छात्र और अनुशासन या अनुशासन का महत्व पर निबंध । Chhatra aur anushasan ya anushasan ka mahatva per nibandh

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छात्र और अनुशासन या अनुशासन का महत्व पर निबंध । Chhatra aur anushasan ya anushasan ka mahatva per nibandh

छात्र और अनुशासन या अनुशासन का महत्व पर निबंध । Chhatra aur anushasan ya anushasan ka mahatva per nibandh

 निबंध

छात्र और अनुशासन

             या

अनुशासन का महत्व(2008, 11,12,13,14,15,16) 


प्रस्तावना - विद्यार्थी देश का भविष्य है देश के प्रत्येक प्रकार का विकास विद्यार्थियों पर ही निर्भर है विद्यार्थी जाति समाज और देश का निर्माता होता है अतः विद्यार्थी का चरित्र उत्तम होना बहुत आवश्यक है उत्तम चरित्र अनुशासन से ही बनता है अनुशासन जीवन का प्रमुख अंग और विद्यार्थी जीवन की आधारशिला है व्यवस्थित व्यतीत करने के लिए मात्र विद्यार्थी ही नहीं अपितु प्रत्येक मनुष्य के लिए अनुशासित होना अति आवश्यक है आज  विद्यार्थियों में अनुशासन हीनता की शिकायत सामान्य सी बात हो गई है इससे शिक्षा जगत ही नहीं अपितु सारा समाज प्रभावित हुआ है


विद्यार्थी और विद्या - विद्यार्थी का अर्थ है विद्यार्थी का अर्थ थी अर्थात विद्या प्राप्त करने की कामना करने वाला विद आलौकिक या सांसारिक जीवन की सफलता का मूल आधार है जो गुरु कृपा से प्राप्त होती है

संसार में विद्या सर्वाधिक मूल्यवान वस्तु है जिस पर मनुष्य के भावी जीवन का संपूर्ण विकास का संपूर्ण उन्नति निर्भर करती है इसी कारण महाकवि भूत हरी विद्या की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि विद्यार्थी मनुष्य का श्रेष्ठ शिव रूप है विदा भली-भांति छुपाया हुआ धन है जिससे दूसरा चुरा नहीं सकता विद्या सांसारिक भोगों को तथा यस और सुख को देने वाली है विद्या गुरु का भी गुरु है विद्या ही श्रेष्ठ देवता राज दरबार में विराम याद दिला दी है ध्यान नहीं आता जिसमें विदा नहीं वह मेरा पशु है इस अमूल विद्या रूपी रत्न को पाने के लिए इसका जो मूल्य चुकाना पड़ता है वह है तपस्या तपस्या का स्वरूप स्पष्ट करते हैं


अनुशासन का स्वरूप और महत्व- अनुशासन का अर्थ है बड़ों की आज्ञा शासन के पीछे अनु चलना अनुशासन का अर्थ है मर्यादा है जिनका पालन भी विद्या प्राप्त करने और उसका उपयोग करने के लिए अनिवार्य होता है अनुशासन का भाव सहज रूप से विकसित किया जाना चाहिए था पर जाने पर अथवा बाल बलपूर्वक पालन कराए जाने पर यह लगभग अपना उद्देश्य खो देता है विद्यार्थियों की प्रति प्राय सभी को यह शिकायत रहती है कि वह अनुसार होते जा रहे हैं किंतु शिक्षक वर्ग को भी इसका कारण ढूंढना चाहिए कि क्यों विद्यार्थी की उनकी श्रद्धा विलुप्त होती जा रही है कहीं इसका इसका कारण स्वयं शिक्षक या उनके माता-पिता तो नहीं है


निवारण के उपाय - यदि शिक्षकों को नियुक्ति करते समय सत्यता योग्यता और ईमानदारी का आकलन अच्छी प्रकार कर लिया जाए तो प्रयास यह समस्या उत्पन्न ना हो प्रभावशाली गरीब विद्वान और बसंत शिक्षक के सम्मुख विद्यार्थी सदैव बंद रहते हैं पाठ्यक्रम को अत्यंत विस्तृत व सुनियोजित रोचक ज्ञानवर्धक एवं विद्यार्थियों के मानसिक स्तर के अनुरूप होना चाहिए


छात्र उपरोक्त कारणों के दूर करके ही हम इस समस्या का समाधान कर सकते हैं सबसे पहले वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को इतना व्यवहारिक बनाया जाना चाहिए जिस इच्छा पूरी कर के विद्यार्थी अपनी आजीविका कि भविष्य में पूर्णता निश्चिंत हो सके शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी के स्थान पर मातृभाषा हो और निर्धन छात्रों को निशुल्क उपलब्ध कराई जाए प्रतियोगिता का सही और निष्पक्ष मूल्यांकन हो सके


उपसंहार- छात्रों के समस्त दोषों को जनक अन्याय इसलिए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से अन्याय को मिटाकर ही देश में सूची सुख शांति लाई जा सकती है सात रंग सायंता का मूल भ्रष्ट राजनीति समाज परिवार और दूषित शिक्षा बरारी में निहित है इनमें सुधार लाकर ही हम विद्यार्थियों में व्यापक अनुषहीनता की समस्या का स्थाई समाधान ढूंढ सकते हैं। 


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