च गृहीत्वा विद्यालयं प्रति प्रस्थितवान्। मार्गे अहं सम्पूर्णतया सिक्तः आसम्। यदा अहं विद्यालयं प्राप्तवान् आगताः केचन अन्ये बालकाः अपि सिक्ताः इति मया दृष्टम् । उपस्थितिः अतीव न्यूना आसीत् । स्थूलमेघानां कारणेन कक्षासु अन्धकारः आसीत् । अतः प्रधानाध्यापकः वर्षादिनम् इति घोषितवान्। वयं सर्वे अतीव प्रसन्नाः आसन्। 3. सुखदः मौसमः- यदा वयं पुनरागच्छन्ति स्म तदा अद्भुतानि दृश्यानि दृष्टवन्तः। मार्गेषु जानुपर्यन्तं जलं आसीत् । बालकाः जले कागदनौकाम् प्लवन्ति स्म । केचन वीथिबालकाः परस्परं मृत्तिकाकन्दुकं क्षिपन्ति स्म । आकाशे सुन्दरः इन्द्रधनुषः आसीत् । अतीव शीतलं सुखदं च मौसमः आसीत् । तस्मिन् दिने सर्वे प्रसन्नाः दृश्यन्ते स्म। यदा अहं गृहं प्राप्तवान् अहं वस्त्रं परिवर्त्य चायस्य चषकं च पिबितवान्। तदनन्तरं मातापितृभिः सह बरामदे उपविश्य वर्षाम् आनन्दितवान् । अहं दिवसस्य यथार्थतया आनन्दं प्राप्तवान्।

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