अशोक बाजपेई का जीवन परिचय| Ashok Vajpayee biography

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अशोक बाजपेई का जीवन परिचय| Ashok Vajpayee biography

अशोक बाजपेई का जीवन परिचय| Ashok Vajpayee biography

दिल से आर्टिकल में हम अशोक बाजपेई जी के जीवन परिचय को विस्तार से देखेंगे। हम यहां पर इनके जीवन परिचय के साथ साथ इनके प्रमुख रचनाएं कृतियां को भी विस्तार से देखेंगे तो, अगर आप Ashok Vajpayee ka jivan Parichay विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो, इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़े। और अपने दोस्तों में भी जरूर शेयर करें।


अशोक वाजपेई का जीवन परिचय|(Ashok Vajpayee ka jivan Parichay)


अशोक बाजपेई का जीवन परिचय| Ashok Vajpayee biography


जन्म

16 जनवरी सन 1941 ई.।

जन्म स्थान

दुर्ग (मध्य प्रदेश)।

भाषा

खड़ी बोली।

रचनाएं

शहर अब संभावना है, एक पतंग अनंत में, अगर इतने से, तत्पुरुष कहीं नहीं वही, बहुरि अकेला, समय के पास समय आदि।


अशोक वाजपेई जी का जीवन परिचय


अशोक वाजपेई का जन्म 16 जनवरी, 1941 को दुर्ग मध्य प्रदेश  के एक ब्राह परिवार में हुआ था। इनकी प्रारंभिक एवं बी.ए. तक की शिक्षा सागर में हुए थी। उन्होंने 1960 ईस्वी में सागर विश्वविद्यालय से b.a. की उपाधि प्राप्त की।


इसके बाद उन्होंने 1963 ईस्वी में दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में m.a. किया। इसके बाद इन्हें दिल्ली के ही दयाल सिंह कॉलेज में अध्यापक पद पर नियुक्त मिल गई और इन्होंने 2 वर्ष तक वहीं अध्यापन कार्य किया। तदनंतर श्री बाजपेई ने ए.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा इन्हें मध्यप्रदेश शासन भोपाल में विशेष सचिव संस्कृति एवं प्रकाशन विभाग में नियुक्त किया गया।


उन्होंने 'पूर्वगृह' पत्रिका का अनेक वर्षों तक सफल संपादन किया। कविता, आलोचना एवं समीक्ष की अनेक कृतियां प्रकाशित हो चुकी है। इनकी 'कृति शहर अभी संभावना है'सन 1981 में प्रकाशित हुए तब से यह निरंतर हिंदी साहित्य जगत में विशेष रूप से नव मूल्यों के विवेचक बन कर लिख रहे हैं।


अशोक बाजपेई की प्रमुख कृतियां


इनकी प्रमुख कृतियां है—--- 'शहर अभी संभावना है','एक पतंग अनंत में',' कहीं नहीं वही' ,'उम्मीदों के दूसरा नाम, ',कुछ रफू कुछ बिगड़े, ',दुख चिट्ठी रस,' पुरखों की पर्ची में धूप अपनी मां के लिए विदा,' ,वे बच्चे युवा जंगल शेष ,'सूर्य समय से अनुरोध आदि


इन्होंने अपनी रचनाओं में भाषा का एक ताजा एवं उत्तेजक रूप प्रस्तुत किया है साठोत्तरी कवियों में अशोक बाजपेई एक चमकते हुए नगीने हैं। जिन्होंने अपने काल में आत्मिकता अथवा हिंसा को स्थान ना देकर मात् करोड़ एवं प्रेम आदि बुनियादी लगावो को स्थान दिया है।


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