राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान || Essay on Women Contribution to Nation

Ticker

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान || Essay on Women Contribution to Nation

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान || Essay on Women Contribution to Nation

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान,essay on women contribution to Nation,

"देश की वीरांगनाएं भी वीरो से कम नहीं,

मर मिटी हैं देश पर तनिक भी उनको गम नहीं

राष्ट्र के निर्माण में योगदान उनका कल भी था

आज भी है कल भी होगा उनको किसी का डर नहीं।।"


प्रस्तावना


किसी भी राष्ट्र के विकास और प्रसिद्धि के लिए किए गए कार्य राष्ट्र निर्माण के अंतर्गत आते हैं। राष्ट्र निर्माण कार्य बेहद पुनीत कार्य है। राष्ट्र के हित में जो भी कार्य किया जाए कम है। इतिहास गवाह है कि राष्ट्र के लिए बलिदान होने वाले वीरों के साथ-साथ नारियां भी पीछे नहीं हैं। राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत नारियों के बलिदान की गौरवगाथाएं प्रत्येक देश के इतिहास को गौरवान्वित करती हैं। भारतीय नारियों ने भी राष्ट्रीय विकास और गौरव को बढ़ाने में पुरुषों का सदैव साथ दिया है। कई क्षेत्रों में तो नारियां पुरुषों को भी छोड़ गई हैं।


राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान व भूमिका


हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता।" अर्थात जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है। जिस समाज में नारी बढ़-चढ़कर विभिन्न क्षेत्र से संबंधित कार्यों में हिस्सा लेती है वहां प्रगति की संभावनाएं अत्यंत बढ़ जाती हैं। घर गृहस्थी का निर्माण हो या राष्ट्र का निर्माण नारी के योगदान के बिना कोई भी निर्माण पूर्ण नहीं हो सकता।

         आजादी के समय से लेकर आज तक समाज व राष्ट्र के नवनिर्माण में महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सक्रिय सहभागिता निभाई है। महिलाओं की शक्ति को कभी कम नहीं आंका जा सकता। एवरेस्ट फतह करने से लेकर अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली व देश की सत्ता में सरकारी ओहदों की शोभा बढ़ाती महिलाओं ने नारी शक्ति का गौरव बढ़ाया है।

निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर हम राष्ट्र निर्माण में महिलाओं के योगदान को भली प्रकार से समझ सकते हैं–


नागरिक निर्माण में नारी का योगदान


नारी परिवार में बच्चों के लिए पहला गुरु, संस्कार निर्माण करने वाली है। नारी देश और समाज में आदर्श नागरिक बनाने में अहम भूमिका अदा करती है। नागरिकों का आदर्श होना उस राष्ट्र के निर्माण और विकास हेतु परम आवश्यक है।


स्वतंत्रता आंदोलन में नारी का योगदान


स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने शांतिप्रिय आंदोलनों से लेकर क्रांतिकारी आंदोलनों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई जैसी ना जाने कितनी वीरांगनाएं देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे गई। सुचेता कृपलानी, अरूणा आसिफ अली, कस्तूरबा गांधी, कमला नेहरू, सरोजिनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित जैसी अनेक नारियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को सक्रिय बनाने में अपना योगदान दिया।


इतिहास के विकास में भारतीय महिलाओं का योगदान


भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि उसके विकास में पुरुष तथा स्त्रियों का समान प्रयास हुआ करता था लेकिन जैसे-जैसे स्त्रियों के विकास का अनुपात कम होता गया वैसे वैसे भारत का गौरव धूमिल पड़ता गया।


भारतीय महिलाओं का इतिहास में योगदान अप्रतिम रहा है। सिर्फ स्वाधीनता संग्राम के समय को देखा जाए तो भारतीय महिलाओं का योगदान आगणनीय ही प्राप्त होगा।


स्वाधीनता संग्राम के दौरान महारानी लक्ष्मीबाई, विजयालक्ष्मी पंडित, अरूणा आसफ अली, हितेश सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू, सुचेता कृपलानी, मणीबेन पटेल अमृत कौर जैसी स्त्रियों ने आगे आकर अपना अप्रतिम योगदान दिया।


प्राचीन भारत में सीता, सावित्री, गंडकी, अरुंधति, लोपामुद्रा, अनुसूया जैसी महान स्त्रियों ने अपने ज्ञान के माध्यम से मानव समाज को एक सकारात्मक मार्ग दिखाया।


राजनैतिक क्षेत्र में नारी का योगदान


1950 में जब भारतीय संविधान आधिकारिक तौर पर गठित हुआ, तब भारतीय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया गया। आज महिलाएं वोट देने से लेकर कई बड़े राजनैतिक पदभार संभाले हुए हैं। इतिहास की ओर देखा जाए तो रानी लक्ष्मीबाई से लेकर 'आयरन लेडी' कही जाने वाली इंदिरा गांधी तक अनेक स्त्रियों ने विश्व स्तर पर भारत का गौरव बढ़ाया है।


वर्तमान युग में महिलाओं का योगदान


मध्यकाल में मुगल तथा विदेशी लुटेरे की कुदृष्टि ने महिलाओं को बेहद संकुचित होने पर मजबूर कर दिया और लंबे समय तक इस भावना का समाज में बने रहना एक कुप्रथा, परंपरा के रूप में बदल गया। जिससे आज तक हानि ही हानि हो रही है।


भारत के हरियाणा जैसे राज्यों का लैंगिक अनुपात इतना खराब हो चुका है जिससे वहां का भविष्य तथा विकास मार्ग सरल नहीं लग रहा।


आजादी के बाद महिलाओं ने सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में अपनी स्थिति को लगातार बेहतर किया है। उदाहरण के रूप में श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित दुनिया की पहली ऐसी महिला थी जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष बनाया गया।


सरोजिनी नायडू आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी वहीं दूसरी ओर सुचेता कृपलानी प्रथम महिला मुख्यमंत्री, इंदिरा गांधी प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में भारत की सुदृढ़ता मजबूत की।


वर्तमान में किरण बेदी, मीरा कुमार, बछेंद्री पाल, संतोष यादव, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, पीटी ऊषा, दीपा दास, मिताली राज जैसी महिलाओं ने हर क्षेत्र में भारत का इकबाल बुलंद किया है।


आधुनिक युग में भी ऐसी महिलाएं हुई जिन्होंने लोगों की मानसिकताओ को बदल कर रख देने का काम किया है। जब स्त्रियों को उनके अधिकार से भी वंचित रखा जाता था तब भारत के प्रधानमंत्री के पद पर एक महिला विराजित होकर सामाजिक कुप्रथा पर गहरी चोट की।


भारतीय महिलाओं ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना झंडा गाड़ा है। इसके सबसे बेहतर उदाहरण के रूप में कल्पना चावला, रितु करिधाल, चंद्रमा सहा, मुथय्या वनिथा, गगनदीप कंग इत्यादि तथा सबसे ताजा उदाहरण के रूप में नासा के मंगल प्रोजेक्ट को लीड कर रही डॉक्टर स्वाति शर्मा हैं।


आज के समय में जहां विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं का कुछ ऐसा वर्ग भी है जिन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए हर किसी को अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है।


जब तक हम अपनी मानसिकता को नहीं बदलकर स्त्रियों को साथ नहीं लेंगे तब तक राष्ट्र का सर्वांगीण विकास मुमकिन नहीं हो पाएगा।


वैज्ञानिक क्षेत्र में नारी का योगदान


विकास के विभिन्न मापदंडों को पूरा करने में भारतीय महिलाओं का अहम योगदान है। कल्पना चावला को भला कौन नहीं जानता। वर्तमान में भारत की ''मिसाइल वुमन" कही जाने वाली 'टेसी थॉमस' विज्ञान के क्षेत्र में भारत का गौरव बढ़ा रही हैं। 'रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर 'रितु करिधल' ने मिशन चंद्रयान-2 में मिशन निदेशक के रूप में अहम भूमिका निभाई।


साहित्यिक क्षेत्र में नारी का योगदान


साहित्य के क्षेत्र में नारी के सार्थक योगदान को बिल्कुल भी नकारा नहीं जा सकता। सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, सरोजिनी नायडू, उषा देवी मित्र जैसी अनेकों नारियों ने साहित्यिक क्षेत्र में देश का मान बढ़ाया।


सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक योगदान 


नारी एक माता, बहन, पुत्री एवं मित्र रूपी विविध रूपों में पुरुष के जीवन के साथ आत्मीयता के साथ जुड़ी रहती है। नारी पूरे परिवार को धर्म के रास्ते पर चलने हेतु प्रेरित करती है। देश में गुरु व मां का दर्जा एक जैसा है। नारी एक मां के रूप में राष्ट्र के लिए आदर्श नागरिकों का निर्माण करती है।


आधुनिक भारत की कुछ प्रसिद्ध महिलाएं


आधुनिक भारत में भी महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भूमिका निभाकर राष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान दे रही हैं। जिनमें किरण बेदी, बछेंद्री पाल, मैरी कॉम, पीटी ऊषा, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा, पीवी सिंधु, मिताली राज आदि जाने पहचाने नाम हैं।


निष्कर्ष


राष्ट्र जागरण व इसके नवनिर्माण में नारी शक्ति ने त्याग, समर्पण व बलिदान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। गुजरते समय के साथ महिलाओं ने हर स्तर खुद को साबित किया है। समाज में सकारात्मक बदलाव और नई पीढ़ी को राष्ट्र व समाजसेवा के लिए संस्कारित करने में उसका योगदान सबसे ज्यादा है। फिर भी नारी आज भी उपेक्षित है समाज में नारी को पुरुषों के मुकाबले बहुत कम सम्मान और अधिकार प्राप्त हैं। इस क्षेत्र में सरकार की  रणनीतियों के साथ-साथ समाज की मानसिकता बदलने की आवश्यकता है।


"संभव ही नहीं किसी राष्ट्र का विकास,

महिलाएं ना दें अगर बराबर का साथ।"


People Also Asked


प्रश्न - राष्ट्रीय विकास में महिलाओं का क्या योगदान है?

उत्तर - इसी के साथ ही लगभग 65% महिलाएं कृषि एवं पशुपालन का कार्य करते हुए देश की अर्थव्यवस्था को हस्तकलाओं का निर्माण करते हुए भी विकास कार्यों को गति प्रदान करती हैं। अतः यहां भी राष्ट्र निर्माण और विकास का हिस्सा है। महिलाएं ही संस्कृति, संस्कार और परंपराओं की संरक्षिका होती है।


प्रश्न - समाज में महिलाओं की आर्थिक भूमिका क्या है?

उत्तर - महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में महिलाओं की मौजूदा बाजारों में समान रूप से भाग लेने की क्षमता शामिल है; उत्पादक संसाधनों तक उनकी पहुंच और उन नियंत्रण, अच्छे काम तक पहुंच, उनके अपने समय, जीवन और शरीर पर नियंत्रण; और बड़ी हुई आवाज, एजेंसी और आर्थिक निर्णय लेने में सार्थक भागीदारी।


प्रश्न - भारत में नारी का क्या महत्व है?

उत्तर - भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति का रूप माना जाता है। हमारे प्राचीन भारतीय वेदों से हमें यह ज्ञान होता है कि प्राचीन भारतीय समाज में मातृसत्तात्मक था। नारी यह समाज का मूल आधार है तथा ईश्वर द्वारा बनाई गई सबसे खूबसूरत अमूल्य है। समाज में नारी, बहन, मां, पत्नी ऐसे अनेक रिश्ते निभाती है।


प्रश्न - भारत की महान महिला कौन है?

उत्तर - देश को आजादी दिलाने में भी उनका योगदान है। इस दौरान उन्हें पुणे की यरवदा जेल में भी रहना पड़ा था। वह महात्मा गांधी की अनुयायी भी थीं। भारत की महान महिलाओं की लिस्ट में सावित्रीबाई फुले का नाम सबसे पहले आता है।


प्रश्न - एक आदर्श महिला कौन है?

उत्तर - एक महिला जो अपनी प्राथमिकताओं के बारे में बहुत गंभीर है और अपनी प्राथमिकताओं को क्रम में रखना जानती है वह एक आदर्श महिला है।


इसे भी पढ़ें👇👇












Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2