नारी शिक्षा के महत्व पर निबंध / importance of women's education essay
नारी शिक्षा के महत्व पर निबंध / essay on importance of women education
नारी शिक्षा का महत्त्व
[रूपरेखा - (1) प्रस्तावना, (2) नारी शिक्षा का महत्व, (3) नारी एवं शिक्षा-दीक्षा, (4) शिक्षा पर ध्यान देना अपेक्षित, (5) उपसंहार । ]
प्रस्तावना - शिक्षा का मानव जीवन से अटूट सम्बन्ध है। इसके अभाव में मानव जीवन की कहानी ही अधूरी है। आधुनिक युग में नारी की शिक्षा उतनी ही अपेक्षित है जिनती की पुरुष की शिक्षित नारी ही प्रगति की मंजिल पर चरण बढ़ा सकती है।
नारी शिक्षा का महत्व - आज के व्यस्त एवं संघर्षशील युग में नारी शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है। शिक्षित नारी अपनी सन्तानों को सुसंस्कारों से सम्पन्न कर सकती है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में समुचित योगदान करने में सहायक हो सकती है। घर-गृहस्थी के आय-व्यय को भली प्रकार सन्तुलित करके आर्थिक बोझ को बहुत सीमा तक सन्तुलित कर सकती है। शिक्षित नारी विपत्ति के बादल मँडराने पर नौकरी करके परिवार को संकट से उबार सकती है।
बच्चों के लिए घर ही नागरिक बनने की प्रथम पाठशाला होता है। माता ही इस पाठशाला की शिक्षिका होती है। लोरी, पहेली तथा गाना गुनगुनाते हुए माँ बच्चे को शिक्षा प्रदान करती है। उसका प्रभाव अमिट तथा स्थायी होता है।
नारी एवं शिक्षा-दीक्षा-वर्तमान में देखें तो नारी के लिए हर प्रकार की शिक्षा अपेक्षित है। नारी के लिए सबसे प्रथम गृह विज्ञान की शिक्षा देना परमावश्यक है। नारी का कार्य-क्षेत्र घर होता है। उसे परिवार के कार्यों को सम्पन्न करने के साथ ही बच्चों को भी देखना तथा सँभालना पड़ता है। गृह विज्ञान की शिक्षा इस दिशा में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी।
आज नारी घर की सीमा से बाहर निकल कर पुरुष के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर जीवन संग्राम में आगे कदम बढ़ा रही है। वह सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में भी पुरुष के साथ सक्रिय भाग ले रही है। शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा तथा सांस्कृतिक क्रिया-कलापों में भी उसके चरण निरन्तर गतिमान हैं। जीवन का ऐसा कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है जिसमें आधुनिक शिक्षित नारी सहभागिनी न हो।
शिक्षा पर ध्यान देना अपेक्षित-दुर्भाग्य का विषय यह है कि आज भी नारी की शिक्षा का अनुपात उतना नहीं है जितना कि अपेक्षित है। भारत की जनसंख्या निरन्तर सुरसा के मुख की तरह बढ़ती जा रही है। उसकी तुलना में भारत में शिक्षित नारियों की संख्या बहुत ही सीमित है। ग्रामीण अंचलों में आज भी अशिक्षित नारी जीवन के अभिशाप को विवशता की चट्टान के तले हाँफ हाँफ कर जी रही है। दकियानूसी तथा रूढ़िवादी लोग इस ओर से आँखें बन्द किए हुए हैं। उन्हें जाग्रत करना आवश्यक है।
उपसंहार- हर्ष का विषय है कि आज हमारे देश में नारी शिक्षा के महत्व को लोग समझ गए हैं। सरकार इस संदर्भ में आवश्यक कदम भी उठा रही है। सरकार के साथ-साथ जन सहयोग होना भी समय की माँग है।
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