MP Board Class 12th Hindi Pre Board Paper Solution download PDF 2023 / एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी (सेट-अ) प्री बोर्ड पेपर संपूर्ण हल

Ticker

MP Board Class 12th Hindi Pre Board Paper Solution download PDF 2023 / एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी (सेट-अ) प्री बोर्ड पेपर संपूर्ण हल

MP Board Class 12th Hindi Pre Board Paper Solution download PDF 2023 / एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी (सेट-अ) प्री बोर्ड पेपर संपूर्ण हल 

MP Board Class 12th Hindi Pre Board Paper Solution 2023 download PDF / एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी प्री बोर्ड पेपर सॉल्यूशन

class 12th hindi pre board paper solution 2023 mp board

MP Board Class 12th Hindi Pre Board Paper Solution download PDF 2023,class 12th hindi pre board paper full solution 2023,abhyas prashn paper hindi paper full solution 2023,class 12th hindi pre board paper 2023,class 12th english pre board paper 2023,class 12 hindi question paper 2023,class 12th hindi pre board paper,class 12th hindi pre board prectice paper set a,#mp board pre board paper 2023,class 12th hindi abhyas prashn patra solution,class 12th hindi pre board paper solution 2023,12th hindi pre board paper 2022-23,एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी (सेट-अ) प्री बोर्ड पेपर संपूर्ण हल

अभ्यास प्रश्न पत्र 2023

सेट-अ

कक्षा -12वीं 

विषय- हिन्दी


समय-3:00 घंटा                             पूर्णांक- 80


निर्देश:-


1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।


2. प्रश्न क्र. 01 से 05 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं, जिनके लिए 1x32 = 32 अंक आंवटित हैं।


3. प्रश्न क्र. 6 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। शब्द सीमा 30 शब्द है।


4. प्रश्न क्र. 16 से 19 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। शब्द सीमा 75 शब्द है।


5. प्रश्न क्र. 20 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है। शब्द सीमा 120 शब्द है। 6. प्रश्न क्र. 6 से 23 तक सभी प्रश्नों के आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।


1. सही विकल्प का चयन कर लिखिए- (1x6=6)


i.'पतंग' कविता इनमें से किसके लिए प्रसिद्ध है ?


(अ) प्रतीकों के लिए 

(ब) चित्र विधान के लिए

(स) बिम्ब विधान के लिए

(द) व्यंग्यार्थ के लिए


उत्तर- स


ii. कौन सा रस सहृदय के ह्रदय में उत्साह का संचार करता है?


(अ) करुण

(ब) श्रृंगार

(स) वीर

(द) वात्सल्य


उत्तर-स


iii.'बाजार दर्शन' पाठ का केंद्रीय भाव है-


(अ) बाजारवाद 

(ब) राजनीति

(स) धर्म

(द) समाज


उत्तर- अ


iv. "वह अच्छा खेला, परंतु हार गया' ये वाक्य है एक- 


(अ) संयुक्त वाक्य

(ब) सरल वाक्य

(द) नकारात्मक वाक्य

(स) प्रश्नवाचक वाक्य


उत्तर-अ


v.'अतीत में दबे पांव पाठ के आधार पर कोठार किसके काम आता होगा?


(अ) सुरक्षा के लिए 

(ब) धन जमा करने के लिए

(स) अनाज जमा करने के लिए

 (द) पानी जमा करने के लिए 


उत्तर-स


vi. इनमें से कौन-सा पत्रकार का प्रकार नहीं है-


(अ) पूर्णकालिक

(ब) अंशकालिक

(स) संवाददाता

(द) फ्री लांसर


उत्तर- स


2. रिक्त स्थान में सही शब्द का चयन कर लिखिए- (1x7=7)


i.तुमने …..को सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा। (भाषा / व्यवहार / बोली ) 


उत्तर- भाषा


ii.श्रृंगार काल का अन्य नाम ..है। (रीतिकाल/स्वर्णकाल/उत्तरकाल )


उत्तर- रीतिकाल


iii.काव्य में बिम्ब को.. ....माना जाता है। (शब्द चित्र / बिम्ब चित्र / मर्म चित्र )


उत्तर-शब्द चित्र


 iv. बाजार में एक ….. है। (खेल / जादू/आनंद) 


v.जब एक ही शब्द की पुनरावृति होती है तो उसे …...शब्द युग्म कहते हैं। (पुनरुक्त शब्द युग्म / अनुकरणात्मक शब्द युग्म/विपरीतार्थक शब्द युग्म) 


उत्तर- पुनरुक्त शब्द युग्म


Vi. आप लोगों की देखा-देखी सेक्शन की घड़ी भी. ....हो गई है। (सुस्त/ गतिशील / व्यस्त


उत्तर- सुस्त


 vii. संपादकीय को.. ....की आवाज माना जाता है (आम जनता / अखबार / दुनियाँ)


उत्तर- अखबार


3. सही जोड़ी बनाकर लिखिए- (1x6=6)


स्तम्भ (अ)                                    स्तम्भ (ब)


i. 'कविता के बहाने '                      (क) 3


॥.. महाकाव्य                          (ख) महादेवी वर्मा


iii."भक्तिन'                               (ग) बैकग्राउंडर


iv. अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार (घ) 'कामायनी'


V. ''जूझ'.                                   (ड.) 8


vi. विशेष रिपोर्ट का प्रकार.     (च) डॉ. आनंद यादव 


                                        (छ) रघुवीर सहाय


                                         (ज) कुँवर नारायण


4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में उत्तर लिखिए- (1x7=7)


।. 'राम की शक्तिपूजा' कविता के रचनाकार कौन हैं?


उत्तर- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'


॥. विस्तृत कलेवर वाले काव्य को क्या कहते हैं?


उत्तर- महाकाव्य


 iii.एकांकी में कितने अंक होते हैं ?


उत्तर- एक अंक


iv. बदरी-केदार के रास्ते कैसे हैं?


उत्तर- बद्री - केदार के रास्ते बुरे हैं।


v. गागर में सागर भरना मुहावरे का अर्थ लिखिए।


उत्तर- थोड़े में बहुत कहना है।


vi. रोजी-रोटी की तलाश में आए यशोधर पंत को किसने शरण दी ?


उत्तर - रोजी-रोटी की तलाश में मैट्रिक पास यशोधर पंत-दिल्ली में किशनदा की शरण में आए थे। उन्होंने मैस का रसोइया बनाकर रख लिया।


vii. एच. टी. एम. एल. का फुल फार्म क्या है?


उत्तर- हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज


5. सत्य-असत्य कथन लिखिए- (1x6-6)


i. बच्चे दिशाओं को ढपली की तरह नहीं बजाते हैं।

उत्तर- असत्य


ii. गेय मुक्तक को प्रगीत भी कहा जा सकता है।

उत्तर-सत्य


iii. शिरीष को अवभूत कहा गया है। 

उत्तर- असत्य


iv. 'लोकोक्ति' को 'कहावत भी कहते हैं।

उत्तर- सत्य


V. मनोहर श्याम जोशी को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

उत्तर-सत्य


vi. नाटक की मूल विशेषता समय का बंधन बिलकुल न होना है।

उत्तर-असत्य


6. नई कविता के दो कवियों के नाम एवं प्रत्येक की एक एक रचना का नाम लिखिए। (02 अंक)


उत्तर- सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ’अज्ञेय’- 

रचना -हरी घास पर क्षण भर


धर्मवीर भारती- 

रचना- अन्धा युग


अथवा


प्रगतिवाद की कोई दो विशेषताएँ / प्रवृत्तियाँ लिखिए।


7. शीतल वाणी में आग होने का क्या अभिप्राय है ? (02 अंक)


अथवा


 थके हुए पंथी के जल्दी-जल्दी चलने का कारण लिखिए।


उत्तर- थका पंथी यह सोचकर जल्दी-जल्दी चलता है कि कहीं पथ में रात न हो जाएं। साँझ होते ही बच्चे अपने माता-पिता से मिलने के उत्सुक हो नीड़ों से झाँकते है। कवि कहते है कि किसी प्रिय आलबंन या विषय से भावी साक्षात्कार का आश्वासन ही हमारे पगों में चंचलता भर देता है।


8. कोई दो खंडकाव्य और उनके रचनाकारों के नाम लिखिए। (02 अंक)


उत्तर-मैथिलीशरण गुप्त : रंग में भंग


रामनरेश त्रिपाठी : मिलन


अथवा


 ओज गुण संपन्न कविताओं की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।


9. संदेह अलंकार की परिभाषा लिखिए। (02 अंक)


उत्तर- जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है , तब संदेह अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर संशय बना रहे वहाँ संदेह अलंकार होता है।


अथवा 


लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।


10. निबंध किसे कहते है? किन्हीं दो निबंधकारों एवं उनके दो-दो निबंधों के नाम लिखिए। (02 अंक)


अथवा


शुक्लयुग के गद्य की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।


 उत्तर – शुक्ल युग (छायावाद युग) की प्रमुख विशेषताएँ है कि शुक्ल युग का गद्य कलात्मक एवं भावुकता का समावेश है।


 इसमें कल्पना और अभिव्यंजना का मिश्रण है। रचनाओं की शैली में स्वछंदता और स्वतंत्रता स्पष्ट है।


11. लेखिका महादेवी वर्मा के अनुसार भक्तिन के जीवन का परम कर्तव्य क्या था? (02 अंक)


अथवा


'पर्चेजिंग पावर' शब्द में निहित लेखक जैनेन्द्र कुमार का आशय लिखिए।


12. संदेह वाचक वाक्य की परिभाषा और उदाहरण दीजिए। (02-अंक)


उत्तर- संदेहवाचक वाक्य वह वाक्य होते हैं जिन में संदेह (शंका) के साथ बात करते हैं और अनुमान लगाया जाता है कि वह होने कि संभावना है। 


जैसे: आज वर्षा हो सकती है।


अथवा


'क्षेत्रीय शब्द' किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखिए।


13. राजभाषा की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। (02 अंक)


उत्तर- साहित्यिक हिन्दी में जहाँ अभिधा, लक्षणा और व्यंजना के माध्यम से अभिव्यक्ति की जाती है। राजभाषा हिन्दी में केवल अभिधा का ही प्रयोग होता है।


साहित्यिक हिन्दी में एकाधिकार्थता-चाहे शब्द के स्तर पर हो चाहे वाक्य के स्तर पर, काव्य-सौन्दर्य के अनुकूल मानी जाती है। इसके विपरीत राजभाषा हिन्दी में सदैव एकार्थता ही काम्य होती है।


अथवा


राष्ट्रभाषा की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।


14. 'मुअनजो-दड़ो की सभ्यता को 'लो प्रोफाइल' सभ्यता कहे जाने का कारण लिखिए। 02 अंक)


अथवा


'जूझ' कहानी के लेखक के जीवन संघर्ष के उन बिंदुओं पर प्रकाश डालिए जो आपके लिए प्रेरणादायी हैं। 


15.संपादकीय लेखन के बारे में लिखिए। (02 अंक)


उत्तर- समाचार पत्र का संपादक प्रतिदिन देश की ज्वलंत समस्याओं, घटनाओं पर संपादकीय लेखन करता है. संपादक द्वारा लिखे गए लेख में व्यक्त विचार किसी सामाजिक, राजनीतिक, सामयिक ज्वलंत समस्या पर समाचार-पत्र की नीति को प्रकट करता है. अत: संपादकीय लेख वह लेख है, जिसमें समाचार-पत्र के संपादक का अपना नजरिया दिखता है. संपादकीय लेख वास्तव में अखबार के संपादक द्वारा लिखा जाना चाहिए. परन्तु अधिकतर लेख उप-संपादक या अन्य ही लिखते हैं. लेकिन उप-संपादक द्वारा लिखे गए लेख को  एक बार अवश्य संपादक पढता है और उसमें आवश्यकतानुसार संशोधन भी करता है.


अथवा


इंटरनेट की प्रमुख सीमाएं अथवा दोष लिखिए।


16. निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर तुलसीदास अथवा रघुवीर सहाय के साहित्य की काव्यगत विशेषताएँ लिखिए- (03 अंक)


(i) दो रचनाएँ (ii) भावपक्ष (iii) साहित्य में स्थान |


उत्तर- तुलसी दास-


प्रमुख रचनाएं - 


1.रामचरितमानस


2.गीतावली


3.दोहावली


4.कवितावली


भाव-पक्ष- तुलसीदास जी राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि थे। तुलसीदास का दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक एवं समन्वयवादी था। कविवर तुलसीदास तत्कालीन समाज में भक्त कवि के साथ-साथ समाज-सुधारक भी माने गये। इसके लिए उन्होंने काव्य शास्त्र को माध्यम बनाकर हिन्दी साहित्य को श्रेष्ठ रचनाएँ प्रदान कीं।


हिंदी साहित्य में स्थान- गोस्वामी तुलसीदास हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं, इन्हें समाज का पथ प्रदर्शक कवि कहा जाता है। इसके द्वारा हिंदी कविता की सर्वतोमुखी उन्नति हुई। मानव प्रकृति के जितने रूपों का सजीव वर्णन तुलसीदास जी ने किया है, उतना अन्य किसी कवग ने नहीं किया। तुलसीदास जी को मानव जीवन का सफल पारखी कहा जा सकता है। वास्तव में, तुलसीदास जी हिंदी के अमर कवि हैं, जो युगों-युगों तक हमारे बीच जीवित रहेंगे।


17. निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर महादेवी वर्मा अथवा जैनेन्द्र का साहित्यिक परिचय लिखिए-


(1) दो रचनाएँ (ii) भाषा शैली (ii) साहित्य में स्थान |


उत्तर- महादेवी वर्मा-

रचनाएं-


1.नीहार- यह महादेवी जी का प्रथम काव्य संग्रह है। उनके इस काव्य में 47 भावात्मक गीत संकलित हैं और वेदना का स्वर मुखर हुआ है।


2. रश्मि- इस काव्य संग्रह में आत्मा-परमात्मा के मधुर संबंधों पर आधारित 35 कविताएं संकलित हैं।


3.नीरजा- इस संकलन में 58 गीत संकलित है, जिनमें से अधिकांश विरह-वेदना से परिपूर्ण है। कुछ गीतों में प्रकृति का मनोरम चित्र अंकित किया गया है।


4.सान्ध्य गीत- 58 गीतों के इस संग्रह में परमात्मा से मिलन का चित्रण किया गया है।


5. दीपशिखा- इसमें रहस्य-भावना प्रधान 51 गीतों को संग्रहित किया गया है।


भाषा शैली- महादेवी जी ने अपने गीतों में स्निग्ध और सरल, तत्सम प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग किया है। इनकी रचनाओं में उपमा, रूपक, श्लेष, मानवीकरण आदि अलंकारों की छटा देखने को मिलती है। इन्होंने भावात्मक शैली का प्रयोग किया, जो सांकेतिक एवं लाक्षणिक है। इनकी शैली में लाक्षणिक प्रयोग एवं व्यंजना के प्रयोग के कारण अस्पष्टता व दुरुहता दिखाई देती है।


हिंदी साहित्य में स्थान- महादेवी जी की कविताओं में नारी ह्रदय की कोमलता और सरलता का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है। इनकी कविताएं संगीत की मधुरता से परिपूर्ण हैं। इनकी कविताओं में एकाकीपन की भी झलक देखने को मिलती है। हिंदी साहित्य में पद्य लेखन के साथ-साथ अपने गद्य लेखन द्वारा हिंदी भाषा को सजाने-संवारने तथा अर्थ- गाम्भीर्य प्रदान करने का जो प्रयत्न इन्होंने किया है, वह प्रशंसा के योग्य है। हिंदी के रहस्यवादी कवियों में इनका स्थान सर्वोपरि है।


18. पुस्तकालय हेतु आवश्यक पुस्तकों हेतु एक विज्ञापन बनाकर लिखिए। (03 अंक)


अथवा


छात्र के कक्षा में अनुशासन भंग करने पर शिक्षक छात्र के बीच होने वाले संवाद को लिखिए। (03 अंक)


19. निम्नलिखित अपठित गद्यांश / काव्यांश को पढकर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (03 अंक)


स्वामी विवेकानंद जी का चिंतन भारतीय जीवन तत्वों के सारभूत तत्वों को प्रस्तुत करने वाला है। उनकी प्रासंगिकता इस समय इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है कि वह हमारी आज की जिज्ञासाओं का समीचीन समाधान प्रस्तुत करते हैं । उन्होंने शिकागों के सुप्रसिद्ध विश्व धर्म सम्मेलन में जो व्याख्यान दिए थे वह आज हमारे लिए एक ग्रंथ का काम करता है। वे सांप्रदायिकता हठधर्मिता और वीभत्स धर्मांधता का विरोध करते हैं। उन्होंने एक ऐसे सुखद भविष्य के प्रति अपनी आशावादिता को प्रकट किया है जिसमें मनुष्य की पारस्परिक कटुताओं से मुक्त होकर यह संसार एक समुन्नत मानवीय चेतना से परिपूर्ण होगा। उनके विचारों की स्पष्टता और उनकी वाणी के ओज ने उन्हें संपूर्ण विश्व के युवाओं का चहेता बना दिया। हर युवा उन्हें पढ़ना उन्हें जानना चाहता है। उनका मानना था आलस्य की हमारे जीवन में कोई जगह ही नहीं होनी चाहिए। अहंकार और ईर्ष्या को सदा के लिए नष्ट कर दो। काम, काम और सिर्फ काम ही एकमात्र मूलमंत्र होना चाहिए।


प्रश्न-


1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।


2. विवेकानंद जी का विरोध किसके प्रति था ? लिखिए।


3.गद्यांश में प्रयुक्त शब्द समीचीन' का समानार्थी लिखिए।


अथवा


गगन गगन तेरा यश फहरा


पवन पवन तेरा बल गहरा


क्षिति. जल. नभ पर डाल हिंडोला


चरण चरण संचरण सुनहरा


ओ ऋषियों के वेश


प्यारे भारत देश ।


प्रश्न-


1.उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए।


2.आप अपने देश को प्यार क्यों करते है?


3.उक्त काव्यांश का मूल भाव लिखिए।


20. निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ संदर्भ प्रसंग तथा सौन्दर्य बोध सहित लिखिए- (04 अंक)


अट्टालिका नहीं है रे


आतंक भवन सदा पंक पर ही होता


जल- विप्लव प्लावन, क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से


सदा छलकता नीर,


रोग शोक में भी हँसता है


शैशव का सुकुमार शरीर


 अथवा


छोटा मेरा खेत चौकोना 

कागज का एक पन्ना,

 कोई अंधड कहीं से आया 

क्षण का बीज वहाँ बोया गया।

 कल्पना के रसायनों को पी 

बीज गल गया नि:शेष; 

शब्द के अंकुर फूटे, 

पल्लव- पुष्पों से नमित हुआ विशेष  


21. निम्नलिखित गद्यांश की व्याख्या संदर्भ प्रसंग एवं विशेष सहित लिखिए-(04 अंक) 


भक्तिन और मेरे बीच में सेवक- स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन है, क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाकर अवज्ञा से हँस दे । भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अंधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।


अथवा


यहाँ मुझे ज्ञात होता है कि बाजार को सार्थकता भी वही मनुष्य देता है जो जानता है कि वह क्या चाहता है। और जो नहीं जानते कि वे क्या चाहते हैं, अपनी 'पर्चेजिंग पावर' के गर्व में अपने पैसे से केवल एक विनाशक शक्ति-शैतानी शक्ति, व्यंग्य की शक्ति ही बाजार को देते हैं। न तो वे बाजार से लाभ उठा सकते हैं, न उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं। वे लोग बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं। जिसका मतलब है कि कपट बढ़ाते हैं। कपट की बढ़ती का अर्थ परस्पर में सद्भाव की घटी ।


22 .नगर पालिका अध्यक्ष को जल की अनियमित आपूर्ति के संबंध में शिकायती पत्र लिखिए। (04 अंक)


अथवा


अपने मित्र को विद्यालय की वार्षिक पत्रिका में रचना के प्रकाशन की बधाई देते हुए पत्र लिखिए।


23. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर रूपरेखा सहित निबंध लिखिए- (04 अंक)


i. पुस्तकालय का महत्त्व


ii. स्वावलंबन


iii.साहित्य और समाज 


iv.मेरी यादगार रेल यात्रा 


V. विज्ञान की ओर भारतीय कदम


 उत्तर- साहित्य समाज का दर्पण है निबंध इन हिंदी / Sahitya samaj Ka darpan essay


साहित्य समाज का दर्पण है / Sahitya samaj Ka darpan hai nibandh in Hindi

साहित्य समाज का दर्पण है?


प्रमुख  बिंदु- (1) साहित्य क्या है?     (2) साहित्य की कतिपय परिभाषाएं   (3) समाज क्या हैं?  (4) साहित्य और समाज का पारस्परिक संबंध   (5) साहित्य की रचना  - प्रक्रिया (6) साहित्य का समाज पर प्रभाव  (7) उपसंहार।

साहित्य क्या है?


'साहित्य' शब्द 'सहित' से बना है। 'सहित' का भाव ही साहित्य कहलाता है। 'सहित' के दो अर्थ है- साथ एवं हितकारी (स + हित = हितसहित) या कल्याणकारी। यहां 'साथ' से आशय है- शब्द और अर्थ का साथ अर्थात सार्थक शब्दों का प्रयोग। सार्थक शब्दों का प्रयोग तो ज्ञान विज्ञान की सभी शाखाएं करते हैं। तब फिर साहित्य की अपनी क्या विशेषता है? वस्तुत: साहित्य का ज्ञान विज्ञान की समस्त शाखा से स्पष्ट अंतर है - (1) ज्ञान विज्ञान की शाखाएं बुद्धि प्रधान या तर्कप्रधान होती हैं जबकि साहित्य ह्रदय प्रधान। (2) यह शाखाएं तथ्यात्मक है जबकि साहित्य कल्पनात्मक। (3) ज्ञान विज्ञान की शाखाओं का मुख्य लक्ष्य मानव की भौतिक सुख समृद्धि एवं सुविधाओं का विधान करना है, पर साहित्य का लक्ष्य तो मानव के अंतः करण का परिष्कार करते हुए, उसमें सदप्रवृत्तियां का संचार करना है। आनंद प्रदान कराना यदि साहित्य की सफलता है, तो मानव मन का उन्नयन उसकी सार्थकता। (4) ज्ञान विज्ञान की शाखाओं में कथ्य (विचार तत्व) प्रधान होता है, कथन- शैली गौण। वस्तुतः भाषा शैली वहां विचार अभिव्यक्ति की साधन मात्र है। दूसरी ओर साहित्य में कथ्य थे से अधिक सहेली का महत्व है। उदाहरणार्थ-


जल उठा स्नेह दीपक- सा नवनीत  हृदय था मेरा,

अब शेष धूम रेखा से चित्रित कर रहा अंधेरा।


कवि का कहना केवल यह है कि प्रिय के संयोग काल में जो हृदय हर्षोल्लास से भरा रहता था,  वही अब उसके वियोग में गहरे विषाद में डूब गया है। यह एक साधारण व्यापार है, जिसका अनुभव प्रत्येक प्रेमी ह्रदय करता है है, किंतु कवि ने दीपक के रूपक द्वारा इसी साधारण सी बात को अत्यधिक चमत्कार पूर्ण ढंग से कहा है, जो पाठक के हृदय को कहीं गहरा छू लेता है।


स्पष्ट है कि साहित्य में भाव और भाषा, कथ्य  और कथन- शैली (अभिव्यक्ति) दोनों का समान महत्व है। यह अकेली विशेषता ही साहित्य को ज्ञान- विज्ञान की शेष शाखाओं से अलग करने के लिए पर्याप्त है।

साहित्य की प्रमुख परिभाषाएं- मुंशी प्रेमचंद जी साहित्य की परिभाषा इन शब्दों में देते हैं, "सत्य से आत्मा का संबंध तीन प्रकार का है - एक जिज्ञासा का, दूसरा प्रयोजन का और तीसरा आनंद का। जिज्ञासा का संबंध दर्शन का विषय है, प्रयोजन का संबंध विज्ञान का विषय है और आनंद का संबंध केवल साहित्य का विषय है। सत्य जहां आनंद का स्रोत बन जाता है, वही वह साहित्य हो जाता है।" इस बात को विश्वकवि रविंद्र नाथ ठाकुर इन शब्दों में कहते हैं, "जिस अभिव्यक्ति का मुख्य लक्ष्य प्रयोजन के रूप को व्यक्त करना नहीं, अपितु विशुद्ध आनंदरूप को व्यक्त करना है, उसी को मैं साहित्य कहता हूं।" प्रसिद्ध अंग्रेज समालोचक द क्वनसी  के अनुसार, साहित्य का दृष्टिकोण उपयोगितावादी ना होकर मानवतावादी है। "ज्ञान- विज्ञान की शाखाओं का लक्ष्य मानव का ज्ञान वर्धन करना है, उसे शिक्षा देना है। इसके विपरीत साहित्य मानव का अंतः विकास करता है, उसे जीवन जीने की कला सिखाता है, चित्त प्रसादन द्वारा उसमें नूतन प्रेरणा एवं स्फूर्ति का संचार करता है।"

समाज क्या है?

 एक ऐसा मानव समुदाय, जो किसी निश्चित भूभाग पर रहता हो, समान परंपराओं, इतिहास, धर्म एवं संस्कृति से आपस में जुड़ा हो एवं एक भाषा बोलता हो, समाज कहलाता है।


साहित्य और समाज का पारस्परिक संबंध


समाज और साहित्य परस्पर घनिष्ठ रूप से आबद्ध है। साहित्य का जन्म वस्तुतः समाज से ही होता है। साहित्यकार इसी समाज विशेष का ही घटक होता है। वह अपने समाज की परंपराओं, इतिहास, धर्म, संस्कृति आदि से ही अनुप्राणित होकर साहित्य रचना करता है और अपने कृति में है इनका चित्रण करता है। इस प्रकार साहित्यकार अपनी रचना की सामग्री किसी समाज विशेष से ही चुनता है तथा अपने समाज की आशाओं - आकांक्षाओं, सुखो- दु:खों, संघर्षों, अभावों और उपलब्धियों को वाणी देता है और उसका प्रामाणिक लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। उसकी समर्थ वाणी का सहारा पाकर समाज अपने स्वरूप को पहचानता है और अपने रोग का सही निदान पाकर उसके उपचार को तत्पर होता है। इसी कारण किसी साहित्य विशेष को पढ़कर उस काल के समाज का एक समग्र चित्र मानस पटल पर अंकित हो सकता है। इसी अर्थ में साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है।


साहित्य की रचना  प्रक्रिया


समर्थ साहित्यकार अपनी अतलस्पर्शने प्रतिभा द्वारा सबसे पहले अपने समकालीन सामाजिक जीवन का बारीकी से पर्यवेक्षण करता है, उसकी सफलताओं - असफलताओं,  उपलब्धियों - अभावों,  क्षमताओं - दुर्बलताओं एवं संगतियों - विसंगतियों की गहराई तक थाह लेता है। इसके पश्चात विकृतियों और समस्याओं के मूल कारणों का निदान कर अपनी रचना के लिए उपयुक्त सामग्री  चयन करता है। और फिर समस्त बिखरी हुई, परस्पर संबंध एवं अति साधारण सी डी पढ़ने वाली सामग्री को संयोजित कर उसे अपने नव 'नवोन्मेषशालिनी' कल्पना के सांचे में डालकर ऐसा कलात्मक रूप एवं स्वस्थ और प्रदान करता है कि सहृदयता अगस्त विभोर हो नूतन प्रेरणा से अनुप्राणित हो उठता है। कलाकार का विशिष्ट इसी में है कि उसकी रचना की अनुभूति एकाकी होते हुए भी सार्वजनिक सर्व का लेख बन जाए और अपने युग की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हुए निरंतर मानव मूल्यों से मंडित भी हो। उसकी रचना ना केवल अपने युग अपितु आने वाले लोगों के लिए भी नव स्फूर्ति का अस्त्र स्रोत बन जाए और अपने देश काल की उपेक्षा ना करते हुए देश कालातीत होकर मानव मात्र की अक्षय निधि बन जाए। यही कारण है कि महान साहित्यकार किसी विशेष देश जाति धर्म एवं भाषा शैली के समुदाय में जन्म लेकर भी सारे विश्व को अपना बना देते हैं;  उदाहरणार्थ- वाल्मीकि,  व्यास,  कालिदास,  तुलसीदास,  विलियम शेक्सपियर आदि किसी देश विशेष के नहीं मानव मात्र के अपने हैं, जो युगों से मानव को नवचेतना प्रदान करते आ रहे हैं।


साहित्य का समाज पर असर-  साहित्यकार अपने समकालीन समाज से ही अपनी रचना के लिए आवश्यक सामग्री का  चयन करता है; अत: समाज पर साहित्य का प्रभाव भी स्वाभाविक है।


जैसा कि ऊपर संकेतिक किया गया है कि महान साहित्यकार में एक ऐसी नैसर्गिक या ईश्वर दत्त प्रतिभा होती है, एक ऐसी अतल स्पर्शने अंतर्दृष्टि होती है कि वह विभिन्न दृश्यों, घटनाओं, व्यापारों  या समस्याओं के मूल हर क्षण पहुंच जाता है, जबकि राजनीतिक,  समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री उसका कारण बाहर टटोलते रह जाते हैं। इतना ही नहीं, साहित्यकार रोग का जो निदान करता और उपचार सुझाता है,  वही वास्तविक समाधान होता है। इसी कारण मुंशी प्रेमचंद जी ने कहा है कि " साहित्य राजनीति के आगे मसाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है, राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई नहीं।" अंग्रेज कवि शैली ने कवियों को 'विश्व के अघोषित विधायक'  कहा है।


प्राचीन ऋषियों ने कवि को विधाता और दृष्टा कहा है। साहित्यकार कितना बड़ा दृष्टा होता है,  इसका एक ही उदाहरण पर्याप्त होगा। आज से लगभग 70 - 75 वर्ष पूर्व श्री देवकीनंदन खत्री ने अपने  तिलिस्मी उपन्यास‌ 'रोहतासमठ' में यंत्र मानव अशोका विश्व में कारी चित्रण किया था। उस समय यह सर्वथा कपोल- कल्पित लगा ; क्योंकि उस काल में यंत्रमानव की बात किसी ने सोची ना थी,  किंतु आज विज्ञान ने उस दिशा में बहुत प्रगति कर ली है, यह देख श्री खत्री की नव नवोन्मेष - शालिनी प्रतिभा के सम्मुख नतमस्तक होना पड़ता है। इसी प्रकार आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व पुष्पक विमान के विषय में पढ़ना कल्पना मात्र लगता होगा,  लेकिन आज उससे कहीं अधिक प्रगति वैमानिकी ने की है।



साहित्य द्वारा सामाजिक और राजनीतिक क्रांतियों के उल्लेखों से तो विश्व का इतिहास भरा पड़ा है। संपूर्ण यूरोप को गंभीर रूप से आंदोलित कर डालने वाली फ्रांस की राज्य क्रांति (1789 ईसवी), रूसो की 'ला कोंत्रा सोशियल' (La Contra Social - सामाजिक - अनुबंध) नामक पुस्तक के प्रकाशन का ही परिणाम थी। आधुनिक काल में चार्ल्स डिकेंस के उपन्यासों ने इंग्लैंड से कितनी ही घातक सामाजिक एवं शैक्षिक रूढ़ियों का उन्मूलन करा कर नूतन स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था का सूत्रपात कराया।



आधुनिक युग में मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों में कृषको पर जमींदारों के अत्यधिक अत्याचारों एवं महाजनों द्वारा उनके क्रूर शोषण के  चित्रों ने समाज को जमीदारी उन्मूलन एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की स्थापना को प्रेरित किया। उधर बंगाल में शरतचंद ने अपने उपन्यासों में कन्याओं के बाल- विवाह की अमानवीयता एवं विधवा- विवाह- निषेध की नृशंसता को ऐसी सशक्तता से उजागर किया कि अंततः बाल विवाह को कानून द्वारा निषेध घोषित किया गया एवं विधवा विवाह का प्रचलन हुआ।



उपसंहार


निष्कर्ष यही है कि समाज और साहित्य का परस्पर अन्योन्याश्रित संबंध है। साहित्य समाज से ही उद्भूत होता है ; क्योंकि साहित्यकार किसी समाज विशेष का ही अंग होता है। वह इसी से प्रेरणा ग्रहण कर साहित्य- रचना करता है एवं अपने युग की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता हुआ समकालीन समाज का मार्गदर्शन करता है, किंतु साहित्यकार की महत्ता इसमें है कि वह अपने युग की उपज होने पर भी उसी में बंधकर नहीं रह जाए,  अपितु अपनी रचनाओं से निरंतर मानवीय आदर्शों एवं मूल्यों की स्थापना द्वारा देश कालातीत बनकर संपूर्ण मानवता को नई ऊर्जा एवं प्रेरणा से स्पंदित करें। इसी कारण साहित्य को विश्व- मानव की सर्वोत्तम उपलब्धि माना गया है, जिसकी समकक्षता संसार की मूल्यवान- से- मूल्यवान वस्तु भी नहीं कर सकती; क्योंकि संसार का संपूर्ण ज्ञान- विज्ञान मानवता के शरीर का ही पोषण करता है जबकि एकमात्र साहित्य ही उसकी आत्मा का पोषक है। एक अंग्रेज विद्वान ने कहा है कि "यदि कभी संपूर्ण अंग्रेज जाति नष्ट भी हो जाए किंतु केवल शेक्सपियर बचे रहे तो अंग्रेज जाति नष्ट नहीं हुई मानी जाएगी।"  ऐसे युग संस्था और युग दृष्टा कलाकारों के सम्मुख संपूर्ण मानवता कृतज्ञता पूर्वक नतमस्तक होकर उन्हें अपने हृदय- सिंहासन पर प्रतिष्ठित करती है एवं उनके यश को अमर बना देती है।


इसे भी पढ़ें 👇👇👇



















👉राष्ट्रीय पक्षी मोर पर संस्कृत में निबंध




Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2