नारी शिक्षा पर निबंध || Essay On Women Education in Hindi

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नारी शिक्षा पर निबंध || Essay On Women Education in Hindi

नारी शिक्षा पर निबंध || Essay On Women Education in Hindi

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"कल तक थी जो नादान

                      बना रही आज खुद की पहचान

शिक्षा से बन रही अब महान

                     समाज में बढ़ रहा उनका सम्मान"


प्रस्तावना


नारी शिक्षा नारियों को शिक्षित बनाने की एक अवधारणा है, जो नारी और शिक्षा को अनिवार्य रूप से जोड़ती है। भारत में मध्य और पुनर्जागरण काल के दौरान स्त्रियों को पुरुषों से अलग तरह की शिक्षा देने की धारणा विकसित हुई थी। लेकिन वर्तमान दौर में यह बात सर्वमान्य है कि स्त्री को भी उतना शिक्षित होना चाहिए जितना कि पुरुष को।यह सिद्ध सत्य है कि यदि माता शिक्षित ना होगी तो देश की संतानों का कदापि कल्याण नहीं हो सकता।


नारी शिक्षा का महत्व


समाज में स्त्रियों और बालिकाओं के विकास के लिए एक आधार के रूप में शिक्षा विशेष रुप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

शिक्षा महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए तथा लड़कियों और महिलाओं को सक्षम करने के लिए बहुत जरूरी है। अगर महिलाएं शिक्षित हों तो वे अपने घरों की सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। स्त्री शिक्षा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास में मदद करता है। महिला शिक्षा एक अच्छे समाज के निर्माण में मदद करती है।

किसी भी समाज या राष्ट्र की प्रगति के लिए महिला शिक्षा का विशेष महत्व है, नारी शिक्षा का महत्व निर्विवाद रूप से मान्य है। यह बिना किसी तर्क या विचार - विमर्श के ही स्वीकार करने योग्य है क्योंकि नारी शिक्षा से ही नारी पुरुष के समान आदर और सम्मान का पात्र बन सकती है। प्राचीन काल में नारी शिक्षित नहीं होती थी, मैं गृहस्थी के कार्य में व्यस्त होती हुई पतिव्रता होती थी। तब नारी देवी के समान श्रद्धा और विश्वास के रूप में देखी जाती थी। तब नारी नर की अनुगामिनी होती थी और यही उसकी काबिलियत थी। पर आज के विज्ञान के युग में नारी की योग्यता शिक्षित होना है।

जिस तरह से शिक्षा के द्वारा हम किसी भी क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं उसी तरह शिक्षा के द्वारा नारी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रवेश करके अपनी योग्यता व प्रतिभा का परिचय दे रही है।


नारी शिक्षा के उद्देश्य


एक नहीं अनेक है। महिला शिक्षा नारी को आत्मनिर्भर होने में सहायता करती है और उसमें खुद पर भरोसा करने के गुणों का भी विकास करती है। शिक्षित नारी आज पुरुष के समान "अधिकार" प्राप्त कर सकती है। शिक्षित नारी में आज पुरुष की शक्ति और पुरुष का वही अद्भुत तेज दिखाई पड़ता है। नारी शिक्षा के द्वारा नारी अपनी प्रतिभा और शक्ति से कई अधिक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली दिखाई देती है। नारी शिक्षित होने के परिणाम स्वरूप आज देश और समाज के एक से एक ऐसे बड़े उत्तरदायित्व का निर्वाह कर रही है, जो पुरुष भी नहीं कर सकता।

शिक्षित नारी आजकल के सभी क्षेत्रों में प्रवेश कर कामयाबी हासिल कर रही है। आज नारी एक महान नेता, समाज सेविका, चिकित्सक, निदेशक, वकील, अध्यापिका, मंत्री, प्रधानमंत्री आदि महान पदों पर कुशलतापूर्वक कार्य करके अपनी अद्भुत क्षमता व योगिता का परिचय दे रही है और देश के विकास में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।


नारी शिक्षा के लाभ


नारी शिक्षा से नारी में आत्मनिर्भरता का गुण उत्पन्न होता है। वह स्वावलंबन के गुणों से युक्त होकर पुरुष को चुनौती देती है। अपने स्वावलंबन के गुणों के कारण ही नारी पुरुष की दासी व अधीन नहीं रहती है अपितु वह पुरुष के समान ही स्वतंत्र व स्वच्छंद होती है। शिक्षित होने के फलस्वरूप ही आज नारी समाज में सुरक्षित है और आज समाज नारी पर कोई अत्याचार नहीं करता। शिक्षित नारी के प्रति आज समाज में दहेज का कोई शोषण चक्र नहीं चलता है।

शिक्षित नारी को आज अनेक रूढ़ीवादी प्रथाओं (जैसे सती प्रथा) का कोई कोप सहना नहीं पड़ता है। नारी शिक्षा के कारण ही नारी आज पुरुष व समाज दोनों के द्वारा सम्माननीय है।


महिलाओं को शिक्षित करने में सरकार की भूमिका


आज वर्तमान समय में लोग स्त्री शिक्षा पर विशेष बल देने लगे हैं। सरकार की ओर से तरह-तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिससे लोगों में जागरूकता आए और वह महिलाओं को शिक्षित करने में अपना सहयोग दे सकें।


सरकार की ओर से पढ़ रही बच्चियों को पाठ्य पुस्तक, यूनिफॉर्म के अलावा स्कूल जाने के लिए साइकिल जैसी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति की जा रही है। जिससे शिक्षा की राह में उनके सामने किसी भी प्रकार की वादा ना उत्पन्न हो पाए।


परीक्षा में अच्छे नंबर अर्जित करने वाली छात्राओं को पुरस्कार के रुप में नगद रुपए सरकार के द्वारा प्रदान किए जाते हैं। वहीं कई शहरों में बालिकाओं को स्कूल ले जाने के लिए बस जैसी विशेष सुविधाएं सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है।


महिलाओं को शिक्षित करने के प्रति लोगों में जागरूकता


शिक्षा के महत्व को समझाते हुए भारतवर्ष के लोगों में पहले की अपेक्षा काफी जागरूकता आई है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत की कुल जनसंख्या का 73% भाग ही शिक्षित हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 45 में दिए गए प्रावधान के अनुसार 14 वर्ष की आयु तक बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करना राज्य के कर्तव्यों में से एक है।


भारत में 64.6 प्रतिशत महिलाएं ही शिक्षित है। स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में शिक्षा का व्यापक रूप से प्रचार और प्रसार हुआ है। भारत के कुछ राज्यों में शिक्षित लोगों के प्रतिशत में काफी इजाफा हुआ है। केरल एक ऐसा पहला राज्य है जहां पर कोट्टायम - एर्नाकुलम जैसे जिलों में शत प्रतिशत शिक्षित लोग निवास करते हैं।


नारी शिक्षा के मार्ग में बाधाएं


समाज के रूढ़िवादी दृष्टिकोण के कारण लड़कियों को अक्सर विद्यालय जाने की अनुमति नहीं दी जाती है।

इसका एक कारण गरीबी भी देखा जा सकता है क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण भी माता-पिता अपने सभी बच्चों को शिक्षा देने में असमर्थ होते हैं जिसके कारण वे केवल लड़कों को ही अच्छी शिक्षा देना जरूरी समझ लेते हैं। कुछ परिवारों की मानसिकता होती है कि लड़कियों को ज्यादा पढ़ाना नहीं चाहिए क्योंकि वे तो शादी करके दूसरों के घर चली जाएंगी। कुछ लोग स्कूल या कॉलेज काफी दूर होने के कारण सुरक्षा कारणों से बेटियों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते और कुछ चाहते हुए भी अभावों के चलते बेटियों को शिक्षित नहीं कर पाते। ऐसे ही बहुत से कारण हैं जिस और ध्यान देने की सख्त जरूरत है।


नारी शिक्षा की भूमिका


संस्कृत में एक प्रसिद्ध उक्ति है-

'नास्ति विद्यासमं चक्षुर्नास्ति मातृ समो गुरुः' इसका मतलब यह है कि 'इस दुनिया में विद्या के समान नेत्र नहीं है और माता के समान गुरु नहीं है।' यह बात पूरी तरह सच है। बालक के विकास पर प्रथम और सबसे अधिक प्रभाव उसकी माता का ही पड़ता है।

माता ही अपने बच्चे को पाठ पढ़ाती है। बालक का यह प्रारंभिक ज्ञान पत्थर पर बनी अमिट लकीर के समान जीवन का स्थाई आधार बन जाता है।

    महिलाओं की शिक्षा, किसी भी पुरुष की शिक्षा से कम महत्वपूर्ण नहीं है। समाज की नई रूपरेखा तैयार करने में महिलाओं की शिक्षा पुरुषों से 100 गुना अधिक उपयोगी है। इसलिए स्त्री शिक्षा के लिए सरकार को प्रयासरत होना चाहिए। तभी समाज में फैले व्यभिचार पर काबू पाया जा सकता है।


"शिक्षा से आएगी नारी में नई जान,

खुद बनाएगी वह खुद की पहचान।"


नारी शिक्षा से होने वाले लाभ


इतिहास गवाह है कि शिक्षित होकर नारी ने हमेशा ही देश का नाम गौरवान्वित किया है। शिक्षा प्राप्त करके आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनती है। जिस प्रकार शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मानसिक विकास के लिए शिक्षा आवश्यक है। अगर नारी ही शिक्षित नहीं होगी तो वह न तो सफल ग्रहणी बन सकेगी और ना कुशल माता। समाज में बाल अपराध बढ़ने का कारण बालक का मानसिक रूप से विकसित ना होना है। यदि मां शिक्षित नहीं होगी तो एक स्वस्थ समाज का निर्माण एवं विकास संभव नहीं हो सकेगा।


उपसंहार


समाज में नारी शिक्षा की उपयोगिता को देखते हुए हर एक नारी को शिक्षित करना आज के समय की परम आवश्यकता है। किंतु एक नारी को यह भी समझना होगा कि वह शिक्षित होकर पुरुष को अपना प्रतिद्वंदी मानते हुए उसके सामने मोर्चा लेकर ना खड़ी हो जाए। बल्कि वह आर्थिक क्षेत्र में भी पुरुष के बराबर समानता का अधिकार प्राप्त करके उसके साथ मैत्रीपूर्ण संबंध के समीकरण बनाने में सक्षम बने। तभी नारी शिक्षा की अवधारणा सफल हो पाएगी।


''नर से आगे है आज नारी,

शिक्षा से हर क्षेत्र में बाजी उसने मारी।"


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प्रश्न - नारी शिक्षा पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर - एक शिक्षित महिला एक शिक्षित परिवार का पालन पोषण करती है और एक शिक्षित परिवार समाज की बेहतरी में योगदान देता है। देश की प्रगति के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। यदि हम विश्व के इतिहास पर नजर डालें तो यह देखा जा सकता है कि केवल उन्हीं देशों को सफलता मिली जिन्होंने अपनी महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से शिक्षित किया।


प्रश्न - नारी शिक्षा क्यों जरूरी है निबंध?

उत्तर - एक शिक्षित स्त्री के कारण देश की आर्थिक स्थिति और घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। एक शिक्षित नारी घरेलू हिंसा और अन्य अत्याचारों से सक्षमता से निजाद पा सकती है। संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि स्त्री शिक्षा का प्रभाव परिवार, समाज और देश के हर क्षेत्र में अहम योगदान देता है।


प्रश्न - महिलाओं के जीवन में शिक्षा का क्या महत्व है?

उत्तर - अगर महिलाएं शिक्षित हो तो भी अपने घरों की सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। स्त्री शिक्षा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास में मदद करता है। आर्थिक विकास और एक राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में मदद करता है। महिला शिक्षा एक अच्छे समाज के निर्माण में मदद करती है।


प्रश्न - नारी को शिक्षित करना क्यों जरूरी है?

उत्तर - महिलाओं को शिक्षित बनाने का वास्तविक अर्थ उसे प्रगतिशील और सभ्य बनाना है ताकि उसमें तर्क-शक्ति का विकास हो सके। यदि नारी शिक्षित होगी तो वह अपने परिवार की व्यवस्था ज्यादा अच्छी तरह से चला सकेगी। एक अशिक्षित नारी ना तो स्वयं का विकास कर सकती है और ना ही परिवार के विकास में सहयोग दे सकती हैं।


प्रश्न - नारी शिक्षा की शुरुआत कब हुई थी?

उत्तर - वर्ष 1848 पुणे में गर्ल्स स्कूल की शुरुआत करने वाले ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई पश्चिमी भारत में भी महिला शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी थे। पश्चिमी भारत में महिला शिक्षा की शुरुआत पुणे में गर्ल्स स्कूल के निर्माण के साथ हुई जिसे वर्ष 1848 में ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई ने शुरू किया था।


प्रश्न - नारी शिक्षा का क्या अर्थ है?

उत्तर - स्त्री शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्त्रियों को योग्य ग्रहणी, योग्य माता, योग्य पत्नी और समाज में एक योग्य नारी बनाना है। भारतीय संविधान में स्त्रियों को पुरुषों के समान सम्मान व ऐश्वर्य व अधिकार प्राप्त हैं, आज आधुनिक समाज में स्त्री को पुरुष के बराबर दर्जा देते हुए सहशिक्षा का निर्माण किया गया है।


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