महाकवि भवभूति पर निबंध//mahakavi bhavbhut per nibandh Hindi mein
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महाकवि भवभूति पर निबंध//mahakavi bhavbhut per nibandh Hindi mein |
Table of contents
भवभूति
भगवती संस्कृत के मूर्धन्य रूपकार एवं रूप में प्रसिद्ध है
भवभूति का समय आठवीं शताब्दी ई. का है। रेवा मन एवं 19वीं सदी के राज्य सरकार ने उनके संदर्भ दिए हैं। भगवती का जन्म पदमपुर में हुआ था। पिता नीलकंठ वह माता जानकर्णी थी। ज्ञान निधि उनके गुरु थे। कुमारिल भट्ट के विशेष कहे जाते हैं। संभवत: श्रीकंठ सिंह का मूल नाम था और दार्शनिक रूप में भवभूति अम्बेक के नाम से प्रसिद्ध है। कल्हण के अनुसार उन्हें कन्नौज नरेश यशोवर्मन का आश्रम प्राप्त था तथा वे उज्जैनी का निवासी बताए जाते हैं।
रचना वैशिष्ट्य
भवभूति ने तीन प्रसिद्ध नाटक महावीर चरित्र, मालती माधव और उत्तरराम चरित लिखे जो बिल्कुल निराले ढंग के हैं, और पहले के संस्कृत नाटकों की तुलना में कई प्रकार से बने थे। उनके नाटकों में गंभीर्य, ज्ञान और बुद्धि का अद्भुत प्रदर्शन है। इनकी रूचि मृदु पक्षों को उभारने से अधिक महिमा एवं उदात्तीकरण का भान करने में है।
उनके नाटकों में सबसे लोकप्रिय 'मालती माधव' है जिसमें एक करोड़ छात्र का उज्जैन दरबार के मंत्री की कन्या मालती से प्रेम का चित्रण है। इस नाटक में उत्तेजना आत्मक तथा भयावह घटनाओं से नायिका को अनेक बार मृत्यु से बचाने का वर्णन किया गया है।
महावीर चरित्र कुछ परिवर्तन के साथ रामायण पर आधारित है तथा उत्तररामचरित जो की नाटक की अपेक्षा नाथ की काव्य की अधिक है, मैं कथा सीता के निष्कासन से शुरू होती है और वनवास के बाद अंत में अयोध्या के राज सिंहासन पर फिर आसीन होने से समाप्त होती है। करुण रस की परिपक्वता की दृष्टि से यह रचना भारतीय साहित्य की चर्चित एवं श्रेष्ठ कृति है। उत्तररामचरित भवभूति की श्रेष्ठ कृति है। कथा का आधार राम का उत्तम चरित्र है।
भवभूति भाव प्रवण रचनाकार हैं। संस्कृत साहित्य में जहां कालिदास की तुलना शेक्सपियर से होती है वही भवभूति की तुलना मिल्टन से की जाती है।
घटना या भाव को संक्षेप में चित्रित कर देने की कला में वे कालिदास से अधिक सिद्धहस्त हैं।
उन्हें प्रकृति के भीषण और अलौकिक पक्षों से अधिक लगाव है।
भवभूति के नाटकों से अनेक नाट्यशास्त्र के ज्ञान का बोध होता है।
उन पर वाल्मीकि का विशेष प्रभाव है।
उनके साहित्य में उपलब्ध संकेतों से यह स्पष्ट होता है कि वह एक गंभीर विद्वान थे उन्हें प्राचीन शास्त्रों का गहरा ज्ञान था। एक दार्शनिक के रूप में भी उनकी छवि सामने आती है।
उनके नाटकों में हास्य तत्वों का नितांत का भाव है। नाटकों में विदूषक पात्र नहीं है।
भवभूति की विशेषता इस बात में है कि उन्होंने रचना क्रम में बौद्धिक करता और कार्यकुशलता का उचित प्रतिमान स्थापित किया है। माना जाता है कि भवभूति ने संस्कृत नाटकों में श्रेष्ठ गुणों की परंपरा को बरकरार रखा। उनके पश्चात इन संस्कृत नाटकों के गुणों में हास्य की दुहाई देता है।
संक्षिप्त परिचय
जन्म- 8 वीं शताब्दी ई.
जन्म स्थान - पद्मपुर
माता पिता - जानकर्णी, नीलकंठ
मूल नाम - श्रीकंठ
रचनाएं- तीन प्रसिद्ध नाटक महावीर चरित्र, मालती माधव और उतमराम चरित्र
महाकवि भवभूति पर निबंध//mahakavi bhavbhut per nibandh Hindi mein |
भवभूति का निवास स्थान-
टीकाकार घनश्याम ने भवभूति के द्वारा प्रस्तुत अनेक द्राविड़ प्रयासों के आधार पर भवभूति का जन्म स्थान द्राविड़ देश में माना है। मालती माधव के कुछ पाठों में तथा भंडारकर: द्वारा संपादित पाठ में दक्षिणापथे विदर्भेषु नाम नगरम ऐसा उल्लेख है।
रचनाएं- , मालती माधव- भवभूति की प्रथम नाट्यकृति मालती माधव है। यह 10 अंकों का प्रकरण है इसमें मालती और माधव के प्रेम की काल्पनिक कथा चित्रित की गई है। भूरिवशु और देवराज क्रमश: पावती और विदर्भ के राज्य मंत्री थे। पुरानी पुरानी लिया था कि वह अपने पुत्र पुत्रियों का परस्पर विवाह करेंगे। समय पर देवरात के पुत्र और बुरी वस्तु के पुत्री उत्पन्न हुई। भूरीवसु देवरात के पुत्र माधव के साथ अपनी प्रतिज्ञा अनुसार मालती का विवाह करना चाहता है। परंतु राजा का साला और मित्र मालती से अपना विवाह करना चाहता है। राजा का समर्थन भी उसे प्राप्त। माधव का एक साथी मकरंद है और नंदन की बहन मदयन्तिका मालती की सहेली है। मालती और माधव एक शिव मंदिर में मिलते हैं, वही मदयन्तिका को मकरंद 16 से बचाता है। सब एक-दूसरे पर अनुरक्त हो जाते हैं। इधर राजा मालती और नंदन का विवाह कराने के लिए तैयार हैं। माधव अपनी प्रेमी सिद्धि के लिए श्मशान में तंत्र सिद्ध कर रहा है।
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FAQ
भगवती की कुल कितनी रचनाएं हैं?
उत्तर - भभूति की तीन रचनाएं उपलब्ध है।
भगवती का मूल नाम क्या है?
उत्तर - भगवती ने अपने नाटकों की प्रस्तावना में 'श्रीकंठपदलांछन: भवभूतिर्नाम इस प्रकार अपने नाम का परिचय दिया है। इससे स्पष्ट है कि कभी का वास्तविक नाम भगवती था और श्रीकंठ इस उपाधि से वे बाद में अलंकृत किए गए।
भगवती किसने लिखी थी?
उत्तर - भवभूति देवनागरी: भवभूति भारत के 8वीं शताब्दी के एक विद्वान थे, जो संस्कृत में लिखे गए अपने नाटकों और कविताओं के लिए विख्यात थे। उनके नाटकों को कालिदास के कार्यों के बराबर माना जाता है।
भगवती के पिता कौन हैं?
उत्तर - इनके पिता का नाम नीलकंठ और माता का नाम जतुकर्णी था। उन्होंने अपना उल्लेख ' भट्ट श्रीकंठ पछलांछनी भवभूतिर्नाम से किया है। उनके गुरु का नाम ज्ञाननिधि था।
भगवती किसका दरबारी कवि था?
उत्तर - भभूति एक प्रसिद्ध संस्कृत नाटककार थे जिन्होंने महावीर चरित मालती माधव आदि प्रसिद्ध नाटक लिखें। उन्हें कन्नौज के राजा यशोवर्मन का दरबारी कवि माना जाता है।
भगवती का जन्म कब हुआ था?
उत्तर - लगभग 700ई. पहले भवभूति एक भारतीय नाटककार और कवि थे। जिनके संस्कृत में लिखे नाटक अपने रहस्य और सजीव चरित्र चित्रण के लिए विख्यात है। और वह नाटक कालिदास के श्रेष्ठ नाटकों की बराबरी करते हैं। भगवती विदर्भ (महाराष्ट्र राज्य) के ब्राह्मण कन्नौज (उत्तर प्रदेश राज्य) के राजा यशोवर्मन के दरबार में थे।
भगवती और हस्तिमल्ला कौन थे?
उत्तर - भवभूति आठवीं शताब्दी के दौरान एक प्रसिद्ध भारतीय नाटककार, कवि और विद्वान थे। हस्तिमुहल्ला सोलंकी शासकों के दरबार में जैन कवि थे।
महावीर चरित्र में कितने अंक हैं?
उत्तर - महावीर चरित्र भवभूति द्वारा रचित संस्कृत नाटक है। इसमें राम के पूर्वार्ध जीवन का वर्णन है। यह 6 अंकों का नाटक है, जिसमें राम कथा वर्णित है।
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भगवान श्रीराम पर निबंध हिंदी में
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