जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध || Essay on Jallianwala Bagh Massacre

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जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध || Essay on Jallianwala Bagh Massacre

जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध || Essay on Jallianwala Bagh Massacre

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नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपको जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध लिखना सिखाएंगे और इसके साथ ही हम आपको इस घटना को गहराई से समझाने का प्रयास करेंगे। तो आइए देखते हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध किस प्रकार से लिखा जाएगा। दोस्तों अगर आपके लिए यह post useful हो तो अपने सभी दोस्तों के साथ भी शेयर करिएगा।


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अमृतसर की उस धरती को था

कंपित किया तबाही ने

अत्याचारों का नृत्य किया जब

खुलकर तानाशाही नहीं


Table of contents –


परिचय

जलियांवाला बाग क्या है?

जलियांवाला बाग हत्याकांड क्या है?

पृष्ठभूमि

पंजाब में अशांति

जलियांवाला बाग हत्याकांड का इतिहास

जलियांवाला बाग हत्याकांड कब और कहां हुआ था?

जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था?

जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस कब मनाया जाता है?

जलियांवाला बाग का स्मारक

नरसंहार का दिन

निष्कर्ष 


परिचय –


जलियांवाला बाग नरसंहार पंजाब राज्य के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग में एकत्रित भारतीयों की भीड़ पर हुआ नरसंहार था। यह घटना 13 अप्रैल सन् 1919 को हुई और इसे रेजीनाल्ड डायर नाम से मशहूर ब्रिटिश बिग्रेडियर जनरल द्वारा पूर्व निर्धारित किया गया था।

जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस को अंग्रेजी में "Jalianwala Bagh Massacre" कहते हैं।

इसी घटना को देखते हुए हर साल 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस के रूप में मनाया जाता है।


जलियांवाला बाग क्या है?


बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग में भारी नरसंहार की वजह से भारतीय इतिहास में जलियांवाला बाग एक प्रसिद्ध नाम और जगह बन गया। ये भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में स्थित एक सार्वजनिक उद्यान है। भारत के पंजाब राज्य में शांतिप्रिय लोगों की याद में एक स्मारक बनाया गया है। जो एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्थान के रूप में प्रख्यात है और आज वह जलियांवाला बाग स्मारक नाम से प्रसिद्ध है।


जलियांवाला बाग हत्याकांड क्या है?


जलियांवाला बाग हत्याकांड या अमृतसर नरसंहार, वहां के लोगों के लिए एक बुरी घटना का दिन था, जिसे आज भी पंजाब राज्य के अमृतसर में बने स्मारक के द्वारा भारत के लोग उन्हें याद करते हैं। इसकी स्थापना पहली बार 1951 में हुई थी। जहां लोगों को याद करते हैं। और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। जिन्होंने ब्रिटिश शासन के सैनिकों द्वारा किए नरसंहार में अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस दिन अर्थात् 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर जलियांवाला बाग में पंजाबी नया साल कहलाने वाले पंजाबी संस्कृति के सबसे प्रसिद्ध उत्सव को मनाने के लिए काफी लोग शामिल थे। औपनिवेशिक ब्रिटिश राज सूत्रों के द्वारा यह सूचित किया गया था कि लगभग 379 लोग मारे गए थे। और 1100 लोग घायल हुए थे जबकि एक सिविल सर्जन के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया कि 1526 लोग घायल हुए लेकिन सही आंकड़ों के बारे में आज भी पता नहीं है। पंजाब क्षेत्र स्थित है जलियांवाला बाग मैदान स्वर्ण मंदिर परिसर के पास है जो सिख धर्म के लोगों के लिए बहुत ही पवित्र स्थान कहा जाता है।


पृष्ठभूमि –


जलियांवाला नरसंहार से पहले ब्रिटिश सरकार द्वारा दो अधिनियम लागू किए गए थे, जिससे भारतीय जनता के बीच उच्च स्तर की अशांति पैदा हुई। ये अधिनियम थे भारत की रक्षा अधिनियम 1915 और रोलेट अधिनियम 1919।


प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) के दौरान, भारतीय सैनिकों ने बड़ी संख्या में यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका में अंग्रेजो की तरफ से हिस्सा लिया था। यहां तक कि भारतीय मजदूरों को भी भारत की ब्रिटिश सरकार द्वारा बड़ी संख्या में भेजा गया था। प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों और मजदूरों की भागीदारी का कुछ राजनीतिक गुटों और भारत की सामान्य आबादी ने विरोध किया था।


विश्व युद्ध में अंग्रेजो की तरफ से लड़ने में भारत का काफी ज्यादा धन और संसाधन बर्बाद हो गया। इसने पश्चिम बंगाल और पंजाब में एक तरह के विद्रोह को जन्म दिया, जिसने करीब-करीब स्थानीय ब्रिटिश प्रशासन को हतोत्साहित कर दिया था। इसलिए बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों के सर उठाने के आभास को आंकते हुए ब्रिटिश सरकार ने सनसनीखेज तरीके से भारतीय नागरिकों की नागरिक स्वतंत्रता पर रोक लगाते हुए 1915 में Defence of India Act को लागू कर दिया।


स्थिति को और भी ज्यादा खराब बनाने के लिए रौलट एक्ट 10 मार्च, 1919 को पारित किया गया, जो केवल भारत रक्षा अधिनियम का विस्तार था और इस तरह से नागरिक स्वतंत्रता पर रोक लगाई गई।


पंजाब में अशांति –


रोलेट एक्ट के लागू होने से भारत में बड़ी राजनीतिक अशांति शुरू हो गई थी। लोग इस अधिनियम के विरोध में सड़कों पर उतर आए। विशेष रूप से पंजाब में स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जहां 1 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के उपायुक्त के निवास पर हजारों प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए थे। वे दो भारतीय नेताओं - सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की रिहाई की मांग कर रहे थे। कथित तौर पर स्थान पर मौजूद सेना की एक टुकड़ी ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिसमें कई लोग मारे गए।


इस घटना ने पूरे पंजाब में हिंसक विरोध प्रदर्शनों की एक श्रंखला को उकसा दिया था। हत्याकांड से 1 दिन पहले 12 अप्रैल की शाम उनकी रिहाई की योजना के लिए किचलू के समर्थकों द्वारा एक शांतिपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी।


जलियांवाला बाग हत्याकांड का इतिहास –


जलियांवाला बाग हत्याकांड अमृतसर नरसंहार के रूप में भी प्रसिद्ध है क्योंकि यह घटना भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान घटित हुई थी। भारतीय इतिहास की सबसे बुरी घटनाओं में से इस घटना को माना जाता है। यह घटना 13 अप्रैल 1919 को घटित हुई, जब पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग के सार्वजनिक मैदान में अहिंसक विद्रोहियों सहित जब तक आम लोग (बैसाखी तीर्थयात्री) की बड़ी भीड़ जमा हुई थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड अमृतसर नरसंहार के रूप में भी प्रसिद्ध है क्योंकि यह घटना पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में घटित हुई थी।

13 अप्रैल के दिन सिख धर्म के लोगों का एक पारंपरिक त्योहार बैसाखी था जिसके दौरान विभिन्न धर्मों के लोगों जैसे हिंदू, मुस्लिम, सिख आदि अमृतसर के हरमंदिर साहिब के निकट जलियांवाला बाग के सार्वजनिक उद्यान में इकट्ठा हुए थे।


जलियांवाला बाग हत्याकांड कब और कहां हुआ था?


बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग जो कि पंजाब राज्य में स्थित है वहां एक सभा रखी गई थी उसी सभा के दौरान बिग्रेडियर जनरल रेजीनाल्ड डायर और उनके सैनिकों के द्वारा गोलीबारी की गई जिसमें हजारों मासूम लोग मारे गए थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुआ था।


जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था?


13 अप्रैल 1919 का रविवार का वह दिन जहां क्रांति को रोकने के लिए जनरल डायर के द्वारा सभी सभाएं पहले ही रोक दी गई थीं लेकिन ये खबर सभी जगह ठीक से नहीं पहुंची थी। ये बड़ा कारण था जिससे कि अमृतसर के जलियांवाला बाग में लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई थी। वह सार्वजनिक मैदान जो जलियांवाला बाग कहलाता है। जहां 13 अप्रैल 1919 को सिख धर्म के लोगों का वैशाखी उत्सव था। जलियांवाला बाग में उत्सव को मनाने के लिए कई गांवों के लोग जमा हुए थे। जलियांवाला बाग में सभा होने की खबर मिली, वह अपने गोरख बंदूकधारियों के साथ वहां आ गया और भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। वो सैनिक बिना रुके लगातार निर्दोष लोगों पर गोलियां चलाते रहे जब तक कि उनकी सारी गोलियां खाली नहीं हो गई।


जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस कब मनाया जाता है?


हर साल 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग में हुए मासूम लोगों के हत्याकांड को याद करने के लिए और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए यह जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, 13 अप्रैल मंगलवार के दिन जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस मनाया गया था।


जलियांवाला बाग का स्मारक –


अमृतसर नरसंहार के बाद जलियांवाला बाग तीर्थस्थान का एक राष्ट्रीय स्थल बन गया। स्मारक का नाम "अग्नि की लौ'' रखा गया जिसका उद्घाटन उसके घटने की तारीख दिन 13 अप्रैल को 1961 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के द्वारा किया गया। स्मारक के चारों स्तंभों पर हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी और उर्दू में "13 अप्रैल 1919 शहीदों की याद में" लिखा हुआ है। आज कई क्षेत्रों से लोग जलियांवाला बाग का स्मारक देखने आते हैं और वहां कुछ देर बैठ के उन दिनों को याद कर सभी मृत्यु हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।


नरसंहार का दिन –


हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद, ब्रिटिश प्रशासन को 1857 जैसे किसी विद्रोह का डर सता रहा था। इसलिए सरकार ने 13 अप्रैल को मार्शल लॉ लागू किया, जिसमें लोगों के एक स्थान पर एकत्र होने पर रोक लगाई गई थी। हालांकि, यह संदेश स्पष्ट नहीं था और समय के साथ, जनता तक पहुंचाया नहीं गया। संयोग से, 13 अप्रैल बैसाखी का भी दिन था और मेले के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों के व्यापारी अमृतसर आए हुए थे।


लेकिन, सरकार द्वारा किसी भी मेले को प्रतिबंधित करने के मद्देनजर, इन लोगों को कहीं नहीं जाने दिया था,  नतीजन वहां मेले में मौजूद तमाम व्यापारी, महिला, बच्चे सभी लोग जलियांवाला बाग की तरफ मुड़ गए। यहां पर एक छोटी राजनीतिक बैठक आयोजित की जा रही थी; हालांकि, अधिकतम आगंतुक व्यापारी और आम लोग थे जो बैसाखी त्योहार के लिए आए हुए थे। मध्य दोपहर तक, हजारों की संख्या में भारतीय इस बाग में इकट्ठा हो गए।


जैसे ही जनरल रेजीनाल्ड डायर को इस विशाल जनसभा की जानकारी मिली उन्होंने इसे संभालने की योजना पर काम शुरू किया। शाम 6:30 बजे के लगभग, जनरल डायर करीब 90 सैनिकों के साथ बाग में आया और वहां मौजूद केवल एक मात्र प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर दिया, और फायरिंग का आदेश दे दिया।


जिन लोगों को गोली मारी गई, वे सभी निहत्थे पुरुष, महिलाएं और बच्चे थे, जो संभवत: कर्फ्यू की वजह से बैसाखी समारोह के प्रतिबंधित होने की वजह से इस सभा में समय व्यतीत करने के लिए शामिल हो गए थे। पूरे 10 से 15 मिनट तक गोलियां चलती रही, जिसमें पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 500 से भी ज्यादा निर्दोष भारतीयों की मौत हो गई और हजार की संख्या में लोग घायल हो गए। नरसंहार के बाद, जनरल डायर ने अपनी टुकड़ी के साथ वापस मार्च किया और घायलों को बचाने के लिए ब्रिटिश प्रशासन द्वारा कोई प्रयास भी नहीं किया गया।


उपसंहार –


दिनांक 13 अप्रैल 1919 जलियांवाला बाग नरसंहार की वीभत्स घटना घटित हुई थी। जिसमें हजारों मासूम लोगों की मौत हुई थी। आज भी इस दिन को भारत में एक राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंजाब के अमृतसर में भारतीय किसान यूनियन द्वारा 13 अप्रैल के दिन जलियांवाला बाग नरसंहार की शताब्दी मनाई जाती है। जहां जलियांवाला बाग नरसंहार के मृतकों को श्रद्धांजलि दिया जाता है।

जलियांवाला बाग नरसंहार का दिन भारत के इतिहास का सबसे दुखद दिन था। यह भारत में ब्रिटिश शासन के सबसे बड़े चेहरे को दिखाता है जो शायद सबसे क्रूर भी था।


जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध 10 लाइन हिंदी में –


1. 13 अप्रैल 1919 को पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में यह नरसंहार हुआ था।

2. इतिहास के सबसे घातक नरसंहारों में से एक भारत का जलियांवाला बाग हत्याकांड था।

3. जलियांवाला बाग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित है।

4. रोलेट एक्ट के विरोध में वैसाखी के दिन शांतिपूर्ण सभा में हजारों की संख्या में लोग बाग में एकत्रित हुए थे।

5. अंग्रेज जनरल रेजीनाल्ड डायर ने बाग को  घेरकर सभी पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दीं।

6. कई लोग कुएं में कूद गए तो कईयों को जान बचाकर भागते हुए मार दिया गया।

7. इस नरसंहार में सेना के गोली-बारूद खत्म होने तक कुल 10 मिनट तक  गोलियां चलती रहीं।

8. आधिकारिक रिकॉर्ड में 379 मौतें हुई, जबकि असल में 2000 लोग हताहत हुए थे।

9. इस घटना ने पूरे भारत में आजादी और स्वशासन की ज्वाला को भड़का दिया।

10. इस हत्याकांड के साक्ष्य वर्तमान में भी जलियांवाला बाग में मौजूद हैं।


जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध 10 लाइन अंग्रेजी में –


1. One of the deadliest massacres in history was the Jallianwala Bagh Massacre in India.

2. This massecare took place on 13 April 1919 at Jalianwala Bagh in Amritsar in Punjab.

3. Jalianwala Bagh is situated near the golden temple of Amritsar.

4. Thousands of people gathered in a peaceful protest against laws imposed by Britishers.

5. The laws like Rowlett act created social unrest between Indians.

6. Many Indian freedom fighters were against the Rowlett's act imposed by Britishers.

7. British General Reginald Dyer indiscriminately at everyone.

8. Many people jumped into the well and many were killed while running for their lives.

9. There were 379 deaths in the official record, while 1,208 sustained injuries.

10. This incident ignited the flame of Independence and self government in the whole of india.


People Also Asked –


प्रश्न - जलियांवाला बाग हत्याकांड कहां हुआ था?

उत्तर - जलियांवाला बाग हत्याकांड पंजाब के अमृतसर में हुआ था।


प्रश्न - जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था?

उत्तर - जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय इतिहास में एक कलंकित घटना है। अमृतसर के जलियांवाला बाग में जब एक भीड़ शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठी हुई थी, तो ब्रिटिश सरकार ने उस पर गोली चलवा दी थी। जिसमें अनेक निर्दोष और निहत्थे लोग मारे गए।


प्रश्न - जलियांवाला बाग हत्याकांड होने का कारण क्या था?

उत्तर - रोलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अंग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियां चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे और 2000 से अधिक घायल हुए। अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है। जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है।


प्रश्न - जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय भारत के गवर्नर जनरल कौन थे?

उत्तर - लॉर्ड चेम्सफोर्ड 1919 में जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था तब वे भारत के गवर्नर जनरल थे।


प्रश्न - जलियांवाला बाग का जिम्मेदार कौन है?

उत्तर - जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था। जनरल डायर ने जलियांवाला बाग के एकमात्र प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर दिया था और अपने सैनिकों को निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था।


प्रश्न - जलियांवाला बाग हत्याकांड का आदेश किसने दिया था?

उत्तर - जनरल डायर ने अपने सैनिकों को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में एकत्रित अहिंसक प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर आग लगाने का आदेश दिया।


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