Essay on geography - भूगोल पर निबंध

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Essay on geography - भूगोल पर निबंध

Essay on geography - भूगोल पर निबंध

नमस्कार दोस्तों स्वागत है कौन है आर्टिकल में तो बच्चे इस आर्टिकल में हम आपको और पर निबंध लिखना बताएं के बिल्कुल विस्तार से समझाएंगे तो अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आए तो आप अपने दोस्तों और मित्रों में जरूर शेयर करिएगा और पोस्ट के अंत तक बने रहिएगा।


Essay on geography - भूगोल पर निबंध


Table of contents 

1. भूगोल का अर्थ 

2. भूगोल की परिभाषाएं

3. भूगोल की विचारधाराएं

4. भूगोल का लक्ष्य और उद्देश्य 

5. भूगोल के वातावरण एवं उनका प्रयोग

6. भूगोल को देन

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Essay #1. भूगोल का अर्थ:


अंग्रेजी भाषा में भूगोल का पर्यायवाची शब्द 'जियोग्राफी' (geography) है। जियोग्राफी शब्द यूनानी भाषा के' जी' (ge) तथा ग्राफ़ो(grapho) शब्दों से मिलकर बना है।' जी' का अर्थ है 'पृथ्वी'

और ग्राफ़ो का अर्थ, वर्णन करना,। इस प्रकार इस का शाब्दिक अर्थ -पृथ्वी का वर्णन करना है।


भूगोल का परिवर्तनशील स्वरूप:


Geography शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ईरटास्थनी 

(Eratosthenes) ने किया, तथा बताया कि भूगोल पृथ्वी के बसे हुऐ क्षेत्र को (inhabited area ) का अध्ययन करता है। यघपि भूगोल पृथ्वी का अध्ययन करता है, लेकिन इसकी विचारधारा में समय के साथ परिवर्तन होता रहा है। मानव के परिवर्तनशील चिन्तन ने इसको सदैव नया रूप देने का प्रयास किया है।



भूगोल की वर्तमान परिभाषा एक लंबे इतिहास की उपज है। इस विषय की विचारधारा चिरसम्मत काल से लेकर वर्तमान तक अनेक परिवर्तनों के दौर से होकर निकली है। इसको भी विषयो की भांति  विभिन् काली में निरंतर विकसित स्वरूप, विकास की प्रवृत्ति एवं विविध चिन्तन से होकर गुजारना पड़ा है।


इन चिन्तनो ने भूगोल की परिभाषा को निरंतर परिवर्तनशील रूप दिया है, तथा कुछ लोगों के मस्तिष्क मैं उपजी इस विचारधारा को नकारा है की भूगोल केवल स्थानों के नाम व वर्णन का विषय है। आज का भूगोल एक लंबे समय से विकसित विचारधाराओं का समग्र रूप है।


भूगोल एक सजीव(organic) , सक्रिय (active ) और inter-disciplinary ) विषय है। इसका प्रमुख लक्ष्य पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों के परिवर्तनशील वातावरण में मानव समूहों के परिस्थिति की (ecological) संबंधों को समझाना है, तथा प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों के प्रयोगों मैं समुचित सहायता द्वारा संसाधनों की उपयोगिता मैं वृद्धि करके मानव की सुख समृद्धि में प्रादेशिक व

 स्थानीय स्तर पर योजनाओं द्वारा समुचित योगदान देना है ‌ अतः भूगोल की परिभाषा को निश्चित शब्दों में बंदना कठिन कार्य है। जैसा कि विद्वानों द्वारा समय -समय पर इस विषय को परिभाषित करते हुए दिए गए विचारों से उजागर होता है।


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चिरसम्मत काल के जिस महान विद्वान ने भूगोल को परिभाषित किया उनमें स्टेब्रो का नाम उल्लेखनीय हैं। उसने अपनी पुस्तक ज्योग्राफी में पृथ्वी के प्राकृतिक स्वरूप, अक्षर, ज्ञात एवं अज्ञात क्षेत्रों की  उपस्थिति के बारे में बताया।


1. स्टेब्रो: 


स्टेब्रो ने बताया कि "भूगोल विभिन्न  लक्षणों वाली पृथ्वी की विशेषताओं तथा थल व जल पर रखने वाले जीवो के बारे में परिचित करता है"। इस प्रकार भूगोल पृथ्वी तथा उसके विभिन्न भागों की विशेषताओं तथा उन पर रहने वाले विभिन्न मानव समुदाय का अध्ययन करता है।


2.टंलमी: 


"भूगोल में उत्कृष्ट विज्ञान है, जो पृथ्वी की झलक स्वर में देखता है"।


3. मध्यकाल: 


मध्यकाल मैं अरब भूगोलवेत्ताओ ने भूगोल की परिभाषाएं अपनी यात्राओं, यूनानी, रोमन व भारतीय रचनाओं के आधार पर प्रस्तुत की। उनके द्वारा दिए गए विचारों के अनुसार"भूगोल पृथ्वी से संबंधित तथ्यों का अध्ययन है। इसमें पृथ्वी की

सौरमण्डल मैं स्थिति, पृथ्वी का व्यास एवं परीधि का वर्णन किया जाता है ।

उन्होंने भूगोल को विभिन् क्षेत्रों, स्थानों, प्राकृतिक भूदृश्यों के विवरण देने वाला विषय बताया। पुनर्जागरण काल renaissance period ) मैं भूगोल को नया रूप मिला। भौगोलिक यात्राएं एवं नए-नए क्षेत्रों की खोज, मैं विषय के विवरणात्मक 

ज्ञान में वृद्धि की । जर्मन विद्वान वारेनिइयस (varenius) ने (geographic generalis) नामक पुस्तक की रचना की, व भूगोल को परिभाषित किया ।


4वारनियस :


"भूगोल पृथ्वी धरातल के अध्ययन पर ध्यान देने वाला विषय है। इसके अंतर्गत जलवायु, धरातल , भू -आकृतियां, जल, वन , मरुस्थल, खनिज, पशु, पृथ्वी पर बसे मानव का निरीक्षण एवं वर्णन होता है। इस प्रकार आरंभ मैं भूगोल विषय का तात्पर्य स्थानों का वर्णन करने के साथ पृथ्वी तथा उस पर दिखाएं देने वाली सभी बातों या तथ्यों का वर्णन करने से संबंधित रहा। इन पर भाषाओं में भूगोल प्राकृतिक तथ्यों का वर्णन करने वाला विषय रहा। लेकिन वर्तमान में प्राकृतिक भाव का वर्णन मानव परिप्रेक्ष्य के बिना अधूरा माना जाता है।


आधुनिक योग का प्रारम्भिक काल:


अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से भूगोल की परिभाषा को नवीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण मिलना शुरू हुआ। इनमें पृथ्वी के साथ-साथ मानव को भी भूगोल के अध्ययन का केंद्र माना जाने लगा। भूगोल के वर्तमान स्वरूप का विकास सर्वप्रथम जर्मनी मैं हुआ था।


उसके पश्चात फ्रांस, ब्रिटेन ,अमेरिका रूस ,आदि देशों के विद्वानों ने भूगोल के वर्तमान स्वरूप के विकास में अपना योगदान दिया है। जर्मन 

भूगोलवेत्ताओं मैं काण्ड, हम्बोल्ट,रिटर , रइचथओफएन , रेटजेल हैंटनर आदि बड़े विख्यात विद्वान थे। उनमें से कुछ के द्वारा दी गई परिभाषाएं इस प्रकार है।


5. भौगोलिक शब्द कोष:


"भूगोल पृथ्वी तल और पृथ्वी रहने वाले निवासियों का विज्ञान है"।


6. मैंकहाउस :

भूगोल पृथ्वी को मानव का घर मानते हुए, उसके तल पर पाई जाने वाली क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन करता है।


7.काण्ट:


काण्ड ने भूगोल और खगोलकी (astronomy) को दो भिन्न विज्ञान माना और बताया, की"भूगोल वह विज्ञान है, जिससे पृथ्वी का अध्ययन मानव का घर के रूप में मानकर किया जाता है।"


8.रिटर :


रिटर ने काण्ट की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए बताया कि"भूगोल विज्ञान का महत्वपूर्ण विभाग है, जिसमें भूमंण्डल के समस्त लक्षणों, घटनाओं और उनके संबंधों का पृथ्वी को स्वतंत्रता रूप में मानते हुए वर्णन किया जाता है। इसकी समग्र एकता मानव व मानव को मानने वाले से संबंधित दिखाई देती है" 


रिटर की परिभाषा को यूरोप में काफी प्रशंसा मिली, उसने भूगोल के तथ्यों को निम्न रूप से प्रकट किया:


FAQ question -


Question - भूगोल का जन्म कब हुआ।


Ans- भूगोल शब्द का पहला रिकॉर्ड किया गया उपयोग रिट विद्वान एराटोस्थनीज द्वारा किया गया था जो 276 से 194 ईसा पूर्व तक रहा था। और ऐसे भूगोल को एक विषय मनाने का श्रेय दिया जाता है। भूगोल शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्द से हुई है। पहला है जियो जिसका अर्थ है 'पृथ्वी' और दूसरा शब्द "गिरीफ 'ग्राफ' जिसका अर्थ है लिखना।


Question- भूगोल का पूरा नाम क्या है?


Ans- 'भूगोल' अंग्रेजी शब्द है geography (जियोग्राफी) शब्द दो ग्रीक शब्द से मिलकर बना है एक है,geo' और दूसरा 'graphos' से मिलकर बना है।geo शब्द का अर्थ है तरल और जैसी पदार्थों से बनी पृथ्वी और graphos का अर्थ वर्णन करना। अर्थात 'geography'

का अर्थ है पृथ्वी का वर्णन करना।


Question - भूगोल की खोज किसने की?


Ans- प्राचीन यूनानी विद्वान एराटोस्थनीज को 'भूगोल का जनक' कहा जाता है। वह भूगोल शब्द का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे और उनके पास ग्रह के एक छोटे पैमाने की धारणा भी थी जिन्हें पृथ्वी की परिधि निर्धारित करने में मदद की।


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