समुद्रगुप्त का जीवन परिचय व इतिहास 2023 || samudragupta biography Hindi
इस लेख में आप हिंदी में समुद्रगुप्त का इतिहास (history of samudragupta in Hindi) पढ़ेंगे। समुद्रगुप्त भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी शासकों में से एक थे। अगर आपको यह लेख पसंद आए तो अपने दोस्तों और मित्रों जरूर शेयर करें और पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।
समुद्रगुप्त का जीवन परिचय व इतिहास 2023 || samudragupta biography Hindi |
Table of contents
समुद्रगुप्त का जीवन परिचय व इतिहास
समुद्रगुप्त कौन था? (Who was samudragupta in Hindi)
समुद्रगुप्त का प्रारंभिक जीवन
समुद्रगुप्त एक धार्मिक राजा
समुद्रगुप्त की उपलब्धियां और सफलता
भारत को बांधा राजनीतिक एकता में (tied India in political unity)
समुद्र की अधीनता-
गुप्त वंस के पूर्ववर्ती और उत्तरवर्ती कोन थे ?
समुद्रगुप्त की पत्नी कौन थी?
भारतीय इतिहास में कौन सा काल स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है ?
उपसंहार
FAQ question
समुद्रगुप्त का जीवन परिचय तथा इतिहास
समुद्रगुप्त का जन्म 335 ईसवी में इंद्रप्रस्थ वर्तमान दिल्ली में हुआ था। इनके पिता का नाम चंद्रगुप्त प्रथम और माता का नाम कुमार देवी था। और यह खुद को लिछवी का रोहित यानी लिछवी का नाती कहता था। समुद्रगुप्त को बचपन में कांच और कचा के नाम से जाना जाता था। लेकिन इन्होंने अपने साम्राज्य को समुद्र तक फैलाया और अपना नाम खुद ही "समुद्र रख लिया। क्योंकि यह गुप्त वंश से ताल्लुक रखते थे इसलिए इसका पूरा नाम समुद्रगुप्त पड़ा।
समुद्रगुप्त कौन था? (Who was samudragupta in Hindi)
सदियों से हिंदुस्तान की पवित्र मिट्टी पर कई राजवंशों ने शासन किया है। कभी बाहर से आए राजवंशों ने भारत में अपना आधिपत्य जमाया, तो कई यहां के मूल राजवंशों ने अपना राज्य विस्तार करके समय-समय पर कई परिवर्तन लाएं।
सबसे मजबूत राजवंशों में से एक गुप्त वंश के सबसे तेजस्वी राधा समुद्रगुप्त ने हिंदुस्तान में स्वर्ण युग का आगमन किया था। समुद्रगुप्त को भारतीय इतिहास का दूसरा सबसे शक्तिशाली सम्राट कहकर बुलाया जाता है।
सम्राट अशोक के पश्चात समुद्रगुप्त ही एक मात्र ऐसे शासक थे, जिन्होंने अखंड भारत का पुनः निर्माण किया था। समुद्रगुप्त को भारती नेपालियन के रूप में भी जाना जाता है। वी.ए ने सर्वप्रथम समुद्रगुप्त को नेपालियन का दर्जा दिया, उन्होंने विशाल साम्राज्य स्थापित किया था।
समुद्रगुप्त को एक आध में साहस की प्रतिमूर्ति के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने दूर-दूर तक बिखरे हुए राजवंशों को मिलाकर एक राष्ट्र का निर्माण किया था, जिस अखंड भारत के नाम से जाना जाता है।
चंद्रगुप्त प्रथम के पुत्र समुद्रगुप्त अपने सभी भाइयों में सबसे तेजस्वी और शक्तिशाली थे, जिसके कारण उन्हें सिंहासन का उत्तराधिकारी चुना गया था। समुद्रगुप्त विशेषता एक योद्धा के रूप में माने जाते हैं लेकिन आपको बता दें कि वह एक कला प्रेमी वैसे जिसके साथ उनके शासनकाल में किए गए विभिन्न कार्यों से प्राप्त होते हैं।
समुद्रगुप्त का प्रारंभिक जीवन
भारत के महान सम्राट समुद्रगुप्त का जन्म चंद्रगुप्त था प्रथम और लिछवी कुमार देवी के परिवार में हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि समुद्रगुप्त की गिनती हमारे भारत देश के महान सम्राटों में होती है। सम्राट समुद्रगुप्त का नाम इंडियन हिस्ट्री में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है।
समुद्रगुप्त एक धार्मिक राजा
गुप्त वंश के अन्य राजाओं की तरह समुद्रगुप्त को भी हिंदू धर्म में काफी ज्यादा इंटरेस्ट था। वह हिंदू धर्म की शिक्षा में विश्वास रखते हुए दयालुपन के गुणों का पालन करते थे, इसलिए समुद्रगुप्त को दयालु शासक भी कहा जाता था।
इसके अलावा व अन्य धर्म, मजहब मत और संप्रदाय के प्रति भी सम्मान भाव रखते थे। समुद्रगुप्त ने बोधगया में बौद्ध तीर्थ यात्रियों के लिए भी तब एक मठ बनवाने का आदेश दिया, जब सिलोन के राजा ने उनसे बाद यात्रियों के लिए मठ बनवाने की अपील की।
समुद्रगुप्त की उपलब्धियां और सफलता
अपने पिताजी के कहने पर राज गद्दी संभालने के बाद तकरीबन 51 साल तक समुद्रगुप्त ने अद्भुत शासन किया और उन्होंने अपने 40 साल के शासन में कई राज्यों पर अधिकार किया और अपने राज्य का काफी बड़ी मात्रा में विस्तार किया।
भारत को बांधा राजनीतिक एकता में (tied India in political unity)
समुद्रगुप्त अखिल भारतीय साम्राज्य से बहुत प्रभावित हुआ। उसने भारत को राजनीति एकता में बांधा। वर्तमान कश्मीर पश्चिम पंजाब पश्चिम राजस्थान सिंध और गुजरात को छोड़कर उसने संपूर्ण भारत पर अपने शासन का झंडा लहराया। उसका प्रभुत्व आसपास के देशों में भी फैला हुआ था।
श्रीलंका के मेधवर्धन ने गया में एक बोध मंदिर बनवाने के लिए उसने कई सारे उपहार भी भेजें। बाद में समुद्रगुप्त ने इस कार्य को अनुमति भी दे दी।
जिससे पता चलता है कि वह विदेशी राजाओं के साथ भी मृत्यु ता पूर्वक व्यवहार रखता था। समुद्रगुप्त अपने बल पर एक नए युग की स्थापना के।
समुद्र की अधीनता-
उनके पश्चात समुद्रगुप्त को युद्धों की आवश्यकता ही नहीं हुई। इन विजयों से उनकी धाक ऐसी बैठ गई थी। की अन्य प्रत्यय नृत्य तथा योद्धा मानव आदि गणराज्य ने अधीनता स्वीकृत कर दी थी। यह सब देखकर आज्ञा का पालन कर प्रणाम कर तथा राज दरबार में उपस्थित होकर सम्राट समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकृत करते थे। इस प्रकार करत बनकर रहने वाले प्रत्येक राजाओं के नाम हैं।
समुद्रगुप्त की मृत्यु (death of samudragpur)
समुद्रगुप्त की मृत्यु पाटलिपुत्र शहर वर्तमान पटना बिहार, मैं हुई थी। वीर श्रीमत ने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहां है। क्योंकि उसने भारत को एकता के धागों में बांधा और सैकड़ों युद्ध में विजय प्राप्त की। कवि हरीश देश द्वारा लिखे गए प्रयाग प्रस्तुत में उसे एक महान सम्राट बताया है।
समुद्रगुप्त की मृत्यु के बाद उसका पुत्र चंद्रगुप्त द्वितीय राजगद्दी पर बैठा जो उसकी रानी दत्ता देवी का पुत्र था। समुद्रगुप्त का यह इतिहास हमें आज भी एक विद्वान शासकीय दिलाता है जिसने भारत को एकता के धागों में पिरोया।
FAQ question
1 .गुप्त वंस के पूर्ववर्ती और उत्तरवर्ती कोन थे ?
उत्तर-पूर्ववर्ती चन्द्रगुप्त प्रथम ,उत्तरवर्ती चन्द्रगुप्त द्वितीय या रामगुप्त है।
2 .भारतीय इतिहास में कौन सा काल स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है ?
उत्तर-भारतीय इतिहास में गुप्त काल को स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न- समुद्रगुप्त की मृत्यु कहां हुई?
उत्तर- पाटलिपुत्र शहर में (वर्तमान पटना बिहार)।
प्रश्न- समुद्रगुप्त की पत्नी कौन थी?
उत्तर- दत्ता देवी जो चंद्रगुप्त द्वितीय की माता थी।
यह भी पढ़ें 👇👇
एक टिप्पणी भेजें