MP Board Class 12th Hindi Pre Board Paper Solution download PDF 2023 / एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी (सेट-B) प्री बोर्ड पेपर संपूर्ण हल
MP Board Class 12th Hindi Pre Board Paper Solution 2023 download PDF / एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी प्री बोर्ड पेपर सॉल्यूशन
class 12th hindi pre board paper solution 2023 mp board
अभ्यास प्रश्न पत्र- 2023
सेट- ब
कक्षा 12 वीं
विषय- हिन्दी
समय-3:00 घंटा पूर्णांक- 80
निर्देश:-
1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
2. प्रश्न क्र. 01 से 05 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं, जिनके लिए 1 x 32 = 32 अंक आंवटित हैं।
3. प्रश्न क्र. 6 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। शब्द सीमा 30 शब्द है।
4. प्रश्न क्र. 16 से 19 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। शब्द सीमा 75 शब्द है।
5. प्रश्न क्र. 20 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है। शब्द सीमा 120 शब्द है।
6. प्रश्न क्र. 6 से 23 तक सभी प्रश्नों के आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
V. सिंधु सभ्यता के सौंदर्य बोध को क्या नाम दिया है ?
1. सही विकल्प का चयन कर लिखिए- (1x6-6)
i. 'छोटा मेरा खेत' कविता का हिन्दी में रूपान्तरण किसने किया है?
(अ) भोला भाई पटेल
(ब) उमाशंकर जोशी
(स) आलोक धन्वा
(द) केशुभाई पटेल
उत्तर- अ
ii.कौन-सा भाव सुषुप्तावस्था में विद्यमान रहता है?
(अ) स्थाईभाव
(ब) अस्थाई भाव
(स) विभाव भाव
(द) संचारी भाव
उत्तर- अ
iii.उत्पीड़न का अर्थ है-
(अ) शोषण
(ब) मदद
(स) उलाहना
(द) पेशा
उत्तर- अ
iv. 'ढाक के वही तीन पात' होना का अर्थ है-
(अ) यत्न पूर्वक रखना
(ब) सदा एक-सा
(स) उटपटांग काम करना
(द) अनुरूप बनाना
उत्तर- ब
v. सिंधु सभ्यता के सौंदर्य बोध को क्या नाम दिया है ?
(अ) राज पोषित
(ब) समाज पोषित
(स) धर्म पोषित
(द) व्यापार पोषित
उत्तर- ब
vi.संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन कहलाता है-
(अ) लाइव
(ब) बीट
(स) बाईट
(द) रिपोर्टिंग
उत्तर- ब
2. रिक्त स्थान में सही शब्द का चयन कर लिखिए- (1x7=7)
i. बिना मुरझाए महकने के माने..... क्या जाने (फूल / कविता/ मानव )
उत्तर- फूल
ii .रीतिकाल का एक अन्य नाम .....है। (शृंगार काल / स्वर्णकाल/उत्तरकाल )
उत्तर- शृंगार काल
iii. जो गुण काव्य में जोश और ओज उत्पन्न करता है, वह .....गुण कहलाता है। ( प्रसाद / ओज / माधुर्य )
उत्तर- ओज
iv.'पहलवान की ढोलक पाठ की विधा है। (कहानी / व्यंग्य / नाटक )
उत्तर- कहानी
v. वाक्य …….शब्द समूह हैं। ( सार्थक / निरर्थक / व्यंगात्मक)
उत्तर- सार्थक
vi.सौंदलगेकर.….. भाषा के शिक्षक थे। (अंग्रेजी/ मराठी/हिन्दी)
उत्तर- मराठी
vii. 'एक सफल साक्षात्कारकर्ता में... ..होना चाहिए। (पर्याप्त ज्ञान/ सुंदरता/अपर्याप्त ज्ञान )
उत्तर- पर्याप्त ज्ञान
3. सही जोड़ी बनाकर लिखिए- (1x6=6)
स्तम्भ (अ) स्तम्भ (ब)
i.रुबाइयाँ (क) बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर
ii.खंडकाव्य (ख) फिराक गोरखपुरी
iii. मेरी कल्पना का आदर्श समाज (ग) श्रव्य
iv. रचना के आधार पर वाक्य के प्रकार (घ) पंचवटी
v. 'अतीत में दबे पांव. (ड.) 3
vi. संचार माध्यम रेडियो। (च) 8
(छ) ओम थानवी
(ज) फणीश्वरनाथ रेणु
उत्तर-
1.ख
2.घ
3.क
4.ड़
5.छ
6.ग
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में उत्तर लिखिए- (1x7=7)
i. बच्चे निडरता के साथ किसके सामने आते हैं?
उत्तर- सुनहरे सूर्य के सामने
ii. 'अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल' में कौन-सा रस है ?
उत्तर- वात्सल्य
iii. 'गुड़धानी' का क्या अर्थ है?
उत्तर-भुने हुए गेहूं को गुड़ में मिलाकर बनाया गया लड्डू।
iv. डॉ. अंबेडकर किस मत के अनुयायी थे ?
उत्तर-बौद्धमतानुयायी
v. ' तकनीकी शब्द' का दूसरा नाम लिखिए।
उत्तर-पारिभाषिक शब्द
vi. सिंधु सभ्यता की ईंटों की बनावट का अनुपात क्या था?
उत्तर-लंबाई चौड़ाई और मोटाई का अनुपात 4:2:1 था।
vii. बाइट क्या है? लिखिए ।
उत्तर-कंप्यूटर तथा अंकीय संचार में प्रयुक्त सूचना की आधारभूत इकाई
5. सत्य-असत्य कथन लिखिए- (1x6=6)
i. 'राम की शक्तिपूजा' कविता के रचनाकार निराला हैं।
उत्तर-सत्य
ii. चंपू काव्य के अंतर्गत नाटक एवं प्रहसन आते हैं।
उत्तर-असत्य
iii. शिरीष के वृक्ष काँटेदार होते हैं।
उत्तर-असत्य
iv. लोकोक्ति और मुहावरे समान नहीं है।
उत्तर-सत्य
v. 'जूझ' कहानी गोदान उपन्यास का अंश नहीं है।
उत्तर- सत्य
vi. समाचार लेखन के सात प्रकार होते हैं।
उत्तर- असत्य
6. प्रयोगवाद की कोई दो विशेषताएँ / प्रवृत्तियाँ लिखिए। (02 अंक)
उत्तर- प्रयोगवाद की विशेषताएं इस प्रकार हैं-
1.नवीन उपमानों का प्रयोग
2. प्रेम भावनाओं का खुला चित्रण
अथवा
छायावादी काव्य की कोई दो विशेषताएँ / प्रवृत्तियाँ लिखिए।
7. ' कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है -विचार कर लिखिए। (02 अंक)
अथवा
बड़े-बड़े राजा किस पर न्यौछावर होते हैं?
उत्तर- कवि के पास प्रेम महल के खंडहर का अवशेष (भाग) है। संसार के बड़े-बड़े राजा प्रेम के आवेग में राजगद्दी भी छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं
8. कोई दो महाकाव्यों के नाम और उनके रचनाकारों के नाम लिखिए। (02 अंक)
उत्तर-
मलिक मुहम्मद जायसी - पद्मावत
तुलसीदास - रामचरितमानस
अथवा
प्रसाद गुण संपन्न कविताओं की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
9. भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। (02 अंक)
अथवा
सोरठा छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर- सोरठा एक मात्रिक छंद है। यह दोहा का ठीक उलटा होता है। इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।
उदाहरण -
जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन।
करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥
10. जीवनी और आत्मकथा में कोई दो अंतर लिखिए ।(02 अंक)
उत्तर-
अथवा
रेखाचित्र और संस्मरण में कोई दो अंतर लिखिए ।
11. अशोक वृक्ष की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।(02 अंक)
उत्तर-
1.अशोक के पेड़ की छाल में फ्लेवोनॉयड्स, टैनिन और एनाल्जेसिक जैसे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो टूटी हुई हड्डियों (Bone Fracture) को जोड़ने में मदद कर सकते हैं
2.अशोक का पेड़ अपने वात संतुलन गुणों के कारण डिसमेनोरिया और मेनोरेजिया जैसे महिला विकारों के प्रबंधन के लिए उपयोगी है।
अथवा
नकली सामान के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए आप क्या कर सकते हैं? कोई दो तरीके लिखिए।
12. लोकोक्ति और मुहावरे में दो प्रमुख अंतर लिखिए ।
(02 अंक)
अथवा
राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा में कोई दो प्रमुख अंतर लिखिए।
उत्तर-
13. शब्द युग्म के बारे में लिखिए। 02
अथवा
'तकनीकी शब्द' के दो उदाहरण लिखिए
उत्तर- इन्हें पारिभाषिक शब्द भी कहते हैं। जैसे भौतिक विज्ञान में "गुरुत्वाकर्षण", "वेग", "त्वरण", "आवृत्ति" आदि शब्द। धार्मिक कृत्यों तथा कर्मकाण्ड के लिए भी तकनीकी शब्द प्रयोग किए जाते हैं जैसे "होतृ", "यज्ञ", "जप", "आसन", "भावना", "कर्म", "संकल्प" आदि इस प्रकार के तकनीकी शब्द हैं।
14 रोजी-रोटी की तलाश में आए यशोधर पंत को किसने शरण दी? (02 अंक)
अथवा
ईख से गुड़ ज्यादा निकले इसलिए गांव के अन्य किसान जो तरीका अपनाते थे उसके बारे में लिखिए।
15. इन्टरनेट के दो सकारात्मक उपयोग लिखिए।
(02 अंक)
उत्तर-
1. नियंत्रण स्थापित करना
2.स्मार्टफोन और अन्य डिवाइस
अथवा
समाचार लेखन की दो बुनियादी बातें लिखिए।
16. निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला अथवा हरिवंश राय बच्चन के साहित्य की काव्यगत विशेषताएँ लिखिए- (03 अंक)
(i) दो रचनाएँ (ii) भावपक्ष (ii) साहित्य में स्थान ।
उत्तर- दो रचनाएं-
मधुशाला (1935),
मधुबाला (1936),
भाव पक्ष –
हरिवंश राय बच्चन सामाजिक चेतना की एक सुप्रसिद्ध कवि हैं। उनकी रचनाओं में प्रभावी सामाजिक चित्रण दृष्टिगोचर होता है। हरिवंश राय बच्चन जी प्रेम और सौंदर्य की कवि हैं। अतः इनके साहित्य में श्रृंगार रस के दर्शन होते हैं।
साहित्य में स्थान
निःसन्देह लीकगीतों की धुन में गीतों की रचना करके बच्चन जी ने लोकप्रियता प्राप्त की है। हिन्दी हित्य में हालावाद के स्थापक के रूप में आपका मान्य स्थान है।
17. निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर हजारी प्रसाद द्विवेदी अथवा धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय लिखिए- (03 अंक)
(i) दो रचनाएँ (ii) भाषा शैली (iii) साहित्य में स्थान ।
उत्तर- रचनाएँ-
सूर साहित्य (1936)
हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940)
भाषा शैली-
भाषागत विशेषताएं आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी विषयानुकूल भाषा लिखने में सिद्धहस्त हैं। संस्कृत, अपभ्रंश, अंग्रेजी, हिन्दी आदि भाषाओं पर अधिकार होने के कारण इनकी भाषा अत्यन्त समृद्ध है। इनकी भाषा में संस्कृत की तत्सम शब्दावली, तद्भव, देशज तथा अन्य भाषाओं के शब्दों का प्रयोग अत्यन्त कुशलता से हुआ है।
हिन्दी-साहित्य में स्थान-
डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी की कृतियाँ हिन्दी-साहित्य की शाश्वत निधि हैं। उनके निबन्धों एवं आलोचनाओं में उच्चकोटि की विचारात्मक क्षमता के दर्शन होते हैं। हिन्दी-साहित्य-जगत में उन्हें एक विद्वान् समालोचक, निबन्धकार एवं आत्मकथा-लेखक के रूप में ख्याति प्राप्त है। वस्तुत: वे एक महान् साहित्यकार थे।
18. परहित सरिस धर्म नहीं भाई उक्ति का भाव पल्लवन कर लिखिए। (03 अंक)
अथवा
वार्षिक परीक्षा की तैयारी के सन्दर्भ में आपके और आपके पिताजी के बीच के संवाद को लिखिए।
19. निम्नलिखित अपठित गद्यांश/ काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (03 अंक)
जहाँ भी दो नदियाँ आकर मिल जाती हैं, उस स्थान को अपने देश में तीर्थ' कहने का रिवाज है और यह केवल रिवाज की ही बात नहीं है, हम सचमुच मानते हैं कि अलग-अलग नदियों में स्नान करने से जितना पुण्य होता है, उससे कहीं अधिक पुण्य संगम स्नान में है। किंतु भारत आज जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें असली संगम वे स्थान, वे सभाएँ तथा वे मंच हैं, जिन पर एक से अधिक भाषाएँ एकत्र होती हैं। नदियों की विशेषता यह है कि वे अपनी धाराओं में अनेक जनपदों का सौरभ, अनेक जनपदों के आँसू और उल्लास लिए चलती हैं और उनका पारस्परिक मिलन में वास्तव में उनके आँसू और उमंग, भाव और विचार, आशाएँ और
शंकाएँ समाहित होती हैं। अतः जहाँ भाषाओं का मिलन होता है, यहाँ वास्तव में विभिन्न जनपदों के हृदय ही मिलते हैं, उनके भावों और विचारों का ही मिलन होता है तथा भिन्नताओं में छिपी हुई एकता वहाँ कुछ अधिक प्रत्यक्ष हो उठती है। इस दृष्टि से भाषाओं के संगम आज सबसे बड़े तीर्थ हैं और इन तीर्थों में जो भी भारतवासी श्रद्धा से स्नान करता है, वह भारतीय एकता का सबसे बड़ा सिपाही और संत है।
प्रश्न-
1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
2. भारतीय एकता का सबसे बड़ा सिपाही कौन है ?लिखिए।
3. उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर सबसे बड़ा तीर्थ आज क्या है ? लिखिए।
अथवा
कुछ भी बन, बस कायर मत बन
ठोकर मार पटक मत माथा
तेरी राह रोकते पाहन
कुछ भी बन, बस कायर मत बन
युद्ध देही कहे जब पामर,
दे न दुहाई पीठ फेर कर
या तो जीत प्रीति के बल पर
कुछ भी बन, बस कायर मत बन
या तेरा पथ चूमे तस्कर
प्रति हिंसा भी दुर्बलता है
पर कायरता अधिक अपावन
कुछ भी बन, बस कायर मत बन
ले-देकर जीना, क्या जीना?
कब तक गम के आँसू पीना?
मानवता ने तुझको सींचा
बहा युगों तक खून-पसीना ।
प्रश्न-
i.उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए।
ii.कवि के अनुसार मानवता ने किसको सींचा है?
ii.उक्त काव्यांश का मूल भाव लिखिए।
20. निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ संदर्भ प्रसंग तथा सौन्दर्य बोध सहित लिखिए- (04 अंक)
तिरती है समीर सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया-
जग के हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
अथवा
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष,
शब्द के अंकुर फूटे
-पुष्पों से नमित हुआ विशेष ।
21. निम्नलिखित गद्यांश की व्याख्या संदर्भ प्रसंग एवं विशेष सहित लिखिए- (04 अंक)
जाड़े का दिन। अमावस्या की रात ठंडी और काली मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव भयानक शिशु की तरह थर-थर काँप रहा था। पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस की झोंपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य ! अंधेरा और निस्तब्धता ! अंधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी। निस्तब्धता करुण सिसकियों और आहों को बलपूर्वक अपने हृदय में ही दबाने की चेष्टा कर रही थी। आकाश में तारे चमक रहे थे। पृथ्वी पर कहीं प्रकाश का नाम नहीं। आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।
अथवा
एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह सिर्फ एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता न ऊधो का लेना, न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हज़रत ना जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पति शास्त्री ने मुझे बताया कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमंडल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं, तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतु जाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था?
22. आपका नाम मनोज है, आप शासकीय उ.मा.वि. रामपुर, जिला पन्ना के छात्र हैं, अपने विद्यालय के प्राचार्य को शाला शुल्क से मुक्ति हेतु आवेदन-पत्र लिखिए। (04 अंक)
अथवा
अपने मित्र को वार्षिक पत्रिका में रचना के प्रकाशन की बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
23. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर रूपरेखा सहित निबंध लिखिए- (04 अंक)
i.मेरे सपनों का भारत
ii.समाचार पत्र उपयोगिता और अनुपयोगिता
iii.साहित्य और समाज
iv. संयुक्त परिवार का महत्त्व
v. प्रदूषण कितना घातक ?
उत्तर- साहित्य और समाज
साहित्य समाज का दर्पण है निबंध इन हिंदी / Sahitya samaj Ka darpan essay
साहित्य समाज का दर्पण है / Sahitya samaj Ka darpan hai nibandh in Hindi
साहित्य समाज का दर्पण है?
प्रमुख बिंदु- (1) साहित्य क्या है? (2) साहित्य की कतिपय परिभाषाएं (3) समाज क्या हैं? (4) साहित्य और समाज का पारस्परिक संबंध (5) साहित्य की रचना - प्रक्रिया (6) साहित्य का समाज पर प्रभाव (7) उपसंहार।
साहित्य क्या है?
'साहित्य' शब्द 'सहित' से बना है। 'सहित' का भाव ही साहित्य कहलाता है। 'सहित' के दो अर्थ है- साथ एवं हितकारी (स + हित = हितसहित) या कल्याणकारी। यहां 'साथ' से आशय है- शब्द और अर्थ का साथ अर्थात सार्थक शब्दों का प्रयोग। सार्थक शब्दों का प्रयोग तो ज्ञान विज्ञान की सभी शाखाएं करते हैं। तब फिर साहित्य की अपनी क्या विशेषता है? वस्तुत: साहित्य का ज्ञान विज्ञान की समस्त शाखा से स्पष्ट अंतर है - (1) ज्ञान विज्ञान की शाखाएं बुद्धि प्रधान या तर्कप्रधान होती हैं जबकि साहित्य ह्रदय प्रधान। (2) यह शाखाएं तथ्यात्मक है जबकि साहित्य कल्पनात्मक। (3) ज्ञान विज्ञान की शाखाओं का मुख्य लक्ष्य मानव की भौतिक सुख समृद्धि एवं सुविधाओं का विधान करना है, पर साहित्य का लक्ष्य तो मानव के अंतः करण का परिष्कार करते हुए, उसमें सदप्रवृत्तियां का संचार करना है। आनंद प्रदान कराना यदि साहित्य की सफलता है, तो मानव मन का उन्नयन उसकी सार्थकता। (4) ज्ञान विज्ञान की शाखाओं में कथ्य (विचार तत्व) प्रधान होता है, कथन- शैली गौण। वस्तुतः भाषा शैली वहां विचार अभिव्यक्ति की साधन मात्र है। दूसरी ओर साहित्य में कथ्य थे से अधिक सहेली का महत्व है। उदाहरणार्थ-
जल उठा स्नेह दीपक- सा नवनीत हृदय था मेरा,
अब शेष धूम रेखा से चित्रित कर रहा अंधेरा।
कवि का कहना केवल यह है कि प्रिय के संयोग काल में जो हृदय हर्षोल्लास से भरा रहता था, वही अब उसके वियोग में गहरे विषाद में डूब गया है। यह एक साधारण व्यापार है, जिसका अनुभव प्रत्येक प्रेमी ह्रदय करता है है, किंतु कवि ने दीपक के रूपक द्वारा इसी साधारण सी बात को अत्यधिक चमत्कार पूर्ण ढंग से कहा है, जो पाठक के हृदय को कहीं गहरा छू लेता है।
स्पष्ट है कि साहित्य में भाव और भाषा, कथ्य और कथन- शैली (अभिव्यक्ति) दोनों का समान महत्व है। यह अकेली विशेषता ही साहित्य को ज्ञान- विज्ञान की शेष शाखाओं से अलग करने के लिए पर्याप्त है।
साहित्य की प्रमुख परिभाषाएं- मुंशी प्रेमचंद जी साहित्य की परिभाषा इन शब्दों में देते हैं, "सत्य से आत्मा का संबंध तीन प्रकार का है - एक जिज्ञासा का, दूसरा प्रयोजन का और तीसरा आनंद का। जिज्ञासा का संबंध दर्शन का विषय है, प्रयोजन का संबंध विज्ञान का विषय है और आनंद का संबंध केवल साहित्य का विषय है। सत्य जहां आनंद का स्रोत बन जाता है, वही वह साहित्य हो जाता है।" इस बात को विश्वकवि रविंद्र नाथ ठाकुर इन शब्दों में कहते हैं, "जिस अभिव्यक्ति का मुख्य लक्ष्य प्रयोजन के रूप को व्यक्त करना नहीं, अपितु विशुद्ध आनंदरूप को व्यक्त करना है, उसी को मैं साहित्य कहता हूं।" प्रसिद्ध अंग्रेज समालोचक द क्वनसी के अनुसार, साहित्य का दृष्टिकोण उपयोगितावादी ना होकर मानवतावादी है। "ज्ञान- विज्ञान की शाखाओं का लक्ष्य मानव का ज्ञान वर्धन करना है, उसे शिक्षा देना है। इसके विपरीत साहित्य मानव का अंतः विकास करता है, उसे जीवन जीने की कला सिखाता है, चित्त प्रसादन द्वारा उसमें नूतन प्रेरणा एवं स्फूर्ति का संचार करता है।"
समाज क्या है?
एक ऐसा मानव समुदाय, जो किसी निश्चित भूभाग पर रहता हो, समान परंपराओं, इतिहास, धर्म एवं संस्कृति से आपस में जुड़ा हो एवं एक भाषा बोलता हो, समाज कहलाता है।
साहित्य और समाज का पारस्परिक संबंध
समाज और साहित्य परस्पर घनिष्ठ रूप से आबद्ध है। साहित्य का जन्म वस्तुतः समाज से ही होता है। साहित्यकार इसी समाज विशेष का ही घटक होता है। वह अपने समाज की परंपराओं, इतिहास, धर्म, संस्कृति आदि से ही अनुप्राणित होकर साहित्य रचना करता है और अपने कृति में है इनका चित्रण करता है। इस प्रकार साहित्यकार अपनी रचना की सामग्री किसी समाज विशेष से ही चुनता है तथा अपने समाज की आशाओं - आकांक्षाओं, सुखो- दु:खों, संघर्षों, अभावों और उपलब्धियों को वाणी देता है और उसका प्रामाणिक लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। उसकी समर्थ वाणी का सहारा पाकर समाज अपने स्वरूप को पहचानता है और अपने रोग का सही निदान पाकर उसके उपचार को तत्पर होता है। इसी कारण किसी साहित्य विशेष को पढ़कर उस काल के समाज का एक समग्र चित्र मानस पटल पर अंकित हो सकता है। इसी अर्थ में साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है।
साहित्य की रचना प्रक्रिया
समर्थ साहित्यकार अपनी अतलस्पर्शने प्रतिभा द्वारा सबसे पहले अपने समकालीन सामाजिक जीवन का बारीकी से पर्यवेक्षण करता है, उसकी सफलताओं - असफलताओं, उपलब्धियों - अभावों, क्षमताओं - दुर्बलताओं एवं संगतियों - विसंगतियों की गहराई तक थाह लेता है। इसके पश्चात विकृतियों और समस्याओं के मूल कारणों का निदान कर अपनी रचना के लिए उपयुक्त सामग्री चयन करता है। और फिर समस्त बिखरी हुई, परस्पर संबंध एवं अति साधारण सी डी पढ़ने वाली सामग्री को संयोजित कर उसे अपने नव 'नवोन्मेषशालिनी' कल्पना के सांचे में डालकर ऐसा कलात्मक रूप एवं स्वस्थ और प्रदान करता है कि सहृदयता अगस्त विभोर हो नूतन प्रेरणा से अनुप्राणित हो उठता है। कलाकार का विशिष्ट इसी में है कि उसकी रचना की अनुभूति एकाकी होते हुए भी सार्वजनिक सर्व का लेख बन जाए और अपने युग की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हुए निरंतर मानव मूल्यों से मंडित भी हो। उसकी रचना ना केवल अपने युग अपितु आने वाले लोगों के लिए भी नव स्फूर्ति का अस्त्र स्रोत बन जाए और अपने देश काल की उपेक्षा ना करते हुए देश कालातीत होकर मानव मात्र की अक्षय निधि बन जाए। यही कारण है कि महान साहित्यकार किसी विशेष देश जाति धर्म एवं भाषा शैली के समुदाय में जन्म लेकर भी सारे विश्व को अपना बना देते हैं; उदाहरणार्थ- वाल्मीकि, व्यास, कालिदास, तुलसीदास, विलियम शेक्सपियर आदि किसी देश विशेष के नहीं मानव मात्र के अपने हैं, जो युगों से मानव को नवचेतना प्रदान करते आ रहे हैं।
साहित्य का समाज पर असर- साहित्यकार अपने समकालीन समाज से ही अपनी रचना के लिए आवश्यक सामग्री का चयन करता है; अत: समाज पर साहित्य का प्रभाव भी स्वाभाविक है।
जैसा कि ऊपर संकेतिक किया गया है कि महान साहित्यकार में एक ऐसी नैसर्गिक या ईश्वर दत्त प्रतिभा होती है, एक ऐसी अतल स्पर्शने अंतर्दृष्टि होती है कि वह विभिन्न दृश्यों, घटनाओं, व्यापारों या समस्याओं के मूल हर क्षण पहुंच जाता है, जबकि राजनीतिक, समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री उसका कारण बाहर टटोलते रह जाते हैं। इतना ही नहीं, साहित्यकार रोग का जो निदान करता और उपचार सुझाता है, वही वास्तविक समाधान होता है। इसी कारण मुंशी प्रेमचंद जी ने कहा है कि " साहित्य राजनीति के आगे मसाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है, राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई नहीं।" अंग्रेज कवि शैली ने कवियों को 'विश्व के अघोषित विधायक' कहा है।
प्राचीन ऋषियों ने कवि को विधाता और दृष्टा कहा है। साहित्यकार कितना बड़ा दृष्टा होता है, इसका एक ही उदाहरण पर्याप्त होगा। आज से लगभग 70 - 75 वर्ष पूर्व श्री देवकीनंदन खत्री ने अपने तिलिस्मी उपन्यास 'रोहतासमठ' में यंत्र मानव अशोका विश्व में कारी चित्रण किया था। उस समय यह सर्वथा कपोल- कल्पित लगा ; क्योंकि उस काल में यंत्रमानव की बात किसी ने सोची ना थी, किंतु आज विज्ञान ने उस दिशा में बहुत प्रगति कर ली है, यह देख श्री खत्री की नव नवोन्मेष - शालिनी प्रतिभा के सम्मुख नतमस्तक होना पड़ता है। इसी प्रकार आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व पुष्पक विमान के विषय में पढ़ना कल्पना मात्र लगता होगा, लेकिन आज उससे कहीं अधिक प्रगति वैमानिकी ने की है।
साहित्य द्वारा सामाजिक और राजनीतिक क्रांतियों के उल्लेखों से तो विश्व का इतिहास भरा पड़ा है। संपूर्ण यूरोप को गंभीर रूप से आंदोलित कर डालने वाली फ्रांस की राज्य क्रांति (1789 ईसवी), रूसो की 'ला कोंत्रा सोशियल' (La Contra Social - सामाजिक - अनुबंध) नामक पुस्तक के प्रकाशन का ही परिणाम थी। आधुनिक काल में चार्ल्स डिकेंस के उपन्यासों ने इंग्लैंड से कितनी ही घातक सामाजिक एवं शैक्षिक रूढ़ियों का उन्मूलन करा कर नूतन स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था का सूत्रपात कराया।
आधुनिक युग में मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों में कृषको पर जमींदारों के अत्यधिक अत्याचारों एवं महाजनों द्वारा उनके क्रूर शोषण के चित्रों ने समाज को जमीदारी उन्मूलन एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की स्थापना को प्रेरित किया। उधर बंगाल में शरतचंद ने अपने उपन्यासों में कन्याओं के बाल- विवाह की अमानवीयता एवं विधवा- विवाह- निषेध की नृशंसता को ऐसी सशक्तता से उजागर किया कि अंततः बाल विवाह को कानून द्वारा निषेध घोषित किया गया एवं विधवा विवाह का प्रचलन हुआ।
उपसंहार
निष्कर्ष यही है कि समाज और साहित्य का परस्पर अन्योन्याश्रित संबंध है। साहित्य समाज से ही उद्भूत होता है ; क्योंकि साहित्यकार किसी समाज विशेष का ही अंग होता है। वह इसी से प्रेरणा ग्रहण कर साहित्य- रचना करता है एवं अपने युग की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता हुआ समकालीन समाज का मार्गदर्शन करता है, किंतु साहित्यकार की महत्ता इसमें है कि वह अपने युग की उपज होने पर भी उसी में बंधकर नहीं रह जाए, अपितु अपनी रचनाओं से निरंतर मानवीय आदर्शों एवं मूल्यों की स्थापना द्वारा देश कालातीत बनकर संपूर्ण मानवता को नई ऊर्जा एवं प्रेरणा से स्पंदित करें। इसी कारण साहित्य को विश्व- मानव की सर्वोत्तम उपलब्धि माना गया है, जिसकी समकक्षता संसार की मूल्यवान- से- मूल्यवान वस्तु भी नहीं कर सकती; क्योंकि संसार का संपूर्ण ज्ञान- विज्ञान मानवता के शरीर का ही पोषण करता है जबकि एकमात्र साहित्य ही उसकी आत्मा का पोषक है। एक अंग्रेज विद्वान ने कहा है कि "यदि कभी संपूर्ण अंग्रेज जाति नष्ट भी हो जाए किंतु केवल शेक्सपियर बचे रहे तो अंग्रेज जाति नष्ट नहीं हुई मानी जाएगी।" ऐसे युग संस्था और युग दृष्टा कलाकारों के सम्मुख संपूर्ण मानवता कृतज्ञता पूर्वक नतमस्तक होकर उन्हें अपने हृदय- सिंहासन पर प्रतिष्ठित करती है एवं उनके यश को अमर बना देती है।
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