भाषा कौशल एवं भाषा कौशल के प्रकार

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भाषा कौशल एवं भाषा कौशल के प्रकार

भाषा कौशल एवं भाषा कौशल के प्रकार

भाषा-भाषा हमारी जीवन का अति महत्वपूर्ण अंग होता है हर व्यक्ति को अपने विचार और भावों की अभिव्यक्ति के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। और भाषा इसके लिए सबसे सार्थक माध्यम होता है। परंतु अपने विचारों को सही से अभिव्यक्त करने हेतु कुछ कौशल होते हैं। जिनके सही इस्तेमाल से ही व्यक्ति अपने विचारों या भावों को सही अर्थ में सही रूप से किसी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।

भाषा कौशल एवं भाषा कौशल के प्रकार
भाषा कौशल एवं भाषा कौशल के प्रकार

Table of contents


भाषा कौशल एवं भाषा कौशल के प्रकार

भाषा कौशल का उचित क्रम क्या है?

भाषा कौशल कैसे विकसित करें?

लेखन कौशल के विभिन्न तरीके कौन-कौन से हैं?

भाषा कौशल के विकास की कौन-कौन सी प्रमुख विधियां हैं?

भाषा विकास के चार चरण कौन से हैं?

कौन सी भाषा कौशल महत्वपूर्ण है?

बोलना कौशल में क्या महत्वपूर्ण है?

लेखन कौशल के पांच प्रकार कौन से हैं?

FAQ


भाषा कौशल हमारे व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है और एक योग्यता प्रदान करता है। जो हमें दूसरे व्यक्तियों से भिन्न बना सकते हैं इसके द्वारा एक साधारण से विचार को भी व्यक्ति उत्तम शब्दावली एवं सही लय और प्रवाह के इस्तेमाल से बहुत प्रभावशाली बना सकता है।

भाषा कौशल हमारे व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है और एक योग्यता प्रदान करता है जो हमें दूसरे व्यक्ति से भिन्न बना सकता है इसके द्वारा एक साधारण से विचार को भी व्यक्ति उत्तम शब्दावली एवं सही लय और प्रवाह के इस्तेमाल से बहुत प्रभावशाली बन सकता है।


भाषा कौशल

किसी भी व्यक्ति में बालक में भाषा का विकास कुशलतापूर्वक जिस क्रम में होता है उस क्रम के तहत आने वाले सोपानों को भाषा कौशल कहा जाता है।


भाषा कौशल विकास का क्रम LSRW के रूप में होता है।


सामान रुप से सर्व मान्य भाषा कौशल विकास क्रम सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना।


1-सुनना (श्रवण कौशल) (प्राथमिक कौशल आधार कौशल)


2-बोलना (उच्चारण कौशल) (द्वितीयक कौशल)


3 पढ़ना (वाचन कौशल ( (प्राथमिक कौशल)


4-लिखना (लेखन कौशल) (द्वितीयक कौशल)


सुनना बोलना पढ़ना ग्राहय कौशल है। ग्राहय कौशल वे होते हैं जो सीखने संबंधित होते हैं।


बोलना पढ़ना लिखना अभिव्यंजना कौशल है जोकि अभिव्यक्त करने से संबंधित होता है।


भाषा कौशल के प्रकार

तो आप जान चुके होंगे की भाषा कौशल चार प्रकार के होते हैं आप इनके बारे में विस्तार से जान लेते हैं।


श्रवण कौशल (सुनना)

यह भाषा कौशल विकास का सबसे प्राथमिक एवं आधारभूत कौशल है इस क्वेश्चन में व्यक्ति अथवा बालक जितना अधिक कुशल होगा उसमें भाषा का विकास भी उतना ही बेहतर प्रकार का हो सकेगा।


श्रवण कौशल के लिए आवश्यक बातें

1-सबसे पहली आवश्यकता है कि प्रकाश से सुनना इसके लिए कान श्रवण इंद्रियां ठीक होने चाहिए क्योंकि जब तक व्यक्ति सुनेगा नहीं तो बोलेगा कैसे।


शांतिमय वातावरण का होना।


सुनाने वाली अथवा भत्ता की शब्दों का उच्चारण बिल्कुल स्पष्ट एवं शुद्ध होना चाहिए।


ध्यान का केंद्रित होना अवधान


अंतर बोध शक्ति का होना।


धारण शक्ति का होना।


अर्थबोध शक्ति का होना।


उपयुक्त विचार सकारात्मक होने की स्थिति में इस बात को स्पष्ट करती है किस निश्चित रूप से श्रवण कौशल अच्छा होगा।

भाषा कौशल एवं भाषा कौशल के प्रकार
भाषा कौशल एवं भाषा कौशल के प्रकार

उच्चारण कौशल (बोलना)


जब एक बालक अथवा व्यक्ति जैसा सुनता है ठीक उसी प्रकार से शुद्ध अथवा स्पष्ट बोल पाता है तब वह उसका उच्चारण कौशल कहलाता है।


स्पष्ट एवं शुद्ध उच्चारण।

शब्द का वाक्य विन्यास सही हो।

पर्याय शब्दों का प्रयोग अनावश्यक ना हो।

अधिकतम अलंकृत शब्दावली नहीं हो।


उच्चारण कौशल में बाधक

1-शीघ्रता से बोलने की आदत।

2-भौगोलिक वातावरण का प्रभाव

3-शारीरिक मानसिक दोष जैसे हकलाना तुतलाना आदि।

4-सामाजिक वातावरण का प्रभाव।

5-अभिव्यक्ति की क्षमताओं का अभाव


इन सभी बातों का ध्यान रखकर सही तरह का उच्चारण कौशल पैदा किया जा सकता है।


वाचन कौशल

किसी भी लिखित विषय वस्तु को स्मरण याद करने के लिए वाचन कौशल का उपयोग किया जाता है।


वाचन कौशल दो प्रकार के होते हैं।

1-सस्वर वाचन

2-मौन वाचन


सस्वर वाचन

जब वाचन करते समय मुख में ध्वनि बाहर निकलते हैं तो तथा पास बैठा अन्य व्यक्ति भी उसे सुन सकता है यह तो सस्वर वाचन कहलाता है।


प्रारंभ में सस्वर वाचन ही होता है जो मौन वाचन का आधार भी होता है.

सस्वर वाचन भी दो प्रकार के होते हैं-


आदर्श सस्वर वाचन

जब एक शिक्षक किसी विषय वस्तु को पहले स्वयं सस्वर वाचन करते हुए बालकों को सुनाता है तो यह आदर्श सस्वर वाचन कहलाता है जो केवल शिक्षक के द्वारा किया जाता है।


अनुकरण सस्वर वाचन

जब बालक शिक्षक का अनुकरण कर वाचन करते हैं तो यह अनुकरण वाचन कहलाता है.


अनुकरण वाचक दो प्रकार के होते हैं-


व्यक्तिगत अनुकरण वचन

एक अकेला बालक या व्यक्ति जब अनुकरण वाचन कर रहा हो।


सामूहिक अथवा समवेत अनुकरण वाचन

जब सभी बालक एक साथ मिलकर अनुकरण वाचन कर रहे हो।


मौन वाचन

जब वाचन के समय मुख से ध्वनि बाहर नहीं निकलती तथा मन ही मन पढ़ते हैं तो वह मौन वाचन कहलाता है।


गंभीर मौन वाचन

पहले से इस लड़की गई विषय वस्तु को पुनः स्मरण के समय किया जाता है।


मौन वाचन का उद्देश्य विषय वस्तु याद करने स्मरण  करने से संबंधित होता है।


लेखन कौशल (लिखना)

प्राप्त ज्ञान को स्थाई बनाने के लिए यह सबसे मुख्य भाषा का कौशल है।


यह एक कठिन कौशल है इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।


1-वर्तनी संबंधी त्रुटि ना हो।

2-लिखावट सुंदर होनी चाहिए।

3-लिखते समय शिरो बंद आवश्यक है।

4-कलम को अधिकतम 1 इंच से पकड़ना एवं पुस्तका वापीन के बीच 45 अंश का कोण ध्यान में रखते हुए लिखना।

5-लिखते समय सब एवं वाक्यों का चयन एवं वर्णो की संरचना भी महत्वपूर्ण है।


FAQ

1-भाषा कौशल का उचित क्रम क्या है? उत्तर-भाषा कौशल विकास का क्रम LSRW के रूप में होता है। समान रूप से सर्वमान्य भाषा कौशल विकास क्रम सुनना बोलना पढ़ना लिखना। सुनना पढ़ना ग्राहय कौशल है। ग्राहय कौशल वे होते हैं जो सीखने से संबंधित होते हैं।


2-भाषा कौशल कैसे विकसित करें?

 उत्तर-बालक में आत्मविश्वास की भावना विकसित करना छात्रों को भाषण संबंधी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित करना तथा समय-समय पर उनको पृष्ठ पोषण प्रदान करना उचित विधियों पर विधियों का आवश्यकतानुसार प्रयोग सहायक सामग्री का प्रयोग।


3-लेखन कौशल के विभिन्न तरीके कौन-कौन से हैं? 

उत्तर-इन चारों विधियों को क्रमशः शब्द विधि वाक्य विधि चित्र शब्द विधि तथा वाक्य चित्र विधि कहा जाता है।

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