दही हंडी के त्यौहार की जानकारी 2022 ( janmastami kyo mante hai full information
दही हंडी श्री कृष्ण जन्माष्टमी के समय मनाया जाने वाला एक अतिविख्यात उत्सव है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस अवसर पर पहले श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है और उसके बाद दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है। दही हांडी के दौरान कई युवा एक साथ दल बनाकर इसमें हिस्सा लेते हैं, इस उत्सव के दौरान एक ऊंचाई पर दही से भरी हंडी लगा दी जाती है, जिससे विभिन्न युवाओं के दल तोड़ने का प्रयास करते हैं यह एक खेल के रूप में होता है जिसके लिए इनाम भी दिए जाते हैं दही हांडी आमतौर पर किसी वर्ष के अगस्त के सितंबर के बीच में ही होती है। यहां पर इस उत्सव से संबंधित आवश्यक बातों का वर्णन किया जा रहा है।
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दही हांडी पर्व क्यों मनाते हैं (Why Dahi Handi is Celebrated in Hindi)
बाल गोपाल के जन्म के उपलक्ष्य पर दही हांडी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण बचपन में दही, दूध, मक्खन आदि बहुत शौक से खाते थे। कृष्ण से बचाने के लिए उनकी माता यशोदा अक्सर दही हंडी को किसी ऊंचे स्थान पर रखती थी, किंतु बाल गोपाल वहां तक भी पहुंचने में सफल हो जाते थे इसके लिए उनके दोस्त उनकी मदद करते थे इसी घटना की याद में सभी कृष्ण भक्तों अपने दही हंडी का पर्व मनाते हैं।
भारत में दही हांडी पर्व (Dahi Handi festival in India)
पूरे भारत में दही हांडी पर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस समय पूरे भारत के विभिन्न स्थानों को धार्मिक रूप से सजाया जाता है। इस्कोन संस्था द्वारा भी इस पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किया जाता है भारत के निम्न स्थानों पर यह एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
1 महाराष्ट्र में इसकी रौनक सबसे अधिक दिखने को मिलती है। यहां पर पुणे,जूहू आदि स्थानों पर इस त्योहार पर खूब रौनक रहती है। पुणे में इसे बहुत अच्छे से पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में शामिल होने के लिए यहां के युवाओं को जोश देखते ही बनता है। युवाओं के कई दल एक के बाद एक इस दही हंडी को तोड़ने का प्रयत्न करते हैं। इस समय महाराष्ट्र के कई हिस्सों में गोविंदा आला रे' का शोर सुनाई देता है, जिसका अर्थ है भगवान श्री कृष्णा आ चुके हैं।
2 श्री कृष्ण का जन्म स्थान मथुरा है अतः मथुरा में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर देश भर से विभिन्न कृष्ण भक्त इकट्ठे होते हैं और श्रद्धा के साथ यहां पर्व मनाते हैं इस समय पूरे मथुरा को इस तरह से सजाया जाता है। कि इसकी शोभा बहुत अधिक बढ़ जाती है पूरा शहर पावन हो उठता है।
3 वृंदावन की श्री कृष्ण भक्तों के लिए एक बहुत पावन स्थल है। यहां पर श्री कृष्ण की कई मंदिरे हैं। इन मंदिरों की तरफ से लगभग पूरे वृंदावन में दही हांडी का पर्व आयोजित किया जाता है। ताकि लोगों को श्रीकृष्ण की लीलाओं का ध्यान रहे।
इस तरह से यह भारत के कई क्षेत्रों में मनाया है।
दही हांडी कैसे बनाते हैं (How to Celebrate Dahi Handi)
कई बार दही हांडी को तोड़ने की कोशिश करते हुए टोलियो में शामिल लोग घायल हो जाते हैं। चिकित्सकों की माने तो इस प्रथा को निभाते हुए लोगों को ऐसे भी चोटे आ सकती हैं कि उनकी मृत्यु हो जाए वर्ष 2012 में लगभग 225 गोविंदा जख्मी हो गए थे आता इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने कुछ विशेष नियम बनाए हैं।
1 वर्ष 2014 में महाराष्ट्र सरकार ने 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को दही हांडी में भाग लेने की अनुमति नहीं देने की बात कही।
2 बाद में बाम्बे हाई कोर्ट ने इसके लिए न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष की आयु कर दी, अतः दही हांडी में भाग लेने के लिए कम से कम 18 वर्ष की आयु होनी अनिवार्य हो गई।
3 वर्ष 2017 में बांम्बे हाईकोर्ट ने कहां है कि 14 वर्ष की आयु से कम वाले बच्चे दही हांडी में का नहीं ले सकेंगे।
4 राज्य सरकार ने बांम्बे हाईकोर्ट को कहा है कि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को चाइल्ड लेबर एक्ट (1986) के अंतर्गत दही हांडी प्रतियोगिताओं में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। हालांकि कोर्ट ने दही हांडी के लिए बनने वाले 'हुमन' पिरामिड की ऊंचाई की कोई सीमा निर्धारित नहीं की है।
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